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लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में रक्त कैंसर के रोगियों की उन्नत देखभाल

लखनऊ

 04-02-2022 02:25 PM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
हर साल 4 फरवरी यानी आज के दिन को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है,ताकि कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके तथा इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित किया जा सके। दुनिया की आधी आबादी ऐसी है, जिनकी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच नहीं है। जब कैंसर की बात आती है, तो हम में से कई लोगों को बुनियादी देखभाल से वंचित कर दिया जाता है, वो भी तब जब हम एक ऐसे समय में रह हैं, जिसमें कैंसर की रोकथाम, निदान और उपचार में विस्मयकारी प्रगति हो रही है। यह निष्पक्ष अंतराल या इक्विटी गैप (Equity gap) है, जो लोगों के जीवन को संकट में डाल रहा है। कैंसर देखभाल चाहने वाले लोग हर मोड़ पर बाधाओं का सामना करते हैं। आय, शिक्षा, भौगोलिक स्थिति और जातीयता, जाति, लिंग, यौन अभिविन्यास, आयु, विकलांगता और जीवन शैली पर आधारित भेदभाव कुछ ऐसे कारक हैं जो कैंसर से ग्रसित लोगों की देखभाल को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। सबसे अधिक वंचित समूह तंबाकू, अस्वास्थ्यकर आहार या पर्यावरणीय खतरों जैसे कई अन्य जोखिम कारकों के संपर्क में आते हैं, जिससे उन्हें कैंसर होने की संभावना अधिक हो जाती है। हाल ही में लखनऊ के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल ने रक्त कैंसर के रोगियों को Leuko reduced रक्त' प्रदान करना शुरू किया है, हालांकि इस प्रकार की उन्नत देखभाल तक आबादी के एक बड़े हिस्से की पहुंच नहीं है। भारत में कैंसर के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research-ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स एंड रिसर्च (National Centre for Disease Informatics and Research - NCDIR), बेंगलुरु द्वारा जारी नवीनतम कैंसर रिपोर्ट के अनुसार भारत में कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसका अनुमान है कि अगले पांच साल में यह वृद्धि 12% तक और हो सकती है।भारत में कुल कैंसर बोझ में तंबाकू से संबंधित कैंसर का योगदान 27% होने का अनुमान है, तथा फिर भी तंबाकू,सिगरेट आसानी से उपलब्ध है। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट (National Cancer Registry Programme Report) 2020 में सामने आए आंकड़ों के अनुसार, 2020 में पुरुषों में कैंसर के मामले 679,421 थे, तथा इसके 2025 तक 763,575 होने का अनुमान है, जबकि महिलाओं में 2020 में कैंसर के मामले 712,758 थे, जिनके 2025 तक 806,218 होने का अनुमान है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि बीमारी के रूप में कैंसर ज्यादातर वरिष्ठ आबादी को प्रभावित करता है। उच्च जीवन प्रत्याशा का अर्थ है उच्च कैंसर दर। युवा आयु वर्ग में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़ते दिख रहे हैं।भारत में कैंसर के मामलों में वृद्धि के पीछे कई कारण हैं,जिनमें पश्चिमी जीवन शैली, अनुचित आहार की आदतें, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, खाद्य योजक, मांसाहारी आहार, रासायनिक प्रदूषण, कब्ज, व्यायाम की कमी आदि शामिल हैं।खराब जीवनशैली, लंबे समय तक काम करना, तनावपूर्ण जीवन, धूम्रपान, शराब का सेवन, गर्भनिरोधक का उपयोग आदि स्तन कैंसर के मामलों में योगदान दे रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार,2018 में भारत में कैंसर के लगभग 1.16 मिलियन मामले थे। इसमें यह भी कहा गया था कि 10 में से एक भारतीय के जीवनकाल में कैंसर का विकास होगा तथा 15 में से एक की बीमारी के कारण मृत्यु हो जाएगी। इस रिपोर्ट में भारत में, छह सबसे आम प्रकार के कैंसर: स्तन कैंसर (162,500 मामले), मुंह का कैंसर (120,000 मामले), सर्वाइकल (Cervical) कैंसर (97,000 मामले), फेफड़े का कैंसर (68,000 मामले), पेट का कैंसर (57,000 मामले), और कोलोरेक्टल (Colorectal) कैंसर (57,000 मामले) थे। कुल मिलाकर, ये सभी नए कैंसर मामलों का 49% हिस्सा हैं।