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भारत को विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म की उत्पत्ति का केंद्र माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में विश्व के सबसे विशाल धार्मिक स्मारक का निर्माण होने जा रहा है, जिसे बनाने का बीड़ा ‘अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना संघ’ (International Society for Krishna Consciousness (ISKCON) द्वारा उठाया गया है।
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में स्थित मायापुर शहर में गंगा नदी के तट पर एक ऐसे भव्य मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होने जा रहा है जो कि पूरी दुनिया में सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक होगा। यह मंदिर कम्बोडिया के 12 वीं शताब्दी में निर्मित 400 एकड़ भूमि में फैले विश्व के वर्तमान सबसे बड़े अंकोर वाट मंदिर परिसर(Angkor Vat, Cambodia) से भी बड़ा होगा। इस मंदिर का विस्तार 700 एकड़ भूमि में फैला हुआ है, जिस कारण इसे दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक संरचना माना जा रहा है।
मायापुर में इस भव्य मंदिर को बनाने का मुख्य उद्देश्य सदियों पुरानी वैदिक संस्कृति और परंपराओं को सभी भक्तों के लिए सुलभ बनाना है। मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। इस मंदिर में एक बार में तकरीबन 10 हजार लोग एक साथ खड़े होकर भगवान के दर्शन कर सकेंगे ।
आपको जानकर हैरानी होगी कि महान व्यवसायी हेनरी फोर्ड (Henry Ford) के प्रपौत्र और फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) के उत्तराधिकारी एल्फ्रेड फोर्ड (Alfred Ford) इस महत्वाकांक्षी परियोजना के अध्यक्ष हैं। फ्लोरिडा (Florida) से लेकर मायापुर तक की एल्फ्रेड की आध्यात्मिक यात्रा काफी दिलचस्प रही है।
सन 1975 में, वे इस्कॉन (ISKCON) के एक समर्पित सदस्य और इसके संस्थापक श्रील प्रभुपाद के शिष्य बन गए थे। बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर अंबरीश दास रख लिया। उन्होंने अपने गुरु प्रभुपाद के मायापुर शहर को इस्कॉन का वैश्विक मुख्यालय बनाने के स्वप्न को पूरा करने हेतु बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 30 मिलियन डॉलर का दान दिया है।
इस भव्य मंदिर में आने वाले लोगों का स्वागत वैदिक कला, विज्ञान और संस्कृति के ज्ञानवर्धक प्रदर्शनों से किया जाएगा। विशाल मंदिर परिसर के केंद्र में वैदिक तारामंडल (Vedic Planetarium) होगा, जिसमें पवित्र हिंदू ग्रंथों में वर्णित ग्रह प्रणाली का एक विशाल घूर्णन मॉडल (rotating model) होगा। मंदिर परिसर के केंद्र में निचली मंजिल से सबसे ऊपरी मंजिल पर स्थित कृष्ण के धाम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को एस्केलेटर (Escalator) की सुविधा भी प्रदान कराई गई है ।
700 एकड़ जमीन में फैले मंदिर परिसर की पूरी परियोजना पर 400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आ रही है। मंदिर का गर्भगृह ही 1.5 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।
आधुनिक विज्ञान और भारतीय ज्ञान प्रणाली के बीच परस्पर सामंजस्य बैठाने के लिए मायापुर के मंदिर में उच्च अध्ययन संस्थान, अनुसंधान केंद्र और आध्यात्मिक संस्थान भी शामिल होंगे।
एल्फ्रेड फोर्ड के साथ-साथ जे एस डब्लू (JSW) एवं एस्सेल (Essel) समूह जैसी कंपनियों के संस्थापकों के द्वारा दिए गए दान से अब तक, परियोजना के लिए लगभग 60 प्रतिशत धनराशि जुटाई जा चुकी है। और अधिक स्वयंसेवकों को दान देने के लिए प्रेरित करने हेतु, इस्कॉन के संस्थापक भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के शिष्य 68 वर्षीय एल्फ्रेड फोर्ड (उर्फ अंबरीश दास) का कहना है कि “आज के युग में, लोगों को आध्यात्मिक रूप से उन्नत लोगों से प्रेरणा प्राप्त करने की आवश्यकता होती है; वे अपने आप आध्यात्मिक नहीं बन सकते हैं। मैं केवल अपने आध्यात्मिक गुरु की सेवा करने की कोशिश कर रहा हूँ, क्या हम व्यवसाय जगत में भी ऐसा नहीं करते हैं?”
