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भाई दूज और रक्षाबंधन का महत्‍व और इनके मध्‍य अंतर

लखनऊ

 26-10-2022 10:07 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

प्रतिवर्ष भाइयों और बहनों के बीच के बंधन को चिह्नित करने के लिए भाई दूज का त्‍योहार मनाया जाता है। दुनिया भर में अलग-अलग महत्व के त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन भाई दूज और रक्षा बंधन जैसे भाई-बहनों के पवित्र और शुभ बंधन को बहुत कम त्‍यौहार समर्पित हैं। कई लोग मानते हैं कि जब हम पहले ही भाई बहन के रिश्‍ते को समर्पित रक्षा बंधन का त्‍यौहार मना रहे हैं तो फिर भाई दूज का त्‍यौहार क्‍यों? और, रक्षा बंधन और भाई दूज में क्या अंतर है? पवित्र ग्रंथों में दोनों अवसरों की उत्पत्ति अलग-अलग है। रक्षाबंधन की उत्पत्ति महाभारत की घटनाओं के दौरान देखी जा सकती है। किंवदंती है कि जब भगवान श्री कृष्ण की गलती से उनके 'सुदर्शन चक्र' पर उनकी उंगली कट गयी थी, तो राजकुमारी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ा और उनके रक्तस्राव को रोकने के लिए उसे उनकी उंगली पर बांध दिया। भगवान कृष्ण इस भाव से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हमेशा उनकी रक्षा करने की कसम खाई। जबकि, भाई दूज की दो मूल कहानियां हैं। पहली किंवदंती के अनुसार दुष्ट राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद, भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, सुभद्रा ने मिठाई और फूलों के साथ बड़े हर्षोल्लास से श्री कृष्‍ण का स्वागत किया और प्यार से उनके माथे पर तिलक लगाया। कुछ लोग इसे भाई दूज का मूल मानते हैं। दूसरी कहानी यह है कि मृत्यु के देवता यमराज अपनी जुड़वा बहन यमुना से मिलने गए थे। उन्होंने तिलक समारोह के साथ यम का स्वागत किया, उन्हें माला पहनाई और उन्हें विशेष व्यंजन खिलाए। उन्होंने लंबे समय के बाद एक साथ भोजन किया और उपहारों का आदान-प्रदान किया।इसलिए भाई दूज पर, आरती और टीका एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। चंदन को एक पवित्र वृक्ष माना जाता है जो शीतलता प्रदान करता है। हिंदू धर्म में रोली और चंदन का तिलक लगाना शुभ माना जाता है। प्राचीन काल में जब राजा युद्ध के लिए जाते थे, तो राज्य के बुजुर्ग आरती करते थे और राजा के माथे पर तिलक लगाते थे और उन्हें युद्ध में भेजने से पहले आशीर्वाद देते थे। माथे पर तिलक लगाने का महत्व शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है। अब तो वैज्ञानिक भी मान चुके हैं कि तिलक लगाना बेहद फायदेमंद होता है। कुछ शोधकर्ताओं ने शोध से पता लगाया कि माथे पर तिलक लगाने से दिमाग ठंडा और शांत रहता है। हिंदू धर्म में कई तरह के तिलक का चलन है। नोविज्ञान के अनुसार माथे पर तिलक लगाने से आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति में वृद्धि होती है और सकारात्मक सोच में मदद मिलती है। जब आप माथे के बीच में तिलक लगाते हैं, तो आपको आराम महसूस होता है। यह हमें विभिन्न प्रकार के मानसिक विकारों से बचाता है। यह विभिन्न मानसिक उत्तेजनाओं को वश में करने में भी मदद करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माथे पर तिलक लगाने से पापों का नाश होता है। अगर आप ज्योतिष को मानते हैं तो उसके अनुसार तिलक लगाने से ग्रह शांत होते हैं जिससे गुस्सा कम आता है। आरती एक विशेष अतिथि का सम्मान करने, एक मित्र का स्वागत करने, लौटे हुए प्रियजन का अभिवादन करने या प्रभु की आराधना करने की प्रथागत हिंदू पद्धति है। यह देवताओं की पूजा की प्रक्रिया का केंद्र है, चाहे वह घर पर हो या मंदिर में। वेदी-चित्रों या देवताओं को शुभ वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। घर में पूजा आम तौर पर काफी सरल और अनौपचारिक होती है, जबकि मंदिर में पूजा अधिक भव्य होती है और इसके लिए समय की पाबंदी और स्वच्छता के नियमों की आवश्यकता होती है। आरती समारोह पांच मिनट से आधे घंटे तक चलता है। रक्षा बंधन पर, भाई के हाथ पर एक पवित्र धागा बांधा जाता है। राखी बांधना एक भाई द्वारा अपनी बहन को सभी बुरी ताकतों से बचाने और उसकी रक्षा करने के वादे का प्रतीक है। भाई दूज पर भाई के माथे पर टीका लगाकर बहन अपने भाई को हर कीमत पर किसी भी बुराई से बचाने का संकल्प लेती है। हालांकि भाई दूज और राखी दोनों समारोहों में तिलक लगाना एक सामान्य अनुष्ठान है, लेकिन भाई दूज के त्योहार के दौरान इसका विशेष महत्व है। इसके अलावा, रक्षा बंधन केवल भाइयों और बहनों के बीच मनाने तक ही सीमित नहीं है। इसे बहनों, भाइयों और दोस्तों के बीच भी मनाया जा सकता है। वहीं भाई दूज भाई-बहन की जोड़ी के लिए खास है। त्योहारों के बीच एक और महत्वपूर्ण अंतर यह है कि, हिंदू पंचांग के अनुसार, रक्षा बंधन हिंदू वर्ष के सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। सावन का महीना हिंदुओं के बीच एक शुभ काल माना जाता है और इस पूरे महीने में हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा की जाती है। भाई दूज, जिसे कर्नाटक में सोडारा बिडिगे, बंगाल में भाई फोटा, गुजरात में भाई-बीज और महाराष्ट्र में भाऊ बीज के नाम से भी जाना जाता है, विक्रम के कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष (उज्ज्वल पखवाड़े) के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है। यह अवसर दिवाली या तिहाड़ त्योहार के पांच दिवसीय उत्सव के अंतिम दिन का प्रतीक है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3D8ChYk
https://bit.ly/3s6o1Jc
https://bit.ly/3srSm5n

चित्र संदर्भ
1. भाई दूज एवं रक्षा बंधन के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. द्रौपती एवं श्री कृष्ण को दर्शाता एक चित्रण (GetArchive)
3. अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती महिला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भाई दूज के व्यंजनों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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