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गर्मी का मौसम आते ही लोग अपने घरों को ठंडा रखने के लिए एयर कंडीशनर ( Air Conditioner (A.C.) और कूलर लगाने के लिए हजारों रुपए खर्च कर देते हैं। परंतु हम इस तथ्य को नहीं भूल सकते है, कि एसी हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है, और इसका खर्चा उठाना भी जेब पर बहुत भारी पड़ता है।। यदि कूलर की बात की जाए तो यह बजट में तो आ जाता है किंतु यह ज्यादा नमी वाले स्थानों पर बिल्कुल भी ठंडक नहीं देता है । तो अब यह प्रश्न उठता है कि क्या गर्मियों में घरों को ठंडा करने के लिए एसी और कूलर के अलावा भी कोई अन्य विकल्प है ? इसका उत्तर आज हम आपको बताते हैं। प्राचीन समय में घरों की बनावट ऐसी होती थी कि वे प्राकृतिक रूप से ही ठंडे रहते थे।
इसके अलावा आज भी कई ऐसे विकल्प हैं जिनकी सहायता से हम अपने घरों को बिना एसी और कूलर के ठंडा रख सकते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में। अमेरिका (America) के सैन फ्रैंसिस्को (San Francisco) में ‘कैलिफोर्निया एकेडमी ऑफ साइंसेज’ (California Academy of Sciences ) की छत को घास के साथ गुंबद के आकार में इस प्रकार बनाया गया है कि यह हवा के प्राकृतिक प्रवाह को इमारत के अंदर मोड़ देती है । जैसे ही हवा चलती है, इन गुंबदों का एक किनारा हवा के नकारात्मक दबाव में आ जाता है, जो स्वचालित रूप से छत में बनाई गई छोटी-छोटी खिड़कियों और इमारत के अंदर हवा को बहने में मदद करता है। तथ्य यह है कि यह छत घास रूपी वनस्पति से ढकी हुई है, जो इसके नीचे के स्थान के तापमान को कम करने में मदद करती है।
आपने कभी न कभी तो मिट्टी से बने घड़े एवं सुराही जैसे बर्तनों के ठंडे पानी से अपने आप को तृप्त अवश्य ही किया होगा। लेकिन क्या आपको पता हैं, कि इन बर्तनों में पानी कैसे ठंडा होता है? इन बर्तनों में गर्मी के कारण जब पानी का तापमान बढ़ता है और पानी में ऊष्मा उत्पन्न होती है तो यह ऊष्मा मिट्टी की परतों से छिद्रों के माध्यम से बाहर निकल जाती है और इस तरह बर्तन के अंदर का पानी ठंडा हो जाता है। इस सिद्धांत का उपयोग करके किसी भवन या बाहरी स्थान को ठंडा रखने के भी कुछ सरल तरीके हैं। आंगन में पानी का एक तालाब, फव्वारा या पानी की धाराएँ बनाना इसी तरह से काम करते हैं। और घरों के अंदर, एक खिड़की या किसी ढांचे वाली जगह के पास पानी से भरा एक मिट्टी का बर्तन रखने से भी उस जगह को ठंडा करने में मदद मिल सकती है।
इसी सिद्धांत के आधार पर जयपुर में ‘पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन’ (Pearl Academy of Fashion) को डिजाइन किया गया है। यहां एक आंतरिक छायादार प्रांगण के भीतर एक पारंपरिक भारतीय बावड़ी का इस्तेमाल किया गया है (बावड़ी सीढ़ीदार कुँओं, तालाबों या कुंडों को कहते हैं)। इनमें वर्षा जल तथा इमारत के अपशिष्ट जल का शुद्धिकरण करके जल को एकत्रित किया जाता है। भूमिगत तापमान से अधिक ठंडा रहने वाला यह जल, हवा को ताज़ा रखते हुए, आंगन से पर्याप्त मात्रा में गर्मी को अवशोषित कर लेता है। इसी के साथ इमारत का आकार आयताकार है, जो बाहरी सतह क्षेत्र की तुलना में आंतरिक स्थान के विस्तार को अधिकतम कर देता है। ताकि कम सतह क्षेत्र सूर्य की गर्मी को अवशोषित करें। इमारत की बाहरी दीवारों से लगभग चार फीट की दूरी पर एक जालीदार पटल भी बनाया गया है, जो इस इमारत को छाया देने और हवा के माध्यम से तापमान को कम करने में मदद करता है।
वाणिज्यिक ग्राउंड सोर्स हीटिंग (Ground source heating) और कूलिंग सिस्टम (Cooling system) के माध्यम से भी जमीन में दबाए गए पाइपों के जमीन के अंदर के वार्षिक स्थिर तापमान का उपयोग, जगहों को ठंडा रखने के लिए किया जाता हैं। जमीन में दबाए गए पाइपों के द्वारा जमीन के अंदर से पानी पंप किया जाता है और फिर यह पानी जमीन पर गिरने के बाद वापस जमीन के अंदर ही चला जाता है। इन पाइपों में पानी का तापमान जमीन के तापमान तक गिर जाता है । इन प्रणालियों का उपयोग सर्दियों में इमारतों को गर्म करने और गर्मियों में ठंडा करने दोनों के लिए किया जा सकता है।
