प्रारंग पर्यावरण श्रृंखला 1:जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों के प्रवासन स्वरुप में बदलाव

जलवायु और मौसम
22-08-2022 12:05 PM
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प्रारंग पर्यावरण श्रृंखला 1:जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों के प्रवासन स्वरुप में बदलाव

पृथ्वी पर जीव-जंतु और पशु-पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह सभी प्रजातियाँ अपने विशिष्ट गुणों के कारण प्रकृति की सुंदरता पर चार चांद लगाते हैं। विभिन्न तरह के पक्षियों से भरा आकाश और उनकी चहचहाट हमें मंत्रमुग्ध कर देती है। बदलते मौसम और भोजन की तलाश में ये पक्षी एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते हैं। आकाश में उड़ते पक्षी देखने में भले ही स्वतंत्र जान पड़ते हों किंतु इन्हें भी कई बड़ी-बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
आकाश में उड़ते हवाई यान और हमारे द्वारा त्योहारों पर उड़ाई जाने वाली पतंगे आदि इन पक्षियों के जीवन पर खतरा हैं। इसके अलावा मनुष्य द्वारा आकाश में की गई प्रत्येक गतिविधि का असर इन पक्षियों के जीवन पर पड़ता है। यह तो केवल एक ही संकट मात्र है। बड़ी समस्याओं की बात करें तो बदलते मौसम, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) और लगातार बढ़ता प्रदूषण पक्षियों की प्रजाति को विलुप्ति की कगार पर पहुँचा रहा है। गर्मियों के मौसम में और भोजन के स्रोतों में कमी के चलते सभी पक्षी ठंडे इलाकों की ओर प्रवास करते हैं। हालांकि कई वर्षों से, जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों के प्रवास के स्वरुप में बदलाव दर्ज किया गया है। वर्ष 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार रिचर्ड के पिपिट्स (एंथस रिचारडी) (Richard's pipits (Anthus richardi)) जो पक्षी आमतौर पर साइबेरिया में और दक्षिणी एशिया में सर्दियों में प्रजनन करता है वह पूर्व से पश्चिम की ओर पलायन कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ ट्रांस-सहारन प्रवासी पक्षी अफ्रीका में अपने शीतकालीन रिट्रीट में कम समय बिता रहे हैं और यूरोप में अपने प्रजनन के मैदान में अधिक समय बिता रहे हैं। यदि इन पक्षियों के प्रवास के पैटर्न में ऐसा ही बदलाव रहा और वे साल भर यूरोप के क्षेत्रों में भोजन प्राप्त करते रहेंगे तो इन पक्षियों को अफ्रीका में अत्यधिक सर्दी का इंतजार नहीं रहेगा। ऐसे में निवासी पक्षियों और प्रवासी पक्षियों के बीच भोजन के लिए प्रतिस्पर्धा होना निश्चित है। 
कुछ प्रवासी पक्षी जलवायु में परिवर्तन के अनुकूल होने में सक्षम होते हैं उदाहरण के लिए पीले-भूरे रंग के वार्बलर (फिलोस्कोपस इनोर्नेटस) (Phylloscopus inornatus) और साइबेरियन शिफचाफ (फिलोस्कोपस कोलीबिटा ट्रिस्टिस) (Siberian chiffchaff (Phylloscopus collybita tristis)) जैसे अन्य पक्षियों को भी पश्चिम से यूरोप की ओर पलायन करते देखा गया है। बहुत से पक्षी अधिक संसाधनों और गर्म जलवायु के लिए अफ्रीका में प्रवास करने के बजाय अपने गर्मियों के स्थानों में अधिक समय तक रह रहे हैं क्योंकि उनके गर्मियों के स्थानों में लंबे समय तक और प्रचुर मात्रा में वनस्पति उपलब्ध होती है। इन पक्षियों में मुख्यतः यूरोपीय प्रवासी पक्षी - जैसे विलो वार्बलर (Willow Warbler), गार्डन वार्बलर (Garden Warbler), और नाइटिंगेल (Nightingale) आदि शामिल हैं। कई प्रवासी पक्षी जलवायु परिवर्तन के प्रति अति संवेदनशील होते हैं। भोजन की उपलब्धता, बढ़ते तापमान और चरम मौसम की स्थिति में पक्षियों के प्रवास के पैटर्न में परिवर्तन होता रहता है। एक स्थान से दूसरे स्थान में लंबी दूरी तय करने वाले पक्षियों पर पर्यावरण परिवर्तन का अधिक प्रभाव पड़ता है। उन्हें लगातार बदलते मौसम के साथ समायोजन करना पड़ता है। लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत सी भूमि का मरुस्थलीकरण होता है। जिस कारण पक्षियों की बहुत सी प्रजातियाँ गायब होने की कगार पर हैं।
