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जिस प्रकार हमारे देश भारत में दीपावली और होली जैसे त्यौहारों को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार, क्रिसमस का त्यौहार भी बहुतायत में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। क्रिसमस के इस त्यौहार पर हमारे लखनऊ शहर के सबसे बड़े और सबसे पुराने गिरिजाघर ‘संत जोसेफ कैथेड्रल चर्च’ (St. Joseph’s Cathedral Church) को भी फूलों और जगमगाती रोशनी से सजाया जाता है। हालांकि, लखनऊ सहित पूरे देश में आपको ऐसे कई शतकों पुराने गिरिजाघर मिल जाएंगे, जिनका इतिहास सीधे तौर पर भारत में ईसाई धर्म तथा क्रिसमस समारोह की उत्पत्ति से जुड़ा है।
माना जाता है कि भारत में ईसाई धर्म का आगमन सेंट थॉमस (St. Thomas) के साथ हुआ था, जो यीशु के बारह प्रेरितों (Twelve Apostles of Jesus) में से एक थे तथा जिनके बारे में माना जाता है कि वे 52 ईसवी में भारत के दक्षिणी राज्य केरल पहुंचे थे। सेंट थॉमस को भारत में पहले ईसाई समुदायों की स्थापना का श्रेय दिया जाता है, और उनकी विरासत अभी भी कई चर्चों और संस्थानों में देखी जा सकती है। कहा जाता है कि सेंट थॉमस ने लगभग 51 ईसवी में मुजिरिस (Muziris) या कोडुंगलुर पहुंचने से पहले सोकोट्रा (Socotra) जो हिंद महासागर में यमन गणराज्य का एक द्वीप है, का दौरा किया था, जहां उन्होंने उच्च सामाजिक और धार्मिक स्थिति के लोगों को परिवर्तित किया और सात स्थानों पर ईसाई समुदायों की स्थापना की।
अपनी भारत यात्रा के दौरान सेंट थॉमस ने भारत के पूर्वी हिस्सों, मलक्का और चीन तक की यात्रा की और 72 ईस्वी में वह चल बसे। उनके अवशेषों को मायलापुर में सेंट थॉमस माउंट (St. Thomas Mount) में दफनाया गया है। केरल में ईसाई धर्म की स्थापना में सेंट थॉमस की भूमिका को, भारत में सेंट थॉमस परंपरा के जीवित ईसाई समुदायों के के माध्यम से पारित किया गया है। हालांकि, प्रत्यक्ष पुरातात्विक साक्ष्य और समकालीन लिखित दस्तावेजों की कमी के कारण इस परंपरा की ऐतिहासिकता कुछ इतिहासकारों द्वारा विवादित है। इसके बावजूद, समकालीन लेखकों और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर, जिसमें तीसरी शताब्दी की शुरुआत में लिखे गए थॉमस के अधिनियम भी शामिल थे, इतिहासकारों ने निष्कर्ष निकाला है कि तीसरी शताब्दी की शुरुआत से पहले ही दक्षिणी भारत में ईसाई चर्च की स्थापना हुई थी ।
पेंटेकोस्ट “Pentecost” (पेंटेकोस्ट एक ईसाई अवकाश है जो ईस्टर रविवार के बाद 50वें दिन होता है।) के दिन यीशु के आदेश के बाद ईसाई संदेश को सभी राष्ट्रों में प्रचारित किया गया था। यहूदी डायस्पोरा समुदायों (Diaspora Communities) के माध्यम से उनका संदेश जमीन और समुद्र के माध्यम से यात्रा करते हुए मध्य पूर्व में भी फैल गया था। अंततः यह संदेश पश्चिम की ओर भूमध्य सागर के आसपास ग्रीक भाषी शहरों में भी फैल गया।
ऐसा माना जाता है कि उसके बाद 51 ईसवी में, सेंट थॉमस द्वारा लाल सागर और हिंद महासागर के माध्यम से इस विचार को भारत लाया गया था, जिन्होंने पूर्वी तट पर अपनी शहादत से पहले इस क्षेत्र में चर्चों की स्थापना की थी।
एक यहूदी धर्मांतरित और अलेक्जेंड्रिया के शैक्षिक स्कूल (Catechetical School of Alexandria) के नेता सेंट पैनटेनस (St. Pantaenus), ने दूसरी शताब्दी के अंत में भारत की यात्रा की और स्थानीय ईसाइयों से मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें मैथ्यू (Matthew) के सुसमाचार की एक हिब्रू प्रति (Hebrew Copy) दिखाई। 345 ईसवी में,फारस(Persia) से ईसाई शरणार्थियों के एक समूह के नेता काना के थॉमस (Thomas of Cana) भारत पहुंचे और स्थानीय ईसाई समुदाय को पुनर्जीवित करने और संगठित करने में मदद की।
