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आमतौर पर किसी भी व्यक्ति के पद और वेतन में वृद्धि के साथ-साथ उसके ऊपर पड़ने वाली जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं! जाहिर है कि बढ़ी हुई जिम्मेदारियों के साथ-साथ हर नौकरी में तनाव भी बढ़ जाता है। हालांकि, आपको शायद यकीन न हो, लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया है कि ऊंचे पद और अधिक जिम्मेदारियों के कारण, यदि मानसिक स्वास्थ पर बुरा असर पड़ता है, तो भारत के 88% कर्मचारी ज्यादा वेतन वाली नौकरी के बजाय कम वेतन वाली नौकरी करना पसंद करते हैं।क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में तकरीबन 20% कर्मचारी अपने काम से जुड़े तनाव के कारण पीड़ित हैं।
इनमें से पुरुष कर्मचारियों (16%) की तुलना में महिला कर्मचारियों (23%) की स्थिति और भी अधिक खराब है।
कर्मचारियों के मानसिक कल्याण पर प्रबंधकों के प्रभाव को समझने के लिए हाल ही में प्रबंधन और मानव संसाधन सेवाएं प्रदान करने वाली एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी ‘अल्टीमेट क्रोनोस ग्रुप’ (Ultimate Kronos Group (UKG) द्वारा 10 देशों में 3400 कर्मचारियों का सर्वेक्षण किया।
सर्वेक्षण में पाया गया कि मानसिक स्वास्थ्य पर दबाव पड़ने पर अधिकांश भारतीय कम वेतन वाली नौकरी करना पसंद करेंगे। भारत में 88% कर्मचारियों ने कहा कि वे अपनी मानसिक भलाई के लिए अपनी उच्च-वेतन वाली नौकरी छोड़ देंगे, जबकि अमेरिका में ऐसे कर्मचारियों का अनुपात 70% हैं।
33 फीसदी भारतीय कर्मचारियों ने कहा कि, “लंबे समय तक काम करना, तनाव बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण है”, जो बदले में उनके पेशेवर प्रदर्शन को भी प्रभावित करता है। 34% ने कहा कि वे तनाव के कारण काम के दौरान एकाग्रता की कमी का अनुभव करते हैं, जबकि 31% ने कहा कि वे अपने सहकर्मियों के साथ बेहतर संबंध बनाने में असमर्थ हैं। तनाव के परिणामस्वरूप 26% उत्तरदाताओं ने उत्पादकता में कमी का भी अनुभव किया है। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि कई कर्मचारी अपनी चिंताओं को अपने प्रबंधकों के साथ बांटने से भी कतराते हैं। भारत में केवल 51% कर्मचारी ही, प्रति सप्ताह अपने प्रबंधक से अपने काम के दबाव के बारे में बात कर पाते हैं, जबकि 30% कर्मचारी महीने में केवल एक बार ऐसा करते हैं। कर्मचारी इसके लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराते हैं। जैसे 19% कर्मचारी यह सोचते हैं कि तनाव के बारे में बताए जाने पर भी प्रबंधक उनके मानसिक स्वास्थ की परवाह नहीं करेंगे,(28% सोचते हैं कि प्रबंधक बहुत व्यस्त हो सकते हैं इसलिए उन्हें इसके बारे में नहीं बताया जाना चाहिए, जबकि33% कर्मचारी अपने दम पर इस समस्या से निपटना चाहते हैं ।
इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर कर्मचारियों को लगता है कि काम से तनाव का अक्सर उनके निजी जीवन पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है; उनमें से 71% का कहना है कि यह तनाव उनके घरेलू जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, जबकि 62% सोचते हैं कि इस तनाव का उनके रिश्तों पर गहरा असर पड़ता है।
भारत में, 25% कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें सप्ताह के पहले दिन अपने कार्य की शुरुआत करने में हमेशा परेशानी होती है। सप्ताह के पहले दिन के समाप्त होने तक ही 26% कर्मचारी बेहद थका हुआ महसूस करते हैं।
हालांकि, इस संदर्भ में दुनिया भर के कार्यस्थल धीरे-धीरे अपने कर्मचारियों को अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। कर्मचारियों के लिए खुले संचार के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने से कर्मचारियों की मनोवैज्ञानिक स्थिति और भलाई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप कार्यस्थल का माहौल भी खुशहाल बन सकता है।
काम के तनाव पर खुले संचार के कई लाभ होते हैं, जिनमें बेहतर उत्पादकता और नवाचार भी शामिल हैं। जब कर्मचारियों को अपने प्रबंधकों से सहयोग प्राप्त होता है तो वे व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सहकर्मियों के साथ ज्ञान के आदान-प्रदान के साथ- साथ सर्वोत्तम अभ्यास करना सीख सकते हैं, जिससे कंपनी को भी बेहतर परिणाम मिलते हैं। इससे कर्मचारियों में उत्पादकता और नौकरी से संतुष्टि का भाव भी बढ़ता है।
खुला संचार तनाव के स्तर को भी कम कर सकता है। कर्मचारियों को उनकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक चुनौतियों के बारे में मुखर होने के लिए प्रोत्साहित करके, संगठन एक सकारात्मक और खुशहाल कार्य वातावरण बना सकते हैं।
इसके अलावा खुला संचार विविधता और समावेशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज की डिजिटल दुनिया में, संगठन के सामाजिक और भावनात्मक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए बेहतर संचार स्थापित करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। खुले संचार के माध्यम से मनोवैज्ञानिक सुरक्षा, कठिन समस्याओं से निपटने की प्रेरणा, अधिक सीखने और विकास के अवसर, तथा समग्र रूप से बेहतर प्रदर्शन प्राप्त किये जा सकते हैं।
याद रखें, अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि आपके शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल करना। खुले संचार को बढ़ावा देकर और कर्मचारियों के लिए उनकी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर चर्चा करने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाकर, व्यवसाय सभी के लिए एक खुशहाल और अधिक उत्पादक कार्यस्थल बना सकते हैं। इसलिए, बोलने में संकोच न करें और अपनी भलाई को प्राथमिकता दें, क्योंकि एक स्वस्थ दिमाग एक खुशहाल जीवन की ओर ले जाता है। आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहां व्यवसाय लगातार बदल रहे हैं। ऐसे में कार्यस्थल की एक मजबूत संस्कृति होना महत्वपूर्ण हो जाता है। यह कदम संचार को प्रोत्साहित करने और कर्मचारियों को प्रभावी ढंग से सहयोग करने, परिवर्तन का प्रबंधन करने, सीखने और काम पर खुश रहने की स्वतंत्रता प्रदान करने के संदर्भ में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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संदर्भ
https://bit.ly/3yCVIW4
https://bit.ly/3ZM3I2U
https://bit.ly/3liGpij
चित्र संदर्भ
1. ऑफिस कर्मचारियों को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
2. मीटिंग में बैठे कर्मचारियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कर्मचारियों की आपसी बहस को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
4. काम संबंधी तनाव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. प्रसन्न कर्मचारियों को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
6. अति प्रसन्न कर्मचारियों को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
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