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हमारे शहर लखनऊ में मनकामेश्वर मंदिर, बुद्धेश्वर महादेव मंदिर, कोतवालेश्वर महादेव मंदिर एवं श्री महाकाल मंदिर जैसे, भगवान शिव के अनेकों प्रसिद्ध मंदिर विद्यमान हैं, जहां आप भगवान शिव के अनेकों रूपों के दर्शन कर सकते हैं। । महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर, हर वर्ष इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। भगवान शिव के भव्य एवं प्राचीन मंदिरों की एक ऐसी ही शानदार श्रंखला एलिफेंटा की गुफाओं में नज़र आती है, जहां जाकर आप महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के मन को मोह लेने वाले दिव्य स्वरूप के दर्शन कर सकते हैं।
एलिफेंटा की गुफाओं में मुख्य रूप से भगवान शिव के अनेकों मंदिर विद्यमान हैं। ये गुफाएं महाराष्ट्र में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई शहर से पूर्व की ओर, 10 किलोमीटर दूर, भव्य एलिफेंटा द्वीप (Elephanta Island) जिसे घारापुरी अर्थात “गुफाओं का शहर" भी कहा जाता है, पर स्थित हैं। मुंबई से एलीफेंटा तक का घंटे भर का समुंद्री सफर अपने आप में भी बहुत रोमांचक है! इस द्वीप पर पांच गुफाओं में हिंदू धर्म से संबंधित देवी-देवताओं की प्रतिकृतियां विद्यमान हैं तथा कुछ में बौद्ध धर्म से संबंधित स्तूप विद्यमान है जो कि दूसरी शताब्दी में बनाए गए थे। एलीफेंटा की गुफाओं में मूर्तियां पत्थर की चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं, जो हिंदू और बौद्ध धर्म के विचारों और प्रतिमा विज्ञान (Iconography) के समन्वय को दर्शाती हैं। यह गुफाएँ ठोस बैसॉल्ट चट्टान (Basalt Rock) पर तराशी गई हैं। केवल कुछ कलाकृतियों एवं मूर्तियों को छोड़कर, दुर्भाग्य से आज अधिकांश कलाकृतियां विरूपित और क्षतिग्रस्त हो गई है। यहाँ की शानदार नक्काशियां अनेकों हिंदू पौराणिक कथाओं का वर्णन करती हैं, जिनमें विशाल अखंडित 5.45 मीटर की तीन मुख वाले शिव अर्थात त्रिमूर्ति सदाशिव, नटराज (नृत्य के भगवान) और योगीश्वर (योग के भगवान) की कलाकृतियां सबसे प्रसिद्ध हैं, ।
इन्हें 5वीं से 9वीं शताब्दी के बीच में बना हुआ माना जाता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि इन्हें विभिन्न हिंदू राजवंशों द्वारा बनाया और उकेरा गया हैं। कई विद्वानों का मानना है कि इनका निर्माण लगभग 550 ईसवी तक पूरा हो चुका था।
इन गुफाओं के नामकरण के बारे में माना जाता है कि औपनिवेशिक पुर्तगालियों द्वारा गुफाओं में हाथियों की मूर्तियाँ पाए जाने के कारण इन गुफाओं को ‘एलिफेंटे’ (Elefante) नाम दिया गया था, जो धीरे-धीरे एलिफेंटा (Elephanta) के रूप में लोकप्रिय हो गया।
मुख्य गुफा (गुफा 1, या महान गुफा) पुर्तगालियों के आने तक एक प्रमुख हिंदू पूजा स्थली थी। 1909 में ब्रिटिश शासित भारत के अधिकारियों द्वारा गुफाओं को और अधिक नष्ट होने से बचाने के शुरुआती प्रयास शुरू किए गए। 1970 के दशक में यहां मौजूद स्मारकों का जीर्णोद्धार किया गया । 1987 में, पुनर्स्थापित एलिफेंटा गुफाओं को ‘यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल’ (UNESCO World Heritage Site) का दर्जा हासिल हो गया। वर्तमान में इनका संरक्षण ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण’ (Archaeological Survey of India (ASI) द्वारा किया जाता है। 1985 में इस क्षेत्र को भारत सरकार द्वारा एक मध्यवर्ती क्षेत्र (Buffer Zone) घोषित करते हुए एक अधिसूचना जारी की गई थी, जो तटरेखा से 1 किलोमीटर तक फैले क्षेत्र को “प्रतिबंधित क्षेत्र" के रूप में रेखांकित करती है।
एलीफेंटा की गुफाओं में निम्नलिखित मुख्य कलाकृतियाँ देखी जा सकती हैं-
१. अंधकासुर का वध: इस कृति में भगवान शिव को अंधक नामक राक्षस का वध करते हुए दिखाया गया है। इस फलक (Slab) में भगवान शिव को आठ भुजाओं के साथ दर्शाया गया है। यहां पर अंधेरे का प्रतिनिधित्व करने वाले राक्षस अंधक का वध होते दिखाती हुई, 3.5 मीटर (11 फीट) ऊंची एक त्रि-आयामी प्रतिमा (3D Statue) है।
२.कल्याण सुंदरा: दक्षिण-पश्चिम दीवार पर मौजूद यह पटल चित्र भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह को दर्शाता है। इस चित्र में माँ पार्वती का मस्तक लज्जा से झुका हुआ है। इस नक्काशी में मां पार्वती शिवजी की दाहिनी ओर खड़ी हैं। दुर्भाग्य से, आज ये नक्काशियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं, लेकिन फिर भी वे हिंदू साहित्य का अध्ययन करने वाले विद्वानों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