इसके अलावा बहुत से स्थल जहां पक्षी लंबी यात्रा करके भोजन और आराम की तलाश में प्रवास करते थे। जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्रों के जलस्तर में वृद्धि के चलते यह आवास जलमग्न हो जाते हैं। इसके अलावा कृषि के लिए भूमि की बढ़ती मांग भूमि क्षरण को बढ़ावा देती है। जिससे सूखे क्षेत्रों का विस्तार होता है। जो रेगिस्तानी क्षेत्रों को उत्पन्न करता है।
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण कई पक्षी अपनी यात्रा को कम कर देते हैं या तो रद्द कर देते हैं। पक्षियों के प्रवास के पैटर्न में परिवर्तन का यह भी एक कारण होता है। उदाहरण के लिए पक्षियों की कुछ छोटी प्रजातियाँ अफ्रीका, फ्रांस और स्पेन की बजाय इंग्लैंड में रहकर प्रजनन करना पसंद करती हैं। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों के भोजन जो वनस्पति और कीड़े खाते हैं, में भी कमी आती जा रही है।
लगभग 29 देशों के पक्षी हर साल भारत के लिए उड़ान भरते हैं। भारत सरकार के अनुसार 2019 तक पक्षियों की 1,349 प्रजातियाँ दर्ज की गई है जिनमें से 212 प्रजातियाँ विश्व स्तर पर खतरे की कगार पर हैं। दुनिया के कई हिस्सों में पक्षियों के अंडों का अवैध शिकार किया जाता है। इस प्रकार की मानव गतिविधियां पक्षियों की प्रजातियों के विनाश का कारण बनती हैं। कई बार एक साथी पक्षी की मृत्यु हो जाने से साथ ही दूसरा साथी पक्षी भी प्राण त्याग देता है।इसके अलावा भोजन के अभाव में भी कई पक्षी और उनका पूरा परिवार खत्म हो जाता है। जंगली आवासों और जल निकायों में कमी इत्यादि वे सारी परिस्थितियां हैं जो पक्षियों के अस्तित्व के लिए एक चिंता का विषय है। हालांकि जलवायु परिवर्तन को पूरी तरीके से रोका नहीं जा सकता है परंतु हम मनुष्य मिलकर इसके मुख्य कारकों को कम करने का प्रयास कर सकते हैं। ऊर्जा के स्रोतों का कम से कम इस्तेमाल, प्रदूषण को कम करना, जनसंख्या नियंत्रण और संसाधनों का सीमित उपयोग पर्यावरण की स्थिति में सुधार कर सकता है। आम जनता को और खासकर विद्यार्थियों को पक्षियों और उनके महत्व के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है। विलुप्त होती प्रजातियों के संरक्षण के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। ड्रोन (Drone) जैसी आधुनिक तकनीकों के उपयोग को भी सीमित करने की आवश्यकता है जो पक्षियों को नुकसान पहुंचाते हैं। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए और प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक निर्णय और कानून बनाने की आवश्यकता है। 

संदर्भ:
https://bit.ly/3PKvWWd
https://bit.ly/3c1SIed
https://bit.ly/3QRQJYM
https://bit.ly/3QDiQeE

चित्र संदर्भ
1. चिड़ियों के पलायन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. निरंतर बढ़ते वैश्विक औसत तापमान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. बखीरा में प्रवासी पक्षीयो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्रवासी पक्षी फ्लेमिंगो को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)