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एग्जिट पोल की सटीकता एवं मानदंड

लखनऊ

 15-03-2022 08:42 AM
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

श्रीमद् भागवत गीता में एक प्रसिद्ध उद्धरण है "कर्म करो और फल की चिंता न करो!" यह उद्धरण विशेष रूप से चुनाव के परिप्रेक्ष्य में भी लागू होता है, जहाँ नेता चुनावों में विजय प्राप्त करने के लिए अथाह मेहनत करते हैं। किंतु यहाँ पर ऐसा प्रतीत होता है कि परिणामों अर्थात फल की चिंता, नेताओं से अधिक विभिन्न समाचार माध्यमों या मीडिया को रहती है, जो चुनावों के पहले (ओपिनियन पोल “opinion polls”) और बाद में (एग्जिट पोल “exit polls”) के परिणामों का आंकलन करते रहते हैं। हालांकि यह आंकलन केवल काल्पनिक होते हैं, लेकिन दिलचस्प रूप से कई बार इनकी सटीकता अविश्वसनीय होती है। किंतु कई बार वास्तविक परिणामों से इनका दूर-दूर तक कोई सम्बंध नज़र नहीं आता। 2017 के, अधिकांश एग्जिट पोल में उत्तर प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा (किसी भी पार्टी का बहुमत साबित न कर पाने) की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन परिणाम आने पर भाजपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। जब अंतिम वोटों की गिनती हुई, तो बीजेपी और उसके सहयोगियों ने 403 सीटों में से 325 पर जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश की 403 सीटों पर सात चरणों में 10, 14, 20, 23, 27 फरवरी और 3 और 7 मार्च को मतदान हुआ था। जिन अन्य पांच राज्यों में मतदान हुआ, उनमें से गोवा और उत्तराखंड में 14 फरवरी को एक ही चरण में मतदान हुआ। वहीं, पंजाब की 117 सीटों पर एक ही चरण में 20 फरवरी को मतदान हुआ था। मणिपुर के पहाड़ी राज्य में दो चरणों में 28 फरवरी और 5 मार्च को मतदान हुआ। एग्जिट पोल मूल रूप से वोट डालने के बाद मतदान केंद्रों से बाहर निकलने वाले मतदाताओं का सर्वेक्षण होता है। एग्जिट पोल कई संगठनों द्वारा आयोजित किए जाते हैं जो इस उद्देश्य के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के चुनावों का उद्देश्य मतदाताओं से एकत्र की गई जानकारी के आधार पर वास्तविक परिणाम की भविष्यवाणी करना होता है। एग्जिट पोल के पीछे तर्क यह है कि यदि आप मतदान केंद्र के ठीक बाहर मतदाता से पूछते हैं, तो संभव होता है कि वे आपको सच बता सकते हैं।
भारत में एक्जिट पोल करने की प्रथा 1957 से ही शुरू हो गई थी। एग्जिट पोल करने के कई तरीके हैं जिसमें सबसे पहले रैंडम सैंपल साइज (random sample size) का चयन किया जाता है। इस नमूने का आकार 20-25, 000 मतदाताओं से लेकर 7-8 लाख मतदाताओं के बीच कहीं भी हो सकता है। विशेषज्ञों मानते हैं कि सभी निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों का सर्वेक्षण करना आवश्यक नहीं है, लेकिन नमूने के आकार में कम से कम आधे निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतिनिधि होने चाहिए। हालाँकि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126ए मतदान शुरू होने से मतदान के अंतिम चरण के समापन के आधे घंटे बाद तक की अवधि के दौरान एक्जिट पोल पर प्रतिबंध लगाती है। कोई भी व्यक्ति या संगठन जो इस धारा के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, उसे दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
