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फूलों की खेती भारत में प्राचीन समय से चली आ रही एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है। इसमें छोटे और सीमांत किसानों के लिए लाभकारी स्वरोजगार उत्पन्न करने की अपार संभावनाएं हैं। हाल के वर्षों में यह भारत और दुनिया भर में एक लाभदायक कृषि व्यवसाय के रूप में उभरा है क्योंकि फूलों की खेती के उत्पादों की विकसित और विकासशील देशों में मांग में वृद्धि हुई है। भारत में, पुष्प कृषि उद्योग में फूलों का व्यापार, नर्सरी में पौधों का उत्पादन और गमले में लगाए गए पौधे, बीज और फूलों के कंदो का उत्पादन और आवश्यक तेलों का निष्कर्षण शामिल है। 2020-21 में देश ने 15,695.31 मीट्रिक टन फूलों की खेती के उत्पादों का 575.98 करोड़ रुपये के मूल्य के लिए दुनिया को निर्यात किया है।
बागवानी की वह शाखा जो सजावटी पौधों की खेती, उनके विपणन और बिक्री से संबंधित है, पुष्प बागवानी या फूलों की खेती या फ्लोरीकल्चर (Floriculture) के रूप में जानी जाती है।
भारत सरकार ने फूलों की खेती को एक सूर्योदय उद्योग के रूप में पहचाना है और इसे 100 प्रतिशत निर्यातोन्मुखी दर्जा दिया है। फूलों की खेती के उत्पादों में मुख्य रूप से कटे हुए फूल, गमले के पौधे, कटे हुए पत्ते, बीज के कंद, जड़ वाले तने और सूखे फूल या पत्तियां शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय फूलों के व्यापार में महत्वपूर्ण फूलों की फसलें गुलाब, कार्नेशन(Carnation), गुलदाउदी (Chrysanthemum), जरबेरा (Gerbera), ग्लेडियोलाए (Gladiolus), ऑर्किड (Orchids), एन्थ्यूरियम( Anthurium), ट्यूलिप (Tulip) और लिली (Lily) हैं। फूलों की फ़सलें जैसे जरबेरा, कार्नेशन आदि ग्रीन हाउस (greenhouse) में उगाई जाती हैं। खुले खेत की फ़सलें गुलदाउदी, गुलाब, गेलार्डिया (Gaillardia), लिली, गेंदा (Marygold), एस्टर(Aster), रजनीगंधा(Tuberose) आदि हैं।
भूमि की प्रति इकाई पर, फूलों को उगाने से शुद्ध लाभ अधिकांश फसलों की तुलना में 10 से 20 गुना अधिक हो सकता है। फूलों का उपयोग बड़े पैमाने पर धार्मिक अनुष्ठानों, उत्सवों, पार्टीयों की सजावट, उपहार देने, इत्र और सुगंध चिकित्सा में अर्क, जड़ी बूटी और औषधीय उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है।
भारतीय किसानों को फूलों की खेती को एक ऐसी महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि के रूप में देखना चाहिए, जो उनके पारिश्रमिक को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है। सरकारी योजनाओं का उपयोग किसानों द्वारा उच्च लाभ वाले फूलों को उगाने और यहां तक कि उन्हें संसाधित करने और निर्यात करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए किया जा सकता है। 2020 में वैश्विक पुष्पकृषि बाजार का मूल्य 49 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और 6 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ 2026 तक इसके 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। फूलों की 90% से अधिक मांग यूरोप (Europe) , अमेरिका (America) और एशिया (Asia) के विकसित देशों से आती है। भारतीय किसान आज तेजी से फूलों का निर्यात कर रहे हैं, विशेष रूप से गुलाब का जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी मांग हैं। फूलों की खेती बाजार संचालित एक विशेष कृषि उद्योग है। भारत विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों के कारण विदेशी फूलों की लगभग सभी किस्मों का उत्पादन कर सकता है। हमारे देश में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु और राजस्थान उन राज्यों में से है,जो पुष्पकृषि के महत्वपूर्ण केंद्र है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research (ICAR) ने भी कहा है कि फूलों की खेती में, कृषि आय को दोगुना करने की क्षमता है। भारत में, अधिकांश किसान छोटे और सीमांत हैं, जो अधिक मुनाफे के लिए पुष्पकृषि की और बढ़ सकते है। विविध और पर्याप्त रूप से अनुकूल जलवायु परिस्थितियों के अलावा, भारत के पास अन्य देशों की तुलना में कुछ अन्य फायदे भी हैं, जैसे कि यहां मजदूर सस्ते हैं और उत्पादन लागत भी कम है।
फूलों की खेती एक श्रम प्रधान उद्योग है और ग्रामीण आबादी के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए एक अच्छा साधन हो सकता है। साथ ही यह शून्य प्रदूषण के साथ पर्यावरण के अनुकूल है, यह स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को विकसित करने में मदद कर सकता है और निर्यात के माध्यम से विदेशी मुद्रा अर्जित करने की उच्च संभावनाएं भी प्रदान करता है। इसके अलावा, फूलों के बीजों का उत्पादन, नए सजावटी फूलों जैसे कटे हुए फूलों और गमले के पौधों का निर्माण अतिरिक्त कमाई में मदद कर सकता है।
