जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हाल ही में रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) पर हमला किया
है। इस हमले के कारण यूक्रेन की आर्थिक स्थिति में जहां भारी गिरावट आई है, वहीं बड़ी
संख्या में नागरिकों और सैन्य कर्मियों की जानें भी जा रही हैं। इस युद्ध के कारण दुनिया
भर के लोग किसी न किसी तरह से प्रभावित होंगे, जिसमें खुद रूस भी शामिल है, जहां हिंदू
धर्म के विभिन्न संप्रदाय भी मौजूद हैं। तो आइए आज इस लेख के जरिए रूस में हिंदू धर्म
के विभिन्न संप्रदायों की व्यापकता और इसके इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
रूस में हिंदू धर्म के इतिहास की बात करें तो यह इतिहास कम से कम 16वीं शताब्दी का है।
जब 1556 में अस्त्रखान (Astrakhan) पर विजय प्राप्त की गई, तो छोटा भारतीय समुदाय
मास्को (Moscow) राज्य का हिस्सा बना। 18वीं शताब्दी की शुरुआत में, पहले रूसी सम्राट,
पीटर द ग्रेट (Peter the Great), अस्त्रखान हिंदुओं से मिले और उनके अनुरोध पर उन्होंने रूसी
प्रबंधकारिणी समिति से हिंदुओं के विश्वासों की रक्षा के लिए एक कानून जारी करने के लिए
कहा। विदेशी धर्म की रक्षा के लिए रूस में यह पहला कानून था। एक समय था जब रूस की
धरती से हिंदू धर्म लगभग गायब हो गया था और अधिकांश हिंदू मंदिरों को या तो चर्चों में
या फिर मस्जिदों में बदल दिया गया था। लेकिन रूस में एक दिलचस्प विकास शुरू हुआ
जब रूसियों ने अपने दत्तक धर्म पर सवाल उठाना शुरू कर दिया और विभिन्न हिंदू
आध्यात्मिक संगठनों और आध्यात्मिक गुरुओं जैसे इस्कॉन (Iskcon), ब्रह्माकुमारी और अन्य
के माध्यम से सनातन धर्म के प्रभाव में आना शुरू कर दिया।लोगों ने एक ऐसे विकल्प को
खोजना शुरू किया, जो न केवल जीवन से सम्बंधित उनके सवालों का जवाब दे, बल्कि
जीवन और धर्मों के बारे में उनकी शंकाओं को भी दूर करे।उन सभी लोगों के लिए हिंदू धर्म
एक अच्छा उपाय था।इसका दर्शन न केवल सनातन मूल्यों के मार्गदर्शन में सही रास्ता
चुनने की स्वतंत्रता देता है, बल्कि विभिन्न विचारों को प्रोत्साहित करता है और आलोचकों का
स्वागत करता है जब तक कि वह संतुष्ट न हो जाए।इसने पश्चिमी दुनिया के लिए ज्ञान
और आध्यात्मिकता का पता लगाने के लिए एक नया द्वार खोला। इसने उन्हें सही और
गलत, अच्छे और बुरे के बीच अंतर खोजने, बिना किसी डर के अपने अनंत प्रश्नों के तार्किक
उत्तर प्राप्त करने की स्वतंत्रता दी, यह कुछ ऐसा था, जिसे वे हमेशा से चाहते थे, लेकिन उन्हें
ऐसा करने की अनुमति नहीं थी।
वोल्गा (Volga), रूस का एक पुराना गाँव, में भगवान विष्णु की एक मूर्ति की खोज की गई, जो
7वीं-10वीं शताब्दी की है।पुरातत्वविद्ने रूस में 4000 साल पुराने आर्यन शहर की खुदाई की। बेट्टनी
ह्यूजेस(Bettany Hughes) जैसे कुछ इतिहासकारों के अनुसार आर्यभाषाएं यूरोप(Europe) में बोली
जाने वाली कई भाषाओं की पूर्ववर्ती हैं। रूस में पुरातत्वविदों द्वारा खोजे गए बहुत सारे रथ,
मेकअप किट, मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े थे, जिन पर स्वास्तिक चिन्ह अंकित था।पुरानी रूसी
भाषाओं की भारत की प्राचीन भाषाओं यानी संस्कृत से उल्लेखनीय व्युत्पत्ति हुई है।
रूस में हिंदू संप्रदायों की व्यापकता की बात करें, तो यहां वैष्णववाद, शैववाद, हिंदू सुधार
आंदोलन, स्लाव वेदवाद (Slavic Vedism) आदि हिंदू संप्रदाय शामिल हैं।
दिसंबर 2005 तक,
