Post Viewership from Post Date to 21-Apr-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
340 78 418

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

अलीगंज लखनऊ के पुराने हनुमान मंदिर से जुडी मान्यताएं

लखनऊ

 16-04-2022 08:39 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

हाल ही में नवरात्रि और रामनवमी मनाने के बाद देश में हनुमान जयंती की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यह हिंदुओं का एक लोकप्रिय त्योहार है, जो हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है और इस बार हनुमान जयंती 16 अप्रैल 2022 को मनाई जाएगी। लखनऊ के अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर में इस त्‍यौहार के अवसर पर हिन्‍दू-मुस्लिम दोनों शामिल होते हैं।हालांकि मंदिर के संस्‍थापक की स्‍पष्‍ट जानकारी तो किसी के पास मौजूद नहीं है किंतु मान्‍यता है कि इसकी स्‍थापना अवध के नवाब शुजाउद्दौला की बेगम और अवध के छठे नवाब सआदत अली खां की माता छतर कुंअर (बेगम आलिया) ने कराई थी। इसकी स्‍थापना के पीछे का एक कारण यह भी था कि सआदत अली खां मंगलवार को पैदा हुए थे, इसलिए प्यार से उन्हें मंगलू भी कहा जाता था। एक और मान्‍यता है कि एक बार बेगम के सपने में बजरंग बली आए थे और उन्‍होंने बताया बाग में उनकी मूर्ति है। इस प्रतिमा को उन्होंने पूरी श्रद्धा के साथ एक सिंहासन पर रखकर हाथी पर रखवाया ताकि बड़े इमामबाड़े के पास मंदिर बनाकर प्रतिमा की स्थापना की जा सके।किंतु हाथी जब वर्तमान अलीगंज के मंदिर के पास पहुंचा तो महावत की कोशिश के बावजूद आगे बढ़ने के बजाय वहीं बैठ गया। इस घटना को भगवान का अलौकिक संदेश समझा गया। मूर्ति की स्थापना इसी स्थान पर कर दी गयी। अत: मंदिर का निर्माण इसी स्थान पर सरकारी खजाने से कर दिया गया। यही अलीगंज का पुराना हनुमान मंदिर है। पौराणिक कथा के अनुसार हीवेट पॉलीटेक्निक (Hewett Polytechnic) के पास एक बाग होता था जिसे हनुमान बाड़ी कहते थे, क्योकि रामायण काल में जब लक्ष्मण और हनुमान जी सीता माता को वन में छोड़ने के लिए बिठूर ले जा रहे थे तो रात होने पर वह इसी स्थान पर रुक गए थे। उस दौरान हनुमान जी ने मां सीता माता की सुरक्षा की थी। बाद में इस्लामिक काल में इसका नाम बदल कर इस्लाम बाड़ी कर दिया गया था। अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर में बड़ा मंगल मनाया जाता है जिसमें बड़ा भण्‍डारा किया जाता है। इसको मनाने के पीछे अलग अलग मत हैं।एक मत के अनुसार एक बार शहर में महामारी फैल गई जिससे घबराकर काफी लोग मंदिर में आकार रहने लगे थे और बच गए थे। उस समय ज्येष्ठ का महीना था। उसी दिन से ज्येष्ठ के मंगल भंडारा उत्सव होने लगा।दूसरे मत के अनुसार एक बार यहां पर इत्र का मारवाड़ी व्यापारी जटमल आया, लेकिन उसका इत्र नहीं बिका। नवाब को जब यह पता चला तो उन्होंने पूरा इत्र खरीद लिया। इससे खुश होकर जटमल ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और चांदी का छत्र भी चढ़ाया। कुछ लोगों का मानना है कि नवाब वाजिद अली शाह के परिवार की एक महिला सदस्य की तबीयत बहुत खराब हो गई थी और मंदिर में दुआ से वह ठीक हो गईं। वह दिन मंगलवार था और ज्येष्ठ का महीना भी था। किंतु यह सभी मान्‍यता है ज्‍येष्‍ठ मंगल के पीछे की कहानी अभी भी किसी को स्‍पष्‍ट पता नहीं है। जगह-जगह भंडारे के साथ हिंदू- मुस्लिम दोनों ही शामिल होते हैं। समय के साथ सब कुछ बदलता रहा। गुड़, चना और भुना गेहूं से बनी गुड़धनियां से शुरू हुई भंडारे की परंपरा अभी भी चली आ रही है। कोरोना संक्रमण की वजह से दो साल से भंडारे समाज सेवा के रूप में तब्दील हो गए। हिंदू मुस्लिम एक साथ भंडारा करते हैं यह, यहां की अपनी तरह की इकलौती परंपरा है। ऐसी परंपरा अवध के बाहर कही नहीं मिलती। रामायण में हनुमान जी की भूमिका से तो हर कोई पर‍िचित है किंतु महाभारत में भी इनकी महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। एक बार श्री कृष्‍ण की पत्‍नी सत्‍यभामा, गरूड़ और सूदर्शन चक्र को अपनी अपनी योग्‍यता पर अभिमान हो गया और तीनों भगवान श्रीकृष्‍ण से प्रश्‍न करने लगे। सत्‍यभामा पूछती है प्रभु त्रेता युग में आपकी पत्‍नी सीता मुझ से सुंदर थी क्‍या? तो वहीं गरूड़ पूछता है कि प्रभु कोई मुझसे तीव्र गति से उड़ सकता है क्‍या? और सूदर्शन पूछता है कि क्या संसार में मुझसे भी शक्तिशाली कोई है?