फूलों की खेती के क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार द्वारा गंभीर प्रयास किए गए हैं। सरकार द्वारा फूलों की खेती में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment (FDI) को भी अनुमति दी गई है। एफडीआई देश में अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं संयुक्त उद्यम स्थापित करने तथा आधुनिक तकनीक और बुनियादी ढांचे की शुरुआत करने में मदद करता है। इसके अलावा, फूलों के निर्यात के लिए हवाई माल के भाडे पर एवं शीतगृह, पूर्व शीतलन इकाई, प्रशीतित गाड़ी, ग्रीनहाउस और पैकेजिंग सामग्री जैसी आपूर्ति श्रृंखला अवसंरचना स्थापित करने के लिए सहायिकी (सब्सिडी) दी जाती है। ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण’ (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority (APEDA) जैसी संस्थाएँ किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने और प्रमुख कृषि-निर्यात क्षेत्रों की पहचान करके निर्यात के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए भी योजनाएँ लेकर आ रही हैं। भारत में कुछ सरकारी पुष्पकृषि योजनाओं के नाम इस प्रकार हैं:
1- राष्ट्रीय फूलों की खेती मिशन 2021
2- केरल सरकार द्वारा लंबवत उद्यान योजना
3- फूलों की खेती के लिए आंध्र सरकार की सूक्ष्म सिंचाई योजना
भारत में कुछ किसानों ने पॉलीहाउस (Polyhouse), जो कि कृषि के लिए उपयोग किए जाने वाले नियंत्रित जलवायु स्थल है, में फूलों की खेती को अपनाया है और वे प्रति माह 1 लाख रुपये तक कमा रहे हैं। स्थानीय मौसम और जलवायु परिस्थितियों के बावजूद, पॉली-हाउस किसानों को किसी भी किस्म के फूल उगाने में मदद कर सकते हैं। फूलों की खेती के उच्च-लाभ वाले व्यवसाय पर जाने हेतू किसान पॉली-हाउस पर 85 प्रतिशत तक की सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। सजावटी फूल और गमले के पौधों को उगाने के लिए, यहां तक कि सूखे फूलों की खेती के लिए भी कौशल-शिक्षण प्राप्त किया जा सकता है। फूलों की खेती उत्पादन चरण के साथ-साथ कटाई के बाद के प्रसंस्करण चरण में बेहतर आय का आश्वासन देती है। अतः भारतीय किसानों को फलते-फूलते फूलों की खेती के उद्योग का लाभ उठाना चाहिए।
इस प्रकार फूलों की खेती आय सृजन और सशक्तिकरण के मामले में किसानों को एक बड़ा अवसर प्रदान करती है। पुष्पकृषि उत्पादन, विपणन, निर्यात और अनुसंधान में भी व्यवसायिक पेशे प्रदान करता है। इस उद्योग में फार्म प्रबंधक (Farm Manager), वृक्षारोपण विशेषज्ञ (Plantation Expert) , पर्यवेक्षक (Supervisor) या परियोजना समन्वयक (Project Coordinator) के रूप में रोजगार मिल सकता है। इसके अलावा, उचित प्रशिक्षण के साथ सलाहकार या परिदृश्य वास्तुकार (Landscape Architect) के रूप में काम किया जा सकता है। यह सेवा क्षेत्र में करियर के अवसर भी प्रदान करता है जिसमें पुष्प डिजाइनर (Floral Designer), परिदृश्य डिजाइनर (Landscape Designer), और बागवानी चिकित्सक (Horticulturist) जैसी नौकरियां शामिल हैं। इसके अलावा अनुसंधान और शिक्षण क्षेत्र में भी रोजगार के कुछ अन्य रास्ते हैं।
हमारी उत्तर प्रदेश सरकार भी दो साल पहले केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय फूलों की खेती मिशन के तहत राज्य में फूलों की खेती को बढ़ावा देने हेतू योजना तैयार करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अंतर्गत राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (Council of Scientific & Industrial Research) के साथ हाथ मिलाने पर सहमत हो गई है। एनबीआरआई भारत में फूलों की खेती की उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
इस प्रकार हम समझते है कि, भारत में फूलों की खेती में कई अप्रयुक्त वित्तीय अवसर है जिनका हम लाभ उठा सकते है।साथ ही हमने देखा की फूलों की खेती में सफल होने के लिए हम कौन से कदम उठा रहे है। वही दूसरी तरफ अगर कोई पुष्पकृषि में रोजगार या व्यावसायिक पेशे को ढूंढ रहा है तो उसके लिए भी यह कृषि कुछ अवसर देती है।
संदर्भ
https://bit.ly/3CYSpuX
https://bit.ly/3QPYa3H
https://bit.ly/3iMWYSh
चित्र संदर्भ
1. फूलों की दुकान को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. फूलों की माला बनाती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग)
3. पॉली हाउस के भीतर उगाए गए फूलों को संदर्भित करता एक चित्रण (Hippopx)
4. युवा फूल विक्रेता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. ट्यूलिप उद्यान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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