पिट्टा (Pitta), भारतीय उपमहाद्वीप और एशिया (Asia) में पाया जाने वाला एक राहगीर पक्षी हैं,
जो भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है। भारतीय पिट्टा, एक रंगीन ठूंठदार पूंछ वाला पक्षी है,
जिसे "नवरंग", "नौरंग" या "नौ रंग का पक्षी" के रूप में भी जाना जाता है। ये ज्यादातर झाड़ीदार,
पर्णपाती और घने सदाबहार जंगलों में रहते हैं, इनकी कुछ प्रजातियाँ प्रवासी होती हैं। भारतीय पिट्टा
मुख्य रूप से हिमालय की तलहटी में उत्तरी पाकिस्तान में मारगल्ला पहाड़ियों से नेपाल तथा पूर्व में
सिक्किम तक और मध्य भारत की पहाड़ियों तथा दक्षिण में कर्नाटक के पश्चिमी घाट में प्रजनन
करते हैं। यह सर्दियों में प्रायद्वीपीय भारत और श्रीलंका के अन्य हिस्सों में पलायन करते हैं, कुछ
थके हुए पक्षी कभी-कभी मानव बस्तियों में भी आ जाते हैं। ये आमतौर पर शर्मीले होते हैं और छोटे
से जंगलों या झाड़-झंखाड़ में छिपे होते हैं, जहां ये खाने के लिए जंगल की भूमि पर कीड़ों को चुनते
हैं।
जब पिट्टा उड़ान में होते हैं तो इनके रंग सबसे अधिक आकर्षक लगते हैं। इनमें लंबे, मजबूत
पैर, छोटी सी पूंछ और एक मोटी चोंच होती है, जिसमें एक रंगीन पट्टी के साथ एक विशाल मुकुट,
काली कोरोनल धारियां, एक मोटी काली आंख की पट्टी और वेंट पर चमकदार लाल रंग के साथ
रंगीन ऊपरी भाग तथा सफेद गला और गर्दन होती है। इनका ऊपरी हिस्सा हरे रंग का होता है,
जिसमें नीले रंग के धब्बे बने होते हैं, नीचे के हिस्से रंगीन और निचला पेट चमकदार लाल रंग का
होता है। लिंगों के आधार पर इनकी मुकुट पट्टी की चौड़ाई भिन्न भिन्न हो सकती है। यह देखने की
तुलना में अधिक बार सुनाई देते हैं, इनमें एक विशिष्ट तेज दो-नोट सीटी कॉल होती है, जो भोर
और सांझ को सुनाई देती है। वे कभी कभी ट्रिपल नोट और सिंगल नोट आह्वान भी करते हैं।
पिट्टा प्राचीन दुनिया के कुछ सबोसाइन (suboscine) पक्षियों में से हैं। भारतीय पिट्टा एक
विशिष्ट समूह का मूल सदस्य है जिसमें कई प्राच्य प्रजातियां शामिल हैं। यह फेयरी पिट्टा (fairy
pitta), मैंग्रोव पिट्टा (mangrove pitta) और नीले पंखों वाले पिट्टा (blue-winged pitta) के
साथ एक सुपर-प्रजाति बनाता है। भारत में पिट्टा की 8 प्रजातियाँ पाई जाती हैं:
(1) भारतीय पिट्टा - नवरंग (Indian Pitta – Navrang): इसे रंगीन पक्षी के रूप में भी जाना
जाता है, इसके स्थानीय नाम उसकी कॉलिंग और रंगों पर आधारित हैं।
(2) मैंग्रोव पिट्टा (Mangrove pitta): मैंग्रोव पिट्टा भी भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व
एशिया के मूल निवासी है। यह मैंग्रोव और निपा पाम (nipa palm) के जंगलों में पाए जाते हैं। इन
रंगीन पक्षियों की श्रृंखला भारत से लेकर मलेशिया (Malaysia) और इंडोनेशिया (Indonesia) तक
है। (3) हूडेड पिट्टा (Hooded Pitta): इसकी एक विस्तृत श्रृंखला है, भारत में हूडेड पिट्टा को
देखने के लिए सबसे अच्छी जगह निकोबार द्वीप समूह है। यह हरे रंग का होता है और इसका सिर
काले रंग का होता है जिसमें भूरे रंग का शीर्ष होता है। अन्य प्रजातियों की तरह यह भी जमीन पर
चारा बनाते हैं और कीड़े और लार्वा खाते हैं।
(4) ब्लू पिट्टा (Blue Pitta): भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरपूर्वी क्षेत्रों, दक्षिणी चीन (southern
China) और इंडोचाइना (Indochina) में पाया जाने वाला ब्लू पिट्टा, एक विनीत और एकान्त
पक्षी है। यह जमीन पर कीड़ों और अन्य छोटे अकशेरुकी जीवों को खाता है और आमतौर पर नम
जंगलों में रहता है।
(5) ब्लू-नेप्ड पिट्टा (Blue-naped Pitta): यह भूटान (Bhutan), भारत, नेपाल (Nepal) और
वियतनाम (Vietnam) में पाया जाता है। भारत में ब्लू-नेप्ड पिट्टा पूर्वोत्तर भारत के बांस के जंगलों
में पाया जा सकता है। यह चमकीले रंग का पक्षी, पिट्टा की अन्य प्रजातियों की तरह ही जमीन पर
मौजूद कीड़ों और अन्य छोटे जानवरों को खाता है।
(6) ब्लू-विंगड पिट्टा (Blue-winged Pitta): यह भारत से लेकर मलेशिया तक तथा फिलीपींस
(Philippines) में पाया जाने वाला एक रंगीन पक्षी है, जो नियमित रूप से ब्रुनेई (Brunei), चीन,
भारत, थाईलैंड (Thailand) और वियतनाम में भी पाया जाता है। ये घने जंगलों की अपेक्षा नम
जंगलों, पार्क और उद्यान में रहना पसंद करते हैं और कीड़ों के साथ कठोर खोल वाले घोंघे भी खाते
हैं।
(7) फेयरी पिट्टा (Fairy Pitta): फेयरी पिट्टा भारत और इंडोचाइना में पाया जाने वाला एक छोटा
और चमकीले रंग का पक्षी है, जिसे कमजोर पक्षी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसके आहार में
मुख्य रूप से केंचुए, मकड़ी, कीड़े और घोंघे होते हैं। वनों की कटाई, जंगलों की आग, शिकार और
