Post Viewership from Post Date to 16-Oct-2022 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2068 5 2073

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

समय की मांग है अपशिष्ट पृथक्करण और प्लास्टिक पुनर्चक्रण प्रणाली

लखनऊ

 16-09-2022 10:20 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या बनता जा रहा है, और इसलिए स्वच्छ और हरित पर्यावरण की ओर बढ़ने के उद्देश्य से,1 जुलाई को रामपुर और उत्तरप्रदेश के अन्य हिस्सों में एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक की वस्तुओं पर केंद्र ने प्रतिबंध लगाया है। हालाँकि, इससे पहले भी जब इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए तो उससे कोई लाभ नहीं हुआ क्योंकि कुछ ही समय में सिंगल-यूज़ प्लास्टिक (Single-use plastic) वाली वस्तुओं का फिर से उपयोग किया जाने लगा।
भारत में लगभग 3.6 लाख मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, तथा इसका केवल 50% ही पुनर्नवीनीकृत किया जाता है।भारत यांत्रिक पुनर्चक्रण के माध्यम से 43.17% अपशिष्ट प्लास्टिक का पुनर्चक्रण करता है,जबकि 0.4% रासायनिक या फीडस्टॉक रीसाइक्लिंग (Feedstock recycling) है और 5% ऊर्जा रिकवरी और वैकल्पिक उपयोग जैसे सड़क, बोर्ड और टाइल बनाने के लिए है।संयुक्त राज्य अमेरिका जहां प्लास्टिक की प्रति व्यक्ति खपत109 किलोग्राम है, (दुनिया में सबसे अधिक),की तुलना में भारत की प्रति व्यक्ति खपत 11 किलोग्राम (24 पाउंड) है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश भारत सालाना लगभग 5.6 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है। एक अध्ययन के अनुसार 2019-20 के दौरान भारत द्वारा लगभग 34.7 लाख टन प्रति वर्ष प्लास्टिक कचरा उत्पन्न किया गया था।प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियमावली के तहत भारत में पंजीकृत प्लास्टिक कचरा प्रसंस्करण कर्ताओं की संख्या 1,419 है।लंबे समय तक चली महामारी तथा खुदरा क्षेत्रों जैसे (E-commerce) और खाद्य वितरण सेवाओं के विकास से प्लास्टिक की खपत में वृद्धि हुई है। समस्या प्लास्टिक का उपयोग करने की नहीं बल्कि इस बात की है, कि इस प्लास्टिक का उपचार उचित रूप से नहीं हो पाता।
वह प्लास्टिक जिसका पुनर्नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है वह अप्रबंधित रहता है।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट 2019- 2020 के अनुसार, भारत में लगभग 60% प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण किया गया। शेष बचे 40% कचरे को विभिन्न स्थलों,सड़कों, जल निकायों आदि में ऐसे ही फेंक दिया गया। इस अप्रबंधित प्लास्टिक को कई जानवरों द्वारा निगल लिया गया, जिससे उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई। हमारे देश में प्लास्टिक रीसाइक्लिंग का उचित दस्तावेजीकरण भी नहीं किया जा रहा है। भारत की महत्वपूर्ण अपशिष्ट पृथक्करण और पुनर्चक्रण प्रणाली एक अनौपचारिक प्रक्रिया के माध्यम से संचालित होती है, जहां कचरा बीनने वाले कचरे को छांटते हैं और इसे डीलरों को मामूली दैनिक मजदूरी पर बेचते हैं।ये डीलर फिर प्लास्टिक को प्लांटों (plants) को बेचते हैं।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2018-19 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि देश में लगभग 1080 अपंजीकृत रीसाइक्लिंग इकाइयां हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि किसी भी राज्य ने इन प्लास्टिक रीसाइक्लिंग इकाइयों की स्थापित क्षमता की सूचना नहीं दी, जो देश की प्लास्टिक कचरा प्रबंधन क्षमताओं के बारे में एक गंभीर सवाल उठाती है।सरकार के अनुसार, प्लास्टिक भारत में कुल ठोस कचरे का लगभग आठ प्रतिशत हिस्सा बनाता है। प्लास्टिक के कचरे का प्रभाव भारत में बहने वाली दो प्रमुख नदी प्रणालियों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सिंधु (164,332 टन) और मेघना-ब्रह्मपुत्र-गंगा (72,845 टन) दुनिया के कुछ सबसे अधिक प्लास्टिक मलबे को वहन करती हैं, तथा उन्हें महासागरों में ले जाती हैं।प्लास्टिक जिसका पूर्ण रूप से विघटन असंभव है, प्रदूषण का एक मुख्य कारण है, जो केवल मनुष्य को ही नहीं बल्कि पूरी पारिस्थितिकी को प्रभावित कर रहा है। इसके हानिकारक प्रभावों को देखते हुए समय-समय पर कई रूपों में इस पर प्रतिबंध लगाया गया है।हाल ही में, भारत ने 1 जुलाई, 2022 से पूरे देश में एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक की वस्तुओं के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया। इनमें मुख्य रूप से वो प्लास्टिक शामिल है, जिनकी उपयोगिता कम है, तथा उनका अधिकतर हिस्सा अपशिष्ट बन जाता है।इन प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में प्लास्टिक की छड़ें, गुब्बारों पर लगी प्लास्टिक की छड़ें, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की छड़ें, आइसक्रीम की छड़ें, सजावट के लिए उपयोग किया जाने वाला पॉलीस्टाइनिन (Polystyrene) या थर्मोकोल, प्लास्टिक की प्लेट, कप, गिलास, कटलरी (Cutlery) जैसे कांटे, चम्मच, चाकू,मिठाई के डिब्बे पर लपेटा जाने वाली रैपिंग या पैकिंग फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट के पैकेट आदि शामिल हैं। इसके अलावा कई स्टार्ट-अप (Start-up) कचरा प्रबंधन क्षेत्र में व्यवसाय बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
उनका मुख्य लक्ष्य गैर-निम्नीकरणीय कचरे को मूल्यवान संसाधनों में पुनर्चक्रित करना है। यह एक अच्छी शुरुआत है, ऐसे नवोन्मेषी विचारों पर विचार करके पर्यावरण को विनाशकारी जलवायु परिवर्तन के परिणामों से बचाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, पुणे स्थित एक स्टार्ट-अप प्लास्टिक को प्रतिस्थापित करने के लिए एक टिकाऊ सामग्री विकसित कर रहा है। यह स्टार्ट-अप पेपर कप विकसित कर रहा है जिसमें गर्म तरल पदार्थ को रखा जा सकता है, तथा यह छह महीने के भीतर प्राकृतिक वातावरण में विघटित हो सकता है। एक अन्य स्टार्ट-अप कचरे से जूते बना रहा है। बहुत सारे कपड़ों के ब्रांड अब टिकाऊ फैशन का चयन कर रहे हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3AXV3PA
https://bit.ly/3D7Im7F
https://bit.ly/3qiAmZQ

