देश की अर्थव्यवस्था व रोजगार के दृष्टिकोण से पशुओ का एक अहम योगदान है। श्वेत क्रांति के बाद देश मे एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ था। श्वेत क्रांति का श्रेय डॉ. वर्गीस कुरियन को जाता है। जिन्होंने अमूल के जरिये देश में दुग्ध व्यापार एवं उत्पाद को ऊपर पहुँचाया। यदि लखनऊ की बात की जाये तो यहाँ पर मवेशियों कि संख्या करीब 5 लाख है जिसमे 2 लाख 70 हजार गायें और करीब 2 लाख 74 हजार भैसे हैं, जो कि यहाँ की डेरी को प्रफुल्लित करती हैं। यहाँ पर प्रतिवर्ष 1097000 मिट्रिक टन दूध का उत्पादन किया जाता है। भारत में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएँ हैं, क्योंकि यह बड़े स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था में भागीदारी करता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो बहुत से अशिक्षित लोगों को रोज़गार प्रदान करता है। इसने ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के उन्मूलन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि सूखे के दौरान प्रभावित परिवारों की आय का मुख्य स्रोत दुग्ध उत्पादन ही रहता है। 1. सी डैप लखनऊ
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