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भारतीय संस्कृति और प्रकृति के बीच, हजारों वर्षों से अत्यंत मजबूत और पारस्परिक संबंध रहा है। हजारों वर्षों से जंगलों ने आध्यात्मिकता और आकर्षक कल्पना के स्थानों के रूप में एक आकर्षण रखा है। उन्होंने ज्ञान, उर्वरता और जीवन के प्रतीक के रूप में प्रकट होने वाली मानव परंपराओं और लोककथाओं को प्रेरित किया है। हालाँकि, जंगल का मूल्य संस्कृति और सौंदर्य से कहीं आगे तक फैला हुआ है; वे कई क्षेत्रों को जोड़ते हैं जो पर्यावरणीय स्वास्थ्य और मानव कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं। लेकिन आज इन जंगलों को भी हमारी सहायता की उतनी ही अधिक जरूरत है, जितनी कि हमें इन जंगलों की।
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Environment, Forest and Climate Change Ministry), द्वारा भारत वन स्थिति रिपोर्ट (India’s State of Forest Report ) (ISFR) 2021 जारी की गई थी। भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India) द्वारा निर्मित यह रिपोर्ट, जो भारत में वन आवरण और वन सूची के राष्ट्रव्यापी मानचित्रण पर आधारित है, भारत में स्थित वन संसाधनों के विभिन्न पहलुओं की जानकारी प्रदान करती है । रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल वन और वृक्षों का आवरण 80.9 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62% हिस्सा है।
आईएसएफआर 2021 रिपोर्ट में, भारत में वन आवरण का राष्ट्रव्यापी मानचित्रण शामिल है, जिसे 1:150000 के पैमाने पर प्रस्तुत किया गया है। मानचित्रण को पेड़ों के चंदवा घनत्व (Canopy Density) के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है:
१.बहुत घने जंगल (70% से अधिक चंदवा घनत्व),
२.मध्यम घने जंगल (40-70% चंदवा घनत्व),
३.खुले जंगल (10-40% चंदवा घनत्व)
रिपोर्ट से पता चलता है कि वन क्षेत्र में वृद्धि सभी क्षेत्रों में समान नहीं है। शोधकर्ताओं ने भारत में उन संभावित क्षेत्रों का मानचित्रण किया, जो भविष्य में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने, 2030, 2050 और 2085 में तापमान और वर्षा में परिवर्तन से ये क्षेत्र कैसे प्रभावित हो सकते हैं, इसका अनुमान लगाने के लिए तापमान और वर्षा के आंकड़ों और दो अलग-अलग कंप्यूटर मॉडल (Computer Model) का उपयोग किया। रिपोर्ट में पाया गया कि मध्य प्रदेश में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा वन क्षेत्र है, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र का स्थान है। वनों से आच्छादित कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के संदर्भ में, शीर्ष पांच राज्य मिजोरम (84.53%), अरुणाचल प्रदेश (79.33%), मेघालय (76.00%), मणिपुर (74.34%) और नागालैंड (73.90%) का स्थान हैं। मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, गोवा, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, ‘दादरा और नगर हवेली’ ,‘दमन और दीव’, असम और ओडिशा सहित बारह अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन क्षेत्र 33% से 75% के बीच है।
2019 से 2021 के बीच वन आवरण में सबसे अधिक वृद्धि वाले राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक और झारखंड हैं। ये वृद्धि बेहतर संरक्षण उपायों, सुरक्षा, वनीकरण गतिविधियों, वृक्षारोपण अभियान और कृषि वानिकी के कारण हुई हैं। हालाँकि, भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में 1,020 वर्ग किमी क्षेत्र में वन आवरण का सबसे बड़ा नुकसान देखा गया है, जिसमें मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड राज्य सम्मिलितहै। यह गिरावट प्राकृतिक आपदाओं, स्थानांतरित कृषि और वनों की कटाई के कारण होती है, जो क्षेत्र के जल संसाधनों को प्रभावित कर सकती है और भूस्खलन के जोखिम को बढ़ा सकती है।
भारत में घने और मध्यम रूप से सघन वनों का कम होना भी एक चिंता का विषय है, क्योंकि इस प्रकार के वन पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और कई प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।भारत वन स्थिति रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में नवंबर 2020 से जून 2021 तक जंगल में लगने वाली आग की आवृत्ति में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें कुल 3,45,989 बार आग लगने की सूचना प्राप्त हुई है। यह अब तक देश में लगने वाली आग की दर्ज की गई सबसे बड़ी संख्या है। इस प्रकार की आग के लिए जलवायु परिवर्तन और अन्य मानवीय कारकों जैसे कृषि के लिए भूमि रूपांतरण और खराब वन प्रबंधन जैसे कारणों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि वर्तमान आकलन में पहाड़ी क्षेत्रों में वन क्षेत्र में 0.32% की कमी आई है, जबकि आदिवासी क्षेत्रों में आरक्षित वन क्षेत्र के अंदर वन क्षेत्र में कमी आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जंगलों के कुल क्षेत्रफल में 149,443 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बांस द्वारा घिरा हुआ है। यह 2019 की रिपोर्ट में अनुमान की तुलना में 10,594 वर्ग किलोमीटर की कमी को दर्शाता है। वहीं दूसरी तरफ, 2019 में बांस तनो (culms) की संख्या 13,882 मिलियन से बढ़कर 53,336 मिलियन हो गई है।
