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“परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि” (Treaty on the Non-Proliferation of
Nuclear Weapons) एक ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय संधि है‚ इसे अप्रसार संधि या
एनपीटी (NPT) के रूप में भी जाना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य परमाणु ऊर्जा
के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को बढ़ावा देना‚ परमाणु हथियारों और हथियार
प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना तथा परमाणु निरस्त्रीकरण और सामान्य तथा पूर्ण
बेहथियारबंदी प्राप्त करने के लक्ष्य को आगे बढ़ाना है।
यह संधि परमाणु-हथियार
वाले राज्यों को परिभाषित करती है‚ जिन्होंने 1 जनवरी 1967 से पहले एक
परमाणु विस्फोटक उपकरण का निर्माण और परीक्षण किया है। इनमें संयुक्त राज्य
अमेरिका (United States)‚ रूस (Russia)‚ यूनाइटेड किंगडम (United
Kingdom)‚ फ्रांस (France) और चीन (China) शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र
(United Nations) के चार सदस्य देशों ने कभी भी इस संधि को स्वीकार नहीं
किया‚ जिनमें से भारत‚ इज़राइल (Israel) और पाकिस्तान के पास परमाणु
हथियारों का होना माना जाता है‚ इनके अलावा 2011 में स्थापित दक्षिण सूडान
(South Sudan) भी इसमें शामिल नहीं हुआ। 1968 में इसे हस्ताक्षर के लिए
खोला गया और 1970 में संधि लागू हुई। पच्चीस साल बाद‚ 11 मई 1995 को
न्यूयॉर्क (New York) शहर में समीक्षा सम्मेलन के दौरान एनपीटी पार्टियां मिलीं
और संधि को अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया गया‚ जिसमें पांच परमाणु
हथियार संपन्न राज्यों सहित कुल 191 राज्य शामिल हुए थे।
अधिकतर देशों ने
किसी भी अन्य शस्त्र सीमा और निरस्त्रीकरण समझौते की तुलना में एनपीटी की
पुष्टि की‚ जो इस संधि के महत्व के प्रमाण को दर्शाता है।
अगस्त 2016 तक‚
191 राज्य इस संधि के पक्षकार बन गए थे‚ लेकिन 1985 में शामिल हुआ उत्तर
कोरिया (North Kore) कभी अनुपालन में नहीं आया‚ उसने 2003 में परमाणु
उपकरणों के विस्फोट के बाद मूल दायित्वों का उल्लंघन किया‚ जिसके बाद उसने
एनपीटी से अपनी वापसी की घोषणा कर दी थी। इस संधि की समीक्षा सम्मेलन
नामक बैठकों में हर पांच साल में संधि की समीक्षा की जाती है।
अप्रसार संधि को वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्था की आधारशिला और परमाणु
निरस्त्रीकरण की खोज के लिए एक मौलिक बुनियाद माना जाता है। यह संधि
अप्रसार के लक्ष्य को आगे बढ़ाने तथा इसमें सम्मिलित राज्यों के बीच विश्वास-
निर्माण के उपाय के रूप में‚ अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International
Atomic Energy Agency (IAEA)) की जिम्मेदारी के तहत एक सुरक्षा उपाय
प्रणाली स्थापित करती है। आईएईए (IAEA) द्वारा किए गए निरीक्षणों से इस
संधि के अनुपालन को सत्यापित करने के लिए सुरक्षा उपायों का उपयोग किया
जाता है। एनपीटी और व्यापक परमाणु अप्रसार व्यवस्था को मजबूत करने के लिए
कई अन्य उपाय अपनाए गए तथा राज्यों के लिए परमाणु हथियार बनाने की
क्षमता को हासिल कर पाना मुश्किल बना दिया गया‚ जिसमें परमाणु आपूर्तिकर्ता
समूह (Nuclear Suppliers Group (NSG)) के निर्यात नियंत्रण और अंतर्राष्ट्रीय
परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अतिरिक्त प्रोटोकॉल के उन्नत सत्यापन उपाय
शामिल हैं। एनपीटी के आलोचकों का कहना है‚ कि एनपीटी परमाणु हथियारों के
प्रसार या उन्हें हासिल करने की प्रेरणा को रोक नहीं सकता है।
वे परमाणु
निरस्त्रीकरण की सीमित प्रगति पर निराशा व्यक्त करते हैं‚ जहां अभी भी पांच
