आमतौर पर महिलाओं के प्रति समाज में एक कथित धारणा यह बनी हुई है कि महिलाएं गणित, विज्ञान एवं रचनात्मक क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती हैं। किन्तु वास्तव में, सत्य तो यह है कि महिलाओं को कभी भी अपनी वास्तविक क्षमता और काबिलियत दिखाने के समान अवसर मिले ही नहीं ! हालांकि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिन भी महिलाओं को ऐसा अवसर मिला, उन्होंने इतिहास रच दिया और उन सभी महिलाओं के नाम आज मानव इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हैं। आज हम आपको ऐसी ही 9 सफल, प्रतिभावान एवं शक्तिशाली भारतीय महिलाओं से अवगत कराने जा रहे हैं, जिन्होंने इन तथाकथित सामाजिक मिथकों को खोखला साबित कर दिया।
१.सीता कोलमैन-कम्मुला (Seetha Coleman-Kammula ): सीता कोलमैन-कम्मुला देश की सबसे होनहार रसायनज्ञ, पर्यावरणविद्, उद्यमी, एंव विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी महिलाओं में से एक हैं। वह औद्योगिक पारिस्थितिकी तथा उत्पादों के जीवन चक्र का आकलन करने वाली “सिंपली सस्टेन (Simply Sustain)” नामक एक कंपनी की संस्थापक हैं। कम्मुला ने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की और ऑबर्न, अलबामा (Auburn, Alabama) के ‘ऑबर्न विश्वविद्यालय’ (Auburn University) से कार्बनिक रसायन विज्ञान (Organic Chemistry) में पीएच.डी डिग्री प्राप्त की।
इसके बाद उन्होंने ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय तेल और गैस कंपनी ‘रॉयल डच शेल’ (Royal Dutch Shell) में एक शोधकर्ता के रूप में काम किया और वहां प्लास्टिक निर्माण इकाई की प्रमुख बन गईं। सन 2000 में, उन्होंने इस कंपनी से इस्तीफ़ा दे दिया और बीएएसएफ (BASF) और रॉयल डच शेल के बीच एक संयुक्त उद्यम ‘बेसेल पॉलीओलिफिन्स’ (Basel Poly Olefins) में एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष बन गई। उपाध्यक्ष के तौर पर उन्होंने परिसंपत्ति प्रबंधन, नवाचार और रणनीतिक विपणन पर ध्यान केंद्रित किया।
हालाँकि, आखिरकार उन्हें यह एहसास हुआ कि जिस प्लास्टिक को विकसित करने में उन्होंने इतना समय लगाया था, वह हमारे पर्यावरण पर बेहद ही नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। अतः पेट्रोकेमिकल उद्योग (Petrochemical Industry) में 25 से अधिक वर्षों तक काम करने के बाद हुए इस एहसास ने उन्हें “सिंपली सस्टेन” कंपनी स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। आज वह पर्यावरण की रक्षा और रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से निपटान और पुनर्चक्रण (Disposal and Recycling) के टिकाऊ नमूने प्रदान करने वाली कंपनियों के साथ परामर्श कर्ता के रूप में काम करती है।
२. डॉ. इंदिरा हिंदुजा (Dr. Indira Hinduja): स्त्री रोग और विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय महिलाओं की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाली, डॉ. इंदिरा हिंदुजा मुंबई में एक बांझपन विशेषज्ञ के रूप में काम करती हैं। क्या आप जानते हैं कि गैमेटे इंट्राफॉलोपियन ट्रांसफर (Gamete Intrafallopian Transfer (GIFT) तकनीक, जो बांझपन के खिलाफ एक सहायक प्रजनन तकनीक है, का इजात भी हिंदुजा जी के द्वारा ही किया गया था। इसी आविष्कार के परिणामस्वरूप, 4 जनवरी 1988 को भारत में पहली बार इस तकनीक के द्वारा एक बच्चे ने जन्म लिया था । इससे पहले, उन्होंने 6 अगस्त 1986 को केईएम अस्पताल (KEM Hospital) में भारत के दूसरे टेस्ट-ट्यूब बेबी (Test-Tube Baby) को भी जन्म दिया था। इतना ही नहीं हिंदुजा जी को रजोनिवृत्ति और समयपूर्व डिम्बग्रंथि विफलता रोगियों के लिए एक ‘ओसाइट दान तकनीक’ (Oocyte Donation Technique) विकसित करने का श्रेय भी दिया जाता है। चिकित्सा विज्ञान के अनुप्रयोगों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली महिला डॉ. हिंदुजा युवा महिलाओं के लिए एक वास्तविक प्रेरणा श्रोत हैं।
