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हम अपने घरों में उन वस्तुओं को बड़ी ही देखभाल के साथ रखते हैं, जो हमें हमारे पूर्वजों के द्वारा दी गई हो, अथवा ऐसी
वस्तु जो केवल हमारे ही पास हो तथा अद्वितीय हो! इन चीजों का रखरखाव और सुरक्षा पूरी तरह से हमारी जिम्मेदारी
होती है! ठीक इसी प्रकार, राष्ट्रिय अथवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, सरकारों एवं संगठनों द्वारा भी ऐसी ही सीमित या
अद्वितीय, जगहों, संस्कृतियों तथा वस्तुओं की सुरक्षा और रखरखाव की जिम्मेदारी ली जाती है! ऐसे ही अद्वितीय
स्थानों, संस्कृतियों और स्मारकों को विश्व धरोहर या विश्व विरासत का दर्जा दिया जाता है।
वैश्विक धरोहरों तथा मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के प्रति आम जनता में जागरूकता
फ़ैलाने के लिए, प्रतिवर्ष 18 अप्रैल के दिन को विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस, (World Heritage
Day) के रूप में मनाया जाता है। विश्व के सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण के हेतु प्रतिबद्धता कायम करने
के लिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को (UNESCO) द्वारा की गई पहल के आधार पर यह अंतर्राष्ट्रीय संधि की गई!
यह संधि सन् 1972 में लागू की गई तथा इस संधि के प्रारंभ में मुख्यतः तीन श्रेणियों में धरोहर स्थलों को शामिल किया
गया।
1. पहले वह धरोहर स्थल जो प्राकृतिक रूप से संबद्ध हो अर्थात प्राकृतिक धरोहर स्थल!
2. दूसरे सांस्कृतिक धरोहर स्थल।
3. तीसरे मिश्रित धरोहर स्थल।
वर्ष 1982 में इकोमार्क (ecomark) नामक संस्था ने ट्यूनिशिया (Tunisia) में अंतर्राष्ट्रीय स्मारक और स्थल दिवस का
आयोजन किया। उसी दौरान, विश्व भर में भी इसी प्रकार के दिवस का आयोजन करने की बात उठी। अतः यूनेस्को के
महासम्मेलन के पश्चात 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाने के लिए घोषणा की गई। 1982 में, ICOMOS
ने 18 अप्रैल को स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में स्थापित किया, इसके बाद यूनेस्को ने अपने 22
वें आम सम्मेलन के दौरान इसे पहली बार अपनाया। इसका उद्देश्य मानव समाज में सांस्कृतिक विरासत की विविधता
के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना और उनकी भेद्यता और संरक्षण के लिए आवश्यक प्रयास करना है।
प्रत्येक वर्ष, इस अवसर पर, ICOMOS अपने सदस्यों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समितियों, कार्यकारी समूहों
और भागीदारों, तथा (जो कोई भी इस दिवस को चिह्नित करने में शामिल होना चाहता है), द्वारा आयोजित की जाने
वाली गतिविधियों के लिए एक निश्चित विषय का प्रस्ताव रखा जाता है। विश्व विरासत दिवस 2022 की थीम "विरासत
और जलवायु" ("Heritage and Climate") रखी गई है।
2020 में, ICOMOS द्वारा सांस्कृतिक विरासत और जलवायु आपातकाल की घोषणा की गई। स्मारकों और स्थलों के
लिए 18 अप्रैल, 2022 अंतर्राष्ट्रीय दिवस, विरासत संरक्षण अनुसंधान की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियों को
प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करने के साथ ही कम कार्बन उत्सर्जन की वकालत भी करता है। यूनेस्को के विश्व
धरोहर स्थलों में सूचीबद्ध वनों (2001-2020) से उत्सर्जित और अवशोषित ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा के पहले
वैज्ञानिक आकलन में पाया गया है कि, विश्व धरोहर स्थलों में सूचीबद्ध वन जलवायु परिवर्तन को कम करने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हालांकि विश्व धरोहर संपत्तियां भी वर्तमान और भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से प्रभावित होती हैं। अतः उनके
निरंतर संरक्षण हेतु, उनके उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य को समझने और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है।
विश्व धरोहर के पर्यावरणीय लाभ, जैसे कि पानी और जलवायु विनियमन, और कार्बन जो विश्व विरासत वन स्थलों में
संग्रहित हैं। इनके माध्यम से जलवायु परिवर्तन को कम करने और अनुकूलित करने के लिए विकल्प प्रदान किये जाते
हैं। दूसरी ओर, सांस्कृतिक विरासत, पारंपरिक ज्ञान को व्यक्त कर सकती है जो आने वाले बदलाव के लिए लचीलापन
बनाते है और हमें अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाते है।
विश्व विरासत का वैश्विक नेटवर्क, मानव समाज को सांस्कृतिक विविधता, जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं
तथा दुनिया की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी
मदद करता है।
आज जलवायु परिवर्तन, विश्व धरोहर संपत्तियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण खतरों में से एक बन गया है! यह संभावित रूप
से उनके उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य को प्रभावित कर रहा है, जिसमें उनकी अखंडता और प्रामाणिकता, और स्थानीय
स्तर पर आर्थिक और सामाजिक विकास की उनकी क्षमता शामिल है।
विश्व विरासत पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुद्दा, संबंधित संगठनों और व्यक्तियों के एक समूह द्वारा 2005 में
विश्व विरासत समिति के ध्यान में उठाया गया था। इसके बाद, यूनेस्को, विश्व विरासत पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों
की खोज और प्रबंधन में सबसे आगे रहा है। 2006 में, विश्व धरोहर समिति के मार्गदर्शन में, और विश्व विरासत समिति
के सलाहकार निकायों (ICCROM, ICOMOS, IUCN) तथा विशेषज्ञों के एक व्यापक कार्य समूह के साथ, यूनेस्को ने
'जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की भविष्यवाणी और प्रबंधन' पर एक रिपोर्ट तैयार की। इसके बाद जलवायु परिवर्तन और
विश्व विरासत पर केस स्टडीज (case studies) का संकलन किया गया। इस प्रक्रिया ने 2007 में राज्यों की महासभा
द्वारा विश्व धरोहर संपत्तियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर एक नीति दस्तावेज के विश्व विरासत सम्मेलन (
"नीति दस्तावेज़" ) को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
आज लचीली विश्व धरोहर संपत्तियों के प्रबंधन के लिए आपदा जोखिम प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन शमन और सतत
विकास में योगदान करने वाली गतिविधियों के पूरक उपयुक्त अनुकूल उपायों को डिजाइन और कार्यान्वित करने की
आवश्यकता है।
संदर्भ
https://bit.ly/3uRiUis
https://bit.ly/37WvyDA
https://bit.ly/3JO0JhO
चित्र संदर्भ
1.भारत में विश्व विरासतों को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
2. विश्व विरासतों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. यूनेस्को विश्व विरासत सत्र के 40वे संस्करण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जेविश्व धरोहर स्थल हम्पी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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