अधिकृत परमाणु हथियार वाले राज्यों के पास उनके संयुक्त भंडार में 13‚400
हथियार हैं।
1991 से पहले यूक्रेन (Ukraine) सोवियत संघ (Soviet Union) का हिस्सा था
और उसके पास सोवियत परमाणु हथियार थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद
यूक्रेन के पास सोवियत परमाणु शस्त्रागार का लगभग एक तिहाई हिस्सा था‚ जो
उस समय दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा था।
औपचारिक रूप से इन हथियारों को
स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (Commonwealth of Independent States (CIS))
द्वारा नियंत्रित किया जाता था। यूक्रेन 1994 में‚ हथियारों को नष्ट करने और
परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि (NPT) में शामिल होने के लिए सहमत
हुआ। सोवियत संघ के विघटन के बाद 1990 के दशक में‚ रूसी सेना ने यूक्रेन के
साथ समझौतों के अनुसार तैनात‚ ब्लैक सी फ्लीट (Black Sea Fleet) के कुछ
परमाणु-सक्षम जहाजों और पनडुब्बियों के साथ‚ क्रीमिया प्रायद्वीप (Crimean
peninsula) से परमाणु हथियार और वितरण प्रणाली वापस ले ली। 2014 के
विलय के बाद‚ रूसी संघ ने फिर से प्रायद्वीप में परमाणु-सक्षम हथियारों को
तैनात किया‚ जिसमें S-300 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल (S-300 antiaircraft
missiles)‚ Tu-22M3 बैकफ़ायर बॉम्बर (Tu-22M3 Backfire bombers) और
इस्कंदर-एम बैलिस्टिक मिसाइल (Iskander-M ballistic missiles) भी शामिल
हैं। 2020 में एक यूक्रेनी राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद (National Security
and Defense Council of Ukraine (NSDC)) अधिकारी ने कहा कि रूस ने
क्रास्नोकामियांका (Krasnokamianka) में सोवियत परमाणु-हथियार भंडारण
सुविधा फियोदोसिया-13 (Feodosiia-13) पर काम किया था और बालाक्लावा
(Balaklava) में एक परमाणु पनडुब्बी बेस में नई सुरंगें जोड़ी थीं।
15 अप्रैल
2021 को जर्मनी में‚ यूक्रेन के राजदूत एंड्री यारोस्लावोविच मेलनिक (Andriy
Yaroslavovych Melnyk) ने देउत्स्चेंड़फूंक (Deutschlandfunk) रेडियो को
बताया कि अगर यूक्रेन को एनएटीओ (NATO) का सदस्य बनने की अनुमति नहीं
दी गई‚ तो उसके देश को अपनी रक्षा के लिए एक गैर-परमाणु हथियार राज्य के
रूप में अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। 1993 में अंतर्राष्ट्रीय
संबंध सिद्धांतकार और शिकागो विश्वविद्यालय (University of Chicago) के
प्रोफेसर जॉन मियरशाइमर (John Mearsheimer) ने अपनी भविष्यवाणी के साथ
एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें उन्होंने बिना किसी परमाणु निवारक के यूक्रेन
पर रूस द्वारा आक्रमण किए जाने की संभावना के बारे में बताया था‚ लेकिन उस
समय यह एक अल्पसंख्यक दृष्टिकोण था।
संदर्भ:
https://bit.ly/3tozBkd
https://bit.ly/37M0Mxg
https://bit.ly/3N2bZtP
चित्र सन्दर्भ
1. “परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि” बैठक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. परमाणु हथियारों के अप्रसार की संधि के उद्घाटन सत्र के दौरान प्रतिभागियों का एक सामान्य दृश्य। 23 अप्रैल 2017।, को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency (IAEA)) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. परमाणु मिसाइल एसएस -18 शतान पूरी तरह से यूक्रेन में युज़माशो में डिजाइन और निर्मित है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. यूक्रेन के राष्ट्रपति को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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