भारत को “मसालों का देश” कहा जाता है। देश में ढेरों मसालों के बीच काली मिर्च का तड़का हमारे स्वादिष्ट व्यंजनों में जान फूंक देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मिर्च की भांति बिल्कुल भी नहीं दिखाई देने वाली, “काली मिर्च” भारत के मसाला व्यापार में भी जान फूंक देती है। चलिए जानते हैं कैसे?
काली मिर्च ‘पाइपर नाइग्रम’ (Piper Nigrum) नामक पौधे में उगने वाला सूखा कच्चा फल होती है। अपनी तेज़ गंध, स्वाद और औषधीय गुणों के कारण काली मिर्च, दुनियाभर के सबसे लोकप्रिय मसालों में से एक मानी जाती है। भारत दुनिया में काली मिर्च के सबसे प्रमुख उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक देशों में से एक है। भारत में काली मिर्च की खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु तथा सीमित मात्रा में महाराष्ट्र, उत्तर पूर्वी राज्यों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में की जाती है। देश में काली मिर्च का सर्वाधिक उत्पादन केरल और कर्नाटक राज्य में होता है। काली मिर्च 10 मीटर ऊंचाई तक फूलों वाली लताओं (Vine) पर उगती है। यह लताएँ सिल्वर ओक (Silver Oak) जैसे ऊंचे पेड़ों के सहारे बढ़ती हैं। लतायें पहली बार चौथे या पाँचवें वर्ष के बाद फल देना शुरू करती हैं और उसके बाद सात वर्षों तक फल देती रहती हैं। 7वीं शताब्दी से पहले, काली मिर्च की लतायें केवल जंगलों में उगती थीं।
काली मिर्च नम उष्णकटिबंधीय पौधा है, जिसके लिए उच्च वर्षा और आर्द्रता की आवश्यकता होती है। भारत में पश्चिमी घाट के उपपर्वतीय इलाकों की गर्म और आर्द्र जलवायु, काली मिर्च की खेती लिए आदर्श मानी जाती है। यह फसल 20° उत्तर और दक्षिण अक्षांश के बीच तथा समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊंचाई तक सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। यह फसल 10° से 40°C के बीच का तापमान सह सकती है। लेकिन बेहतर उत्पादन के लिए आदर्श तापमान 28°C के औसत के साथ 23 -32°C के बीच माना जाता है।
जड़ की वृद्धि के लिए मिट्टी का इष्टतम तापमान 26° से 28°C होना चाहिए। काली मिर्च की बेहतर पैदावार के लिए तकरीबन 125-200 सेमी की अच्छी तरह से वितरित वार्षिक वर्षा को आदर्श माना जाता है। काली मिर्च को 5.5 से 6.5 हाइड्रोजन क्षमता (Potential of Hydrogen(P.H value) के साथ विविध प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है, हालांकि, प्राकृतिक तौर पर यह लाल लैटेराइट मिट्टी में अच्छी तरह से उगती है।
भारत में काली मिर्च की 75 से अधिक किस्मों की खेती की जाती है। केरल में उगाई जाने वाली ‘करीमुंडा’ (Karimunda) काली मिर्च की सबसे लोकप्रिय किस्म है। काली मिर्च की अन्य महत्वपूर्ण किस्मों में ‘कोट्टनादन’ “Kottanadan” (दक्षिण केरल), ‘नारायणकोडी’ “Narayankodi” (मध्य केरल), ‘एम्पिरियन’ “Empirian” (वायनाड), ‘नीलामुंडी’ “Neelamundi” (इडुक्की), ‘कुथिरावली’ “Kuthiravalli” (कोझिकोड और इडुक्की), ‘कल्लुवली’ “Kalluvalli” (उत्तरी केरल), ‘मल्लिगेसरा’ और ‘उद्दगरे’ “Malligesara and Uddagare” (कर्नाटक) शामिल हैं।