३.शिव-पार्वती: शिव-पार्वती की यह नक्काशी, एलिफेंटा में सर्वाधिक क्षतिग्रस्त फलकों में से एक है। इसमें भगवान शिव और माँ पार्वती को पासा खेलते हुए दिखाया गया है। इस खेल में भगवान शिव मां पार्वती से हार जाते हैं और अपना सब कुछ (त्रिशूल, चंद्रमा, कान की बाली, सांप और यहां तक कि लंगोटी भी) खो देते हैं। यह पौराणिक कथा एक जटिल दर्शन से जुड़ी है।
४.नटराज: पौराणिक कथाओं में शिव को ब्रह्मांडीय नर्तक माना जाता है। यहां पर भगवान शिव की नक्काशी वाला एक बड़ा पत्थर का पटल है। इस नक्काशी में उन्हें बेतहाशा नाचते हुए दिखाया गया है। उनकी आठ भुजाएँ हैं और उन्होंने अपनी भुजाओं में फरसा (कुल्हाड़ी) जैसी विभिन्न चीज़ें धारण की हुई हैं। इस नक्काशी में अन्य देवी-देवता भी हैं, जो उन्हें देख रहे हैं। नक्काशी से पता चलता है कि कैसे भगवान शिव के जीवन के विभिन्न पहलू, जैसे परिवार और आध्यात्मिक जीवन, सभी नृत्य के माध्यम से जुड़े हुए हैं। यह नक्काशी दक्षिण एशिया के अन्य भागों में मंदिरों में पाई जाने वाली नक्काशी के समान है।
५.कैलाश पर्वत को उठाता रावण: भवन के प्रवेश द्वार पर की गई यह नक्काशी क्षतिग्रस्त हो चुकी है जिसके कारण यह देखने और समझने में कठिन प्रतीत होती है। इस नक्काशी में भगवान् शिव और माँ पार्वती को कैलाश पर्वत पर एक चट्टान पर बैठे हुए दिखाया गया है, जिनके चारों ओर बादल और अन्य आकृतियाँ चित्रित हैं। मुख्य नक्काशी में राक्षस राजा रावण को कैलाश पर्वत को उठाने की कोशिश करते हुए दिखाया गया है। नक्काशियां, प्राचीन ग्रंथों में प्रचलित कहानियों पर आधारित हैं, लेकिन वे सटीक प्रतियाँ नहीं हैं। यह नक्काशी सम्भवतः लोगों को इमारत में प्रवेश करने के लिए प्रेरित करने हेतु उकेरी गई थी।
६.महायोगी शिव: इस नक्काशी में कमल पर ध्यान करते हुए भगवान शिव की एक दुर्लभ मुद्रा दर्शायी गई है जिन्हें योग परंपरा द्वारा आदियोगी (या योग के पहले गुरु) के रूप में माना जाता है। ७.गंगाधर: इस नक्काशी में भगवान शिव द्वारा गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने की कहानी उकेरी गई है।
८.महेश मूर्ति: इस नक्काशी में भगवान शिव के तीन पहलुओं का प्रतिनिधित्व करने वाली तीन सिरों वाली प्रतिष्ठित छवि अर्थात त्रिमूर्ति सदाशिव उकेरी गई है। यह एलिफेंटा की उत्कृष्ट कृति छवि मानी जाती है।
९.अर्धनारीश्वर: गुफा की पूर्वी दीवार पर उकेरी गई अर्धनारीश्वर की नक्काशी क्षतिग्रस्त हो गई है। इस चित्र में भगवान शिव और पार्वती, एक ही शरीर के रूप में, ब्रह्मांड की नर-नारी ऊर्जा के जटिल दार्शनिक विषय का चित्रण करते हैं। नक्काशी में आधी महिला (पार्वती) और आधा पुरुष (शिव) है और यह नक्काशी आध्यात्मिकता के लिंग द्वैत के उत्थान का प्रतिनिधित्व करती है। छवि के चारों ओर प्रतीकात्मक पात्रों की प्रतिकृतियां भी हैं, जिनमें मनुष्य, देवी-देवता और अप्सराएँ शामिल हैं।
आज महाशिवरात्रि का दिन महादेव की स्तुति और आराधना करने के संदर्भ में सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस पावन अवसर पर हमारे शहर लखनऊ के सभी शिव मंदिरों की रौनक कई गुना बढ़ जाती है । एलिफेंटा की भांति आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आप भी लखनऊ में विद्यमान विभिन्न मंदिरों में जाकर भगवान शिव के अनेक रूपों के दर्शन कर महादेव को समर्पित इस महाशिवरात्रि के इस भव्य उत्सव का भरपूर आनंद उठा सकते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3Xzgm3A
https://bit.ly/3Xx4kYh
https://bit.ly/3jZGMOb
चित्र संदर्भ
1. एलिफेंटा की गुफाओं में त्रिमूर्ति की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एलिफेंटा की गुफाओं के प्रवेश स्थल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. अंधकासुर के वध को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. कल्याण सुंदरा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. शिव-पार्वती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. एलिफेंटा गुफाओं में नटराज के रूप में शिव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. कैलाश पर्वत को उठाते रावण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. महायोगी शिव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. गंगाधर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. त्रिमूर्ति शिव को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
11. अर्धनारीश्वर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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