विश्व हृदय दिवस विशेष: भारत में हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या और अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

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विश्व हृदय दिवस विशेष: भारत में हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या और अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

हाल के वर्षों में हमने बॉलीवुड के कई बेहतरीन कलाकारों को हार्ट अटैक अर्थात दिल का दौरा पड़ने के कारण अपनी जान गवाते हुए देखा है। यदि आपने ध्यान दिया हो तो पाया होगा की, हालिया वर्षों में दिल का दौरा पड़ने की घटनाएं बहुत बढ़ी है। आज हम इस समस्या की व्यापकता एवं कारणों की गहन पड़ताल करेंगे।
कोरोना महामारी के 2 साल बाद, मास्क पहनना, हाथों को साफ रखना और सार्वजनिक सभा से बचना हमारी दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया है। लेकिन अभी भी अहम सवाल यह है कि हम कोविड के बाद की जटिलताओं को कितना ​​समझ पाए हैं? यह सोचना बिल्कुल गलत है कि एक बार कोविड संक्रमण कम हो जाने के बाद, हम कोरोना वायरस से पूर्णतः सुरक्षित हो जाते हैं। वास्तव में कोविड शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है, और संक्रमण के बाद भी इसका प्रभाव बना रहता है। आज यह बीमारी ठीक होने के बाद भी फेफड़े, हृदय, पेट की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को प्रभावित करती नजर आ रही है। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन (World Heart Federation (WHF) द्वारा महामारी की शुरुआत में जारी किये गए एक बयान में कहा गया था की “कोविड-19 दिल के लिए एक घातक तूफान की भांति है" और यह भविष्यवाणी सच निकली। कोविड एक प्रो- भड़काऊ (pro-inflammatory) स्थिति है जो मायोकार्डिटिस “myocarditis” (हृदय की मांसपेशियों की सूजन) या पेरिकार्डिटिस “pericarditis” ( हृदय युक्त थैली की सूजन) के रूप में प्रकट हो सकती है। कई लोगों में कोविड से ठीक होने के बाद ह्रदय की गति में बढ़ोतरी देखी गई है।
कोरोना से पीड़ित कई रोगियों ने ठीक होने के बाद भी तेज़ धड़कन का अनुभव करने जैसी, दिल से संबंधित कई समस्याओं की शिकायत की है। कोविड से ग्रस्त होने के बाद बहुत से लोग हल्की गतिविधियों के बावजूद “तेज़ धड़कन” का अनुभव करते हैं। ऐसे में कम दूरी तक चलने जैसी छोटी- छोटी शारीरिक गतिविधियां करने पर भी दिल की धड़कन 95-100 तक बढ़ जाती है। हालांकि कई रोगियों में यह स्थिति कुछ समय के बाद ठीक हो जाती है, लेकिन कई अन्य में यह कुछ समय के लिए बनी रहती है। 2021 में लांसेट (Lancet) में प्रकाशित, एक शोध अध्ययन के अनुसार कोविड-19 निदान के बाद वाले सप्ताह में, पहले की तुलना में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम तीन से आठ गुना बढ़ गया। यह अध्ययन 87,000 लोगों पर किया गया था, जिसमें 57% महिलाएं थीं। लोगो ने यह भी पाया कि बाद के हफ्तों में, रक्त के थक्के और दिल के दौरे के जोखिम में लगातार कमी आई, लेकिन खतरा कम से कम एक महीने तक काफी अधिक रहा।
इसी तरह का एक अवलोकन, कोविड लक्षण अध्ययन ऐप (covid symptom study app) द्वारा भी प्रकट किया गया था। ऐप ने भी पाया कि कोविड-19, अनियमित और बढ़ी हुई हृदय गति का एक बड़ा कारण है। दुनिया भर में ऐप के 4 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं।
"बुखार और संक्रमण के कारण हृदय गति तेज हो जाती है, जिससे निमोनिया वाले कोविड-19 रोगियों में हृदय पर दबाव बढ़ जाता है। साथ ही उनका रक्तचाप गिर सकता है या बढ़ सकता है, जिससे हृदय पर और अधिक तनाव हो सकता है, और परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की मांग में वृद्धि हो सकती है। विशेषज्ञ कोविड को मायोकार्डिटिस और पेरिकार्डिटिस (myocarditis and pericarditis) जैसी हृदय समस्याओं से भी जोड़ रहे हैं।
"कोरोनावायरस संक्रमण नसों और धमनियों की आंतरिक सतहों को भी प्रभावित करता है, जिससे रक्त वाहिका में सूजन हो सकती है और बहुत छोटी वाहिकाओं तथा रक्त के थक्कों को नुकसान हो सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि नियंत्रण समूहों की तुलना में, कोविड रोगियों में हृदय संबंधी विकार विकसित होने की संभावना 1.7 गुना और स्ट्रोक विकसित होने की संभावना 1.5 गुना अधिक हो सकती है।
भारत में कार्डियोवैस्कुलर बीमारी “cardiovascular disease” (हृदय रोग या हृदय नलिका रोग ऐसे रोगों का एक समूह है, जो हृदय या रक्त नलिकाओं (धमनियां और शिराएं) को ग्रस्त करते हैं।) से होने वाली मौतों की वार्षिक संख्या बढ़ने का अनुमान है। इंटर हार्ट अध्ययन (Inter Heart Study) से पता चला है कि कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के कारक जैसे पेट का मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह अन्य जातीय समूहों की तुलना में कम उम्र के भारतीयों में अधिक हैं। कार्डियोवैस्कुलर या सीवीडी जोखिम कारकों की व्यापकता दर पिछले 25 वर्षों में भारत के भीतर (खासकर शहरी समुदायों ) में तेजी से बढ़ रही है। ये उच्च दरें देश के साथ-साथ आम नागरिकों पर भी भारी आर्थिक बोझ डालती हैं। उदाहरण के लिए, भारत में मधुमेह के बढ़ते प्रसार का संभावित आर्थिक बोझ काफी अधिक है। मधुमेह के इलाज के लिए खर्च की अनुमानित वार्षिक लागत निरंतर बढ़ रही है और अब भारत में व्यक्तिगत आय का 5% से 34% तक इसमें जाता है, जहां निम्न आय वर्ग उच्च आय वाले समूहों की तुलना में मधुमेह देखभाल पर अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं। हाल ही में शहरी भारत में 5% (1985) से 18.6% (2006) तक मधुमेह के प्रसार में समग्र वृद्धि दर्ज की गई है। मई 2012 में, वैश्विक नेताओं ने 2025 तक गैर-संचारी रोगों से वैश्विक मृत्यु दर को 25% तक कम करने के लिए एक लक्ष्य प्रतिबद्ध किया। दरसल हृदय रोग (सीवीडी) सभी एनसीडी मौतों में से लगभग आधी के लिए जिम्मेदार है, जिससे यह दुनिया का नंबर एक हत्यारा बन गया है। इसलिए 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस, वार्षिक पालन और उत्सव आयोजित किया जाता है, जिसका उद्देश्य हृदय रोगों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है।

संदर्भ

https://bit.ly/3S2mPC9
https://bit.ly/3S4d5Hn

चित्र संदर्भ
1. दिल का इलाज करा रहे नन्हे मरीज को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. ह्रदय एवं कोरोना के संबंध को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. धड़कन के ग्राफ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टरों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. एक भारतीय परिवार की छाया को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)