13 वीं शताब्दी में, भारत में नेस्टोरियन सीरियन चर्च (Nestorian Syrian Church) के आगमन के कारण सेंट थॉमस के अनुयायी ईसाई, दो समूहों में विभाजित हो गए, जिनमें से एक समूह सीरियन चर्च के साथ रहा और दूसरा रोमन चर्च के साथ संरेखित हुआ। वहीँ 16 वीं शताब्दी में, पुर्तगाली उपनिवेशवाद ने रोमन चर्च को इस क्षेत्र में और अधिक मजबूती से स्थापित करने की कोशिश की, जिसके कारण संघर्ष हुआ और अंततः सिरो-मालाबार कैथोलिक (Syro-Malabar Catholic) चर्च की स्थापना हुई। आज, भारत मेंकैथलिक , प्रोटेस्टेंट और स्वतंत्र चर्च सहित कई प्रकार के ईसाई संप्रदाय और गिरिजाघर मौजूद हैं।
हमारे शहर लखनऊ, जो अपने नवाबों और स्वादिष्ट कबाबों के लिए जाना जाता है, में भी कई उल्लेखनीय गिरिजाघर देखे जा सकते हैं। जिनकी एक सूची निम्नवत दी गई है:
1. सेंट जोसेफ कैथेड्रल (St. Joseph’s Cathedral): सेंट जोसेफ कैथेड्रल जिसे आमतौर पर सिर्फ "कैथेड्रल" के रूप में भी जाना जाता है, 1860 में आयरिश फादर विलियम ग्लीसन (Irish Father William Gleeson) द्वारा निर्मित, शहर के केंद्रीय बाजार हजरतगंज में एक प्रसिद्ध स्थल है। प्रारंभ में, गॉथिक-शैली की इस इमारत में मूल रूप से 300 लोगों के बैठने की क्षमता थी। हालाँकि, 1969 में इसकी पुरानी इमारत को गिरा कर वर्तमान की भव्य और सुंदर संरचना के साथ बदल दिया गया था। आगंतुक आध्यात्मिक ऊर्जा और शांतिपूर्ण माहौल के साथ-साथ इसकी अनूठी वास्तुकला को निहारने के लिए भी इस गिरजाघर में आते हैं जहां एक वर्धमान आकार के अग्रभाग और शीर्ष पर मसीह की मूर्ति के साथ एक विस्तृत सीढ़ी है। मुख्य प्रार्थना कक्ष को धार्मिक चित्रों और कलाकृतियों से सजाया गया है, जो इसे लखनऊ का एक दर्शनीय स्थल बनाता है। गिरजाघर हर साल क्रिसमस पर्व के आसपास अविश्वसनीय रूप से सुंदर और रोशन लगता है।
2. क्राइस्ट चर्च (Christ Church): क्राइस्ट चर्च शहर का सबसे पुराना चर्च है और उत्तर भारत में पहला तथा देश में संभवत: तीसरा एंग्लिकन चर्च (Anglican Church) है। 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, चर्च को भारी क्षति हुई और अंततः यह नष्ट हो गया। 1860 में वर्तमान भवन के निर्माण तक चर्च सेवाएं नवाब सआदत अली खान के मकबरे के अंदर आयोजित की जाती रहीं। इसके भीतर गॉथिक खिड़कियों और एक सुंदर छत के साथ बड़ा प्रार्थना कक्ष है, साथ ही सैनिकों के लिए स्मारक पट्टिकाएं, और यीशु के जीवन की कहानियों को चित्रित करने वाले कांच के भित्ति चित्र हैं। 3. ऑल सेंट्स गैरीसन चर्च (All Saints Garrison Church): 1860 में निर्मित यह चर्च मूल रूप से शहर में तैनात ब्रिटिश सैनिकों के लिए बनाया गया था। बाद में अभियंता जोन्स रैनसम (Engineer Jones Ransom) द्वारा मूल इमारत को वर्तमान इमारत में बदल दिया गया था था और इसमें बंदूकों के लिए जगह के साथ चबूतरे की सुविधा थी। शांत छावनी क्षेत्र में स्थित, चर्च का बाहरी हिस्सा लाल ईंट का है और यह अपने इतिहास के लिए देखने लायक है।
4. द चर्च ऑफ़ द एपिफेनी (Church of the Epiphany): यह चर्च फ्रेंच और गोथिक वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है, जिसमें लाल ईंट का अग्रभाग और पांच मंजिला इमारत है। यह 1877 में बनकर तैयार हुआ था, और यहां पर आगंतुक मूल लकड़ी की वेदी को देख सकते हैं जहां रेवरेंड डब्ल्यू. टी. स्टोरेस (Reverend W. T.Storres ) ने अपने उपदेश दिए थे।