३.मल्लिका श्रीनिवासन (Mallika Srinivasan): मल्लिका श्रीनिवासन ‘ट्रैक्टर्स एंड फार्म इक्विपमेंट लिमिटेड’ (Tractors And Farm Equipment Limited) नामक कंपनी की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य करती हैं। उनकी कंपनी ट्रैक्टर, कृषि मशीनरी, डीजल इंजन (Diesel Engine), इंजीनियरिंग प्लास्टिक (Engineering Plastics), हाइड्रोलिक पंप (Hydraulic Pump) और सिलेंडर (Cylinder), बैटरी के निर्माण और ऑटोमोबाइल फ्रेंचाइजी (Automobile Franchisee) और वृक्षारोपण कार्यक्रम संचालन के साथ 96 बिलियन भारतीय रुपयों के राजस्व तक पहुंच गई है। वह एसटीईएम (STEM) क्षेत्र की सबसे उल्लेखनीय महिलाओं में से एक हैं। दरसल, एसटीईएम एक संयुक्त शब्द है, जिसका उपयोग विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के विशिष्ट लेकिन संबंधित तकनीकी विषयों को समूहबद्ध करने के लिए किया जाता है। वह विभिन्न प्रतिष्ठित व्यापार परिषदों और शैक्षणिक संस्थानों के मंडलों में अपनी भागीदारी और भूमिका शानदार ढंग से निभाती हैं। साथ ही उन्होंने पूरे देश में विभिन्न शैक्षिक और स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास में भी अहम् भूमिका निभाई है।
४.नंदिनी हरिनाथ (Nandini Harinath): नंदिनी हरिनाथ, विज्ञान और भारतीय महिला वैज्ञानिकों के बीच एक जाना-माना नाम हैं। वह देश के प्रतिष्ठित एवं बहुचर्चित ‘मंगलयान मिशन’ के संचालन निदेशक के रूप में एक उच्च पद पर आसीन हैं। पिछले 20 वर्षों के दौरान नंदिनी, भारत की अंतरिक्ष संस्था , ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (Indian Space Research Organization (ISRO) के 14 से अधिक अभियानों का हिस्सा रही हैं। साथ ही उन्होंने कई महत्वपूर्ण शोध पत्र भी प्रकाशित किए हैं। एसटीईएम में उनकी रुचि विज्ञान कथाओं, विशेष रूप से ‘स्टार ट्रेक’ (Star Trek) के कारण जगी। आज वह भविष्य की महिला वैज्ञानिकों के लिए एक प्रेरणा श्रोत बन गई हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और भविष्य बनाने के लिए युवा महिलाओं को प्रोत्साहित करना जरूरी है। नंदिनी जी ने महिलाओं के लिए ऐसा ही मार्ग प्रशस्त किया है।
५. स्वाति पीरामल (Swati Piramal): स्वाति पीरामल भारत की एक बेहद सम्मानित महिला वैज्ञानिक और उद्योगपति हैं। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से एम.बी.बी.एस. (M.B.B.S.) की उपाधि प्राप्त की और ‘हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ (Harvard School of Public Health) से स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। स्वाति जी आज ‘पिरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (Piramal Enterprises Limited) की कार्यक्षेत्र अध्यक्ष अर्थात वाइस-चेयरपर्सन (Vice-Chairperson) हैं। उन्होंने मुंबई में एक अस्पताल भी स्थापित किया है। साथ ही उन्होंने पुरानी बीमारियों के खिलाफ सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान शुरू किया है, जिसके माध्यम से वह स्वास्थ्य सेवा में सुधार करना चाहती हैं। भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वाति जी कई शैक्षणिक संस्थानों के सदस्य मंडलों की सदस्य भी हैं। वह विज्ञान के क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध महिलाओं में से एक मानी जाती हैं।
