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वर्तमान समय में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां विज्ञान का प्रभाव या अनुप्रयोग देखने को न
मिल रहा हो।पाक कला भी इन्हीं क्षेत्रों में से एक है, जिसने आणविक गैस्ट्रोनॉमी (Molecular
gastronomy) को अपने साथ शामिल कर लिया है।आणविक गैस्ट्रोनॉमी,खाना पकाने के
दौरान होने वाले भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों से संबंधित वैज्ञानिक विषय है। कभी-कभी
इस शब्द का इस्तेमाल गलती से नए व्यंजनों और पाक तकनीकों के निर्माण हेतु वैज्ञानिक
ज्ञान के उपयोग के लिए भी किया जाता है। वास्तव में यह खाद्य विज्ञान की एक शाखा है
जो खाना पकाने के दौरान उत्पन्न होने वाली भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाओं पर केंद्रित
है। वर्तमान समय में आणविक गैस्ट्रोनॉमी तकनीकों का उपयोग आमतौर पर विभिन्न रेस्तरां
और यहां तक कि घर पर भी किया जा रहा है। कई लोग इसे खाद्य विज्ञान की संज्ञा देते
हैं, लेकिन खाद्य विज्ञान अपने आप में एक बड़ा विषय है,तथा यह आणविक गैस्ट्रोनॉमी को
अपने अंतर्गत शामिल करता है। आणविक गैस्ट्रोनॉमी की तरह, खाद्य विज्ञान भी सामग्री की
भौतिक, जैविक और रासायनिक संरचना से संबंधित है।आणविक गैस्ट्रोनॉमी में भौतिक गुण
जैसे बल, वेक्टर (Vector), और द्रव्यमान तथा रासायनिक घटकों जैसे एक घटक की आणविक
संरचना, सूत्र, और प्रतिक्रियाशील उत्पादों की पहचान की जाती है तथा अंतर्ग्रहीत उत्पादों की
तैयारी में उपयोग किया जाता है।
आणविक गैस्ट्रोनॉमी शब्द का जन्म 1992 में हुआ था जब पाक कला की एक अंग्रेजी
शिक्षक, एलिजाबेथ थॉमस (Elizabeth Thomas) ने एक कार्यशाला का प्रस्ताव रखा था,जिसमें
पेशेवर रसोइया खाना पकाने की भौतिकी और रसायन विज्ञान को सीख सकते थे।भोजन और
उसे पकाने की प्रक्रियाओं के बारे में अर्जित ज्ञान की मदद से नए व्यंजनों को डिजाइन करने
या उसका आविष्कार करने के लिए ऐसा किया गया था।आण्विक गैस्ट्रोनॉमी एक प्रकार से
भोजन के स्वाद और बनावट को बदलने के लिए भौतिकी और रसायन विज्ञान का मिश्रण
है।आणविक गैस्ट्रोनॉमी सिद्धांतों, प्रथाओं और प्रावधानों की वस्तुओं ने दुनिया भर में शेफ
(Chef) और उनके ग्राहकों को प्रभावित किया है। अनेकों प्रतिष्ठित रेस्तरां, कैफे, बार आदि
आण्विक गैस्ट्रोनॉमी का उपयोग कर रहे हैं, हालांकि किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह, आणविक
गैस्ट्रोनॉमी ने दुनिया भर के खाद्य लेखकों और रसोइयों की बहुत आलोचना प्राप्त की है।
कई विख्यात रसोइयों ने आणविक गैस्ट्रोनॉमी को वैज्ञानिक गैस्ट्रोनॉमिक घटना के रूप में
स्वीकार नहीं किया है, उन्होंने इसे भोजन की अस्थायी शैली के रूप में लेबल किया है।
आणविक गैस्ट्रोनॉमी में कई तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिनमें पायसीकरण,
स्फेरीफिकेशन (Spherification), ट्रांसग्लूटामिनेज (Transglutaminase)के साथ मीट ग्लूइंग
(Meat Gluing),जेलीकरण (Gelification),सूस वाइड (Sous Vide),डीकंस्ट्रक्शन
(Deconstruction),तरल पदार्थ को पाउडर में बदलना, स्मोकिंग (Smoking),फ्लैश फ्रीजिंग
(Flash Freezing)शामिल हैं।पायसीकरण में फोम (Foam) बनाने के लिए सोया लेसिथिन (Soy
lecithin) को चुनी हुई सामग्री के साथ मिलाने हेतु हैंड ब्लेंडर (Hand blender) का उपयोग
किया जाता है। स्फेरीफिकेशन,एक नरम, मुलायम गोले बनाने की प्रक्रिया है जो मोती या
कैवियार (Caviar) अंडे से मिलते जुलते हैं। इस तकनीक में कैल्शियम क्लोराइड (Calcium
chloride) और एल्गिनेट (Alginate) का उपयोग किया जाता है, जो संयुक्त होने पर जेल (Gel)
बन जाता है। बबल टी (Bubble tea) के लिए बर्स्टिंग बोबा (Bursting boba) बनाने हेतु
स्फेरिफिकेशन का उपयोग किया जाता है। ट्रांसग्लूटामिनेज, एक एंजाइम है जिसका उपयोग
