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आज पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) के 95-99 प्रतिशत बाजार में, केवल लिथियम-आयन बैटरी (Lithium-Ion Battery) का ही दबदबा है। वैश्विक स्तर पर, “लिथियम-आयन बैटरी” ने केवल वाहनों के ही नहीं, बल्कि सभी इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के पूरे बैटरी बाजार पर कब्जा कर लिया है। चलिए जानते हैं कि क्या आज बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लिथियम-आयन बैटरी के अलावा कोई अन्य विकल्प भी मौजूद है ?लिथियम-आयन या ली-आयन बैटरी (Li-ion Battery) की मांग में भारी वृद्धि होने के कई कारण हैं। इन बैटरियों का ऊर्जा घनत्व (Energy Density) और शक्ति संतुलन तुलनात्मक रूप से काफी अच्छा होता है। साथ ही, परिवहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) और इलेक्ट्रिक जहाजों (Electric Ships) की मांग में हो रही वृद्धि भी, ली-आयन बैटरी की मांग को प्रेरित कर रही है। इसके अलावा ली-आयन बैटरी न केवल सस्ती होती हैं, बल्कि अच्छा प्रदर्शन भी करती हैं। पिछले एक दशक में इन बैटरियों की लागत काफी कम हो गई है, इसलिए भी वे लंबी अवधि के अनुप्रयोगों के लिए अधिक व्यवहार्य विकल्प बन गई हैं।
यदि हम इनकी दक्षता को थोड़ा और अधिक सुधार लें, तो ली-आयन बैटरी, सेल स्तर (Cell Level) पर (J)100/kWh प्राप्त कर लेगी और 2030 से पहले संभवतः (J)300 Wh/kg भी प्राप्त कर सकती है। इसके लाभ के उदाहरण के तौर पर यदि 10 साल के भीतर बैटरी का ऊर्जा घनत्व दोगुना हो जाता है, तो टाटा मोटर (Tata Motors) जैसी कंपनियों की इलेक्ट्रिक कारों की रेंज (Range) 500 किमी से बढ़कर सीधे 1000 किमी हो जाएगी। इसके अलावा गाड़ियों की लागत भी काफी कम हो सकती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि ली-आयन बैटरी भी पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं होती हैं। वर्तमान में ली-आयन बैटरी में एक इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte) का उपयोग होता हैं, जिसमें एथिलीन कार्बोनेट (Ethylene Carbonate) मुख्य घटक होता है। इलेक्ट्रोलाइट को एनोड और कैथोड (Anode & Cathode) दोनों को स्थिरता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन (Design) किया जाता है। चूंकि एथिलीन कार्बोनेट एक ज्वलनशील पदार्थ होता है, इसलिए बैटरी में आग लगने की स्थिति में यह वातावरण में जहरीली गैसें छोड़ती है। सुरक्षा के अलावा भी, परिवहन में परिवहन में बैटरी का अत्यधिक उपयोग करने पर (लागत, ऊर्जा घनत्व, चार्ज और डिस्चार्ज दरें (Charge & Discharge Rates) तथा सीमित जीवन-समय (Limited Life-Time) जैसी दिक्कतें सामने आती हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या ली-आयन बैटरी के अलावा कोई अन्य बैटरी विकल्प भी मौजूद है, जो इन मुद्दों को हल कर सकता है?
