Post Viewership from Post Date to 02-Apr-2022 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2668 147 2815

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

सबसे प्रसिद्ध प्रागैतिहासिक जानवरों में से एक कृपाण दांतेदार बाघ

लखनऊ

 03-03-2022 09:57 AM
शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

कृपाण-दांतेदार बाघ सबसे प्रसिद्ध प्रागैतिहासिक जानवरों में से एक है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एक दुर्जेय शिकारी थे, जो विशाल बाइसन (Bison), घोड़ों और संभवतः यहां तक ​​कि विशाल शिकार जैसे मामूथ तक को मार गिराने की क्षमता रखते थे। इस बिल्ली केदो विशाल रदनक दाँत, किसी भी स्तनपायी जीवों में सबसे बड़े और शक्तिशाली थे। लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा उनके ये शक्तिशाली विशाल रदनक दाँत के उपयोगके बारे 150 वर्षों से काफी बहस की गई है। वहीं हाल ही के एक अध्ययन से पता चलता है कि कृपाण-दांतों के सबसे प्रतिष्ठित स्मिलोडोन (Smilodon),के दांत से काटने की ताकत काफी कमजोर होती थी। आधुनिक बड़ी बिल्लियों में अधिक स्पष्टगण्ड चाप होते हैं, जबकि ये स्मिलोडोन में छोटे थे, जिसने इसकी मोटाईऔर टेम्पोरलिस (Temporalis) मांसपेशियों की शक्ति को प्रतिबद्ध कर दिया और इस प्रकार स्मिलोडोन के काटने की शक्ति को कम कर दिया।इसके संकीर्ण जबड़ों के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि यह शेर(शेर के लिए मापा गया काटने का बल भागफल 112 है) की तुलना में अपने शिकार को केवल एक तिहाई मजबूत जोर से काट सकते थे। इसके अलावा, स्मिलोडोन जब मुंह खोलते थे तो वह लगभग 120 डिग्री तक खुल सकता था,जबकि आधुनिक शेर का 65 डिग्री तक मुंह खुलता है।यही एक कारण था जिस वजह से अपने लंबे दांत होने के बावजूद भी स्मिलोडोन काफी बड़े शिकारों का शिकार करने में सक्षम थे।ये बिल्लियाँ अपने शिकार को पहले पकड़ कर जमीन में पटकते थे और फिर उसके सिर को दबा कर अपने इन गहरे नुकीले दांतों से शिकार के गले में एक गहरा अंतिम घाव करते थे। पहले के सुझावों में स्मिलोडोन को अपने बड़े शिकार की पीठ पर चड़ कर अपने नुकीले दांतों की मदद से उनके पेट को चिड़ते हुए चित्रित किया गया था। साथ ही सबसे लोकप्रिय सिद्धांतों से पता चलता है कि बिल्ली अपने दांतों का इस्तेमाल शिकार के गले की धमनियों और वायुमार्ग को काटने के लिए करते होंगे, यह तकनीक आधुनिक शेरों द्वारा गला घोंट के शिकार को मारने की तुलना में अधिक तेज और सफल हुआ करती थी। स्मिलोडोन फेलिड्समाचिरोडोंट (Machairodont) के उप परिवार फेलीड (Felids) की एक प्रजाति है। ये सबसे प्रसिद्ध प्रागैतिहासिक स्तनधारियों और सबसे प्रसिद्ध कृपाण-दांतेदार बिल्ली में से एक हैं।हालांकि आमतौर पर कृपाण-दांतेदार बाघ के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह बाघ या अन्य आधुनिक बिल्लियों से निकटता से संबंधित नहीं रखते थे।स्माइलोडन अत्यंतनूतन युग (10,000 साल पहले) के दौरान अमेरिका (America) में रहते थे।ब्राजील के जीवाश्मों के आधार पर वंश का नाम 1842 में रखा गया था; सामान्य नाम का अर्थ है "स्केलपेल" या "दो धार वाला चाकू" जिसे "दांत" के साथ जोड़ा जाता है।अब तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ये क्रूर बिल्ली प्राचीन भारतीय उपमहाद्वीप में आए थे। वर्ष 2019 में, कृपाण-दांतेदार बाघ का 40 मिलियन वर्ष पुराना एक कंकाल अमेरिका में खोजा गया, जो एक वर्ष के बाद ही 84,350 डॉलर में बिक गया। लगभग 120 सेंटीमीटर (लगभग चार फीट) लंबे कंकाल को एक निजी कलेक्टर (Collector) ने जिनेवा में एक नीलामी में सिर्फ एक मिनट मेंखरीद लिया।मूल हड्डियाँ एक हॉप्लोफोनस (Hoplophoneus) की हैं - तकनीकी रूप से बाघ नहीं, वे निम्रविडे (Nimravidae) परिवार की एक विलुप्त प्रजाति हैं और एक समय में उत्तरी अमेरिका के मैदानी इलाकोंपाए जाते थे।वहीं 2018 के एक अध्ययन में स्माइलोडन फेटलिस (Smilodonfatalis) और होमोथेरियम सीरम (Homotherium serum) के शिकार करने के व्यवहार की तुलना की गई, और पाया गया कि फेटलिस के पास एक मजबूत खोपड़ी थी जिसमें बड़े रदनक दाँत के लिए छोटी घरनदार हड्डी थी, जबकि घरनदार में अधिक घरनदार हड्डी थी और शेर की भांति ही जकड़ने और पकड़ने की शैली का अधिक उपयोग करते थे।इसलिए दोनों अलग-अलग पारिस्थितिक आवास में रहते थे।