इनका अभिमान तोड़ने के उद्देश्‍य से श्रीकृष्‍ण ने गरूड़ से कहा कि हे गरूड़! तुम हनुमान के पास जाओ और कहना कि भगवान राम, माता सीता के साथ उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। गरूड़ भगवान की आज्ञा लेकर हनुमान को लाने चले गए।इधर श्रीकृष्ण ने सत्यभामा से कहा कि देवी, आप सीता के रूप में तैयार हो जाएं और स्वयं द्वारकाधीश ने राम का रूप धारण कर लिया।तब श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र को आज्ञा देते हुए कहा कि तुम महल के प्रवेश द्वार पर पहरा दो और ध्यान रहे कि मेरी आज्ञा के बिना महल में कोई भी प्रवेश न करने पाए। गरूड़ ने हनुमान के पास पहुंचकर कहा कि हे वानरश्रेष्ठ! भगवान राम, माता सीता के साथ द्वारका में आपसे मिलने के लिए पधारे हैं। आपको बुला लाने की आज्ञा है। आप मेरे साथ चलिए। मैं आपको अपनी पीठ पर बैठाकर शीघ्र ही वहां ले जाऊंगा। हनुमान ने विनयपूर्वक गरूड़ से कहा,आप चलिए बंधु, मैं आता हूं। गरूड़ ने सोचा, पता नहीं यह बूढ़ा वानर कब पहुंचेगा। खैर मुझे क्या कभी भी पहुंचे, मेरा कार्य तो पूरा हो गया। मैं भगवान के पास चलता हूं। यह सोचकर गरूड़ शीघ्रता से द्वारका की ओर उड़ चले।महल में पहुंचकर गरूड़ देखते हैं कि हनुमान तो उनसे पहले ही महल में प्रभु के सामने बैठे हैं। गरूड़ का सिर लज्जा से झुक गया। तभी श्रीराम के रूप में श्रीकृष्ण ने हनुमान से कहा कि पवनपुत्र तुम बिना आज्ञा के महल में कैसे प्रवेश कर गए? क्या तुम्हें किसी ने प्रवेश द्वार पर रोका नहीं? हनुमान जी ने कहा इस चक्र ने रोकने का तनिक प्रयास किया था इसलिए इसे मुंह में रख मैं आपसे मिलने आ गया। मुझे क्षमा करें। अब रानी सत्यभामा का अहंकार भंग होने की बारी थी। अंत में हनुमान ने हाथ जोड़ते हुए श्रीराम से प्रश्न किया, हे प्रभु! मैं आपको तो पहचानता हूं आप ही श्रीकृष्ण के रूप में मेरे राम हैं, लेकिन आज आपने माता सीता के स्थान पर किस दासी को इतना सम्मान दे दिया कि वह आपके साथ सिंहासन पर विराजमान है। इसके साथ ही तीनों का अहंकार टूट गया। दूसरा प्रसंग अर्जुन से जुड़ा है। आनंद रामायण में वर्णन है कि अर्जुन के रथ पर हनुमान के विराजित होने के पीछे भी कारण है। एक बार किसी रामेश्वरम् तीर्थ में अर्जुन का हनुमानजी से मिलन हो जाता है। इस पहली मुलाकात में हनुमानजी से अर्जुन ने कहा- अरे राम और रावण के युद्घ के समय तो आप थे? हनुमानजी- हां, तभी अर्जुन ने कहा- आपके स्वामी श्रीराम तो बड़े ही श्रेष्ठ धनुषधारी थे तो फिर उन्होंने समुद्र पार जाने के लिए पत्थरों का सेतु बनवाने की क्या आवश्यकता थी? यदि मैं वहां उपस्थित होता तो समुद्र पर बाणों का सेतु बना देता जिस पर चढ़कर आपका पूरा वानर दल समुद्र पार कर लेता।इस पर हनुमानजी ने कहा एक भी वानर यदिबाणों के सेतु पर चढ़ता तो वह सेतु छिन्न-भिन्न हो जाता। तभी अर्जुन ने निकट के सरोवर में बाणों का एक सेतु बनाया जो हनुमानजी के तीन पग से ही टुट गया और सरोवर में लहु फैल गया। पुल के टुटते ही अपने वचन के अनुसार अर्जुन अग्‍नी में प्रवेश की तैयारी करने लगे। तभी वहां पर भगवान विष्‍णु प्रकट हुए और उन्‍होंने बताया कि सेतु के नीचे में कछुए के रूप में मैं बैठा था हनुमान का पग पड़ते ही मेरा कवच टूट गया, इस बात पर हनुमान जी को ग्‍लानी होने लगी। तब विष्‍णु जी ने हनुमान को आदेश दिया कि वे युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ में विराजमान रहेंगे और उनकी रक्षा करेंगे।और इस प्रकार रामायण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले भगवान हनुमान महाभारत में भी उपस्थित थे। माना जाता है कि महाभारत के युद्ध में हनुमान जी ने अर्जुन की युद्ध के अंत तक रक्षा की थी।

