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हिंदू धर्म की भांति मुस्लिम धर्म में भी अनेकों त्योहारों को मनाया जाता है, तथा ईद-ए-
मिलाद-उन-नबी या मौलिद भी इन्हीं में से एक है।ईद-ए-मिलाद-उन-नबी या मौलिद या
मावलिद पैगंबर मुहम्मद की जयंती है, जिसे मुस्लिम चंद्र कैलेंडर के तीसरे महीने में दुनिया
भर में इस्लाम का अनुसरण करने वाले लोगों द्वारा मनाया जाता है। भारत, पाकिस्तान
(Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh), श्रीलंका (Sri Lanka) और उपमहाद्वीप के अन्य हिस्सों
में आज ईद-ए-मिलाद-उन-नबी बड़ी धूम-धाम से मनाई जा रही है।
मावलिद अल-नबी से तात्पर्य "पैगंबर के जन्मदिन" से है। दुनिया भर के मुसलमानों का
मानना है कि उनके कैलेंडर में इस दिन का विशेष महत्व है। इसका इतिहास इस्लाम के
शुरुआती दिनों से सम्बंधित है, जब पैगंबर मुहम्मद के कुछ अनुयायियों, जिन्हें तबीउन
(Tabi’un) नाम से जाना जाता था, ने अपने नेता या पैगंबर का सम्मान करने के लिए
कविता और गीतों के सत्रों को आयोजित करना शुरू किया। ईद मिलाद-उन-नबी को मनाने
का मुख्य उद्देश्य पैगंबर के जीवन से शिक्षा लेना है। जैसा जीवन उन्होंने बिताया तथा
जैसा चरित्र उनका था, उसका अनुसरण करना ही इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य है।उनकी
शिक्षाएँ अभी भी उन पर विश्वास करने वाले लोगों को प्रभावित करती हैं तथा उन्हें धर्म के
मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।
मुसलमान इस त्योहार को नए कपड़े पहनकर, नमाज़ अदा करके और उपहारों का आदान-
प्रदान करके मनाते हैं। इस दिन मस्जिदों और घरों पर दोस्तों और परिवार के लिए विशेष
भोजन बनाया जाता है। मध्य पूर्व में, इस दिन सड़कों को अक्सर लाइटों से सजाया जाता है,
और लोगों को भोजन और मिठाई वितरित की जाती है।
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और
श्रीलंका के अलावा मावलिद इथियोपिया (Ethiopia),यूनाइटेड किंगडम (United
Kingdom), तुर्की (Turkey), नाइजीरिया (Nigeria),फ्रांस (France), जर्मनी
(Germany), इटली (Italy), इराक (Iraq), ईरान (Iran), मालदीव (Maldives), मोरक्को
(Morocco), जॉर्डन (Jordan), लीबिया (Libya), रूस (Russia) और कनाडा (Canada)
में भी मनाया जाता है।कतर (Qatar) और सऊदी अरब (Saudi Arabia), दो ऐसे क्षेत्र हैं,
जहां इसे आधिकारिक सार्वजनिक अवकाश घोषित नहीं किया गया है। 20वीं सदी के अंतिम
दशकों में सुन्नी मुस्लिमों द्वारा दुनिया में मौलिद को "निषिद्ध” करने को कहा गया। तुर्की
में मौलिद को कांदिली (Kandili) कहा जाता है, जिसका अर्थ है "पैगंबर के जन्मदिन की
दावत”। मावलिद को बड़े ही उत्साही तरीके से मनाया जाता है, जैसे बड़े सड़क जुलूस
आयोजित किए जाते हैं और घरों या मस्जिदों को सजाया जाता है।
मुहम्मद के जीवन की कहानियां बच्चों द्वारा कविता पाठ के साथ सुनाई जाती हैं। मावलिद
के दौरान कविताओं का भी विशेष महत्व है। ऐसी कई कविताएं हैं, जो विशेष रूप से
मावलिद के लिए ही लिखी गई हैं। इन कविताओं को शाम को सार्वजनिक मस्जिदों और घर
पर पढ़ा जाता है। इन कविताओं में मुहम्मद के जीवन के विभिन्न हिस्सों का वर्णन किया
गया है। मुहम्मद के जीवन को दर्शाती हुई पारंपरिक कविताओं में से एक सबसे प्रसिद्ध
कविता सुलेमान सेलेबि (Mawlid of Süleyman Çelebi) की मावलिद है। ओटोमन
(Ottoman) काल में भी कई अन्य मावलिद लिखे गए थे। विद्वानों और कवियों द्वारा इस
त्योहार का जश्न 13वीं सदी के अरबी सूफी बुसिरी (Sufi Busiri) की प्रसिद्ध कविता
क़शिदा अल-बुरदा शरीफ़ (Qaṣīda al-Burda Sharif) को पढ़कर मनाया जाता है।यह एक
प्राचीन कविता है, जिसमें पैगंबर के गुणों की प्रशंसा करते हुए उनके प्रति प्रेम और श्रद्धा
को उजागर किया गया है। मुसलमान विभिन्न मंडलियों में इकट्ठा होकर इस कविता का
गायन करते हैं।
इस उत्सव का मुख्य महत्व मुहम्मद के लिए प्रेम प्रकट करना है। पाकिस्तान में मौलिद के
दौरान, दिन की शुरुआत में संघीय राजधानी में 31 तोपों की सलामी दी जाती है,और प्रांतीय
राजधानियों में 21 तोपों की सलामी दी जाती है।यहां दिन के दौरान प्रायः धार्मिक भजन
गाए जाते हैं। कायरावन, ट्यूनीशिया (Qayrawan, Tunisia) में, मुसलमान मुहम्मद के
जन्म की खुशी में प्रायः भजन गाते हैं। इसके अलावा यहां के लोग मावलिद के जश्न के
लिए असिडत ज़गौगौ (AssidatZgougou) नामक व्यंजन तैयार करते हैं। भारत की यदि
बात करें, तो यहां रहने वाले मुस्लिम लोगों द्वारा यह त्योहार विभिन्न तरीके से मनाया
जाता है।
भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर में सुबह की प्रार्थना के बाद हजरतबल मस्जिद या दरगाह
शरीफ में पैगंबर मुहम्मद के अवशेष प्रदर्शित किए जाते हैं,तथा रात भर प्रार्थना का आयोजन
किया जाता है। हैदराबाद तेलंगाना भी अपने भव्य मिलाद उत्सवों के लिए विख्यात है। इस
दिन पूरे शहर में धार्मिक सभाएँ, रात भर की प्रार्थनाएँ, रैलियाँ, परेड आदि आयोजित किए
जाते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3Md7goM
https://bit.ly/3M8l8ko
https://bit.ly/3T21uIU
चित्र संदर्भ
1. मलेशियाई मुसलमान पुत्रजया में मौलिदुर रसूल परेड में भाग लेते हैं, जिसे पुत्रजया पुत्र मस्जिद में पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. "मुहम्मद, अल्लाह के दूत लेख को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इस्लामिक पांडुलिपि-इब्राहिम की कविताएँ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. अंतर्राष्ट्रीय मौलिद सम्मेलन, मीनार-ए-पाकिस्तान, लाहौर, पाकिस्तान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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