अभी से हो गई इतनी गर्मी, क्या होगा प्रभाव ग्रीष्मकालीन फसलों पर?

लखनऊ

 25-04-2022 10:54 AM
भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग (global warming) का दुष्प्रभाव, आपकी त्वचा और आपकी सेहत तक ही सीमित नहीं रहने वाला है! यदि उभरती हुई इस समस्या का शीघ्र ही निस्तारण नहीं किया गया तो, इसका असर सीधे तौर पर ग्रामीण इलाकों में की जाने वाली खेती और शहरी इलाक़ों की रसोइयों में देखने को मिलेगा, जहां खेतों में न ही काटने के लिए गेहूं उपलब्ध होंगे, और न ही रसोई में रोटी पकाने के लिए आटा उपलब्ध होगा! साथ ही यह भी सुनिश्चित है की, जलवायु समस्याओं को जल्द ही दूर नहीं किया गया तो ऐसे दिन अब अधिक दूर नहीं हैं।
कृषि विशेषज्ञो द्वारा चेतावनी दी गई है कि, इस साल का गर्म मानसून भारतीय उपमहाद्वीप में असामान्य रूप से मार्च और अप्रैल में गर्मी की फसलों, 'रबी' (सर्दियों) और 'खरीफ' (मानसून) की फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है। इस साल गर्मी की फसलों को लेकर सरकार और किसान दोनों बेहद चिंतित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मियों की फसलों के लिए अधिकतम सहनीय तापमान 35 डिग्री सेल्सियस होता है, और यदि तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक पहुंच जाता है, तो इससे फसलों को भारी नुकसान पहुचेंगा। विशेषज्ञों के अनुसार गर्मियों की मुख्य फसलों में मूंग (हरा चना) और उड़द (काले चना) शामिल होते हैं। इस वर्ष चूंकि अप्रैल के पहले सप्ताह से ही तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक और शुष्क हो गया था, अतः इससे इन दलहनी फसलों के परागण में फर्क पड़ेगा। साथ ही गर्मी के कारण कई दालें फलियां भी नहीं विकसित कर पाएंगी। इस गर्मी के कारण उन किसानों को अधिक नुकसान होगा, जिन्होंने फरवरी के मध्य में आलू और सरसों की कटाई की थी, और फरवरी के अंतिम सप्ताह या मार्च के पहले सप्ताह में गर्मियों की फसल लगाई थी।
ग्रीष्मकालीन फसलों को किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत माना जाता है, क्योंकि वे रबी और खरीफ के बीच शेष मौसम में लगाई जाती हैं। भारत सरकार का लक्ष्य, गर्मियों की फसलों को बढ़ावा देकर दालों और तिलहनों के आयात को कम करना है, क्योंकि ये ऐसी फसलों का बड़ा हिस्सा हैं। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, इस साल किसानों ने 5.58 मिलियन हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन फसलें लगाई गई हैं। यह पिछले साल लगाए गए 5.64 मिलियन हेक्टेयर से थोड़ा कम है। 2018-19 में ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा 3.36 मिलियन हेक्टेयर था।
भारतीय कृषि, मौसम की अनिश्चितता के प्रति संवेदनशील बनी हुई है, और जलवायु परिवर्तन का खतरा इस भेद्यता को और अधिक बड़ा सकता है। जानकार मान रहे हैं की जलवायु परिवर्तन से कृषि आय में 15- 18% और, असिंचित क्षेत्रों (जहां सिंचाई करना संभव नहीं है!) में 20-25% तक की कमी आ सकती है। गिटारस (Guitars, 2009) के अध्ययन में पाया गया कि अत्यधिक गर्मी और अनुकूलन (adaptation) के अभाव में, फसल की पैदावार में अल्पावधि (2010-2039) के दौरान 4.5-9%, और लंबे समय में (2070- 2099) में 25% की गिरावट आ सकती हैं। इसके अलावा, बर्गेस एट अल (Burgess et al, 2014) के शोध में पाया कि एक मानक विचलन वर्ष (standard deviation year) में उच्च तापमान के दिनों में वृद्धि से, कृषि उपज और वास्तविक मजदूरी में क्रमशः 12.6% और 9.8% की कमी आती है, तथा भारत में ग्रामीण आबादी के बीच, वार्षिक मृत्यु दर 7.3% बढ़ जाती है। 1970 और 2016 के बीच औसत वार्षिक तापमान में लगभग 0.48 डिग्री की वृद्धि हुई है, और इसी बीच औसत मानसून वर्षा में 26 मिमी की गिरावट भी देखी गई है। इस दौरान तापमान चरम सीमा में लगातार वृद्धि हुई है। 'बहुत गर्म' दिनों की संख्या के साथ-साथ शुष्क दिनों (dry days) की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जो मौसम में वृद्धि की परिवर्तनशीलता की भविष्यवाणी करता है।
अध्ययनों से ज्ञात होता है की यदि किसी जिले का तापमान 10 वें डेसील (अर्थात, सबसे गर्म संभव) में था, तो सिंचित क्षेत्रों में खरीफ की पैदावार (जुलाई से अक्टूबर तक) तापमान सामान्य होने की तुलना में 3% कम होगी। असिंचित क्षेत्रों के लिए यह संख्या बढ़कर 10% हो जाती है। इसी तरह, यदि वर्षा 1 दशमक (अर्थात, सबसे शुष्क) में होती है, तो खरीफ सिंचित क्षेत्रों में पैदावार सामान्य वर्षा की तुलना में 13% कम होगी, और असिंचित क्षेत्रों के लिए यह संख्या बढ़कर 18% हो जाती है।
अंतर-सरकारी पैनल (Inter-Governmental Panel (IPCC) ने जलवायु परिवर्तन पर भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि, 21 वीं सदी के अंत तक भारत में तापमान में 3-4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है। इन भविष्यवाणियों का सीधा अर्थ यह है कि, इस सदी के अंत तक किसानों द्वारा किसी भी अनुकूलन के अभाव में, फसल तकनीक में बदलाव या सिंचाई में विस्तार के कारण कृषि आय में औसतन 12% और असिंचित क्षेत्रों में 18% तक की गिरावट होगी। बैक-ऑफ-द-एनवलप गणना (Back-of-the-envelope calculations) से पता चलता है कि, जलवायु परिवर्तन कृषि आय को औसतन 15-18% और असिंचित क्षेत्रों में 20-25% तक कम कर सकता है। हालाँकि इससे बचने के भी कुछ उपाय हैं जैसे: सबसे पहले, सिंचाई के प्रसार की तत्काल आवश्यकता है। पिछले कुछ दशकों के दौरान खेती में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन सिंचाई योग्य भूमि का अनुपात आज भी 50% से कम है। यहां केंद्रीय चुनौती यह भी है कि, सिंचाई के इस प्रसार को घटते भूजल के साथ संघर्ष करना पड़ रहा है। एक अन्य उपाय के तौर पर फसल की किस्मों और फसल तकनीकों को विकसित करने के लिए कृषि प्रौद्योगिकी और अनुसंधान को आगे बढ़ाने की जरूरत है, जो मौसम की अनिश्चितताओं के प्रति अधिक लचीला साबित हो सके।

संदर्भ

https://bit.ly/3vEZmNp
https://bit.ly/3EJ2nAj
https://bit.ly/39f0PSY

चित्र संदर्भ
1  खेतों की आग को बुझाते किसानों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. गर्मी की फसलों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारत के जलवायु क्षेत्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारत के कृषि उत्पादन के विकास को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



RECENT POST

  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन बॉलीवुड गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id