5. लालबाग इंग्लिश मेथोडिस्ट चर्च (Lalbagh English Methodist Church, ): यह चर्च भारत में मेथोडिस्ट मिशन (Methodist Mission) द्वारा बनाया गया था और मूल ईसाइयों का स्वागत करने वाला शहर का यह पहला चर्च था। इसका निर्माण कार्य 1869 में पूरा हुआ ।यह दयानिधान पार्क के सामने स्थित है । अपने सफ़ेद बाहरी हिस्से, मामूली आंतरिक सज्जा और सभी का स्वागत करने की इच्छा के साथ, भारत में यह खूबसूरत चर्च निश्चित रूप से अपने ऐतिहासिक मूल्य के कारण पर्यटकों के लिए एक ख़ास स्थल बन जाता है।
6. सेंट पॉल चर्च (St. Paul’s Church): इस चर्च की स्थापना 1861 में एक आयरिश पादरी रेवरेंड विलियम ग्लीसन (Reverend William Gleason) द्वारा की गई थी, जिन्होंने इस क्षेत्र में एक और पूजा स्थल की आवश्यकता महसूस की। यह चर्च मूल रूप से छावनी में रहने वाले कैथलिक सैनिकों के लिए बनाया गया था। यह ऐतिहासिक चर्च आज भी ईसाईयों के लिए लोकप्रिय स्थान बना हुआ है। छावनी के नील लाइन्स क्षेत्र (Neil Lines Area) में स्थित, सेंट पॉल चर्च अपनी सादगी और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है।
7. सेंट पीटर द रेलवेमेन चर्च (Peter’s the Railwaymen’s Church): यह लखनऊ के चारबाग और आलमबाग इलाके में स्थित एक एंग्लिकन प्रोटेस्टेंट चर्च (Anglican Protestant Church) है। यह 1914 में बिशप जॉर्ज हर्बर्ट (Bishop George Herbert) द्वारा स्थापित किया गया था और यह शहर का पहला चर्च है जिसमें एक महिला पुजारी, मण्डली का नेतृत्व करती है। यह चर्च हिंदी में 10 आज्ञाओं को प्रदर्शित करने वाले पहले चर्चों में से एक होने के लिए भी उल्लेखनीय है। वर्षों से विभिन्न जीर्णोद्धार और परिवर्तनों के बावजूद, सेंट पीटर चर्च लखनऊ में एक आकर्षक और महत्वपूर्ण इमारत बना हुआ है।
संदर्भ
https://bit.ly/3FONYU2
https://bit.ly/3BRxYzz
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ में क्राइस्ट चर्च, को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. गिरिजाघर ‘संत जोसेफ कैथेड्रल चर्च’ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. सेंट थॉमस (St. Thomas) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मायलापुर में सेंट थॉमस माउंट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सेंट थॉमस द एपोस्टल, भारतीय ईसाई धर्म के पारंपरिक संस्थापक, उनके नाम के सेंट थॉमस सीएनआई चर्च, मुंबई के 300 साल पुराने कैथेड्रल में कांच की खिड़की, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. सेंट जोसेफ कैथेड्रल, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. लखनऊ में क्राइस्ट चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. ऑल सेंट्स गैरीसन चर्च को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. द चर्च ऑफ़ द एपिफेनी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. लालबाग इंग्लिश मेथोडिस्ट चर्च को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
11. लखनऊ में सेंट पॉल चर्च को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
12. सेंट पीटर द रेलवेमेन चर्च को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
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