अक्सर मांस के टुकड़ों को एक साथ बांधने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग विभिन्नप्रकार के मांस का एक चिकना संयोजन बनाने के लिए भी किया जा सकता है।जेलीकरण
तकनीक में अगार अगार (AgarAgar) या कैरेजेनन (Carrageenan) जैसे कारकों का उपयोग
करके तरल खाद्य पदार्थों को जैल में बदला जा सकता है। सूस वाइड एक ऐसी तकनीक
है,जिसमें वैक्यूम-सील्ड (Vacuum-sealed) भोजन को वाटर बाथ (Water bath) में धीमी आंच
में पकाया जाता है। डीकंस्ट्रक्शन तकनीक में व्यंजन के तत्वों को तोड़ना और प्रस्तुति का
पुनर्निर्माण करना शामिल है। एक तकनीक के द्वारा स्टार्च (Starch) जैसे पदार्थ
माल्टोडेक्सट्रिन (Maltodextrin) के साथ उच्च वसा वाले तरल पदार्थ को पाउडर में बदला जा
सकता है।स्मोकिंग गन की मदद से स्मोक कॉकटेल (Cocktails), बीयर (Beer), सॉस
(Sauces),मीट और बहुत कुछ बनाया जा सकता है।
आण्विक गैस्ट्रोनॉमी का उपयोग कर बनाए गए व्यंजनों की बात करें तो इनमें फोम करी
(Foam curry),स्मोक्ड बियर और कॉकटेल (Smoked beer and cocktails),अरुगुला स्पेगेटी
(Arugula spaghetti), डिसअपियरिंग ट्रांसपेरेंट रेविओली (Disappearing transparent ravioli)
आदि शामिल हैं।भारत के कुछ लोकप्रिय रेस्तरां जिन्होंने आणविक गैस्ट्रोनॉमी को अपनाया
है, उनमें फ़र्ज़ी कैफे (Farzi café), पिंक पॉपपैडम (Pink poppadum) और मसाला लाइब्रेरी
(Masala library) शामिल हैं।भारत में बहुत सारे रेस्तरां आणविक गैस्ट्रोनॉमी तकनीकों का
उपयोग कर रहे हैं। हालांकि कुछ रसोइयों का कहना है,कि यह भारतीय भोजन के स्वाद को
नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि वे बहुत नाजुक और जटिल होते हैं। भारतीय व्यंजनों के
लिए यदि हाइड्रोक्लोराइड (Hydrochlorides) का इस्तेमाल किया जाता है, तो व्यंजन के स्वाद
में थोड़ी गिरावट हो सकती है। हालांकि, एक रसायन के रूप में आणविक गैस्ट्रोनॉमी बिल्कुल
सुरक्षित है। इसे आजमाया भी गया है और चखा भी गया है,लेकिन सही प्रशिक्षण, प्रतिभा
और उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है अन्यथा यह स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकता
है।चाहे तरल नाइट्रोजन (Nitrogen) हो, अगार अगार हो या जेंथन गम (Xanthan gum) सभी
मानव उपभोग के लिए सुरक्षित हैं लेकिन यदि अधिक मात्रा में लिया जाए तो यह आप पर
बुरा प्रभाव डाल सकता है।भारतीय बाजार आण्विक गैस्ट्रोनॉमी की अवधारणा से भली भांति
परिचित है तथा यह पहले से ही इस अवधारणा के लिए तैयार है। ऐसा इसलिए है,क्योंकि
अनेकों शहरों में लोकप्रिय भारतीय रेस्तरां इसका उपयोग कर रहे हैं।भारतीय बाजार में यह
कायम रह सकता है तथा इसे भारतीय भोजन में व्यावहारिक रूप से लागू भी किया जा
सकता है।भारतीय रेस्तरां द्वारा यदि इसका विज्ञापन किया जाता है, तो यह भारतीय बाजार
में और भी अधिक विकसित होगा।
संदर्भ:
https://bit.ly/3rUyMxL
https://bit.ly/3KKdc7M
https://bit.ly/3H5o51G
https://bit.ly/3r0Gk2J
https://bit.ly/3rT78RK
चित्र संदर्भ
1 थाली में परोसे गए व्यंजनों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. एलीनिया में एक डिश चढ़ाते हुए ग्रांट अचत्ज़ को आणविक गैस्ट्रोनॉमी में अग्रणी अमेरिकी शेफ कहा जाता, जिनको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. रस और अन्य तरल पदार्थों का गोलाकार आण्विक गैस्ट्रोनॉमी की एक तकनीक है। जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक रेस्तरां में कीमा बनाए हुए मांस, टमाटर, कसा हुआ पनीर और अरुगुला के साथ स्पेगेटी बोलोग्नीज़ को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. जेंथन गम (Xanthan gum) को दर्शाता एक चित्रण (Stephanie Kay Nutrition)
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