कितने विश्वसनीय हैं एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल की सटीकता हमेशा से ही बहस का विषय रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि वे सटीक नहीं होते हैं, और वोटर के मूड के अनुसार केवल एक व्यापक प्रवृत्ति और दिशा की भावना प्रदान करते हैं। अतीत में ऐसे कई उदाहरण हैं जब एग्जिट पोल मतदाताओं के मूड को पकड़ पाने में विफल रहे हैं। जैसे यूपी के 2017 के एग्जिट पोल में उत्तर प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की थी लेकिन परिणामों में बीजेपी बहुमत से सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। लेकिन इसके विपरीत 1996 में, लोकसभा चुनावों के लिए सीएसडीएस (CSDS) द्वारा किए गए एक्जिट पोल ने त्रिशंकु जनादेश (hung mandate) की सही भविष्यवाणी की थी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 सीटें हैं। किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत के लिए 202 सीटों की जरूरत होती है। वहीँ 2017 में इंडिया टुडे-एक्सिस सर्वे (India Today-Axis Survey) और टुडे चाणक्य (Today Chanakya) {251 से 279 और 285} को छोड़कर, अन्य सभी एग्जिट पोल ने बताया था कि बीजेपी लगभग 160 से 180 सीटें जीतेगी। हालांकि, भाजपा सभी को चौंकाते हुए 312 सीटों के साथ शीर्ष पर आ गई। 2022 में इंडिया टुडे-एक्सिस (India Today-Axis) ने 288-326 सीटें देने वाली सत्तारूढ़ पार्टी के लिए एक प्रचंड बहुमत की भविष्यवाणी की, न्यूज 24-चाणक्य ने बीजेपी को 294 पर रखा, जबकि टाइम्स नाउ-वीटो और एबीपी-सी वोटर (Times Now-veto and ABP-C Voters) ने बीजेपी को क्रमशः 225 और 228-244 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत दिया। लोकनीति-सीएसडीएस (Lokniti-CSDS) के एग्जिट पोल के मुताबिक कहा गया था की, उत्तर प्रदेश में बीजेपी और उसके सहयोगियों को 43 फीसदी वोट मिलेगा। एग्जिट पोल में कहा गया था कि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, बीजेपी की मुख्य चुनौती के रूप में 35 फीसदी वोट हासिल करेगी। लोकनीति-सीएसडीएस ने कहा था पंजाब में, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) 40 फीसदी वोटों के साथ चैंपियन होगी, उत्तराखंड में बीजेपी को बढ़त मिलेगी। गोवा के परिणामों में फिर से त्रिशंकु विधानसभा स्थपित होगी। एनडीटीवी (NDTV) के एग्जिट पोल के सर्वेक्षण में कहा गया कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा को राज्य की 403 सीटों में से 241 (बहुमत का निशान 202 पर ) जीतने की संभावना है। चुनाव में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को 142 सीटें मिलने की संभावना है। लेकिन इनके वास्तविक परिणामों को आप नीचे दिए गए ग्राफ से आसानी से समझ सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इन एग्जिट पोल का एक अन्य पहलू नमूने की सटीकता भी है, जिसके बारे में उनका दावा किया जाता है कि नमूने के कच्चे डेटा उपलब्ध होने तक भविष्यवाणी करना मुश्किल है। "किसी भी सर्वेक्षण में, विश्वसनीयता नमूने के आकार,या आधार पर निर्भर करती है। नमूना किसी नेता के बजाय जनसंख्या का प्रतिनिधि होना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में 10 प्रतिशत मुस्लिम और 90 प्रतिशत हिंदू हैं और यदि आपका नमूना आकार 10 है, आपको एक मुस्लिम और 9 हिंदुओं से बात करनी चाहिए। आप जिस व्यक्ति से बात करते हैं वह जनता का प्रतिनिधि होना चाहिए और उसके मन में किसी भी रूप में किसी भी पार्टी के प्रति पक्षपाती या सहानुभूति नहीं होनी चाहिए।

संदर्भ
https://bit.ly/35SP6YT
https://bit.ly/367IsOd
https://bit.ly/3i056e3

चित्र सन्दर्भ
1. एक एग्जिट पोल ग्राफ को दर्शाता चित्रण (youtube)
2. वोटिंग प्रक्रिया को दर्शाता चित्रण (flickr)
3. ओपिनियन पोल से लेकर एग्जिट पोल और नतीजों तक 2019 में भारतीय आम चुनाव के रुझान को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. उत्तरप्रदेश में 2022 के चुनावी परिणामों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



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