भारत में कैंसर के पैटर्न में पुरुषों में तंबाकू से संबंधित सिर और गर्दन के कैंसर, विशेष रूप से मुंह के कैंसर का उच्च बोझ है, जबकि महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का उच्च बोझ है। ये दोनों प्रकार के कैंसर निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति से जुड़े हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी कि अगले 20 वर्षों में वैश्विक कैंसर की दर 60% तक बढ़ सकती है जब तक कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कैंसर की देखभाल में तेजी नहीं आई। कैंसर के बढ़ते मामलों में इक्विटी गैप मुख्य भूमिका निभाता है। जहां निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इक्विटी गैप अधिक स्पष्ट है, वहीं अच्छी तरह से संसाधन युक्त देश में भी यह मौजूद है।दुनिया भर में, महिलाओं और लड़कियों को कुप्रथा, रूढ़िवादिता और अपेक्षित लिंग भूमिकाओं के परिणामस्वरूप भेदभाव का सामना करना पड़ता है तथा यह कैंसर देखभाल तक उनकी पहुंच को और भी सीमित करता है।जातिवाद का किसी व्यक्ति की कैंसर देखभाल तक पहुँचने की क्षमता पर गहरा प्रभाव पड़ता है और अल्पसंख्यक आबादी को अक्सर अपने देशों की बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने में गंभीर बाधाओं का सामना करना पड़ता है।गरीबी गंभीर रूप से गुणवत्तापूर्ण कैंसर देखभाल तक पहुंच को सीमित करती है। उच्च और निम्न-आय वाले देशों में समान रूप से, निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति का अर्थ है कम पहुंच। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में रोकथाम, स्क्रीनिंग (Screening) और उपचार सेवाओं की कमी का मतलब है,आवश्यक संसाधनों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करना। किसी व्यक्ति की उम्र कितनी है, इस बात के आधार पर उसको मिलने वाली कैंसर देखभाल की गुणवत्ता तय नहीं करनी चाहिए। फिर भी कई लोगों के लिए यह वास्तविकता है।कैंसर किसी भी उम्र में विकसित हो सकता है, लेकिन इसके होने का खतरा उम्र के साथ नाटकीय रूप से बढ़ जाता है।एक विशेष प्रकार के स्तन कैंसर वाली वृद्ध महिलाओं का उच्च अनुपात अपने युवा समकक्षों की तुलना में कम कीमोथेरेपी (Chemotherapy) प्राप्त करता है। कोरोना महामारी ने देश के लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित किया है, जिसमें कैंसर देखभाल वितरण प्रणाली भी एक है, खासकर भारत जैसे विकासशील देशों में। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अधिकांश कैंसर रोगियों को आम तौर पर उचित कैंसर उपचार प्राप्त करने के लिए बड़े शहरों में जाने की आवश्यकता होती है। किंतु संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए किए गए प्रयासों के चलते कैंसर देखभाल वितरण सेवाओं में अनेकों बाधाएं उत्पन्न हुईं,जिसके कारण निदान या उपचार की शुरुआत और उपचार में रुकावट या पुनर्निर्धारण में देरी हुई। इस महामारी ने कैंसर देखभाल में मौजूद असमानता को और भी बढ़ा दिया है। हम स्वास्थ्य समानता तब प्राप्त करेंगे जब प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक स्थिति या अन्य सामाजिक रूप से निर्धारित परिस्थितियों द्वारा निर्मित बाधाओं या सीमाओं के बिना अपनी पूर्ण स्वास्थ्य क्षमता तक पहुंचने का अवसर मिलेगा।कैंसर की रोकथाम के बारे में जनता को शिक्षित करके, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को कौशल और ज्ञान से युक्त करके (यह ध्यान में रखते हुए कि असमानता कैंसर की देखभाल को कैसे प्रभावित करती है),समुदायों में वितरित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करके,नीति और कार्यक्रमों के माध्यम से कुछ सामाजिक और आर्थिक कारकों को हल करके,संसाधनों में वृद्धि करके,देश-विशिष्ट कैंसर की रोकथाम और नियंत्रण योजनाओं को लागू करके सामूहिक रूप से,कैंसर देखभाल में मौजूद असमानता को कम किया जा सकता हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3Hq34Pm
https://bit.ly/3ATphTq
https://bit.ly/3Hnx6n0
https://bit.ly/3gic5hE
https://bit.ly/3rkK53j
https://bit.ly/3GkscG8

चित्र संदर्भ:
1.कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा का एक चित्रण(youtube)
2.एक कैंसर कोशिका(youtube)


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