क्या आप जानते है कि काली मिर्च दुनिया के उन सबसे शुरुआती मसालों में से एक थी, जिनका व्यापार किया गया था। व्यापारिक दुनिया में काली मिर्च कई ऐतिहासिक घटनाओं की गवाह भी रही है। माना जाता है कि काली मिर्च के व्यापार के परिणामस्वरूप ही प्रसिद्ध मसाला मार्गों (Spice Routes) की खोज हुई थी। साथ ही मसाला मार्गों की बदौलत ही वैश्वीकरण की शुरुआत हुई थी।
30 ईसा पूर्व में प्रारंभिक रोमन साम्राज्य (Roman Empire) ने मिस्र पर विजय प्राप्त करने के बाद भारत में मालाबार तट से विदेशी मसालों की श्रृंखला तक सीधी पहुंच हासिल की थी। उस समय काली मिर्च की कीमत का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उस दौरान हूणों (Huns) द्वारा घिरे रोम को मुक्त करने के लिए फिरौती के रूप में सोने, चांदी और रेशमी अंगरखे के साथ-साथ 3,000 पाउंड काली मिर्च की मांग की गई थी।
काली मिर्च, को आज भी काला सोना कहा जाता है। मध्य युग में इसका प्रयोग मुद्रा के रूप में भी किया जाता था। इसके अलावा किसी भी महंगी चीज के लिए “काली मिर्च के बराबर प्रिय” शब्द का प्रयोग किया जाता था।
मध्य युग के दौरान काली मिर्च की कीमतें बहुत अधिक थीं। इस दौरान काली मिर्च का व्यापार पूरी तरह से रोमनों के अधीन था। 15वीं शताब्दी के मध्य में, पुर्तगाल पूरे यूरोप (Europe) में अग्रणी समुद्री राष्ट्र था। इसी समयान्तराल में नाविक प्रिंस हेनरी (Prince Henry) के नेतृत्व में, रोमनों के एकाधिकार को तोड़ने तथा पूर्व से विदेशी मसालों पर पकड़ बनाने के लिए भारत तक एक समुद्री मार्ग खोजने के प्रयास भी चल रहे थे। इसके परिणाम स्वरूप पुर्तगाली खोजकर्ता ‘वास्को डी गामा’ (Vasco Da Gama) को भारत आने के लिए नियुक्त किया गया। वह मध्य पूर्व और मध्य एशिया के माध्यम से ‘रेशम मार्ग’ (Silk Road) से बचते हुए, अफ्रीका के चारों ओर घुमावदार मार्ग लेते हुए यूरोप से भारत जाने वाले पहले व्यक्ति बने। वास्को डी गामा की सफल यात्रा, भारत पर पुर्तगाली उपनिवेशवाद के 450 वर्षों की शुरुआत मानी जाती है।
दरसल, इस दौरान मसाले औषधीय रूप से महत्वपूर्ण माने जाते थे। किंतु वे केवल पूर्व के उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ही उगते थे, जिससे पश्चिम में उनकी बहुत मांग थी। इन मसालों का खाद्य-सुगंधित स्वादों के साथ-साथ औषधि, जहर के लिए मारक, मलहम और कुछ का तो अगरबत्ती के रूप में भी उपयोग किया जाता था। लगभग एक सदी तक मसालों के व्यापार पर पुर्तगालियों का वर्चस्व रहा। हालांकि, इस वर्चस्व को डचों (Dutch) द्वारा समाप्त कर दिया गया और 1635 की शुरुआत में अंग्रेजों ने काली मिर्च के बागान स्थापित किए।
वर्तमान में, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु भारत के शीर्ष तीन काली मिर्च उत्पादक राज्य हैं। 2008 से 2012 के बीच कर्नाटक में इसका उत्पादन दोगुने से अधिक हो गया है। लेकिन इसी अवधि के दौरान केरल में यह उत्पादन आधे से भी कम हो गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि धीरे-धीरे किसान बहु-फसल और इलायची जैसी जल्दी उगने और महंगी बिकने वाली फसलों की ओर बढ़ रहे हैं।
काली मिर्च के वैश्विक व्यापार में भारत, वियतनाम और ब्राजील का दबदबा है। भारत काली मिर्च के दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक एवं निर्यातक देशों में से एक है, जो दुनिया की 34% काली मिर्च का उत्पादन करता है। सूखी और पकी हुई काली मिर्च का उपयोग प्राचीन काल से ही स्वाद और पारंपरिक औषधि दोनों के लिए किया जाता रहा है। काली मिर्च दुनिया में सबसे अधिक कारोबार किया जाने वाला मसाला है।
