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‘लीप-इप्सोस स्ट्रेटेजी स्टडी एब्रॉड आउटलुक’ (The Leap-Ipsos Strategy Study Abroad Outlook) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 83% भारतीय छात्रों का मानना है कि एक विदेशी डिग्री उनकी बेहतर नौकरी हासिल करने की संभावनाओं को बढ़ाती है एवं प्रतिस्पर्धा पर बढ़त प्रदान करती है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि 57% भारतीय मध्यवर्गीय परिवार , जिनकी आय 3 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच है, अपने बच्चों को विदेशी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए खर्च करने के लिए तत्पर हैं । आज, छात्र समुदाय की बढ़ती आकांक्षाओं से प्रेरित होकर, भारतीय विदेशी शिक्षा बाजार के कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। इसके साथ ही यह भी उम्मीद की जा रही है कि 2025 तक दो मिलियन से अधिक भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ने जायेंगे, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय शिक्षा पर 100 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च होंगे । रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वैश्विक संयोजकता के कारण आज 42% भारतीय छात्र अंग्रेजी भाषा प्रधान देशों से अलग देशों में शिक्षा के बारे में भी सोचते हैं।
भारतीय छात्र अपनी पसंद से विदेशी शिक्षा गंतव्यों में विस्तार कर रहे हैं और एक विदेशी शिक्षा गंतव्य के लिए अपनी प्राथमिकताओं में अधिक लचीले हो रहे हैं। इस विकल्प को पक्का करने हेतु, वे जिन कारकों पर विचार कर रहे हैं, उनमें विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा, छात्रवृत्ति, जीवन यापन की लागत आदि शामिल हैं। विदेशी शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रों द्वारा बड़ी मात्रा में शिक्षा ऋण लेने की ओर भी झुकाव देखा गया है ।
रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 62% से अधिक भारतीय छात्र शिक्षा ऋण लेना पसंद करते हैं, जबकि 53% छात्र छात्रवृत्ति के लिए प्रयास करते हैं।
गूगल (Google) के सुंदर पिचाई से लेकर माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) के सत्या नडेला और एडोब (Adobe) के शांतनु नारायण से लेकर आईबीएम (IBM) के अरविंद कृष्ण तक, कम से कम 10 भारतीय मूल के अधिकारी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं।
जबकि उनकी उपलब्धि सुर्खियां बटोर रही है और भारत में प्रशंसा जीत रही है, कुछ अन्य लोग भी हैं, जो यह मानते हैं कि यह परिदृश्य देश से प्रतिभा पलायन (Brain drain) का प्रतिनिधित्व करता है। इन व्यक्तियों द्वारा सरकार से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने और हमारी प्रतिभा को दूसरे देशों की सेवा करने से रोकने के लिए, रोजगार के अवसर पैदा करने का आग्रह भी किया गया है। उनका तर्क है कि इनमें से अधिकांश लोग, जो अब शीर्ष कंपनियों को चला रहे हैं, सबसे पहले छात्रों के रूप में विदेश गए थे। उन्होंने अच्छे संस्थानों से डिग्री ली और फिर उन्हें अच्छी नौकरी मिली। इसलिए, हमें हमारी शिक्षा प्रणाली में सुधार करने पर ध्यान देने की जरूरत है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया (The Times of India) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 के पहले नौ महीनों में ही 1,00,000 से अधिक भारतीयों ने विदेशों में बसने के लिए अपनी नागरिकता त्याग दी; और पिछले पांच वर्षों में 6,00,000 से भी अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्याग दी है। संयुक्त राष्ट्र विश्व प्रवासन रिपोर्ट (UN World Migration Report) 2020 के आंकड़ों के अनुसार विदेशों में रहने वाले प्रवासियों में 17.5 मिलियन के साथ सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की थी। 2003 के बाद से भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के विदेश प्रवास में 85% की वृद्धि हुई है। वास्तव में, युवाओं के विदेश जाने का प्राथमिक कारण यह है कि विदेशों में पेशेवर अवसरों के मामले में अच्छे विकल्प उपलब्ध हैं, जो एक व्यक्ति को भारत में आसानी से नहीं मिल सकते हैं।