६. टेसी थॉमस (Tessy Thomas): टेसी थॉमस, वैमानिकी प्रणाली (Aeronautical Systems) की प्रभारी हैं और उन्होंने ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (Defence Research and Development Organisation) में अग्नि- IV मिसाइल परियोजना का भी नेतृत्व किया है। इस शानदार उपलब्धि के साथ ही वह मिसाइल परियोजना का नेतृत्व करने वाली भारत की पहली महिला बन गईं। क्या आप जानते हैं कि टेसी थॉमस को भारत की “मिसाइल महिला” (Missile Woman) के नाम से भी जाना जाता है। आज थॉमस भारतीय महिला वैज्ञानिकों की पहचान को नए स्तरों पर ले जा रही हैं। उनका बचपन ‘थुंबा रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन’ (Thumba Rocket Launching Station) के पास बीता है और इसी कारण रॉकेट और मिसाइलों में उनकी रुचि विकसित हो गई। वित्तीय कठिनाइयों के बावजूद, टेसी और उनकी मां ने कड़ी मेहनत की। आगे चलकर वह एसटीईएम में एक सफल महिला और एक उच्च सम्मानित इंजीनियर बन गईं। मिसाइल प्रौद्योगिकी में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में उनकी अहम् भूमिका के लिए 2012 में उन्हें ‘लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया।
७.किरण मजूमदार-शॉ (Kiran Mazumdar-Shaw): किरण मजूमदार-शॉ विज्ञान में रुचि रखने वाली महिलाओं के लिए आदर्श मानी जाती हैं। किरण ‘बायोकॉन लिमिटेड’ (Biocon Limited) की प्रमुख हैं, जो बैंगलोर में एक जैव प्रौद्योगिकी कंपनी है। साथ ही वह बैंगलोर में ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान’ (Indian Institute of Management ) की अध्यक्ष भी हैं । वह न केवल एक सफल अरबपति उद्यमी हैं, बल्कि अमेरिकी व्यापार पत्रिका ‘फोर्ब्स’ (Forbes) द्वारा उन्हें दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक के रूप में नामित किया गया था। वह परोपकारी प्रयासों में भी अग्रणी महिला हैं। किरण ने बायोकेमिकल्स और बायोफार्मास्यूटिकल्स (Biochemicals and Biopharmaceuticals) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और उन्हें विज्ञान और रसायन विज्ञान में उनके काम के लिए ‘ओथमर गोल्ड मेडल’ (Othmer Gold Medal) से भी सम्मानित किया जा चुका है।
८.सुधा मूर्ति (Sudha Murthy): सुधा मूर्ति, एसटीईएम क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध महिला और एक बेहतरीन लेखिका हैं। उन्होंने एक से अधिक क्षेत्रों में अपनी उत्कृष्टता साबित की है। वह ‘इंफोसिस फाउंडेशन’ (Infosys Foundation) की अध्यक्ष, इंजीनियरिंग शिक्षिका और गेट्स फाउंडेशन (Gates Foundation) की ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल पहल’ की सदस्य भी हैं। उनके सामाजिक कार्यों के विस्तार की तो कोई सीमा ही नहीं है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने हजारों अनाथालयों की स्थापना की है और ग्रामीण विकास के प्रयासों में बढ़ चढ़कर भाग लिया है। कर्नाटक के सभी सरकारी स्कूलों को कंप्यूटर और पुस्तकालय सुविधाएं प्रदान करने के अलावा उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी काम किया है। सुधा मूर्ति जी पहली महिला इंजीनियर थी, जिन्हें भारत की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी ‘टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी’ (Tata Engineering & Locomotive Company (TELCO) में काम पर रखा गया था। अपने व्यक्तित्व का उदाहरण देकर वह आज अन्य महिलाओं को भी एसटीईएम में भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
९. आशा जडेजा मोटवानी (Asha Jadeja Motwani): आशा जडेजा अमेरिका (America) के सिलिकॉन वैली (Silicon Valley) क्षेत्र में एक एंजेल निवेशक (Angel Investor) और परोपकारी महिला हैं। वह सिलिकॉन वैली, न्यूयॉर्क और भारत में फ़ायदेमंद तकनीक, इंटरनेट और उच्च सामाजिक प्रभाव वाले स्टार्ट-अप (Start-ups) में निवेश करती हैं। आशा जी एसटीईएम क्षेत्र की उन महिलाओं में से एक हैं, जो वास्तव में एक मजबूत समुदाय के निर्माण में विश्वास करती हैं। उन्होंने भारतीय उद्यमियों को सिलिकॉन वैली के उद्यमियों, सलाहकारों और निवेशकों से जुड़ने में मदद करने के लिए ‘राजीव सर्किल फैलोशिप’ (Rajiv Circle Fellowship) का भी प्रमोचन किया है। वह उद्यमियों का समर्थन करने वाली एक धर्मार्थ संस्था, ‘मोटवानी जडेजा फैमिली फाउंडेशन’ (Motwani Jadeja Family Foundation) की संरक्षक भी हैं।