पिंजरे-पक्षी व्यापार जैसे विभिन्न व्यवधानों के कारण ये दुर्लभ होते जा रहे हैं और अधिकांश स्थानों
पर इनकी आबादी घट रही है।
(8) कान वाला पिट्टा (Eared Pitta): यह भारतीय उपमहाद्वीप में पक्षियों की एक नई प्रजाति है,
यह दक्षिण पूर्व एशिया (Southeast Asia) में पाई जाती है। इस प्रजाति की एक बहुत बड़ी श्रृंखला
है, लेकिन भारत, बांग्लादेश (Bangladesh) और म्यांमार (Myanmar) के अधिकांश इलाकों में
यह बहुत दुर्लभ होते जा रहे हैं।
भारतीय पिट्टा पक्षी एक दुर्लभ प्रजाति है, लेकिन इसे लखनऊ शहर में कई बार देखा गया है।
संगीत, संस्कृति और खान-पान के अलावा नवाबों के इस शहर में पक्षियों का घर भी है।
प्रकृतिवादियों और पक्षी देखने वालों ने यहां कम से कम 360 प्रकार के पक्षियों को देखा और
सूचीबद्ध किया है। सर्दियों के आगमन पर ये नज़ारे बढ़ने लगते हैं, क्योंकि कई दुर्लभ प्रवासी पक्षी
भी सर्दियों के मौसम में लखनऊ को अपना घर बनाते हैं। पक्षी देखने वालों का कहना है कि भारतीय
पिट्टा, ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र से आने वाली प्रवासी बतख, रड्डी शेल्डक (ruddy shelduck), ब्लैक
हुडेड ओरिओल (black hooded oriole) और उत्तरी साइबेरिया (northern Siberia) से प्रवासी
पक्षी उत्तरी पिंटेल (northern pintail) कुछ और दुर्लभ पक्षी हैं जिन्हें यहां देखा गया है। पक्षियों के
मामले में लखनऊ की समृद्धि को देखते हुए, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural
History Society) के पूर्व निदेशक और पक्षी निरीक्षक असद आर रहमानी ने बताया कि: "लखनऊ
में पक्षियों द्वारा पसंद किए जाने वाले कई गांव हैं, जो एक पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के सबसे
आवश्यक संकेतक हैं। वे प्रकृति के स्वास्थ्य को स्थिर करने में प्रभावाशाली भूमिका निभाते हैं। उन्हें
पर्यावरण प्रणाली के जैव संकेतक के रूप में जाना जाता है।" विभिन्न शहरों के विभिन्न पक्षियों पर
सात किताबें लिखने वाले प्रकृतिवादी और आईएएस अधिकारी संजय कुमार का कहना है कि विशेष
रूप से शहरी परिदृश्य में, पक्षियों की बहुरूपता और घनत्व यह तय करता है कि कोई जगह
पर्यावरणीय दृष्टि से कितनी अक्षुण्ण है। कुमार ने नीरज श्रीवास्तव के साथ मिलकर लखनऊ शहर में
पाए जाने वाले 250 से अधिक प्रकार के पक्षियों की प्रजातियों पर "बर्ड्स ऑफ लखनऊ" (Birds of
Lucknow) नामक एक पुस्तक लिखी है। लखनऊ में लगभग 200 पक्षी देखने वालों के एक समूह
ने कुकरैल जंगल (Kukrail forest) को पक्षी देखने के लिए सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक माना
है। इसके अलावा आईआईएम-लखनऊ परिसर (IIM-Lucknow campus), संजय गांधी स्नातकोत्तर
आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस) परिसर (Sanjay Gandhi Postgraduate Institute
of Medical Sciences (SGPGIMS) campus), राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान
(National Botanical Research Institute), रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (Remote
Sensing Applications Centre), रेजीडेंसी कॉम्प्लेक्स (Residency complex) और लखनऊ
के आसपास छावनी और आर्द्रभूमि भी पक्षियों के अन्य गंतव्यों में शामिल हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3kFArnH
https://bit.ly/3seLEzU
https://bit.ly/3kDep4X
https://bit.ly/3seLIzE
https://bit.ly/37gcnoh
चित्र संदर्भ
1 भारतीय पिट्टा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. कडीगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, भालुका में भारतीय पिट्टाको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय पिट्टा - नवरंग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मैंग्रोव पिट्टा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. हूडेड पिट्टा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. ब्लू पिट्टा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. ब्लू-नेप्ड पिट्टा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. ब्लू-विंगड पिट्टा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. फेयरी पिट्टा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. कान वाला पिट्टा को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
11. विसेंटगेज स्प्रिंग चिड़ियाघर में बंदी के एक जोड़े ने रूडी शेल्डक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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