लखनऊ देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रदेश की राजधानी है यहाँ पर यदि देखा जाये तो किसी प्रकार का कोई खनिज़ नही पाया जाता है। बड़ी इमारतों व भवनों को बनाने के लिये यहाँ पर विभिन्न खनिज़ों को देश के अलग-अलग स्थानों से मंगाया जाता है। लखनऊ में यदि खानों की बात की जाये तो यहाँ की नदियों में विभिन्न स्थानों पर उत्खनन किया जाता है जिससे बालू निकाला जाता है। किसी भी स्थान के निर्माण में खनिजों का प्रमुख योगदान होता है। यदि लखनऊ में देखा जाये तो शुरुआती दौर में यहाँ पर पत्थरों आदि का प्रयोग ज्यादा मात्रा में नही किया गया था। ज्यादातर निर्माण का कार्य इंट के प्रयोग से किया गया है रूमी दरवाजे से लेकर इमामबाड़ा तक यह देखा जा सकता है। प्रस्तुत चित्र रेजीडेंसी का है जो इंट के प्रयोग को प्रदर्शित कर रहा है। कालांतर में यातायात की उपलब्धता के बाद से यहाँ पर बड़ी संख्या में पत्थरों व अन्य खनिजों का प्रयोग होने लगा। यहाँ कि कुल जमीन करीब 2528 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 13082 हेक्टेयर में जंगल फैला हुआ है जो यहाँ कि प्रकृति को संतुलित रखने मे योगदान देता है। 101913 हेक्टेयर कि जमीन यहाँ पर मानव बसाव व कल-कारखानो हेतु प्रयोग मे लायी गयी है तथा यहाँ पर खेती हेतु कुल 136601 हेक्टेयर की जमीन उपस्थित है। 1. सी डैप लखनऊ 2. डी.आई.पी.एस. लखनऊ
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