ईरान के यज़्द (Yazd) शहर को “विंडकैचर सिटी (Windcatcher city)” के रूप में जाना जाता है। दरअसल विंडकैचर एक प्रकार की इमारत होती है , जिसकी सपाट छत के ऊपर कांच रहित या खुली खिड़कियां बनायी जाती है, जो बहती हवाओं की दिशा का सामना करती हैं। ये इमारत खिड़कियों के माध्यम से हवा को अपने भीतर प्रवाहित होने देती है और फिर इस हवा को इमारत के भीतर कुछ ब्लेड की एक श्रृंखला द्वारा चैनलों में विभाजित करके आवासों तक पहुंचाया जाता है। विंडकैचर इमारतों की धनुषाकार छत हवा के संचलन को प्रोत्साहित करने में भी मदद करती है। कभी-कभी अधिक शीतलता के लिए हवा के प्रवाह को पानी के एक बेसिन, या एक गुंबददार कक्ष में किसी गहरे जलाशय के ऊपर से बहने के लिए भी मोड़ा जाता है। यहां से ठंडी हवा को आवासों में प्रवाहित कर दिया जाता है।
घरों को ठंडा रखने में जाली भी अत्यंत सहायक होती हैं । जाली छिद्रित ब्लॉक का ढांचा होती हैं, जो प्रकाश और छाया के जटिल पैटर्न बनाते हुए आंतरिक स्थानों को हवादार बनाए रखने में सहायता करती हैं । इस पैटर्न की वजह से जाली के अंदर कम से कम प्रकाश प्रवेश कर पाता है जिसके कारण आंतरिक स्थान ठंडे रहते है।
हालांकि वातावरण को ठंडा रखने का सबसे आसान और अच्छा तरीका वृक्षारोपण है । व्यापक वृक्षों का आवरण शहरी तापमान को 5° सेल्सियस तक कम कर सकता है।
घरों और आसपास के वातावरण को ठंडा रखने का इसी प्रकार का एक ऐतिहासिक प्रयोग हमारे लखनऊ शहर में भी 18वीं शताब्दी से ही प्रचलित है। फ्रांसीसी सेनानी क्लॉड मार्टिन (Claude Martin) ने नवाबों के शहर लखनऊ में हमारी जीवनदायिनी गोमती नदी के तट पर सुंदर दृश्यों और शीतलन प्रभाव का लाभ उठाने के लिए ऐसी कई इमारतों को डिजाइन किया जो आज भी उनके नाम से एक असाधारण वास्तुशिल्प विरासत के रूप में विद्यमान हैं ।
लखनऊ के बाहरी इलाके में स्थित मूसा बाग नवाब आसफ-उद-दौला द्वारा स्थापित एक चारदीवारी में स्थित नवाबी चारबाग था। फिर 1803–04 में, क्लॉड मार्टिन के डिजाइन पर आधारित मूसा बाग को उनके सौतेले भाई नवाब सआदत अली खान ने पुनर्निर्मित करवाया। गोमती नदी के तट पर यह एक ग्रामीण घर था जिसका उपयोग मेहमानों के मनोरंजन के लिए किया जाता था। मूसा बाग को इस प्रकार डिजाइन किया गया था, जो इसके निर्माता की समृद्ध कल्पना को प्रमाणित करता है। नदी के किनारे पर बना इमारत का तीन मंजिला मुखौटा इमारत के आंतरिक भाग में खुलता था।
घर के दो मंजिला पिछले हिस्से में छोटे-छोटे कमरों और बरामदों से घिरा बड़ा आंगन जमीन में खुदाई करके बनाया गया था। यह इस संरचना के चारों ओर की मिट्टी के साथ-साथ सामने से बहने वाली नदी की हवा से भी ठंडा रहता था। घर के पीछे के हिस्से को ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में उपयोग किया जाता था। इस प्रकार मूसा बाग के निवास स्थान को प्राकृतिक तरीकों से ही ठंडा रखा जाता था।
हमने कुछ ऐसे तरीके देखे जिनसे गर्मियों में हम हमारे घरों को ठंडा रख सकते है । क्या निवास स्थानों को ठंडा रखने के ये तरीके उत्कृष्ट नहीं हैं? इन तरीकों या सिद्धांतों का उपयोग करके हम एसी से हमें तथा हमारे पर्यावरण को बचा सकते है।
संदर्भ
https://bbc.in/3F4smU5
https://bit.ly/3F2noXT
https://bit.ly/3Zt3xcA
https://bit.ly/3kUhSQq
चित्र संदर्भ
1. मूसा बाग को संदर्भित करता एक चित्रण (getarchive)
2. एक हरित ईमारत को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
3. पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
4. ईरान के यज़्द (Yazd) शहर को “विंडकैचर सिटी (Windcatcher city)” के रूप में जाना जाता है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मूसा बाग में मकबरे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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