ली-आयन बैटरी के सह-संस्थापक और नोबेल पुरस्कार (Nobel prize) विजेता जॉन बी. गुडएनफ (John B. Goodenough) ने साथी शोधकर्ता मारिया हेलेना ब्रागा (Maria Helena Braga) के साथ मिलकर 2017 में एक ग्लास इलेक्ट्रोलाइट (Glass Electrolyte) पर आधारित कम लागत वाली बैटरी के विकास पर एक लेख प्रकाशित किया था। उन्होंने इसे सॉलिड-स्टेट बैटरी (Solid-State Battery) अर्थात ठोस-अवस्था बैटरी नाम दिया है।
जानकार मानते हैं कि सॉलिड-स्टेट बैटरी ली-आयन बैटरी की अधिकांश समस्याओं को सुलझा सकती है। यह ‘क्षार-धातु एनोड’ (Alkali Metals Anode) (लिथियम, सोडियम या पोटेशियम (Lithium, Sodium or Potassium) का उपयोग करके, ऊर्जा घनत्व को तीन गुना अधिक कर सकती है। यह कैथोड के ऊर्जा घनत्व को भी बढ़ाता है, और बैटरी को एक लंबा चक्र जीवन प्रदान करता है। ठोस-अवस्था बैटरी को गैर-दहनशील माना जाता है। साथ ही यह लगातार बढ़ने वाले तापमान के जोखिम को कम करती है। ये बैटरियाँ सेल (Cell) की सख्त पैकेजिंग के कारण कम जगह भी घेरती है।
सॉलिड स्टेट बैटरी भी किसी अन्य बैटरी की तरह ही काम करती हैं। वे ऊर्जा लेती हैं, इसे संग्रहीत करती हैं, और उपकरणों जैसे कि घड़ियों और वाहनों को शक्ति प्रदान करती हैं।
सॉलिड-स्टेट बैटरी तकनीक, लिथियम-आयन या लिथियम पॉलीमर बैटरी (Lithium Polymer Battery) में पाए जाने वाले तरल या पॉलिमर जेल इलेक्ट्रोलाइट्स (Polymer Gel Electrolytes) के बजाय, ठोस इलेक्ट्रोड (Solid Electrode) और एक ठोस इलेक्ट्रोलाइट (Solid Electrolyte) का उपयोग करती है।
हालांकि, ठोस इलेक्ट्रोलाइट्स पहली बार 19वीं शताब्दी में ही खोज लिए गए थे, लेकिन तब कई खामियों के कारण इनके व्यापक अनुप्रयोग को रोका गया था। हालांकि, 20वीं सदी के अंत और 21वीं सदी के शुरुआती विकास (इलेक्ट्रिक वाहनों के संदर्भ में) ने सॉलिड-स्टेट बैटरी प्रौद्योगिकियों में नए सिरे से रुचि पैदा कर दी है।
सॉलिड-स्टेट बैटरी, तरल ली-आयन बैटरी की (ज्वलनशीलता, सीमित वोल्टेज (Limited Voltage), अस्थिर ठोस-इलेक्ट्रोलाइट इंटरपेज़ गठन (Volatile Solid-electrolyte Interphase Formation), खराब साइकिलिंग प्रदर्शन (Bad Cycling Performance) और ताकत संबंधी विभिन्न समस्याओं को दूर कर सकती हैं।
हाल ही में, एक बड़ी वाहन निर्माता कंपनी होंडा (Honda) ने पुष्टि की है कि वह 2028 या 2029 के उत्तरार्ध में एक सॉलिड-स्टेट बैटरी वाले वाहन को बाज़ार में उतारने की योजना पर काम कर रही है। हुंडई (Hyundai), बीएमडब्ल्यू (BMW), फोर्ड (Ford), जीएम (GM) और वोक्सवैगन (Volkswagen) जैसी कंपनियां भी इस दौड़ में शामिल हैं। टोयोटा (Toyota) ने तो सॉलिड स्टेट बैटरी से संबंधित 1,300 से अधिक एकस्व अर्थात पेटेंट (Patent) अपने नाम करवा लिए है, और यह 2025 तक एक नया हाइब्रिड वाहन भी लॉन्च करने की योजना बना रही है। भविष्य में, रेलगाड़ियों, विमानों और ट्रकों में भी सॉलिड-स्टेट बैटरी का उपयोग किया जा सकता है।
स्मार्टवॉच (Smartwatches), पेसमेकर (Pacemakers) और आरएफआईडी टैग (Radio Frequency Identification (RFID Tags) जैसे बहुत छोटे उपकरणों में, सॉलिड स्टेट बैटरी पहले से ही मौजूद हैं। हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों में उनका उपयोग करने में बड़ी बाधा यह है कि ये काफी महँगी हैं और बड़े पैमाने पर इनका उत्पादन करना भी मुश्किल है।
लीथियम आयन और सॉलिड स्टेट बैटरी दोनों को रिसाइकल / पुनरावृत्ति (Recycle) किया जा सकता है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी की दौड़ में सिलिकॉन बैटरी (Silicon Battery) भी एक अन्य प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। टेस्ला (Tesla), पॉर्श (Porsche), और कई अन्य कंपनियों ने पहले ही वहां निवेश कर दिया है।
सिलिकॉन और सॉलिड स्टेट बैटरियां परस्पर प्रतिद्वंदी नहीं हैं, बल्कि वे बाज़ार में सस्ते, बेहतर ईवी लाने के लिए एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं। वाहन निर्माता, सिलिकॉन बैटरी और सॉलिड-स्टेट बैटरी दोनों का अनुसरण कर रहे हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3YQwwXn
https://bit.ly/3YJE3aj
https://bit.ly/3HZOShP
चित्र संदर्भ
1. सॉलिड-स्टेट बैटरी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. लिथियम-आयन बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. मोबाइल में प्रयोग हुई लिथियम पॉलीमर बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. विस्तारित लिथियम-आयन पॉलिमर बैटरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सॉलिड-स्टेट बैटरी के डायग्राम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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