सिनेमा और लखनऊः 100 साल का रिश्ता

दृष्टि I - लेंस/फोटोग्राफी
01-02-2018 10:55 AM
सिनेमा और लखनऊः 100 साल का रिश्ता

समाज में सिनेमा का का एक अहम योगदान रहा है, सिनेमा समाज से जुड़ी विभिन्न विषयों पर कार्य करता है तथा यह व्यक्तियों को रोमांचित करने के अलावाँ उनको हँसाने व रुलाने दोनो का कार्य करता है, मदर इंडिया फिल्म तो सभी को पता होगी? एक स्थान पर यह हँसाती है तो कहीं पर रुलाती है। सिनेमा का विकास मुख्यरूप से मनोरंजन के लिये किया गया था। सिनेमा से पहले क्या था? यह सवाल हमारे दिमाग में आता है- चलचित्रों के आगमन से पहले देश में नौटंकी,रामलीला, नाटक, नटों के खेल, मदारी के खेल आदि बहुतायता में प्रचलित थे। जो अध्यात्म व समाज से जुड़े किंवदंतियो व सत्याताता पर आधारित होते थे। नाटको में हास्य के साथ श्रृंगार व अन्य रासो का मिश्रण होता था। लखनऊ में भी मुर्गों की लड़ाई, शिकार आदि मनोरंजन के लिये किया जाता था खेलों में चौपड़, शतरंज आदि थे फिर यहाँ पर सिनेमा ने अपने पैर फैलाना शुरू किया जिससे कई फायदे और नुकसान हुआ। नुकसान के दृष्टि से देखा जाये तो चलचित्र के आगम के साथ ही प्राचीन विधायें अपने क्षेत्रों को खोती चली गयी। वर्तमान समयमे नटों का खेल, मदारी का बीन, नौटंकी की तुड़तुड़ि तथा मृदंग बजना अब ख़त्म होने के कगार पर है। लखनऊ शुरुआत से ही अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान था तथा यहाँ पर कई थियेटरों की स्थापना किया गया था। यहां पर उपस्थित हर एक सिनेमा हॉल की अपनी अलग कहानी है। यह वही शहर है, जहां अंग्रेजों को जवाब देने के लिये एक नवाब ने सिनेमाघर बनाकर दिया। लखनऊ में एक ऐसा सिनेमाघार भी था, जिसे तवायफों ने बंद कर दिया। यही नहीं लखनऊ में प्रिंस ऑफ वेल्‍स की याद में एक सिनेमाघर बना। यहाँ का मेडन थिएटर भी अपने समय के कहानी को बयाँ करता है इसमें हिंदुस्‍तानी ड्रामे और थिएटर हुआ करते थे। अंग्रेजों ने लखनऊ में अपने दिल को बहलाने के लिए कोठी हयातबख्‍श और बेगम कोठी के बीच हजरतगंज के पास रिंग थिएटर बनवा रखा था। 20वीं शताब्दी के शुरुआती दौर में यहाँ पर पर्दे पर साइलेंट इंग्लिश फि‍ल्‍मों के शो होने शुरू हो गये थे। यहाँ के इस थिएटर में हिंदुस्‍तानियों का प्रवेश वर्जित था तथा थिएटर के बाहर पट्टी पर लिखा रहता था कि डॉग्‍स एंड इंडियंस आर नॉट एलाउड। सिनेमा हाल की बात की जाये तो देश का पहला सिनेमा कोलाकाता में बना था। जैसा की कोलकाता अंग्रेजो का गढ था तथा वहाँ से अंग्रेज पूरे युनाइटेड प्रॉविंस पर शासन किया करते थें। यदि लखनऊ में सिनेमा हॉल के इतिहास को देखा जाये तो लखनऊ का पहला सिनेमा हॉल मेहरा था। भारत में प्रथम बार फिल्मों का प्रसारण मुंबई में सात जुलाई 1896 में हुआ था। यहाँ पर ल्यूमे ब्रदर्स ने छह शॉर्ट फिल्मों का प्रदर्शन सिनेमा घर के अभाव में वाटसन होटल में किया भारत की पहली भारतीय फिल्म को 1902 में कोलकाता में टेंट लगाकर दिखाया गया था, इसका श्रेय जे.एफ. मदान को जाता है। बाद में उन्होंने कोलकाता में ही 1907 में पहला सिनेमा घर एल्फिस्टन बनवाये थे। लखनऊ शहर का पहला सिनेमा घर मेहरा था, मेहरा बनने के बाद में कैसरबाग में एल्फिस्टन और हजरतगंज में प्रिंस सिनेमा हॉल बने। इस प्रकार से देखा जा सकता है कि लखनऊ के सिनेमा जगत का इतिहास 100 साल पूरे कर चुका है। 1. https://goo.gl/M1H2U6 2. डीप रिफ्लेक्शन ऑन इंडियन सिनेमा, सत्यजीत रे, हॉर्पर कालिन्स पब्लिशर, भारत दिल्ली 3. फिल्मी दुनिया में अवध, सनतकड़ा, 2015 4. https://goo.gl/gNVVqP 5. https://goo.gl/NkfRRR