काली मिर्च के वैश्विक बाजार को एशिया-प्रशांत (Asia-Pacific), यूरोप, उत्तरी अमेरिका (North America), दक्षिण अमेरिका (South America) और मध्य पूर्व और अफ्रीका (Africa) में विभाजित किया गया है। उत्पादन और निर्यात के मामले में एशिया-प्रशांत वैश्विक काली मिर्च बाजार पर हावी माना जाता है। वियतनाम (Vietnam) दुनिया भर में काली मिर्च का सबसे बड़ा निर्यातक है, क्योंकि काली मिर्च के पौधे उगाने के लिए वहां की जलवायु और परिस्थितियां अनुकूल मानी जाती हैं।
‘वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय’ के मसाला बोर्ड (Spices Board) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में कोविड-19 (COVID-19) महामारी की संकटग्रस्त स्थिति के बावजूद भी भारत से काली मिर्च के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
काली मिर्च जैसे भारतीय मसाले दुनिया के सबसे लोकप्रिय मसालों में से एक हैं। जब काली मिर्च की मांग बढ़ने की बात आती है तो भारत स्वयं भी हमेशा से ही अग्रणी राष्ट्र रहा है। हमारा देश इस लोकप्रिय मसाले का एक प्रमुख निर्यातक भी रहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार 2020-2021 के दौरान भारत से काली मिर्च का निर्यात काफी बढ़ा है। संयुक्त राज्य अमेरिका (Unites States of America) काली मिर्च का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक (कुल आयात का 16.2% हिस्सा) है। अमेरिका के बाद नीदरलैंड (Netherlands), जर्मनी (Germany), यूके (UK) और जापान (Japan) हैं। यह देश दुनिया भर में आयात की जाने वाली कुल काली मिर्च का 50% से अधिक हिस्सा आयात करते हैं। वियतनाम अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा काली मिर्च उत्पादक और निर्यातक देश है। 2022 में, वियतनाम का निर्यात 220,000 टन होने का अनुमान था, जो दुनिया भर में कुल काली मिर्च उत्पादन का 55% है।
काली मिर्च को एक बुनियादी खाद्य मसाला माना जाता है, और संभवतः खाने की मेज पर नमक के साथ रखा जाने वाला एक मसाला है। किसने सोचा होगा कि खाने की मेज पर छोटी सी शीशी में रखी जाने वाली काली मिर्ची का दुनिया के व्यापार इतिहास पर इतना प्रभाव रहा होगा?
संदर्भ
https://bit.ly/3HXz3Iu
https://bit.ly/3HSsFCc
https://bit.ly/3XnsmFd
चित्र संदर्भ
1. काली मिर्च को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. काली मिर्च ‘पाइपर नाइग्रम’ (Piper Nigrum) नामक पौधे में उगने वाला सूखा कच्चा फल होती है। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. काली मिर्च की खेती को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
4. भारत से इटली तक रोमन युग के व्यापार मार्ग को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
5. काली मिर्च की पौंध को दर्शाता करता एक चित्रण (lookandlaern)
6. काली मिर्च के उत्पादन को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
7. मिश्रित काली मिर्च को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
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