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क्या कभी भारत पवन ऊर्जा उत्पादन के निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर पाएगा ?

लखनऊ

 03-01-2023 10:35 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

भूतों की भांति हवा भी नहीं दिखती! हालांकि भूत होते हैं या नहीं, यह हम नहीं जानते। लेकिन हम इतना अवश्य जानते हैं कि हवा या वायु अपना एक ठोस अस्तित्व रखती है, और यही अस्तित्व भारत के नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) उत्पादन के तहत, पवन ऊर्जा ( Wind Energy ) के रूप में झलक रहा है, जो आनेवाले समय में भारत के करोड़ों घरों को रौशन कर सकता है।
गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत विभाग (Department of Non-Conventional Energy Sources (DNES) तथा टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (Tata Energy Research Institute (TERI) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पवन ऊर्जा की क्षमता 30,000 मेगावाट (MW) से 50,000 MW के बीच होने का अनुमान लगाया गया है। टेरी (TERI) के एक पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी विद, जैमी हुसैन के अनुसार, यदि पवन ऊर्जा की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाता है, तो यह भारत की बिजली की जरूरत की 25% की आपूर्ति कर सकती है। किंतु 1990-92 के बाद से, भारत में पवन ऊर्जा क्षमता को मजबूत करने के संदर्भ में सरकार का प्रदर्शन खराब ही रहा है। 1990 के अंत में सातवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता 2.2 मेगावाट से बढ़कर 37 मेगावाट कर दी गई थी । 1992 तक, इसकी कुल स्थापित क्षमता 38.31 मेगावाट थी, जबकि इस दौरान अतिरिक्त 12.47 मेगावाट का क्रियान्वयन किया जा रहा था। 1990-92 के दौरान 10 मेगावॉट से थोड़े अधिक की क्षमता वृद्धि दर्शाती है कि पवन ऊर्जा उत्पादन के लिए इसका घटा हुआ लक्ष्य, (जो 1995 तक मूल 500 मेगावॉट था) 200 मेगावॉट प्राप्त करना भी असंभव है।
पवन ऊर्जा संयंत्र को थर्मल या परमाणु संयंत्रों (Thermal or Nuclear Plants) की भांति ठंडा करने के लिए पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इसके अलावा, बिजली कटौती और डीजल-आधारित सीमित उर्जा की बढ़ती लागत के कारण, पवन ऊर्जा संयंत्र निजी क्षेत्र के लिए आकर्षक सौदा बन गए हैं। तमिलनाडु को भारत में सबसे अधिक पवन ऊर्जा उत्पन्न करने वाला राज्य माना जाता है, जबकि गुजरात में पवन ऊर्जा इकाइयों की संख्या सबसे अधिक है। भारत के पूर्वी तट के विपरीत, गुजरात तट अपेक्षाकृत चक्रवात मुक्त राज्य है। 1990 में, (Gujarat Energy Development Agency (GEDA) ने गुजरात तट पर लांबा में 10 मेगावाट का पवन शक्ति पवन फार्म ( Pavanshakti Wind Farm) शुरू किया, जो एशिया का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा फार्म है। हिमाचल प्रदेश में भी पवन उर्जा उत्पादन की काफी संभावनाएं हैं, लेकिन दुर्गम पहाड़ी इलाके इस क्षमता का दोहन करना बहुत मुश्किल बना देते हैं।
उत्तर प्रदेश में भी पवन ऊर्जा की संभावित उत्पादन क्षमता का हम नीचे दिए गए मानचित्र से पता लगा सकते हैं:
भारत में पवन टर्बाइनों (Wind Turbines) के सबसे बड़े निर्माता, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (Bharat Heavy Electricals Limited (BHEL) के विशेषज्ञों का तर्क है कि भारत के लिए 100 मेगावॉट के पवन ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को छू लेना भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। इसके अलावा कई अन्य निजी निवेशकों का मानना है कि 50 मेगावाट पवन ऊर्जा उत्पादन भी हमारे लिए अधिक यथार्थवादी लक्ष्य है। आज देश की पवन ऊर्जा क्षमता के केवल एक अंश का ही दोहन किया जा रहा है। भारत में पवन ऊर्जा की व्यावसायिक रूप से दोहन क्षमता 200 गीगावाट (GW) से अधिक होने का अनुमान है। मई 2022 तक, पवन ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 41 GW यानी व्यावसायिक रूप से दोहन योग्य क्षमता का लगभग 20% थी। निर्भरता के बावजूद पवन ऊर्जा की तुलना में सौर ऊर्जा को प्राथमिकता दी गई है।
मार्च 2014 से मई 2022 तक, सौर ऊर्जा में 2064% की वृद्धि की तुलना में पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता में मात्र 93% की वृद्धि हुई है। भारत की अधिकांश पवन ऊर्जा क्षमता केवल आठ राज्यों में उपलब्ध है जिनमें आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और मध्य प्रदेश मुख्य रूप से शामिल हैं। 2017 तक, पवन ऊर्जा की क्षमता में वृद्धि एक फीड-इन टैरिफ तंत्र (Feed-in Tariff Mechanism) के माध्यम से हो रही थी, किंतु बाद में, यह प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से टैरिफ निर्धारण (Tariff Determination) में बदल गई। इस बदलाव ने पवन उर्जा परियोजनाओं की स्थापना को बाधित कर दिया है। 4-5 रुपये/यूनिट के अपेक्षाकृत उच्च टैरिफ से 2.5-3 रुपये/यूनिट के अधिक प्रतिस्पर्धी टैरिफ में परिवर्तन हुआ है। इससे पवन ऊर्जा परियोजनाओं की लाभप्रदता कम हो गई है। इसके अलावा राष्ट्रीय पवन सौर हाइब्रिड नीति 2018, बड़े ग्रिड से जुड़े पवन-सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने का प्रावधान करती है। इस संदर्भ में वितरण कंपनियों द्वारा भुगतान न करना भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है।
हालांकि पुरानी और कम कुशल टरबाइन को उन्नत टर्बाइनों से बदल कर और पुरानी टरबाइन को फिर से सशक्त बनाने के लिए नीति तैयार करके पवन ऊर्जा क्षमता को बढाया जा सकता है।

संदर्भ

https://bit.ly/3jHfyeJ
https://bit.ly/3VAnXO7
https://bit.ly/3CcSk6w

चित्र संदर्भ
1. भारत में पवन ऊर्जा उत्पादन को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. मीन विंड स्पीड मैप इंडिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कन्याकुमारी के पास एक पवन टरबाइन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. धान के खेत में पवन ऊर्जा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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