संदर्भ:
https://bit.ly/3vjiSi8
https://bit.ly/3rPSg7J
https://bit.ly/3rwHH9d

चित्र संदर्भ
1. अलीगंज हनुमान मंदिर और प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. अलीगंज हनुमान मंदिर में प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. अलीगंज हनुमान मंदिर परिसर को दर्शाता एक चित्रण (twitter)
4. रामसेतु निर्माण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • क्या प्राचीन भारतीय ‘सिंधु लिपि’ से ही हुई है, ‘ब्राह्मी लिपि’ की उत्पत्ति?
    ध्वनि 2- भाषायें

     19-04-2024 09:45 AM


  • विश्व धरोहर दिवस पर जानें इसका महत्व व देखें लखनऊ की शान जहाज वाली कोठी व तारामंडल
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     18-04-2024 09:53 AM


  • राम नवमी विशेष: एक आदर्श के रूप में स्थापित प्रभु श्री राम अंततः कहाँ गए?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     17-04-2024 09:41 AM


  • चिकनकारी और ज़रदोज़ी कढ़ाई बनाती है, लखनऊ को पूरब का स्वर्ण
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     16-04-2024 09:43 AM


  • क्यों मनाया जाता है 'विश्व कला दिवस', जानें इतिहास और महत्‍व
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     15-04-2024 09:40 AM


  • ये है सबसे दुर्लभ और अनोखे जीव-जानवर, जो है भारत के जंगलों की शान
    शारीरिक

     14-04-2024 10:00 AM


  • अंबेडकर जयंती विशेष: भारत के सामाजिक स्तर को ऊपर उठाने में डॉ. अंबेडकर का योगदान
    सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

     13-04-2024 09:07 AM


  • दुनियाभर में सिख समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले बैसाखी पर्व का गौरवपूर्ण इतिहास
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-04-2024 09:40 AM


  • ईद की खुशियों पर चार चांद लगाती है लखनऊ के चौक और अमीनाबाद की रौनक
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     11-04-2024 09:41 AM


  • विश्व होम्योपैथी दिवस पर जानें इसका इतिहास एवं कैसे काम करती है ये चिकित्सा पद्धति
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     10-04-2024 09:50 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id