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लखनऊ का चिड़ियाघर न केवल लखनऊ बल्कि पूरे देशवासियों के लिए एक शानदार दर्शनीय पर्यटन स्थल है। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन (Lockdown) के कारण जानवर अपने चिड़ियाघरों और लोग अपने घरों में ही कैद रह गए, जिसकी वजह से चिड़ियाघर संचालकों की आमदनी ठप पड़ गई। इस विषम परिस्थिति ने एक नए और अनोखे विचार को जन्म दिया, जिसके तहत लोग एक निश्चित अवधि के लिए अपनी पसंद के किसी भी जानवर को 'गोद' ले सकते हैं, और उनके द्वारा दिया गया पैसा उस जानवर के भोजन, देखभाल और चिकित्सा खर्चों में लगाया जाएगा।
कोविड-19 (Covid-19) महामारी के प्रकोप के बाद से, चिड़ियाघरों सहित कई सार्वजनिक स्थानों को पूरी तरह बंद कर दिया गया था, जिसके कारण चिड़ियाघर प्रशासन के लिए जानवरों की देखभाल करना और आय के मुख्य स्रोत (प्रवेश टिकट) के अभाव में अपनी जीविका चलाना काफी मुश्किल हो गया था।
यह एक आम धारणा है कि चिड़ियाघर अविश्वसनीय रूप से अद्वितीय व्यवसाय का माध्यम होते हैं, क्योंकि वे आम तौर पर अनोखे जानवरों को केवल दिखाकर पैसा कमा लेते हैं। कुछ मायनों में, एक चिड़ियाघर एक वनस्पति उद्यान या एक संग्रहालय की तरह भी काम करता है, जो प्रवेश शुल्क, निजी दानदाताओं, संस्थागत दानदाताओं और शहर तथा राज्य सरकारों से प्राप्त सहायता आदि के संयोजन से अपनी आय प्राप्त करता है। चिड़ियाघर की अर्थव्यवस्था की यह एक असामान्य विशेषता है जो चिड़ियाघरों को अन्य व्यवसायों से अलग बनाती है। चिड़ियाघर जानवरों को खरीदते या बेचते नहीं हैं, वे केवल गैर-लाभकारी व्यापार करते हैं।
उन्नीसवीं शताब्दी के चिड़ियाघर, खोजकर्ताओं द्वारा विदेशी भूमि पर जाकर जानवरों को लाने पर निर्भर थे। चिड़ियाघर लोगों की भीड़ को आकर्षित करने वाले विदेशी जानवरों को अपने देश में लाने के लिए खोजकर्ताओं को भुगतान देते थे। लेकिन वर्तमान में चिड़ियाघर और मछलीघर जानवरों का आदान-प्रदान या दान करते हैं, और इस प्रकार पूरी प्रणाली इन संस्थानों की पारस्परिक सद्भावना पर निर्भर करती है।
हालांकि चिड़ियाघरों द्वारा जानवरों की खरीद के लिए पैसा खर्च नहीं किया जाता, लेकिन चिड़ियाघर के खर्चों में कर्मचारियों के वेतन, जानवरों का रखरखाव और सुविधाओं की लागत, पार्क रखरखाव तथा शुल्क आदि शामिल हैं। इनकी पूर्ती के लिए चिड़ियाघर विभिन्न स्रोतों जैसे प्रवेश शुल्क, व्यापारिक बिक्री, निजी और संस्थागत दान तथा सरकारी सहायता के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करते हैं। उदाहरण के तौर पर, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक प्रसिद्ध गैर-लाभकारी चिड़ियाघर ‘सैन डिएगो चिड़ियाघर' (San Diego Zoo), एक दिवसीय वयस्क टिकटों के लिए $65 और बच्चों के टिकटों के लिए $55 शुल्क लेता है।
एक अन्य उदाहरण के तौर पर भुवनेश्वर में स्थित नंदनकानन चिड़ियाघर, कथित तौर पर, अपने खर्चों को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष लगभग 15 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करता है। लेकिन लॉकडाउन प्रतिबंधों के कारण वह एक पैसा भी कमाने में विफल रहा। इसलिए, जानवरों की देखभाल के लिए आवश्यक धन इकट्ठा करने के लिए, नंदनकानन चिड़ियाघर सहित देश भर के कुछ अन्य चिड़ियाघरों ने ऑनलाइन (Online) पशु गोद लेने की अनोखी पहल की शुरुआत की है। जिसके तहत लोग एक निश्चित अवधि के लिए वस्तुतः अपनी पसंद के किसी भी जानवर को 'गोद' ले सकते हैं, और वे जो पैसा देते हैं वह उस जानवर के भोजन, देखभाल और चिकित्सा खर्चों में जाएगा।
गोद लेने के ऑनलाइन तरीकों की पेशकश करने वाले कुछ चिड़ियाघरों के नाम नीचे दिए गए हैं -
1. नंदनकानन चिड़ियाघर, भुवनेश्वर: यह चिड़ियाघर आवश्यक कागज़ी कार्यवाही के बाद शेरों और बाघों से लेकर पक्षियों और सांपों की विभिन्न प्रजातियों तक कई जानवर गोद देने के लिए तैयार हैं।
2. इंदिरा गांधी चिड़ियाघर, विशाखापत्तनम: विशाखापत्तनम में ‘कंबालाकोंडा आरक्षित वन’ (Kambalakonda Reserve Forest) में स्थित यह चिड़ियाघर, लोगों को जानवरों को गोद लेने की सुविधा दे रहा है ताकि यह अपने निवासियों के लिए अच्छा भोजन और सुविधाएं प्रदान करना जारी रख सके।
3. मैसूर चिड़ियाघर, कर्नाटक: मैसूर चिड़ियाघर के वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए, आप अपने पसंदीदा जानवर को एक वर्ष या उससे कम अवधि के लिए गोद ले सकते हैं।
हालांकि उपरोक्त तीन के अलावा भी भारत में अन्य चिड़ियाघर भी है जो जानवरों को गोद लेने की अनुमति देते हैं। जैसे हमारे लखनऊ के चिड़ियाघर से भी जानवरों को गोद लिया जा सकता है। लखनऊ प्राणी उद्यान से जानवरों को गोद लेने की योजना में कोई भी व्यक्ति, परिवार, संस्था, स्कूल, कार्यालय, समूह, कंपनी, अर्धसरकारी या सरकारी संस्था, निगम या एनजीओ (NGO) आदि भागीदार हो सकते हैं। जानवरों को गोद लेने वालों द्वारा उक्त चेक/बैंकर्स चेक/वन्यजीवों को गोद लेने पर ड्राफ्ट के तहत सुविधानुसार वार्षिक/अर्धवार्षिक या त्रैमासिक अवधि के लिए दत्तक-ग्रहण राशि का भुगतान किया जा सकता है। स्वीकृत राशि पर आयकर की धारा 80-जी के तहत छूट भी अनुमन्य है।
संदर्भ
https://bit.ly/3X0Qrlk
https://bit.ly/3Z1SIOW
https://bit.ly/3GizZWX
चित्र संदर्भ
1. जंगली जानवरों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक भारतीय चिड़ियाघर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. ‘सैन डिएगो चिड़ियाघर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. वन्य जीवन और मानव के बीच प्रेम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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