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भारत विभिन्न भूभागों का घर है। हरे-भरे वर्षावनों से लेकर शुष्क रेगिस्तानों तक चट्टानी तटों से
लेकर बर्फ से ढके पहाड़ों तक, विविधता किसी को भी रोमांचित कर देगी। यह विशाल भौगोलिक
विविधता जीवों की अविश्वसनीय समृद्धि को आश्रय देती है और बढ़ावा देती है। देश प्रवासी पक्षियों
को चिलचिलाती गर्मी या कड़ाके की ठंड से आश्रय लेने के लिए एक आदर्श अभयारण्य प्रदान करता
है। ब्लैक-क्राउन नाइट हेरॉन(Black-Crowned Night Heron) एक लंबी टांगों वाला, ब्लैक-कैप्ड (Black-
capped) बगुला है जो दुनिया भर में व्यापक रूप से वितरित है। ये बगुले प्रवासी होते हैं और गर्मियों
के महीनों में पूर्वी यूरोप (Europe) और पश्चिमी एशिया (Asia) से भारतीय उपमहाद्वीप (विशेष रूप से
बंगाल क्षेत्र) में चले जाते हैं।ये प्रवास मार्च और मई के महीनों के बीच करते हैं।ये काफी लंबी यात्रा
करते हैं, और अक्सर रात में प्रवास करने और छोटे समूहों में यात्रा करने के लिए जाने जाते हैं।
वर्ष के इस समय के दौरान पक्षियों का प्रजनन होता है और दिल्ली के यमुना पार्क में इन पक्षियों की
चहचहात सुनाई देती है। हालांकि पिछले कुछ समय से यमुना के बाढ़ के मैदानों से यह बगुले की
प्रजाति लगभग गायब सी हो गई थी, जिसके पीछे का कारण इनके निवास स्थान के नुकसान और
नदी के बढ़ते प्रदूषण के स्तर को माना गया है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इन्होंने दुबारा से यमुना
बायोडायवर्सिटी पार्क (Yamuna Biodiversity Park) में अपनी कॉलोनियां स्थापित करना शुरू कर
दिया है और पार्क में प्रजनन कर रहे हैं।अब, उनकी आबादी हर साल बढ़ रही है।ये पक्षी 1.8 किमी
लंबे जल निकाय के चारों ओर घोंसला बनाते हैं। इनके घोंसलों को बड़ी संख्या में देखा जा सकता है
और उनकी चहचहात को काफी दूर से सुना जा सकता है। 2016 में, पार्क के अधिकारियों ने लगभग
2,000 घोंसले देखे, जो 2017 में कम से कम 2,500 तक पहुंच गए थे। वहीं इनके घोंसले की
पारिस्थितिकी और भोजन की आदतों को समझने के लिए पार्क के अधिकारियों द्वारा पक्षियों की
निगरानी करने की योजना बनाई गई थी।ये बगुले आमतौर पर जल निकायों के किनारे पाए जाने
वाले पेड़ों पर प्रजनन करते हैं। वे सुल्तानपुर, ओखला और यहां तक कि दिल्ली के चिड़ियाघर में भी
पाए जा सकते हैं। लेकिन यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में संभवतः शहर में सबसे अधिक बगुले के
घोंसले पाए जाते हैं।
हम सभी इस बात से भली भांति परिचित होंगे कि बगुले अपने जीवित रहने की संभावनाओ को
बढ़ाने के लिए प्रवास करते हैं। यानि वे सफल प्रजनन के लिए सर्वोत्तम संसाधन को खोजने, विभिन्न
खाद्य स्रोतों का लाभ उठाने, या वर्ष के अलग-अलग समय में अधिक उपयुक्त और सुरक्षित आवासों
में जाने के लिए प्रवास करते हैं।जिस तरह बगुलों के प्रवास के अलग-अलग कारण होते हैं, उसी तरह
उनके पास इन विशाल यात्राओं को पूरा करने के अलग-अलग तरीके भी होते हैं।ऐसे ही ये बगुले
अक्षांशीय प्रवास करते हैं, यानि वे उत्तर से दक्षिण और इसके विपरीत विभिन्न अक्षांशों के क्षेत्रों के
बीच प्रवास करते हैं। यह आर्कटिक (Arctic) से उष्णकटिबंधीय की ओर पलायन करने वाले कई
पक्षियों के साथ सबसे आम प्रवास प्रकार है।प्रवास की सटीक दिशा अक्सर भौगोलिक विशेषताओं
द्वारा निर्धारित की जाती है, जैसे कि पर्वत श्रृंखलाएं, समुद्र तट और उपलब्ध आवास।
हाल ही में लोरेंज़ (1934, 1935) ने यूरोपीय ब्लैक-क्राउन नाइट बगुले के सामाजिक व्यवहार का ऐसा
