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किसी व्यक्ति में कुछ विशेष प्रकार की चारित्रिक विशेषताएं होती हैं, जिनके आधार पर समाज में उस
व्यक्ति की पहचान पृथक होती है। किन्तु सभी इंसानों में कुछ ऐसी विशेषताएं होती हैं, जो सार्वभौमिक
होती हैं! अर्थात वह दुनिया के हर इंसान को विशेष बनाती हैं। हिन्दू और सिख धर्म में इन विशेषताओं को
"गुण" की अवधारणा से संबोधित किया जाता है। गुण शब्द का कई अर्थों में व्यवहार होता है। सामान्य
बोलचाल की भाषा में वस्तु की उत्कर्षाधायक विशेषता (highlighting feature) को गुण कहा जाता हैं।
हालांकि प्रधान के विपरीत अर्थ में ('गौण' के अर्थ में) भी गुण शब्द का प्रयोग होता है।भगवद गीता में, भगवान कृष्ण अर्जुन को तीन गुणों - सत्व, रज और तम के बारे में बताते हैं।
1.सत्त्व गुण: हिन्दू दर्शन में, सत्त्व (शाब्दिक अर्थ : "अस्तित्व, वास्तविकता" ; विशेषण : सात्विक) सांख्य
दर्शन में वर्णित तीन गुणों में से एक है। सत्वगुण का अर्थ 'पवित्रता' होता है। किसी वस्तु या भोजन के
सात्विक होने के लिए, उसे पवित्र होना चाहिए। भोजन को स्वस्थ, पौष्टिक और साफ होना चाहिए। उसे
शक्ति या मन के संतुलन को कमजोर नहीं करना चाहिए। यह विचार उन कामोद्दीपक या अन्य दवाओं
और मादक द्रव्यों की अनुमति नहीं देता है, जो मन पर कामुक प्रभाव डाल सकते हैं। यह उन खाद्य या
वस्तुओं की भी अनुमति नहीं देता है, जिन्हें किसी प्राणी को मारकर या दर्द देकर प्राप्त किया जाता है। फूल,
फल और खाद्य जिन्हें भगवान को प्रसाद के रूप में चढ़ाने की अनुमति दी जाती है, को सात्विक माना जाता
है।
एक सात्विक व्यक्ति हमेशा वैश्विक कल्याण के निमित्त काम करता है। हमेशा मेहनती, सतर्क होता है, और
सादा जीवन जीता है। साथ ही वह मामूली भोजन करता है, सच बोलता है और साहसी होता है। कभी
अशिष्ट या अपमानजनक भाषा का प्रयोग नहीं करता है। प्रशंसा करता है और सटीक भाषा का प्रयोग
करता है। ईर्ष्या और लालच और स्वार्थ से प्रभावित नहीं होता। आत्मविश्वास, बहुतायत और उदारता को
महसूस करता है। किसी को धोखा नहीं देता या गुमराह नहीं करता है। अच्छी स्मृति और एकाग्रता रखता
है। इसके अलावा आध्यात्मिक ज्ञान में सुधार करने में गहरी रुचि रखता है और देवत्व की पूजा या ध्यान में
समय बिताता है। चरम अवस्था में तपस्या या निरंतर ध्यान कर सकता है।
एक सात्विक व्यक्ति को तभी पहचाना जा सकता है, जब उसके मन वाणी और कार्यों में तालमेल हो।
मनसा, वाचा, कर्मणा इस स्थिति का वर्णन करने के लिए तीन संस्कृत शब्द हैं। सत्त्व, संतुलन, सद्भाव,
अच्छाई, पवित्रता, सार्वभौमिकता, समग्र, रचनात्मक, निर्माण, सकारात्मक दृष्टिकोण, चमकदार, शांति,
अस्तित्व, शांतिपूर्ण, गुणी का गुण माना जाता है।
2. रजस् गुण: रजस मध्यम प्रकार का स्वभाव है, जिसके प्रधान होने पर व्यक्ति यथार्थ को जानता तो है,
पर लौकिक सुखों की इच्छा के कारण उपयुक्त समय उपयुक्त कार्य नहीं कर पाता है। उदाहरणार्थ किसी
व्यक्ति को पता हो कि उसके बॉस ने किसी के साथ अन्याय किया हो लेकिन अपनी पदोन्नति के लोभ में
वो उसकी आलोचना या नाख़ुशी नहीं जताता है। इमके बारे में गीता सहित कई ग्रंथों में बताया गया है।
रजस जन्मजात प्रवृत्ति या गुण माना जाता है, जो गति, ऊर्जा और गतिविधि को संचालित करता है। रजस
को कभी-कभी जुनून के रूप में अनुवादित किया जाता है। यह, बिना किसी विशेष मूल्य के और प्रासंगिक
रूप से अच्छा या बुरा हो सकता है। रजस अन्य उपरोक्त दो गुणों को साकार करने में मदद करता है।
3.तमस गुण: तमस् गुण के प्रधान होने पर व्यक्ति को सत्य-असत्य का कुछ पता नहीं चलता, यानि वो
अज्ञान के अंधकार (तम) में रहता है। उसे इस यथार्थ का भी पता नहीं चलता की कौन सी बात उसके लिए
अच्छी है या कौन सी बुरी!