वर्तमान में केवलतीन प्रजातियों को मान्यता दी गई है: स्मिलोडोन ग्रासिलिस (Smilodongracilis), स्मिलोडोन फेटलिस (Smilodonfatalis) और स्मिलोडोन पॉप्युलेटर (Smilodonpopulator)।बाद की दो प्रजातियां शायद स्मिलोडोन ग्रासिलिस से निकली थीं, जो शायद मेगेंटेरोन (Megantereon) से विकसित हुई थीं।ऐसा माना जाता है कि निम्न प्रागैतिहासिक बाघ वर्तमान में हमारे बीच मौजूद बड़े बाघों में विकसित हुए हैं: # अमेरिकी शेर या पैंथेरा एट्रोक्स (Pantheraatrox) :यह बड़ी बिल्ली, हमारे वर्तमान शेर की एक संभावित पूर्वज थी, और एक समय में उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में घूमती हुई नजर आती थी। ये काफी विशाल थे, किसी भी आधुनिक शेर के आकार से चार-तिहाई से अधिक बड़े थे।4 फीट ऊंचे खड़े इस बड़ी बिल्ली का सिर काफी विशाल और पैर भी काफी लंबे थे। हैरानी की बात यह है कि इस बड़ी बिल्ली का वजन अपेक्षा से कम था, जो लगभग 256 किग्रा और 351 किग्रा के बीच था।इसे अमेरिकी शेर भी कहा जाता है, तथा ऐसा माना जाता है कि ये काफी ऊंचाई में रहते थे और ठंड के मौसम में गुफाओं में शरण लिया करते थे। ये संभवतः हिरण, घोड़ों, उत्तरी अमेरिकी ऊंटों, उत्तरी अमेरिकी टेपिर, बाइसन, मामूथ और अन्य बड़े शाकाहारी जानवरों का शिकार किया करते थे। साथ ही माना जाता है कि मनुष्य द्वारा इसके काफी अधिक मात्रा में शिकार करने की वजह से ये विलुप्त हो गए, इसकी पुष्टि पुरापाषाण युग की अमेरिकी भारतीय बस्तियों से प्राप्त बड़ी संख्या में शेर की हड्डियों से मिलता है। यह प्रागैतिहासिक शेर अपने युग में सही मायने में जानवरों का राजा था। # दीनिक्टिस (Dinictis) :डिनिक्टिस उत्तरी अमेरिका के देशीय एक मजबूत और भयंकर शिकारी थे। जीवाश्म साक्ष्य से पता चलता है कि यह जानवर प्रागैतिहासिक स्माइलोडोन और घरेलू बिल्लियों और बाघ (Tiger) का एक अजीब मिश्रण था।इसका एक चिकना शरीर था, लगभग 1.1 मीटर लंबा, तथा इसके पैर बिल्लियों के समान बिल्कुल नहीं थे। यह वर्तमान कौगर (Cougar) के आकार का और तेंदुए की भांति पेड़ों में रहता था। इसके दांत आधुनिक बिल्लियों की तरह थे और इसलिए इसे उनका पूर्वज माना जाता है।उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी राज्यों में पाए गए जीवाश्मों से पता चलता है कि डाइनिक्टिस नदियों और खुले मैदानों के पास रहना और शिकार करना पसंद करते थे। # होमोथेरियम :स्किमिटर बिल्ली के रूप में भी जाना जाता है, होमोथेरियम प्रागैतिहासिक काल में सबसे भयंकर बिल्लियों में से एक था। ये उत्तर और दक्षिण अमेरिका, यूरोप, एशिया और अफ्रीका में पाए जाते थे, साथ ही विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में काफी अच्छे से अनुकूलित होने में सक्षम थे तथा ये लगभग पांच मिलियन वर्षों तक जीवित रहने के बाद विलुप्त हो गए। माना जाता है कि ये एक सामाजिक रूप से झुंड में रहने वाले मांसाहारी हो सकते हैं और ज्यादातर दिन के दौरान सक्रिय रहते थे, इस प्रकार वे रात के शिकारियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने से बचे रहते थे।अपनी तेज गति की वजह से ये एक सफल शिकारी हुआ करते थे। केव लयन (Cave Lion) : केव लयन पैंथेरा लियो की एक उप-प्रजाति थी। यह कुशल शिकारी अपने समय के सबसे बड़ी बिल्लियों में से एक थी (हमारे वर्तमान साइबेरियाई बाघ और संकर बाघ से बहुत बड़ी) जिसमें नर का वजन 270 किग्रा और 320 किग्रा के बीच था।यह यूरोप में पिछले हिमयुग के दौरान सबसे खतरनाक और शक्तिशाली शिकारियों में से एक थे।दिलचस्प बात यह है कि पुरापाषाणकालीन में इनको धार्मिक विश्वासों में एक महत्वपूर्ण भूमिका दी गई थी, जो गुफा चित्रों और कुछ मूर्तियों जैसी कलाकृतियों से स्पष्ट होती है, उनमें केव लयन को एक राजसी, शाही जानवरके रूप में दर्शाया गया है। इन विशाल काय जानवरों का मानव द्वारा इतनी प्रचुर मात्रा में शिकार किया गया कि इनको अपनी आबादी को स्थिर करने का मौका ही नहीं मिला और ये आज हमारे बीच में मौजूद नहीं हैं। लेकिन दुखद बात तो यह है कि इन विलुप्त जीवों को खो देने के बाद भी आज वर्तमान समय में विलुप्त हो रही कई प्रजातियों को बचाने के लिए उतना अधिक प्रयास नहीं किया जा रहा है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3C0gL5V
https://bit.ly/3hJ0CIR
https://bit.ly/3Mep9Di
https://bit.ly/3hpgPmf
https://on.natgeo.com/3sw3i2H

