समय - सीमा 267
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1055
मानव और उनके आविष्कार 817
भूगोल 260
जीव-जंतु 316
| Post Viewership from Post Date to 13- Mar-2023 (5th Day) | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Readerships (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 1753 | 634 | 0 | 2387 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
आपने प्राचीन भारतीय शास्त्रों एवं वेदों में वर्णित शरीर एवं मन के आध्यात्मिक चक्रों के बारे में तो सुना या पढ़ा ही होगा । मनुष्य के शरीर में रीढ़ के आधार से सिर के शीर्ष तक सात प्रमुख चक्र होते हैं। इनमें से प्रत्येक चक्र मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। यही चक्र मानसिक परिवर्तन के केंद्र भी होते हैं जो मनुष्य को एक प्रबुद्ध अवस्था की ओर बढ़ने में सक्षम बनाते हैं। इन चक्रों को आमतौर पर ऊर्जा केंद्रों के रूप में वर्णित किया जाता है जो शरीर के विभिन्न अंगों और तंत्रिकाओं के अनुरूप होते हैं। प्रत्येक चक्र में एक अद्वितीय आवृत्ति, तरंग और घनत्व होता है। साथ ही, इन सभी सात ऊर्जा केंद्रों का एक विशिष्ट रंग भी होता है। इन सात चक्रों के सात रंग इंद्रधनुषी रंगों से मेल खाते हैं । इसके अलावा, सात चक्रों में से प्रत्येक चक्र का रंग इसके कंपन से मेल खाता है। उदाहरण के लिए, मूलाधार चक्र के लाल रंग में सबसे लंबी तरंगें होती हैं क्योंकि इस ऊर्जा केंद्र की आवृत्ति सबसे कम होती है। इसके विपरीत, सहस्त्रार चक्र से जुड़े बैंगनी रंग में सबसे कम तरंग और उच्चतम आवृत्ति होती है।
आध्यात्मिक चक्रों का उल्लेख सबसे पहले वेदों और उपनिषदों जैसे प्राचीन हिंदू और योग ग्रंथों में किया गया था। ऐसा माना जाता है कि चक्र प्रणाली 1500 और 500 ईसा पूर्व के बीच की है। हालाँकि, प्राचीन शास्त्रों में कभी भी चक्रों के रंगों का उल्लेख नहीं किया गया है, न ही उनके रंगों को चित्रों में दिखाया गया है। प्राचीन ग्रंथों में चक्रों को देवताओं, मंत्रों और विभिन्न आकृतियों से संबंधित तो दिखाया गया है , लेकिन रंगों से नहीं।
वास्तव में, चक्र और रंग दोनों ही कंपन ऊर्जा हैं, किंतु केवल रंग को भौतिक रूप में देखा जा सकता है । इसलिए, चक्रों के रंग मानव शरीर के अदृश्य ऊर्जा केंद्रों के दृश्य प्रतिनिधित्व के रूप में कार्य करते हैं। ये चक्र न केवल अपनी आवृत्ति को अपने संबंधित रंग के साथ साझा करते हैं, बल्कि उनमें समान गुण भी होते हैं। इसलिए, रंग मनोविज्ञान को समझने मात्र से ही किसी विशेष चक्र के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है । इसके साथ ही रंग चिकित्सा के अनुसार, किसी विशिष्ट चक्र को ठीक करने के लिए चक्र से संबंधित रंग का उपयोग भी किया जा सकता है ।
हमारे शरीर में विद्यमान पहला चक्र, मूलाधार हैं। यह हमारे शरीर में रीढ़ के आधार पर स्थित है और पृथ्वी तत्व और लाल रंग से जुड़ा हुआ है। मूल चक्र के रूप में संदर्भित, यह रंग साहस और आत्म-देखभाल के साथ-साथ स्थिरता से जुड़ा हुआ है। इस चक्र से संबंधित मंत्र ‘लं’ है। मूलाधार चक्र का लाल रंग चक्र रंग प्रणाली में सबसे सघन रंग है, जिसमें सबसे लंबी तरंग और सबसे कम आवृत्ति होती है।