संघीय पंजीकरण सेवा ने कृष्णवाद के 79 हिंदू समूहों को दर्ज किया। इनमें इंटरनेशनल
सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (International Society for Krishna Consciousness), इस्कॉन
रिवाइवल मूवमेंट (ISKCON Revival Movement), साइंस ऑफ आइडेंटिटी फाउंडेशन (Science of
Identity Foundation), श्री चैतन्य सारस्वत मठ, श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, श्री कृष्ण चैतन्य
मिशन, श्री गोपीनाथ गौड़ीय मठ, इंटरनेशनल प्योर भक्ति योग सोसायटी (International Pure
Bhakti Yoga Society)आदि शामिल हैं।रूस में शैव धर्म के अनुयायी नाथ, लिंगायत (वीरशैव)
और तंत्र संघ हैं।रूस में मौजूद हिंदू सुधार आंदोलनों में ब्रह्म कुमारी, रामकृष्ण मिशन, आर्य
समाज, श्री अरबिंदो आश्रम, अंतर्राष्ट्रीय शिवानंद योग वेदांत केंद्र, आनंद मार्ग, आनंद संघ,
आत्म-प्राप्ति फैलोशिप (Self-Realization Fellowship), श्री रमण आश्रम, सहज योग, श्री चिन्मय
केंद्र, सनातन संस्था, सत्य साईं बाबा आंदोलन, साइंस ऑफ आइडेंटिटी फाउंडेशन (Science of
Identity Foundation), श्री प्रकाश धाम, महर्षि महेश योगी और हैदाखान बाबाजी आदि शामिल
हैं।
रूस में एक प्रमुख हिंदू संप्रदाय स्लाव वेदवाद (Slavic Vedism) भी है, जिसे रूसी या
पीटरबर्गियन (Peterburgian) वेदवाद, नव-वेदवाद आदि नामों से भी जाना जाता है। इन शब्दों
का उपयोग रूस, साइबेरिया (Siberia), अन्य स्लाव देशों में धर्म के वैदिक रूपों के समकालीन
स्वदेशी विकास का वर्णन करने के लिए किया जाता है। स्लाव वेदवाद में वैदिक अनुष्ठानों
का उपयोग और प्राचीन वैदिक देवताओं की पूजा शामिल है, जिसने आधुनिक भारतीय हिंदू
धर्म के साथ एक मजबूत बंधन बनाए रखा है। यह रोडनोवरी (Rodnovery) (स्लाव
नियोपैगनिज्म - Slavic Neopaganism) की सबसे शुरुआती शाखाओं में से एक है और सबसे
महत्वपूर्ण विचारधाराओं में से एक है, जिसकी स्थापना 1970 के दशक में रूस के सेंट
पीटर्सबर्ग (Saint Petersburg) में विक्टर निकोलायेविच बेज़वेर्की (Viktor Nikolayevich
Bezverkhy) द्वारा की गई थी।रूस में हिंदू धर्म मुख्य रूप से धार्मिक संगठन इस्कॉन,
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस के विद्वानों और भारत की यात्रा करने वाले
स्वामी और भारतीय प्रवासियों के छोटे समुदायों के काम के कारण फैला है।
2012 की आधिकारिक जनगणना के अनुसार, रूस में 140,000 हिंदू हैं, जो रूस की
जनसंख्या का 0.1% हैं।लगभग 26 साल पहले सोवियत संघ में भगवान कृष्ण की पूजा को
वैध कर दिया गया था, हालांकि अभी वहां एक भी मंदिर नहीं है।स्थानीय अनुयायियों की
एक मजबूत भक्त संख्या के बावजूद, रूस में हरे कृष्ण आंदोलन को स्वीकार करने में धीमा
रहा है।कृष्ण उपासकों का कहना है कि सोवियत काल से स्थिति में सुधार हुआ है लेकिन
मंदिर निर्माण की मंजूरी अभी बाकी है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3C8BgNC
https://bit.ly/3493WJU
https://bit.ly/3sBpl83
https://bit.ly/3sN3DOF
चित्र संदर्भ
1. एक रूसी हिंदू लड़की को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. रूस में हिंदू धर्म के प्रसार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. रथ यात्रा मनाते हुए रूसी हिन्दुओं को दर्शाता चित्रण (flickr)
4. श्री कृष्ण की प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
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