सत्व, रजस और तमस के बीच वर्गीकरण को हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म के विभिन्न पहलुओं
(आहारीय आदतों सहित) में देखा जाता है। जहां तमस सबसे निम्न होता है। तमस एक शक्ति होती है जो
कि अंधकार, मौत, विनाश और अज्ञानता, सुस्ती और प्रतिरोध को बढ़ाती है। एक तामसिक जीवन को
आलस्य, लापरवाही, द्वेष, धोखाधड़ी, असंवेदनशीलता, आलोचना और गलती ढूंढना, कुंठा, लक्ष्यहीन
जीवन, तार्किक सोच या योजना की कमी और बहाने बनाना, द्वारा चिह्नित किया जाता है। तामसिक
गतिविधियों में ज्यादा खाना अधिक सोना और मदिरा का सेवन आदि शामिल है।
सभी ३ गुणों में तमस सबसे निम्न, भारी, धीमा और सुस्त सबसे होता है, यह राजस की ऊर्जा और सत्त्व की
चमक से रहित होता है। तमस का कभी भी तमस द्वारा विरोध नहीं किया जा सकता है। इसका प्रतिरोध
रजस (कार्रवाई) के माध्यम से किया जा सकता है और तमस को सीधे सत्त्व में परिवर्तित करना और भी
मुश्किल हो सकता है।
प्रकृति में तीनों गुण विद्यमान हैं। जीवात्मा को प्रकृति के साथ होने के कारण दुःख, आनंद आदि का
अनुभव होता है। किसी व्यक्ति में सत्व प्रमुख गुण है। कोई भी गुण,मुख्य रूप से उनके कर्म पर और
व्यक्ति द्वारा खाए जाने वाले भोजन पर भी निर्भर करता है। हम किसी व्यक्ति के व्यवहार को देखकर इस
निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि, किसी व्यक्ति में सबसे महत्वपूर्ण गुण क्या है?
जब किसी व्यक्ति की ज्ञानेंद्रियां शुद्ध, असंबद्ध ज्ञान को दर्शाती हैं, तो हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं
कि उस व्यक्ति के मामले में, सत्व की प्रधानता होती है। जिस व्यक्ति में रजस हावी होता है, वह कुछ
विशेषताओं का प्रदर्शन करता है। वह अपना पैसा खर्च करने को तैयार नहीं होता है। वह इसे एक योग्य
व्यक्ति को भी नहीं देता, भले ही उसके पास देने के लिए साधन हों। वह लक्ष्यहीन गतिविधियों में लिप्त
रहता है। वह भविष्य में इस जीवन में और अगले जन्म में भी पुरस्कार प्राप्त करने की दृष्टि से कार्य करता
है। वह बेचैन होता है।
जहाँ तक तमस प्रधान व्यक्ति का संबंध है, उसके पास ज्ञान का अभाव होता है। अत्यधिक नींद तमस वाले
व्यक्ति की विशेषता है, उससे सीखने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? वह आलसी होता है, और उसमें
एकाग्रता की कमी होती है। वह अच्छे और बुरे, सही और गलत में फर्क नहीं कर पाता।
इन तीन निकायों सत्व, रजस और तमस की जड़ प्रकृति होती है। तीन गुणों की अविभाज्य अर्थात पूर्ण रूप
से संतुलित अवस्था, ब्रह्मांड में प्रकट नहीं होती है।
श्री कृष्ण ने भगवद्गीता के 14वें अध्याय में तीन गुणों के गुणों की स्पष्ट व्याख्या की है। निष्क्रियता जैसे
सुस्ती, नींद, मूर्खता, पाखंड, अहंकार, अभिमान और क्रोध, कठोरता और अज्ञानता, तमस के गुण हैं। रजस
तत्व रजोगुण की प्रकृति का है जो व्यक्ति को कर्म की ओर आकर्षित करता है। यह आत्मा को कर्मों और
उनके फल के प्रति आसक्ति द्वारा बांधता है। सत्त्व और तमस को वश में करने से रजस की विजय होती है।
राजस गत्यात्मकता, आवेश, क्रोध, काम, अहंकार, लोभ, दूसरों पर दोषारोपण, अत्यधिक कठोरता, असंतोष
के रूप में व्यक्त करता है। उच्चता, संतोष, क्षमा, धैर्य, बाह्य पवित्रता, किसी से शत्रुता नहीं रखना, अर्थात
घृणा का अभाव, चंचलता का अभाव (अनिर्णय), जोश, आत्म-सम्मान/अभिमान की अनुपस्थिति, मन की
पूर्ण शुद्धता, सत्यनिष्ठा मन के साथ-साथ शरीर और इन्द्रियों, पूर्ण निर्भयता, ध्यान के योग में निरंतर
स्थिरता और आत्म-साक्षात्कार और मुक्ति के लिए ज्ञान प्राप्त करना आदि सत्व के गुण होते है।
संदर्भ
https://bit.ly/3uLEOlC
https://bit.ly/3NPp1ej
https://en.wikipedia.org/wiki/Rajas
https://en.wikipedia.org/wiki/Gu%E1%B9%87a
https://en.wikipedia.org/wiki/Tamas_(philosophy)
चित्र संदर्भ
१. अच्छे बुरे विचार को दर्शाता एक चित्र (MaxPixel)
२. शबरी के जूठे बेर खाते श्री राम को दर्शाता एक चित्र(wikimedia)
3. राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित जटायु वध को दर्शाता एक चित्र (wikimedia)
४. क्रोध को दर्शाता एक चित्र (Max Pixel)
५. अर्जुन को उपदेश देते श्री कृष्ण को दर्शाता एक चित्र (wikimedia)
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