दूसरे चक्र को स्वाधिष्ठान या त्रिक चक्र कहा जाता है।
यह शरीर के श्रोणि क्षेत्र में स्थित है। इसे रचनात्मक चक्र के साथ-साथ यौन इच्छा (या इसकी कमी) से जुड़े चक्र के रूप में भी जाना जाता है। इसका रंग नारंगी और तत्व जल है। नारंगी एक खुशनुमा रंग के रूप में जाना जाता है । हालाँकि, नारंगी रंग के कई अन्य संबंध भी हैं जो त्रिक चक्र से संबंधित हैं, जैसे जुनून, उत्साह, रचनात्मकता, आनंद, संतुलन, कामुकता, स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति। जब त्रिक चक्र संतुलित होता है, तो मनुष्य के द्वारा इन गुणों की अनुभूति की जाती है । इस ऊर्जा केंद्र से रचनात्मकता और आनंद की उत्पत्ति होती है। इस चक्र से संबंधित मंत्र वम है ।
तीसरा चक्र, मणिपुर चक्र है। यह व्यक्तिगत शक्ति, ऊर्जा और परिवर्तन से जुड़ा है। इसका रंग पीला और तत्व अग्नि है। पीला रंग आशा और सकारात्मकता के साथ जुड़ा हुआ है। इस चक्र से संबंधित मंत्र राम है।
सबसे महत्वपूर्ण एवं सबसे परिचित चक्र चौथा चक्र ‘ह्रदय चक्र’ हैं, जिसे अनाहत चक्र भी कहा जाताहै। इसका रंग हरा और तत्व वायु है। यह प्रेम, करुणा, क्षमा और शांति से गहराई से जुड़ा हुआ है। इस चक्र से संबंधित मंत्र यम है।
पांचवा चक्र विशुद्ध चक्र है जो मनुष्य की अभिव्यक्ति का केंद्र है और सच बोलने से जुड़ा है। इसका तत्व आकाश है, जिसका अर्थ है अंतरिक्ष या शुद्ध क्षमता। विशुद्ध चक्र से जुड़ा रंग नीला है। नीला रंग विश्वास और वफादारी से जुड़ा एक शांत और सुखदायक रंग है। इस चक्र से संबंधित मंत्र हं है ।
छठा अजन चक्र माथे के केंद्र में भौंहों के बीच स्थित होता है । मनुष्य की निर्णय, अंतर्ज्ञान और चुनाव-प्रक्रिया इस चक्र से जुड़ी हुई है। इस चक्र का रंग गहरा नीला है। गहरा नीला रंग अंतर्ज्ञान और ज्ञान से संबंधित है। यह रहस्यमय शक्तियों और उच्च स्तर की धारणा से भी जुड़ा हुआ है। इस चक्र से संबंधित मंत्र शम है ।
सातवें चक्र को सहस्त्रार या शीर्ष चक्र कहा जाता है। सिर के शीर्ष के ठीक ऊपर स्थित यह चक्र सातवां और अंतिम ऊर्जा केंद्र है ।यह चक्र स्रोत, आत्मा या सामूहिक चेतना से संबंधित होता है। इस चक्र का रंग बैंगनी होता है जो ज्ञान और आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करता है। । इस चक्र से संबंधित मंत्र ओम है।
क्या यह वास्तव में, रोमांचक नहीं था ? यह कितना प्रगल्भ है, कि हमारे शरीर में सात ऊर्जा केंद्र या चक्र है; और तो और उनसे संबंधित कुछ विशेष रंग भी है। और वे रंग बस रंग न होकर एक संपूर्ण अर्थ है।
संदर्भ
https://bit.ly/3kDb49G
https://bit.ly/3EMdE42
https://bit.ly/3Z9rO7n
चित्र संदर्भ
1. होली के विविध रंगों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. राधा एवं श्री कृष्ण को होली खेलते हुए दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इंद्रधनुष के रंगों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बौद्ध रंगों के चक्र को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.
D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.
E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.