अतः हमारा समग्र उद्देश्य भारत को एक ऐसी जगह बनाने का होना चाहिए, जहां अब विदेशों में काम कर रही प्रतिभाओं को भारत आने और महामारी के बाद देश के तेजी से विकास में योगदान देने के लिए आकर्षित किया जा सके। एक ऐसी प्रणाली का निर्माण होना चाहिए, जहां विशेषज्ञों को बैठने और इन समस्याओं के समाधान खोजने के लिए लुभाया जा सकता है। हालांकि, अब भारतीय बाजार में भी बहुत दिलचस्प चीजें हो रही हैं। भारत में स्टार्टअप (Startup) आंदोलन दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही हमे अनुसंधान और विकास क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, क्योंकि भारत में अनुसंधान और विकास करने के लिए पर्याप्त पेशेवर आगे नहीं आ रहे हैं।
लोगों द्वारा भारतीय नागरिकता छोड़ने के संभावित कारणों का पता लगाने के लिए कई सर्वेक्षण और आकलन किए गए हैं। उन कारणों में बेहतर जीवन स्तर, करों के आतंकवाद से छुटकारा, अत्यधिक नौकरशाही से छुटकारा, बेहतर वेतन, सामाजिक सुरक्षा, प्रसिद्ध संस्थानों से बेहतर शिक्षा और शायद अधिक खुले विचारों वाले समाज शामिल हैं। उपरोक्त कारणों से, कई लोग जो चिकित्सा, इंजीनियरिंग, शिक्षा आदि क्षेत्रों में सफल हो जाते हैं, वे देश छोड़ देते हैं, और किसी अन्य विदेशी राष्ट्र के कुशल कार्यबल बन जाते हैं। क्या भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह एक अच्छा संकेत है ? बिलकुल भी नहीं ! ऐसे लोग भारतीय संसाधनों का उपयोग करके और भारतीय शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन करके अपने ज्ञान को बढ़ाते हैं, और बाद में, अन्य देशों के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान करते हैं। ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू (Global Wealth Migration Review), के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में लगभग 7,000 भारतीय उच्च निवल मूल्य के व्यक्ति जिनमें अत्यधिक कुशल डॉक्टर, इंजीनियर, वित्तीय पेशेवर और अन्य शामिल थे, स्थायी रूप से विदेशों में बस गए ।
ऐसे समय में जब हमारे देश को कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, संचार और रसद के क्षेत्रों में एक प्रमुख तकनीकी प्रोत्साहन की आवश्यकता है, प्रवासियों की रिकॉर्ड संख्या एक चुनौती है। इससे निपटने के लिए, सरकार को कुछ ऐसे उपायों पर निर्णय लेना चाहिए जो कि प्रवासियों की बढ़ती संख्या को कम करने के लिए उठाए जा सकते हैं। सरकार को कृषि, रक्षा, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य परियोजनाओं में निवेश करने वाले अभिजात व्यक्तियों को प्रोत्साहित करने की योजना भी बनानी चाहिए। व्यवसायियों को करों के आतंकवाद से बचाया जाना चाहिए और नवाचार पर पनपने वाली उद्यमशीलता को राज्य द्वारा संरक्षित और उपयुक्त रूप से वित्त पोषित किया जाना चाहिए। ये उपाय कुछ हद तक बड़े पैमाने पर प्रतिभा पलायन के ज्वार को रोकने में सक्षम हो सकते हैं। यदि समय के साथ प्रतिभा पलायन को रोका गया होता, तो ये हमारे अपने देश में ही अच्छी तरह से विकसित हो सकते थे।
हमनें देखा कि कैसे कुछ भारतीय विद्यार्थी विदेशी डिग्री तथा शिक्षा से प्रभावित है, तथा मानते है कि इससे उनके पेशेवर जीवन में अच्छा बदलाव आ सकता है। लेकिन यह बात हमारे सामने प्रतिभा पलायन की समस्या भी लेकर आती है। अतः यह समझा जा रहा है कि, सरकार को जरूरत है कि इसे रोकने के लिए वे कुछ उपाय लागू करें।
संदर्भ
https://bit.ly/3JqnI5O
https://bit.ly/3wE7Hl5
https://bit.ly/3XGipUd
https://bit.ly/3RpAeob
चित्र संदर्भ
1. अमेरिका में भारतीय छात्रा को संदर्भित करता एक चित्रण (emkinstitute)
2. दुनिया भर में भारतीय नागरिकता वाले लोगों का नक्शा। (नक्शे में भारतीय नागरिकता वाले लोग या किसी एक भारतीय जातीयता के पूर्वज शामिल हो सकते हैं) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. पढाई करते छात्रों को दर्शाता एक चित्रण (Research)
4. प्रसन्न व्यवसाई को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)