रिपोर्ट में पहली बार भारत में स्थित बाघ अभयारण्यों में वन आवरण का भी आकलन किया गया है। भारत में 52 बाघ अभयारण्यों में से 20 बाघ अभयारण्यों में 2011 से 2021 तक वन क्षेत्र में वृद्धि देखी गई, जबकि इसी अवधि के दौरान अन्य 32 बाघ अभयारण्यों में कमी देखी गई। कुल मिलाकर, बाघ अभयारण्यों में वन क्षेत्र में 22.6 वर्ग किलोमीटर (0.04%) की कमी आई है, जबकि बाघ गलियारों (tiger corridors) में 37.15 वर्ग किलोमीटर (0.32%) की वृद्धि देखी गई है। कवाल, भद्रा और सुंदरवन के अभयारण्यों में बाघों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। 2019 में पिछले आकलन के बाद से 79.4 मिलियन टन की वृद्धि के साथ, भारत के जंगलों में कुल कार्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होने का अनुमान है जो 39.7 मिलियन टन की वार्षिक वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। रिपोर्ट से पता चलता है कि जम्मू और कश्मीर में 2019 में 4,270 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के बहुत घने जंगल 2021 में 4,155 वर्ग किमी में सिमट गए । यह भारत में कहीं भी बहुत घने जंगलों का सबसे अधिक नुकसान है। किंतु रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू कश्मीर में जहां बहुत घने जंगलों में कमी दर्ज की गई वहीं दूसरी तरफ खुले जंगल क्षेत्र में वृद्धि देखी गई। जम्मू और कश्मीर में खुले जंगल क्षेत्र जो कि 2019 में21,358 वर्ग किमी थे, से बढ़कर 2021 में 21,387 वर्ग किमी हो गए हैं, जो बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक वृक्षारोपण के कारण हुआ। हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय राज्य में कुल वन क्षेत्र में 9 वर्ग किमी की वृद्धि देखी गई, लेकिन खुले और मध्यम घने जंगलों (40% या अधिक लेकिन 70% से कम वृक्षों के छत्र घनत्व) दोनों में नुकसान हुआ। रिपोर्ट ने विकास और कृषि में वृद्धि को हिमालय और उत्तर पूर्व क्षेत्र में वन आवरण के नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया। रिपोर्ट में भारतीय वनों में जलवायु परिवर्तन के हॉटस्पॉट (Hotspot) का भी मानचित्रण किया गया है, जिसमें भविष्यवाणी की गई है कि हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे कि लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तापमान में सबसे अधिक वृद्धि और वर्षा में संभावित कमी देखी जाएगी, जबकि उत्तर पूर्वी राज्यों में वर्षा में अत्यधिक वृद्धि का अनुभव हो सकता है। उत्तर पूर्व के राज्यों ने वन आवरण में सबसे अधिक नुकसान दर्ज किया है। दिल्ली ने अपने कुल वन क्षेत्र में भी कमी देखी, जिसमें खुले जंगल को सबसे अधिक नुकसान हुआ। जबकि 17 वर्ग किमी की वृद्धि के साथ भारत में 2021 में 4,992 वर्ग किमी मैंग्रोव जंगल दर्ज किये गए। भारत सरकार ने ग्रीन इंडिया (Green India) के लिए अपने राष्ट्रीय मिशन का दूसरा चरण शुरू किया है, जो वन संरक्षण में सुधार और इन प्रयासों में जनता को शामिल करने पर केंद्रित है। इस मिशन के हिस्से के रूप में, सरकार ने 2030 तक देश के कार्बन सिंक (Carbon Sink), या कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) को अवशोषित करने के लिए जंगलों की क्षमता को 2.5 से 3 बिलियन टन तक बढ़ाने के लिए नगर वन योजना शुरू की है।
संदर्भ
https://bit.ly/3YKvLj0
https://bit.ly/3BWyX1s
चित्र संदर्भ
1. घने जंगल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. जंगल में हाथियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय वन सर्वेक्षण के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पश्चिमी घाट झील वन प्रकृति दृश्य, भारत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. जंगल में शिकार करते बाघों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. जंगल की बारिश को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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