विश्लेषण किया है, जो अपनी अमेरिकी जाति से केवल उप-विशिष्ट रूप से भिन्न है।जिसे हम इस
तरह समझ सकते हैं कि स्वाभाविक रूप से ये एक स्वरूप न होकर इन दोनों के व्यवहार में कुछ
समानताएं आवश्यक होगी, लेकिन ग्रॉस (1923) द्वारा दिए गए अमेरिकी पक्षी के व्यवहार का
विवरण लोरेंज के यूरोपीय पक्षी के विवरण से काफी भिन्न है। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि न
केवल वयस्कों के सामाजिक व्यवहार बल्कि अपरिपक्व में इन व्यवहार स्वरूप के भ्रूण-विज्ञान पर
विचार करते हुए, अमेरिकी बगुले के जीवन इतिहास को फिर से जांचना उचित प्रतीत होता है।लोरेंज
के अनुसार, वयस्कों के मुकुट से उत्पन्न होने वाले 'सजावटी पंख' आपसी उत्तेजना के उद्देश्यों के लिए
काम नहीं करते हैं, जैसा कि हक्सले (1921) ने बताया है, बल्कि एक शक्तिशाली रक्षा प्रतिक्रिया का
अवरोध करने के लिए जो इस बगुले की प्रजाति के प्रत्येक सदस्यों में एक समान दिखाई देता है।
अपरिपक्व रात के बगुले में वयस्कों के काले मुकुट और सफेद पंख नहीं होते हैं, लेकिन लोरेंज मानते
हैं कि जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, वे अपने माता-पिता द्वारा किए जाने वाले हमलों को अवरुद्ध
करने के लिए झुककर प्रतिक्रिया करके प्रदर्शन करते हैं। वहीं बगुले की इस प्रजाति को चोंच मारने के
क्रम को प्रदर्शित करने के लिए माना गया है, जो कि एक प्रकार से सामाजिक रूप से देखा जा
सकता है जिसका गहन अध्ययन मुर्गी, कबूतर और कुछ अन्य पालतू पक्षियों में किया गया है।
1936 और 1937 के दौरान ओरिएंट (Orient), ग्रेट नेक (Great Neck) और मासापेक्वा
(Massapequa), लॉन्ग आईलैंड (Long Island) में अपरिपक्व बगुलों पर किए गए क्षेत्रीय
अवलोकनों से पता चला कि इस प्रजाति का सामाजिक व्यवहार लोरेंज द्वारा यूरोपीय प्रजाति में
वर्णित व्यवहार की तुलना में कहीं अधिक जटिल है।जैसे-जैसे युवा वयस्क होते हैं, वे आसानी से
अपना घोंसला छोड़ देते हैं और घोंसले से कुछ फीट ऊपर पेड़ के तने के करीब में जा बैठते हैं।साथ
ही ये पक्षी प्रादेशिक होते हैं और छोटे से ही अपने क्षेत्र के लिए प्रतिरोधक होते हैं। इन बगुले को
एकांगी माना जाता है। नर द्वारा घोंसले का स्थान चुना जाता है और मादा को आकर्षित करने के
लिए वहां प्रदर्शन करता है। मादा को आकर्षित करने के लिए नर बगुले कई आक्रमक अनियोजित
मुद्राओं के साथ प्रदर्शन करते हैं।प्रदर्शनों में शामिल हैं गर्दन को ऊपर और आगे फैलाना और पंखों को
ऊपर की ओर झुकाना और बारी-बारी से पैरों को ऊपर उठाते हुए धीरे-धीरे झुकना, और जब वे काफी
नीचे तक झुक जाते हैं तो काफी धीमी ध्वनि में सिसकार देते हैं। मादा और नर दोनों पहले के कुछ
दिनों तक अंडों को सेकते हैं और उसके बाद केवल मादा ही अंडों को सेकती है।अण्डे बाईस से चौबीस
दिनों में निकलते हैं तथा चूजों का पालन पोषण दोनों द्वारा ही किया जाता है।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3ilPvFL
https://bit.ly/3Jr4TwH
https://bit.ly/3KTTYMj
चित्र सन्दर्भ
1. मछली खाते ब्लैक-क्राउन नाइट हेरॉन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क (Yamuna Biodiversity Park) को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. ब्लैक-क्राउन नाइट हेरॉन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. चित्रित ब्लैक-क्राउन नाइट हेरॉन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. घोंसला बनाते ब्लैक-क्राउन नाइट हेरॉन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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