Post Viewership from Post Date to 31-Mar-2022 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1790 109 1899

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

यूनानी चिकित्सा के केंद्र के रूप में लखनऊ का है विशेष महत्व

लखनऊ

 01-03-2022 09:25 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

स्वास्थ्य के संवर्धन और रोग के निवारण के लिए विभिन्न प्रकार की चिकित्सा पद्धति का विकास हुआ तथा यूनानी चिकित्सा भी उन्हीं में से एक है।यूनानी चिकित्सा, दक्षिण एशिया (Asia) और आधुनिक मध्य एशिया में मुस्लिम संस्कृति में प्रचलित फारसी-अरबी (Perso- Arabic) पारंपरिक चिकित्सा है। इस चिकित्सा पद्धति को यूनानी चिकित्सा इसलिए कहा जाता है, क्यों कि यह फारसी-अरबी चिकित्सा पद्धति ग्रीक चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स (Hippocrates) और गैलेन (Galen) की शिक्षाओं पर आधारित थी।
यूनानी चिकित्सा का हेलेनिस्टिक (Hellenistic) मूल अभी भी मुख्य रूप से चार चीजों पर अधारित है, जिनमें कफ (बलगम), रक्त, पीला पित्त और काला पित्त शामिल है। लेकिन यह चिकित्सा पद्धति भारतीय और चीनी (Chinese) पारंपरिक प्रणाली से भी प्रभावित रही है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने 2014 में अनुमान लगाया था कि भारतीय पारंपरिक चिकित्सा (यूनानी, आयुर्वेद और सिद्ध चिकित्सा) के लगभग 400,000 चिकित्सक बिना योग्यता के आधुनिक चिकित्सा का अवैध रूप से अभ्यास कर रहे थे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ऐसी चिकित्सा पद्धति को नीमहकीमी या मिथ्या चिकित्सा मानता है। यूनानी चिकित्सा सहित किसी भी चिकित्सा प्रणाली के चिकित्सक, भारत में चिकित्सा का अभ्यास करने के लिए अधिकृत नहीं हैं, जब तक कि वे एक योग्य चिकित्सा संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त नहीं करते तथा सरकार के साथ पंजीकृत नहीं होते। इसके अलावा उन्हें भारत के राजपत्र में सालाना चिकित्सकों के रूप में सूचीबद्ध होना भी आवश्यक है। भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति का एक लंबा और प्रभावशाली रिकॉर्ड है। इसे भारत में अरबों (Arabs) और फारसियों (Persians) द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी के आसपास पेश किया गया था। जहां तक ​​यूनानी चिकित्सा पद्धति का संबंध है, आज भारत इस चिकित्सा पद्धति के अग्रणी देशों में से एक है।यह प्रणाली अपने वर्तमान स्वरूप का श्रेय अरबों को देती है, जिन्होंने न केवल ग्रीक साहित्य को अरबी में प्रस्तुत करके उसका संरक्षण किया, वहीं अपने स्वयं के योगदान से अपने समय की दवा को भी समृद्ध किया। इस प्रक्रिया में उन्होंने भौतिकी, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, शरीर रचना विज्ञान, शरीर विज्ञान, विकृति विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान और सर्जरी के विज्ञान का व्यापक उपयोग किया।दिल्ली के सुल्तानों ने यूनानी प्रणाली के विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया और यहां तक ​​कि कुछ को राज्य के कर्मचारियों और दरबार के चिकित्सकों के रूप में भी नामांकित भी किया।
यूनानी चिकित्सा पद्धति में मानव शरीर को सात घटकों से मिलकर बना माना जाता है, जिनमें अर्कान (तत्व), मिजाज (स्वभाव), अखलात(मनोवृत्ति), आजा (अंग), अरवाह (आत्मा), कुवा (आंतरिक शक्ति) शामिल हैं।अर्कान के अनुसार मानव शरीर में चार तत्व होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना स्वभाव है।यूनानी पद्धति में व्यक्ति के स्वभाव का बहुत महत्व है क्योंकि उसे अद्वितीय माना जाता है। व्यक्तियों के स्वभाव को तत्वों की परस्पर क्रिया का परिणाम माना जाता है।