जब उनसे पूछा गया था कि एक मंदिर पर करोड़ों खर्च करने के बजाय वे अस्पताल क्यों नहीं बना रहे हैं, तो वे कहते हैं कि “सबसे अच्छी चीज जो आप किसी को दे सकते हैं वह “आध्यात्मिक ज्ञान” है। अस्पताल और भोजन अस्थायी हैं। लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान आपके जीवन को बदल देता है। तब शायद आपको अस्पतालों की कम आवश्यकता होगी! आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात आप अपनी सभी अस्वास्थ्यकर आदतों को त्याग देंगे और एक सकारात्मक जीवन शैली के साथ, मन, शरीर और आत्मा का विकास कर सकेंगे।”
यदि आप फोर्ड के नजरिये को और बेहतर ढंग से समझना चाहते हैं तो आपको अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना संघ या इस्कॉन के सिद्धांतों के अनुसार मानव जीवन के मूल उद्देश्य अथवा मिशन को समझना चाहिए।
मानव जीवन का उद्देश्य क्या है?
मानव जीवन का मिशन या उद्देश्य भौतिक अस्तित्व के दुखों को समाप्त करना और आनंदमय जीवन प्राप्त करना है। हम लगातार खुशी की तलाश में रहते हैं, लेकिन हम अक्सर अपनी खोज में असफल ही रहते हैं। हम दुख नहीं चाहते, लेकिन हम उनसे बच भी नहीं सकते हैं । शास्त्र हमें बताते हैं कि हम आध्यात्मिक प्राणी हैं, परम भगवान श्रीकृष्ण के अंश हैं, और स्वभाव से ही हम सुख से भरे हुए हैं।
इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य श्रील प्रभुपाद ने एक सुखी और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए निम्नलिखित सिद्धांतों के बारे में बताया है:
⦿:हर दिन पवित्र नामों (हरे कृष्ण महा-मंत्र) का जप करें।
⦿:निष्कलंक पुराण ‘श्रीमद्भागवतम्’ का पाठ करें।
⦿:सम्मान प्रसादम या सर्वोच्च भगवान को अर्पित किया गया पवित्र भोजन ग्रहण करें।
हम अनादि काल से इस भौतिक संसार में फंसे हुए हैं और जिस सांसारिक सुख की तलाश हम कर रहे हैं वह अस्थायी और भ्रामक है।
श्री चैतन्य महाप्रभु ने कहा है: “चेतो-दर्पण-मार्जनं भव-महा-दावाग्नि-निर्वापणं:” अर्थात:- भगवान के पवित्र नामों का जप करने से हृदय का दर्पण साफ हो जाता है और यह भौतिक अस्तित्व की प्रज्वलित आग के दुखों को रोकता है।
हमारे शहर लखनऊ में भी सुशांत गोल्फ सिटी शहीदपथ पर श्री श्री राधारमण बिहारी इस्कॉन मंदिर स्थित है जिसके निदेशक अपरिमे श्याम दास हैं जिनसे आप भी, यदि चाहें, तो संपर्क साध कर इस्कॉन मंदिर में दान कार्य को पूर्ण कर सकते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3KQ4IhT
https://bit.ly/3yomguh
https://bit.ly/41HZefk
चित्र संदर्भ
1. पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में स्थित मायापुर शहर में निर्माणाधीन चंद्रोदय मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. चंद्रोदय मंदिर परिसर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. 6 जनवरी, 2019 के दिन लिए गए चंद्रोदय मंदिर परिसर के चित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पूजा करते हुए अल्फ्रेड फोर्ड (अंबरिशा दास) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य श्रील प्रभुपाद जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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