प्रसिद्ध हिंदी कवि, रामधारी सिंह "दिनकर" द्वारा वर्षों पहले लिखी एक कविता की पंक्तियां "जब नाश
मनुज (मनुष्य) पर छाता है, पहले विवेक (बुद्धि) मर जाता है" आज के भू-राजनीति (geopolitics)
परिदृश्य पर एकदम सटीक बैठती हैं! ऐसा इसलिए हैं, क्योंकि की जहां एक ओर, पूरी दुनिया धरती पर
कोरोना, प्लेग, और मंकी पॉक्स (Monkey pox) जैसी गंभीर बीमारियों से नहीं उबर पा रही है, वही दुनिया
के तथाकथित शक्तिशाली देश, अंतरिक्ष से धरती पर मार करने वाले हथियारों और एंटी-सैटेलाइट
हथियारों (anti-satellite weapons) का तेजी से विकास कर रहे हैं! जो की भविष्य के सभी अंतरिक्ष
अन्वेषणों (space exploration) सहित पूरी दुनिया को भारी खतरे में डाल रहा है!
हाल ही में रूस ने एक एंटी-सैटेलाइट परीक्षण शुरू किया, जिसने उसके अपने ही पुराने उपग्रहों में से एक को
नष्ट कर दिया। उपग्रह टूट गया और कक्षा में हजारों मलबे के टुकड़े फ़ैल गए, जिनका आकार छोटे-छोटे
धब्बों से लेकर कुछ फीट के टुकड़ों तक विशाल था। यह अंतरिक्ष कबाड़ (space junk) वर्षों तक कक्षा में
रहेगा, और संभावित रूप से अन्य उपग्रहों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International
Space Station) से भी टकराएगा।)
एंटी-सैटेलाइट हथियार क्या होता है?
एंटी-सैटेलाइट हथियार, जिसे आमतौर पर ASAT के रूप में जाना जाता है, एक ऐसा हथियार होता है जो
एक परिक्रमा उपग्रह (orbiting satellite) को अस्थायी रूप से खराब या स्थायी रूप से नष्ट कर सकता है।
रूस ने अभी जो परीक्षण किया है, उसे प्रत्यक्ष चढ़ाई गतिज विरोधी उपग्रह हथियार (direct climb
kinetic anti-satellite weapon) के रूप में जाना जाता है। ये आमतौर पर जमीन से या हवाई जहाज से
प्रक्षेपित होते हैं. और तेज गति से उपग्रहों को चलाकर नष्ट कर देते हैं।
एक समान हथियार प्रकार, जिसे सह-कक्षीय एंटी-सैटेलाइट हथियार (co-orbital anti-satellite
weapon) कहा जाता है, को पहले कक्षा में लॉन्च किया जाता है और फिर अंतरिक्ष से लक्षित उपग्रह से
टकराने के लिए दिशा बदल दी जाती है। एक तीसरे प्रकार, गैर-गतिज विरोधी उपग्रह हथियार (non-
kinetic anti-satellite weapons), उपग्रहों से भौतिक रूप से टकराए बिना उन्हें बाधित करने के लिए
लेजर जैसी तकनीक का उपयोग करते हैं। कई अंतरिक्ष एजेंसियां (space agencies) 1960 के दशक
से एंटी-सैटेलाइट हथियारों का विकास और परीक्षण कर रही हैं। आज तक, अमेरिका., रूस, चीन और भारत,
कक्षा में उपग्रहों पर हमला करने की क्षमता का प्रदर्शन कर चुके हैं, जो जीपीएस, संचार और मौसम
पूर्वानुमान जैसी सेवाओं का भी समर्थन करते हैं।)
अंतरिक्ष में मलबे के बड़े टुकड़ों को ट्रैक करना और टालना आसान होता है, लेकिन 4 इंच (10 सेंटीमीटर) से
छोटे टुकड़ों को ट्रैक करना मुश्किल होता है, जबकि छोटा मलबा भी एक बड़ा खतरा बन सकता है। अंतरिक्ष
का मलबा पृथ्वी के चारों ओर 17,000 मील प्रति घंटे से अधिक तेजी से यात्रा कर रहा होता है। उस गति से,
मलबे के टुकड़े, किसी भी अंतरिक्ष यान या उपग्रह से टकराकर उसे नष्ट कर सकते हैं। 1980 के दशक में,
एक संदिग्ध मलबे के कारण एक सोवियत उपग्रह (Soviet satellite) टूट गया। इससे भी ज्यादा
चिंताजनक बात यह है कि, इस मलबे से कई चालित अंतरिक्ष मिशनों को खतरा है। जुलाई 2021 में,
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के रोबोटिक हथियारों में से एक को मलबे के एक टुकड़े ने मार गिराया था,
फिर भी अधिकारियों ने इसे एक भाग्यशाली घटना के रूप में वर्णित किया, क्यों की अगर यह स्टेशन के
एक अलग हिस्से को मारा होता, तो स्थिति बहुत खराब हो सकती थी।
अंतरिक्ष का मलबा पृथ्वी पर लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण खतरा है। दरसल सेटेलाइट में लगे जीपीएस,
संचार और मौसम डेटा के माध्यम से उपग्रह, वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि
इन सभी सेवाओं को बाधित किया गया, तो दुनिया को भारी आर्थिक लागत की हानि होगी। एक अध्ययन
में पाया गया कि एक जीपीएस आउटेज (GPS outage) से यू.एस. को एक दिन में $ 1 बिलियन तक खर्च
हो सकता है।)
विशेषज्ञ मान रहे हैं की युद्ध के बीच रूस कथित तौर पर, जीपीएस उपग्रहों को जाम कर रहा है और
अंतरिक्ष यान से रेडियो संचार में हस्तक्षेप कर रहा है, जिससे अमेरिकी सेना और अन्य नेविगेशन उपकरण
