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कैसे स्वचालित ट्रैफिक लाइट लखनऊ को पैदल यात्रियों के अनुकूल व् आज की तेज़ गति की सडकों को सुरक्षित बनाती

लखनऊ

 05-08-2022 11:23 AM
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

स्कूल में हम सभी ने लाल हरी और पीली लाइट के बारे में पढ़ा है, लेकिन हमें ये नहीं बताया गया था की इसकी शुरुआत कहां से हुई, शायद इसकी शुरुआत के बारे में कम ही लोगों को जानकारी होगी। यह जानना दिलचस्प होगा कि इसकी शुरूआत कब हुई। दरअसल पहली इलैक्ट्रिक ट्रैफिक लाइट 1914 में पांच अगस्त के ही दिन अमेरिका (USA) के क्लीवलैंड (Cleveland) में यूक्लिड एवेन्यू (Euclid Avenue) में लगाई गई थी। आज 5 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय ट्रैफिक लाइट दिवस (International Traffic Light Day) के रूप में जाना जाता है, जो हर साल जेम्स हॉग (James Hogg) द्वारा डिजाइन किए गए और 1918 में पेटेंट (patented) कराए गए दुनिया के पहले ट्रैफिक सिग्नल की वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है।
दुनिया के पहले ट्रैफिक सिग्नल को लेकर कई दावे हैं। गैस से चलने वाली पहली रेड लाइट, साल 1868 में लंदन में लगाई गई थी। लेकिन ये सुरक्षित नहीं थी। दुर्भाग्य से, इसकी स्थापना के एक महीने के भीतर ही इसमें गैस रिसने की वजह से धमाका हो जाता था। 1910 में पहली स्वचालित यातायात नियंत्रण प्रणाली या स्वचालित ट्रैफिक लाइट बनाई गई थी। यह आज की ट्रैफिक लाइट की तरह लाल या हरा प्रकाश नहीं करती थी, इनमें रोकें और आगे बढ़ें संकेत प्रदर्शित होते थे। साल्ट लेक सिटी (Salt Lake City) में एक पोल पर लकड़ी के बक्से पर लाल और हरी बत्ती के साथ एक ट्रैफिक लाइट 1912 में स्थापित की गई थी। इस सिग्नल में दो लैंप थे, एक लाल और एक हरा, और इन्हें एक बड़े लकड़ी के बक्से में स्थापित किया गया था जिसमें प्रत्येक तरफ दो छः इंच के छेद थे। यह एक गश्ती दल द्वारा संचालित किया गया था जिसने प्रकाश के रंगों को बदलने के लिए दो तरह के स्विच का उपयोग किया था। 1920 के दशक में मिशिगन (Michigan) के डेट्रायट (Detroit) के एक पुलिस अधिकारी विलियम पॉट्स (William Potts) ने चार- तरफा इस्तेमाल होने वाले तीन-रंग की ट्रैफिक लाइट का आविष्कार किया था। 1923 में, गैरेट मॉर्गन (Garrett Morgan) ने टी-आकार के ट्रैफिक सिग्नल का आविष्कार किया, उन्होंने इसका पेटेंट कराया और बाद में इसे जनरल इलेक्ट्रिक (General Electric) को बेच दिया।
इन विवादों के बीच 5 अगस्त दुनिया में पहले ट्रैफिक सिग्नल का आधिकारिक दिन बना रहा। ट्रैफिक लाइट समय-समय पर बेहतर होती जा रही है। जब ये इलेक्ट्रिक ट्रैफिक सिग्नल शुरु किए गए थे, तब सिर्फ दो ही लाइटें थी हरी और लाल । हालांकि तब आज की तरह ऑटोमेटिक (automatic) ट्रैफिक सिग्नल नहीं थे बल्कि ये मैनुअली ऑपरेट होते थे। धीरे-धीरे इन ट्रैफिक सिग्नल को तकनीक के सहारे और विकसित किया गया। 1950 के दशक में कंप्यूटर ने उन्हें नियंत्रित करना शुरू किया। आज ये ट्रैफिक सिग्नल पूरी दुनिया में ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। लखनऊ जैसे शहरों में यातायात की समस्या काफी गंभीर है। सड़कें वाहनों से भरी हुई हैं, जिसका अर्थ है कि शहर की अधिकांश सड़कें पैदल चलने वालों के अनुकूल नहीं हैं। सड़कें ज्यादातर वाहनों से भरी रहती हैं जो एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे रहते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि शहर में यातायात अधिक अनुकूल और पैदल चलने वालों के लिए उपयुक्त हो, लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) ने 15 पेलिकन क्रॉसिंग (Pelican Crossings) को चौराहों पर शुरू करने का निर्णय लिया है जहां पैदल चलने वालों के द्वारा ट्रैफिक लाइट का संचालन किया जा सकता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया (Times of India) की रिपोर्ट के मुताबिक, ये 15 पेलिकन क्रॉसिंग गोमती नगर, इंदिरा नगर, विकास नगर और जानकीपुरम सहित शहर के विभिन्न इलाकों में लगाए जाएंगे। पेलिकन क्रॉसिंग स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Smart City Project) के तहत इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस (Integrated Traffic Management System (ITMS) का हिस्सा होगा। इन क्रॉसिंग का उपयोग पुने, बैंगलोर तथा यूरोप और अमेरिका के कई शहरों सहित दुनिया भर के शहरों द्वारा सफलतापूर्वक किया जा रहा है। प्रत्येक क्रॉसिंग में सामान्य ट्रैफिक लाइट के साथ एक पोल होगा, यदि पैदल यात्री आने वाले वाहन को रोकना चाहते हैं, तो वे बटन दबा सकते हैं और सिग्नल लाल हो जाएगा। फिर वे, सड़क पार कर सकते हैं और दूसरी तरफ जाकर अंत में बटन को एक बार फिर से दबा कर सिग्नल को हरा करके वाहनों के यातायात को फिर से शुरू कर सकते हैं। लखनऊ नगर निगम का यह लक्ष्य शहर को और अधिक पैदल यात्रियों के अनुकूल बनाना है और यह इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
साथ ही साथ स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत, शहर में स्वचालित ट्रैफिक लाइट और सीसीटीवी (CCTV) के साथ एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली (आईटीएमएस) की व्यवस्था भी की जा रही है। शहर के एक ट्रैफिक पुलिस वाले का कहना है, “क्रॉसिंग पर ट्रैफिक मैनेज करना बहुत थका देने वाला काम था, लेकिन अब चीजें बेहतर होती जा रही हैं, पहले लोगों का केवल विशेष ट्रैफिक चेकिंग के तहत चालान किया जाता था, लेकिन इन स्वचालित ट्रैफिक लाइट और सीसीटीवी के साथ, लोगों ने यातायात नियमों का पालन करना शुरू कर दिया है और लखनऊ ट्रैफिक पुलिस द्वारा शुरू की गई ई-चालान प्रणाली के कारण उन्हें नियम तोड़ने के लिए भारी जुर्माना भरना पड़ता है जिस वजह से भी लोगों ने यातायात नियमों का पालन करना शुरू कर दिया है।“ लखनऊ में ट्रैफिक पुलिस द्वारा अपनाई गई स्मार्ट पुलिसिंग प्रणाली के साथ, शहर के 155 बड़े और छोटे चौराहों को स्वचालित ट्रैफिक लाइट और सीसीटीवी से लैस किया गया है। इनमें से शहर के लगभग 20 प्रमुख क्रॉसिंग में अब सीसीटीवी कैमरे हैं जबकि 10 में गति उल्लंघन का पता लगाने वाले उपकरण भी हैं। लेकिन अभी तक केवल 30 प्रतिशत शहर को इस प्रणाली से कवर लिया गया हैं। शेष 70 प्रतिशत क्षेत्र को कवर करने की परियोजना अभी भी जारी है। ये सीसीटीवी कैमरे यातायात उल्लंघनकर्ताओं की छवियों को कैप्चर कर के इसे कमांड सेंटर तक पहुंचा देते है ताकि ई-चालान जारी किया जा सके।
ये कैमरे सिग्नल तोड़ना, बिना हेलमेट के सवारी करना, दो पहिया वाहनों में ट्रिपलसवारी आदि जैसे उल्लंघनों को आसानी से कैप्चर कर देते है। कहा जा रहा है की आने वाले समय में इस व्यवथा से यातायात का सुचारू प्रबंधन सुनिश्चित होगा, सड़क दुर्घटनाओं में गिरावट आएगी लोगों में यातायात के नियमों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

संदर्भ:
https://bit.ly/3zsLqrH
https://bit.ly/3BEb0fQ
https://bit.ly/3vFvDEC
https://bit.ly/3zzi6Qa

चित्र संदर्भ
1. लखनऊ हजरतगंज के बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
2. दुनिया के पहले ट्रैफिक सिग्नल का पेटेंट कराने वाले जेम्स हॉग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. Euless में पहले ट्रैफिक सिग्नल को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. लखनऊ की एक गली को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
5. व्यस्त यातायात में ट्रैफिक लाइट को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
6. उलटी गिनती के साथ पैदल यात्री संकेत को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



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