चित्र संदर्भ   

1. दक्षिण अमेरिका के प्लेइस्टोसिन से स्मिलोडोन पॉपुलेटर, सबरटूथ बिल्ली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. एस. फेटलिस स्कल कास्ट (बाएं) और व्यापक गैप दिखाते हुए मौरिसियो एंटोन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. अमेरिकी शेर या पैंथेरा एट्रोक्स (Pantheraatrox) को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. दीनिक्टिस (Dinictis) रॉयल ओंटारियो संग्रहालय, टोरंटो, ओंटारियो, कनाडा में प्रदर्शनी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. होमोथेरियम सीरम नमूना टीएमएम 933-3231 का कंकाल माउंट। टेक्सास मेमोरियल संग्रहालय को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देखें, कोरियाई नाटकों के कुछ अनोखे अंतिम दृश्यों को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     29-12-2024 09:24 AM


  • क्षेत्रीय परंपराओं, कविताओं और लोककथाओं में प्रतिबिंबित होती है लखनऊ से जुड़ी अवधी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:31 AM


  • कैसे, उत्तर प्रदेश और हरियाणा, भारत के झींगा पालन उद्योग का प्रमुख केंद्र बन सकते हैं ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:32 AM


  • आनंद से भरा जीवन जीने के लिए, प्रोत्साहित करता है, इकिगाई दर्शन
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:36 AM


  • क्रिसमस विशेष: जानें रोमन सभ्यता में ईसाई धर्म की उत्पत्ति और विकास के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:35 AM


  • आइए जानें, सौहार्द की मिसाल कायम करते, लखनऊ के ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:30 AM


  • आइए समझते हैं, कैसे एग्रोफ़ॉरेस्ट्री, किसानों की आय और पर्यावरण को बेहतर बनाती है
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:32 AM


  • आइए देंखे, मोटो जी पी से जुड़े कुछ हास्यपूर्ण और मनोरंजक क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:27 AM


  • लखनऊ के एक वैज्ञानिक थे, अब तक मिले सबसे पुराने डायनासौर के जीवाश्म के खोजकर्ता
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:35 AM


  • लखनऊ की नवाबी संस्कृति को परिभाषित करती, यहां की फ़िज़ाओं में घुली,फूलों व् इत्र की सुगंध
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id