(navigation equipment) बाधित हो रहे हैं। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज और सिक्योर
वर्ल्ड फाउंडेशन (Center for Strategic and International Studies and Secure World
Foundation) के विश्लेषकों के अनुसार, इस तरह के इलेक्ट्रॉनिक हथियार, जिन्हें उपग्रहों और जमीन परउपग्रह से संबंधित बुनियादी ढांचे के खिलाफ प्रभावी ढंग से तैनात किया जा सकता है, दुनिया भर में फैल
रहे हैं।
काउंटर-स्पेस वर्ल्ड (counter-space world) अब बड़े सैन्य अंतरिक्ष अभिनेताओं- अमेरिका, चीन, रूस,
भारत, ईरान और जापान जैसी अंतरिक्ष शक्तियों तक फैली हुई है। शोधकर्ताओं का तर्क है कि ऑस्ट्रेलिया,
दक्षिण कोरिया और यूनाइटेड किंगडम (Australia, South Korea and the United Kingdom) को भी
उभरती हुई अंतरिक्ष शक्तियां माना जाना चाहिए। कई राष्ट्र इलेक्ट्रॉनिक और साइबर हथियारों
(electronic and cyber weapons) में अपने निवेश और उपयोग में वृद्धि कर रहे हैं। इन तकनीकों में
अपलिंक और डाउनलिंक (uplink and downlink) को जाम करने, नकली सिग्नल से उपग्रहों को धोखा
देने, डेटा को इंटरसेप्ट (intercept) करने या यहां तक कि एक उपग्रह को हैक करने और उस पर
नियंत्रण हासिल करने की क्षमता शामिल है।)
पिछले जुलाई में, चीन ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम एक हाइपरसोनिक मिसाइल (hypersonic
missile) का परीक्षण-लॉन्च किया, जिसने कम ऊंचाई पर ग्लाइडिंग (gliding) से पहले कम से कम
आंशिक कक्षा (partial class) बनाई। यह तकनीकी रूप से एक अंतरिक्ष या काउंटर-स्पेस हथियार
(counter-space weapon) नहीं है। लेकिन इसने 1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि (outer space treaty)
से संबंधित सवाल उठाए, जो अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाती है।
चारों ओर अंतरिक्ष महाशक्तियों को देख, भारत ने भी घोषणा की है कि वह बाहरी अंतरिक्ष में युद्ध के लिए
नई हथियार प्रणालियां विकसित करेगा। बिजनेस स्टैंडर्ड (business standard) के अनुसार, सरकार ने
रक्षा अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (Defense Space Research Agency) नामक एक हथियार अनुसंधान
एजेंसी शुरू करने की योजना को मंजूरी दी, जिससे अंतरिक्ष में भारत के सैन्य हितों को स्थापित किया जा
सके।)
भारत सरकार के लिए अंतरिक्ष हथियार बनाने वाले वैज्ञानिक और इंजीनियर औपचारिक रूप से रक्षा
अंतरिक्ष एजेंसी को रिपोर्ट करेंगे, जो भविष्य के किसी भी अंतरिक्ष युद्ध से लड़ने के लिए स्थापित एक
अलग सैन्य एजेंसी है। मिसाइल परीक्षण शत्रुतापूर्ण देशों के खिलाफ एक निवारक के रूप में कार्य करता है
जो इसके उपग्रहों को लक्षित करने पर विचार कर सकते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3NInK8g
https://bit.ly/3wWFpCk
https://bit.ly/3lSPA5C
https://bit.ly/3xeo203
चित्र संदर्भ
1. अंतरिक्ष में यंत्रों को इनस्टॉल करते अंतरिक्ष यात्रियों को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
2. एंटी-सैटेलाइट मिसाइल को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
3. अयूएसएसआर द्वारा अंतरिक्ष में उपग्रहों पर हमला करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने के बाद अमेरिकी वायु सेना ने दुश्मन के उपग्रहों को नष्ट करने के लिए एयर-लॉन्च एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (एएसएटी) को विकसित करना शुरू किया था। दो चरणों वाली इस मिसाइल के सिरे पर एक मिनिएचर होमिंग व्हीकल (MHV) था। ASAT की अधिकतम अवरोधन ऊंचाई कम से कम 560 किलोमीटर (350 मील) थी। बोइंग ने इस गैर-उड़ान वाले ASAT को बनाया, और अमेरिकी वायु सेना ने इसे 1990 में NASM में स्थानांतरित कर दिया। जिसकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. गैर-गतिज विरोधी उपग्रह हथियार (non- kinetic anti-satellite weapons), उपग्रहों से भौतिक रूप से टकराए बिना उन्हें बाधित करने के लिए
लेजर जैसी तकनीक का उपयोग करते हैं। जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. संचार उपग्रह को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
6. इसरो मॉडल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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