चित्र संदर्भ
1. प्लास्टिक कचरे के ढेर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्रति दिन, प्रति व्यक्ति, प्रति किलोग्राम अपशिष्ट उत्पादन, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. नदी में बहते प्लास्टिक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. उन्नत प्लास्टिक पुनर्चक्रण संयंत्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • समय की कसौटी पर खरी उतरी है लखनऊ की अवधी पाक कला
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     19-09-2024 09:28 AM


  • नदियों के संरक्षण में, लखनऊ का इतिहास गौरवपूर्ण लेकिन वर्तमान लज्जापूर्ण है
    नदियाँ

     18-09-2024 09:20 AM


  • कई रंगों और बनावटों के फूल खिल सकते हैं एक ही पौधे पर
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:18 AM


  • क्या हमारी पृथ्वी से दूर, बर्फ़ीले ग्रहों पर जीवन संभव है?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:36 AM


  • आइए, देखें, महासागरों में मौजूद अनोखे और अजीब जीवों के कुछ चलचित्र
    समुद्र

     15-09-2024 09:28 AM


  • जाने कैसे, भविष्य में, सामान्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, पार कर सकता है मानवीय कौशल को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:23 AM


  • भारतीय वज़न और माप की पारंपरिक इकाइयाँ, इंग्लैंड और वेल्स से कितनी अलग थीं ?
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:16 AM


  • कालिदास के महाकाव्य – मेघदूत, से जानें, भारत में विभिन्न ऋतुओं का महत्त्व
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:27 AM


  • विभिन्न अनुप्रयोगों में, खाद्य उद्योग के लिए, सुगंध व स्वाद का अद्भुत संयोजन है आवश्यक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:19 AM


  • लखनऊ से लेकर वैश्विक बाज़ार तक, कैसा रहा भारतीय वस्त्र उद्योग का सफ़र?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:35 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id