भारत से जुड़ी इन सभी क्रांतिकारी महिलाओं के अलावा, विज्ञान जगत में मैरी क्यूरी (Marie Curie) ऐसा नाम हैं, जिनके बिना ढेरों अन्य वैज्ञानिक उपलब्धियों की कल्पना करना भी मुश्किल है। मैरी क्यूरी, का जन्म 7 नवंबर, 1867 को पोलैंड (Poland) की राजधानी वारसॉ (Warsaw) में मारिया स्क्लोडोस्का (Maria Sklodowska) के नाम से हुआ था। वह एक माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक की बेटी थीं। उन्होंने अपने पिता से अच्छी शिक्षा और कुछ वैज्ञानिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए 1891 में, वह पेरिस (Paris) गईं और वहां उनकी मुलाकात भौतिकी के प्रोफेसर पियर क्यूरी (Pierre Curie) से हुई। बाद में दोनों ने शादी कर ली। 1906 में अपने पति की मृत्यु के बाद, वह पेरिस विश्वविद्यालय के रेडियम संस्थान के विज्ञान संकाय में सामान्य भौतिकी के प्रोफेसर और क्यूरी प्रयोगशाला के निदेशक का पद संभालने वाली पहली महिला बनीं। मैरी क्यूरी और उनके पति ने रेडियोधर्मिता (Radioactivity) , पोलोनियम (Polonium) और रेडियम (Radium) पर शोध करने में अग्रणी भूमिका निभाई। अपने काम के लिए मैरी क्यूरी को कई पुरस्कार और उपलब्धियों से नवाजा गया। उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में दो नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) (एक भौतिकी में और एक रसायन विज्ञान में) शामिल है। वह जीवन भर विज्ञान के प्रति जिज्ञासु रहीं और उन्होंने अपने पैतृक शहर में एक रेडियोधर्मिता प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए काम किया। अंततः 4 जुलाई, 1934 को एक छोटी सी बीमारी के बाद सावॉय, फ्रांस (Savoy, France) में उनका निधन हो गया।
एसटीईएम क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों की पहुंच और भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष “विज्ञान के क्षेत्र में लड़कियों और महिलाओं का अंतर्राष्ट्रीय दिवस" (International Day of Women and Girls in Science) भी मनाया जाता है। यह दिवस ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (General Assembly of United Nations) द्वारा समर्थित है। संयुक्त राष्ट्र महासभा, ने 2015 में संकल्प 70/212 के माध्यम से 11 फरवरी को इस दिवस के रूप में घोषित किया। विज्ञान में लैंगिक समानता पर ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रत्येक वर्ष एक विषय का चयन किया जाता है। यह कार्यक्रम यूनेस्को (UNEASCO) द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र महिला संघ’ (U N Women) के साथ साझेदारी में आयोजित किया जाता है और इसमें विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों की भूमिका को बढ़ावा देने और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए राष्ट्रीय सरकारों, अंतर-सरकारी संगठनों, विश्वविद्यालयों, निगमों और नागरिक समाज भागीदारों के साथ सहयोग भी शामिल है।
संदर्भ
https://bit.ly/3lj37q6
https://bit.ly/2xttjlf
https://bit.ly/3x8sYng
चित्र संदर्भ
1. लालटेन ठीक करती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. सीता कोलमैन-कम्मुला’जी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. डॉ. इंदिरा हिंदुजा जी को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. मल्लिका श्रीनिवासन जी को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
5. नंदिनी हरिनाथ’जी को दर्शाता करता एक चित्रण (youtube)
6. स्वाति पीरामल जी को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
7. टेसी थॉमस जी को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
8. किरण मजूमदार-शॉ जी को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
9. सुधा मूर्ति जी को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
10. आशा जडेजा मोटवानी जी को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
11. मैरी क्यूरी को दर्शाता करता एक चित्रण (wikimedia)
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