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ज्ञान और शिक्षा अर्जित करना, सिक्ख धर्म के प्राथमिक कर्तव्यों में से एक माना जाता है। क्या आप जानते हैं कि ‘सिक्ख’ शब्द पंजाबी क्रिया शब्द ‘सीखना' से बना है, । इस प्रकार ' सिक्ख' वह है, जो सदैव सीखता रहता है।
सिक्खधर्म (Sikhism), को सिखी (ਸਿੱਖੀ) के रूप में भी जाना जाता है। सिक्ख शब्द के कई अर्थ होते हैं जिनमें ‘शिष्य', ‘साधक', या ‘शिक्षार्थी' भी शामिल हैं। यह एक भारतीय धर्म और दर्शन है, जिसकी उत्पत्ति भारतीय उपमहाद्वीप के पंजाब प्रांत में 15वीं शताब्दी के अंत के आसपास हुई थी। सिखी सबसे हालिया स्थापित और दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा संगठित धर्म है। 21 वीं सदी की शुरुआत में ही , पूरी दुनिया में 25-30 मिलियन सिख अनुयायियों की संख्या दर्ज की गई थी।
सिक्ख धर्म, सिक्खों के पहले गुरु, गुरु नानक (1469-1539) की आध्यात्मिक शिक्षाओं, विश्वास और उनके नौ उत्तराधिकारी सिक्ख गुरुओं से विकसित हुआ था। सिक्खों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) ने सिक्खों के पवित्र धर्मग्रंथ, “गुरु ग्रंथ साहिब” को अपना उत्तराधिकारी नामित किया।
गुरु नानक की शिक्षाओं में "सच्चाई, निष्ठा, आत्म-संयम और पवित्रता" को वरीयता दी गई थी। साथ ही “सक्रिय, रचनात्मक और व्यावहारिक जीवन" जीने को, आध्यात्मिक सत्य से ऊपर बताया गया था । सिख धर्मग्रंथ मूल मंत्र या वैकल्पिक रूप से "मूल मंतर" (ਮੂਲ ਮੰਤਰ), ‘इक ओंकार’ (ੴ, 'एक ईश्वर') के साथ शुरू होता है। सिक्ख धर्म का आधार गुरु नानक और उनके उत्तराधिकारियों की शिक्षाओं में निहित है। सिक्ख धर्म नैतिकता, आध्यात्मिक विकास और रोजमर्रा के नैतिक आचरण के सुधार पर जोर देता है। सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरु नानक ने इस परिप्रेक्ष्य को संक्षेप में बताते हुए कहा : "सत्य उच्चतम गुण है, लेकिन वास्तव में अपना जीवन सच्चाई से जीना उससे भी बेहतर है।"
गुरु ग्रंथ साहिब में निम्नलिखित मान्यताएं प्रमुखता से दर्ज की गई हैं।
𓆹लैंगिक समानता: सिखी में महिलाओं और पुरुषों के समान अधिकार हैं। पुरुषों के समान ही महिलाएं भी सभाओं का नेतृत्व कर सकती हैं, भजन गा सकती हैं और पुजारी, उपदेशक आदि के रूप में काम कर सकती हैं।
𓆹जाति समानता: सिक्ख धर्म शिक्षा देता है कि सभी मनुष्य समान हैं, और हमें एक दूसरे को सर्वशक्तिमान भगवान वाहेगुरु की संतान के रूप में पहचानना चाहिए।
𓆹भगवान का स्मरण: भगवान का स्मरण करके उनके नाम और उनके आशीर्वाद पर मन को एकाग्र करना।
𓆹ईमानदारी से कर्म करना: अपने परिवार और समाज के लाभ के लिए अपने कौशल और प्रतिभा का प्रयोग करना, कड़ी मेहनत करना और ईमानदारी से आजीविका अर्जित करना।
𓆹दान: दान करना , लंगर बांटना , जरूरतमंदों की मदद करना और अपना धन दूसरों के साथ साझा करना।
𓆹निस्वार्थ सेवा: बिना किसी पुरस्कार या व्यक्तिगत लाभ का विचार किये सेवा करना।
𓆹दुनिया के सभी लोगों की रक्षा और सुरक्षा करना।
𓆹जीवन में निडरता रखना तथा चिंता और भय पर काबू पाना।
𓆹कमजोरों की सेवा करना और पूरी मानवता की भलाई के लिए काम करना।
𓆹निर्माता के नाम पर विश्वास रखना और ध्यान करना ।
𓆹उच्चतम आध्यात्मिक स्तर तक जीवन जीना।
𓆹बल प्रयोग से बचना।
सिक्ख धर्म सुमिरन (ਸਿਮਰਨ, ध्यान और गुरुओं की शिक्षाओं के स्मरण) पर जोर देता है। सुमिरन को संगीत (कीर्तन,ध्यान) के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। सिक्ख धर्म अपने अनुयायियों को "पाँच चोरों" (वासना, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार) से दूर रहने की शिक्षा देता है। एक सिक्ख को दूसरे लोगों, रिश्तेदारों, धन या संपत्ति के बजाय, केवल ईश्वर में अपना भरोसा रखना चाहिए। सिक्ख धर्म की मौलिकता और स्पष्टता ने, 1499 में अपनी स्थापना के बाद से ही इसके अपार विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
समानता, गैर-भेदभाव, सच्चा न्याय और केवल एक ईश्वर की पूजा, सिक्ख धर्म के बुनियादी मूल्य माने जाते हैं। “सिखी” दुनिया भर में अत्यंत सम्मानित धर्म है और इसे शांति तथा मानव जाति की एकता के धर्म के रूप में जाना जाता है। सिक्ख गुरुओं ने सभी भेदभावों को मिटाकर सभी मनुष्यों को एक समान माना। उन्हें हिंदू और मुस्लिम समान रूप से प्रिय थे। सिक्ख धर्म, सीखने और आध्यात्मिक आत्म-सुधार को काफी बढ़ावा देता है। कोई भी व्यक्ति जबरन, मजबूरी, प्रलोभन या प्रोत्साहन से नहीं बल्कि अपनी मर्जी से सिक्ख बन सकता है।
संदर्भ
https://bit.ly/3KMyTXt
https://bit.ly/3Sq5Jz8
https://bit.ly/3YS6Qdd
https://bit.ly/3ZcsIjf
चित्र संदर्भ
1. ‘सिख सेवा को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. ‘सिख साम्राज्य की सबसे बड़ी सीमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. गुरु ग्रन्थ साहिब को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. लंगर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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