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स्कूल की छुट्टियाँ शुरू होते ही बच्चे अपने माता-पिता के साथ अलग-अलग जगहों पर घूमना पसंद करते हैं। लखनऊ के बनारसी
बाग़ में स्थित प्राणी उद्यान बच्चों की इन्हीं पसंदीदा जगहों में से एक है। प्रतिवर्ष यहाँ हजारों की संख्या में लोग अपने पूरे परिवार
के साथ घूमने के लिए आते हैं। इस उद्यान के परिसर में स्थित बारादरी के मैदान में सबसे अधिक भीड़ देखी जा सकती है।
हालाँकि बारादरी का ऐतिहासिक महत्व भी है जो इसे भ्रमण के लिए और भी अधिक विशेष बनाता है। बारादरी शब्द बिना
दीवारों, खिड़कियों और दरवाजों के एक ढके हुए मंडप के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि कुछ ढके हुए मंडप भी बारादरी
कहलाए जाते हैं ।
दार का अर्थ होता है तोरणद्वार या द्वार और बारा का अर्थ है बारह, इसलिए बारादरी का अर्थ बारह मेहराबों या द्वारों वाला एक
हॉल या मंडप। हालाँकि कई मेहराबों में द्वारों की संख्या 12 से अधिक भी हो सकती है। ऐसा संभव है कि संख्या 12 का इस्तेमाल
इसलिए किया गया हो क्योंकि अवध के नवाब आसन-ए-अशरी शिया मुसलमान थे और उनके इमामों की संख्या बारह थी,
इसलिए यह एक महत्वपूर्ण संख्या है। अर्थात संख्या 12 का ज्योतिषी महत्व रहा हो। मेहराब के 12 दरवाजे कम से कम 3
दिशाओं में खुलते हैं। संख्या 12 के अलावा, संख्या 5 का भी इस्लाम धर्म के पंजतन के लिए विशेष महत्व है - पैगंबर के परिवार
के पवित्र पांच नाम। अतः इन दोनों संख्याओं 5 और 12 का अनोखा संगम उस समय के नवाबों की इमारतों में देखने को मिलता
है। इमारतों के अग्रभाग और बाहरी पक्षों में 5 मेहराब या द्वार हैं। उनमें से तीन मुख्य हॉल के साथ जुड़े हुए हैं, जो हॉल के चारों
ओर दीर्घाओं में प्रवेश के लिए किनारे पर बने हैं। इस प्रकार मुख्य हॉल में चार तरफ तीन मेहराब हैं जिनकी कुल संख्या बारह है।
हालाँकि ऐसी व्यवस्था केवल चौकोर इमारतों के लिए ही उपयुक्त होती है।
सिडनी हे (Sidney Hay) के अनुसार, बगीचों के लिए बनारसी बाग का नाम विशेष रूप से बनारस (वाराणसी) के कुछ पौधों
के कारण था जो बगीचे में लगाए गए थे। हे ने यह भी उल्लेख किया है कि इस स्थान पर एक दो मंजिला ग्रीष्मकालीन भवन
मौजूद था जहां अब बारादरी स्थित है। तारीख-ए-लखनऊ में मौलाना आगा मेहदी का कहना है कि सफेद संगमरमर में नगीन
वाली बारादरी 1229 हिजरी (1814) में बनाई गई थी। यह नवाब सआदत अली खान का शासनकाल था और इसलिए वह
नगीने वाली बारादरी के निर्माता माने जाते हैं। हालाँकि, वर्षों तक इस तथ्य में कई विवाद रहे हैं। सुरेंद्र मोहन ने अपनी पुस्तक में
लिखा है कि बारादरी का निर्माण अवध के दूसरे नवाब नासीर-उद-दिन हैदर (1823-1827) ने कराया था। इसके अलावा,
नजमुल घानी ने तारीख-ए-अवध में बताया है कि बारादरी कैसरबाग में स्थित है।
लखनऊ शहर की बारादरी में आपस में जुड़े हुई मछलियों और फूलों के उत्कृष्ट रूपांकन, संगमरमर और लखारी ईट की बनी
दीवारें और उन पर बने जटिल जालीदार काम और चारों ओर से आने वाली ताजी हवा इन मेहराबों को और भी अधिक आकर्षक
बनाती हैं। वर्ष 2021 में, 'नक्श-ओ-निगार-ए-बारादरी 'थीम (Theme) के अनुसार इन वास्तुकला के चमत्कारों की भव्यता का
जश्न मनाते हुए, सनटकड़ा महोत्सव के आयोजकों ने शहर में बारादरियों का दौरा किया। सर्वप्रथम बनारसी बाग (लखनऊ
चिड़ियाघर) में बारादरी का दौरा किया गया, उसके बाद लाल बारादरी (ललित कला अकादमी), सफेद बारादरी, बादशाह बाग़
में लाल बरादरी और ठाकुरगंज में बाग़ बाबा हजारा में बारादरी का भी दौरा किया गया। सभी बरादरी सुंदर हरे भरे पौधों और
फूलों से सजे हुए हैं। इन बारादरियों में अन्य नवाबी वास्तुकला की झलक भी देखने को मिलती है। एक अन्य सुरक्षित बरादरी
कैसरबाग़ में स्थित है, जिसे कसर-उल-बुका कहा जाता है। इसके अलावा चिडिय़ाघर में नाजीन वाली बारादरी बनारसी बाग़ में
स्थित है।
आगा मेहदी यह भी बताते हैं कि बारादरी को गहनों (नागीनों) से अलंकृत किया गया था जो 1857 के संघर्ष के दौरान लूटे गए
थे और संरचना की सतह पर चोंच के निशान छोड़े गए थे। यह निशान चेचक से पीड़ित व्यक्ति के चेहरे की भाँति प्रतीत होते हैं।
उनके अनुसार, बेगम हजरत महल के साथ राजकुमार बिरजिस कादर के संक्षिप्त शासनकाल के तहत, गुलाम रजा खान शीर्षक
"शराफ-उद-दौला को स्वतंत्रता सेनानियों की सेना के लिए प्रावधानों और आपूर्ति का प्रभार दिया गया था। मौलाना आगा मेहदी
केसर बाग़ में नगीन वाली बारादरी के नजमुल गनी के विवरण का खंडन करते हुए बताते हैं कि नगीन वाली बारादरी के पीछे
दस हजार रुपये की कीमत का अनाज भी जमा करके रखा गया था। लेकिन यह स्टॉक (Stock) जीत के बाद केवल अपने सैनिकों
को खिलाने के लिए ही इस्तेमाल किया जा सका। आगा मेहदी द्वारा नामित हजरत बाग़ या बनारसी बाग़ कि नगीन बारादरी
वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश राज्य के वन विभाग के नियंत्रण में है। कुछ वर्षों पहले, इसे राज्य पुरातत्व निदेशालय की देखरेख में
रखा गया था जहाँ इसकी मरम्मत आदि का कार्य कुशलतापूर्वक किया जाता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3dK9I9c
https://bit.ly/3AlI2PQ
https://bit.ly/3dRo8Vc
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ में स्थित विंगफील्ड पार्क को वहां पर मौजूद एक 'बनारस बाग या वाराणसी बाग’ के स्थान पर अवध के मुख्य आयुक्त सर चार्ल्स विंगफील्ड (1859-66) की याद में बनाया गया था। को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
2. लखनऊ बारादरी को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
3. सफ़ेद बारादरी, कैसरबाग (लखनऊ) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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