अखलात शरीर के वे नम और तरल भाग हैं जो तत्वों के परिवर्तन और चयापचय के बाद उत्पन्न होते हैं। वे शरीर में पोषण, वृद्धि और मरम्मत का कार्य करते हैं,और व्यक्ति और उसकी प्रजातियों के संरक्षण के लिए ऊर्जा का उत्पादन करते हैं।आजा (अंग)मानव शरीर के विभिन्न अंग हैं। प्रत्येक अंग का स्वास्थ्य पूरे शरीर के स्वास्थ्य की स्थिति को प्रभावित करता है।अरवाह (आत्मा) को एक गैसीय पदार्थ माना जाता है, जो प्रेरित वायु से प्राप्त होता है।यह शरीर की सभी चयापचय गतिविधियों में मदद करता है।कुवा (आंतरिक शक्ति) तीन प्रकार की शक्तियाँ हैं, जिनमें कुवा तबियाह (Quwa Tabiyah), कुवा नफसनिया (Quwa Nafsaniyah) और कुवा हेवनियाह (Quwa Hayvaniyah) शामिल हैं।
यूनानी चिकित्सा के केंद्र के रूप में लखनऊ को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, क्यों कि यह शहर हकीम अब्दुल अजीज से जुड़ा हुआ है।हकीम अब्दुल अजीज का यूनानी चिकित्सा पद्धति के विकास में विशेष योगदान है। उनका जन्म कश्मीरी प्रवासियों के परिवार में हुआ था, और उन्हें यूनानी चिकित्सा में लखनऊ परंपरा का संस्थापक माना जाता है। उनका चिकित्सा का अभ्यास 1877 में शुरू हुआ। 1902 में उन्होंने यूनानी चिकित्सा में अनुसंधान और उत्कृष्टता के लिए लखनऊ में तकमिल अल तिब्ब स्कूल की स्थापना की। हकीम अब्दुल अजीज,ब्रिटिश भारत में एक प्रमुख यूनानी चिकित्सक थे।यूनानी चिकित्सा में उनके दार्शनिक दृष्टिकोण पर सबसे पहला जीवनी कार्य हकीम सैयद जिल्लुर रहमान द्वारा लिखा गया था। उन्होंने 'अज़ीज़ी परिवार' के संस्मरण और जीवन इतिहास,हकीम अब्दुल वहीद के नुस्खे और सूत्र, लखनऊ के अज़ीज़ी परिवार द्वारा उपयोग किए जाने वाले यूनानी सूत्र लिखे।यूनानी चिकित्सा के संबंध में अब्दुल अजीज का दृष्टिकोण शुद्धतावादी था और इसलिए वे हकीम अजमल खान (जिन्होंने वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों की अवधारणाओं के समावेश का समर्थन किया, से अलग थे। नतीजतन, यूनानी चिकित्सा के दिल्ली और लखनऊ स्कूल अलग-अलग दिशाओं में विकसित हुए। हकीम की ख्याति इतनी व्यापक थी कि पंजाब, अफगानिस्तान (Afghanistan), बलूचिस्तान (Balochistan), बुखारा (Bukhara) और हेजाज (Hejaz) जैसे दूर-दूर के क्षेत्रों से यूनानी चिकित्सा के छात्र और चिकित्सक उनके साथ अध्ययन करने आए। लखनऊ में उनके द्वारा स्थापित तकमिल अल तिब्ब स्कूल ने 1902-03 के व्यापक प्लेग के दौरान इस बीमारी का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
1910 में हकीम अब्दुल अजीज और हकीम अजमल खान और पंडित मदन मोहन मालवीय ने चिकित्सा के पारंपरिक रूपों की रक्षा के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेदिक और यूनानी तिब्ब सम्मेलन का गठन किया। 1904 में, दवा में मिलावट के प्रति हकीम के कड़े रवैये को पहचानते हुए, ब्रिटिश भारत ने उन्हें मेडिकल फॉर्मूलेशन (Medical formulation) के नियमन के लिए समिति के बोर्ड में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया। उनके शाही रोगियों में भोपाल की शाहजहाँ बेगम और बड़ौदा के सयाजीराव गायकवाड़ III के पुत्र शामिल थे।1910 में, हज यात्रा से लौटने के कुछ ही समय बाद, हकीम बीमार पड़ गए और उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु पर कवियों, पत्रकारों और आम लोगों ने व्यापक शोक व्यक्त किया तथा उनकी मृत्यु के बाद उनके दो सबसे बड़े बेटों ने तक्मिल अल तिब्ब के रखरखाव का कार्यभार संभाला। लखनऊ में एक सड़क का नाम “अब्दुल अजीज मार्ग” उनके नाम पर रखा गया है, और कॉलेज का रखरखाव अब सरकार करती है। अज़ीज़ी परिवार अभी भी यूनानी चिकित्सा पद्धति में शामिल है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3IB1jQh
https://bit.ly/3t4KLJD
https://bit.ly/3JQRHko

चित्र संदर्भ   
1.युनांनी चिकित्सा हकीम को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2.इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) के लोगो को दर्शाता चित्रण (www.ima-india)
3. हकीम अब्दुल अजीज को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id