क्यों भारत भर में और लखनऊ के समीप की आर्द्रभूमि वृद्धि एक गर्व का विषय है?

भूमि और मिट्टी के प्रकार : कृषि योग्य, बंजर, मैदान
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क्यों भारत भर में और लखनऊ के समीप की आर्द्रभूमि वृद्धि एक गर्व का विषय है?

जल, जंगल और जमीन तीन ऐसे स्तंभ हैं, जिनपर हमारी धरती के जीवन चक्र का पूरा भार टिका हुआ है। किंतु विगत कुछ दशकों में मानवीय कारणों से न केवल हमारे यह तीन स्तंभ कमजोर पड़ने लगे हैं, बल्कि इन पर निर्भर हमारे जीव-जंतु अथवा जंगली जानवर भी संकट का सामना कर रहे हैं। हालांकि सौभाग्य से विभन्न अंतराष्ट्रीय संगठनों और सरकारों ने मिलकर कई ऐसे सराहनीय कार्य अथवा समझौते किये हैं, जो हमारी धरती और धरती पर पनपने वाले जीवन के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आये हैं। इसी क्रम में विश्व की आद्रभूमियों के स्थाई उपयोग व संरक्षण के लिए यूनेस्को (UNESCO) के नेतृत्व में की गई अंतरराष्ट्रीय "रामसर अभिसमय" संधि भी अंतराष्ट्रीय संगठनों द्वारा किये गए सराहनीय कार्यों में से एक है।
आर्द्रभूमि क्या है?
जलीय या दलदली भूमि वाले क्षेत्र को आर्द्रभूमि या वेटलैंड (wetland) के नाम से जाना जाता है। जमीन के इस हिस्से में पारितंत्र का बड़ा हिस्सा स्थाई रूप से या प्रतिवर्ष अधिकांश समय में जल से संतृप्त रहता है। ईरान के रामसर शहर में 1971 में पारित एक अभिसमय ("ऐसे सम्मेलन जहाँ किसी समान उद्देश्य को लेकर चर्चा हो।" convention) के अनुसार, आर्द्रभूमि ऐसा स्थान है जहाँ वर्ष में आठ माह पानी भरा रहता है। आर्द्रभूमि हमारे पर्यावरण के लिए कई मायनों में लाभदायक होती है। उदाहरण के तौर पर जल को प्रदूषण मुक्त रखने में आर्द्रभूमि का अहम् योगदान होता है। ऐसे क्षेत्रों में जलीय पोंधे भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, साथ ही आर्द्रभूमियाँ जैवविविधता की दृष्टि से भी अंत्यंत संवेदनशील होती हैं, क्योंकि कई विशेष प्रकार की वनस्पति व अन्य जीवों के फलने- फूलने के लिये केवल आर्द्रभूमि ही अनुकूलित होती है। भारत में आर्द्रभूमि ठंडे और शुष्क इलाकों से लेकर मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों और दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है। रामसर अभिसमय के अन्तर्गत वैश्विक स्तर पर वर्तमान में कुल 1929 से अधिक आर्द्रभूमियाँ मौजूद हैं।
रामसर अभिसमय क्या है?
रामसर अभिसमय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों, विशेषकर जलप्रवाही पशु पक्षियों के प्राकृतिक आवास, से संबंधित एक अभिसमय (convention) है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसके अंतर्गत आर्द्रभूमियों के धारणीय प्रयोग और संरक्षण को सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। इसी क्रम में आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 2 फरवरी को पूरी दुनिया में विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetland Day) के रूप में मनाया जाता है। सर्वप्रथम ईरान के शहर रामसर में 2 फरवरी सन् 1971 को हुए सम्मेलन में शामिल राष्ट्रों द्वारा आर्द्रभूमियों के संरक्षण से संबंधित अभिसमय पर हस्ताक्षर किया गया। जिसकी मेजबानी ईरान के पर्यावरण विभाग द्वारा की गयी। इस समझौते को रामसर अभिसमय के नाम से जाना जाने लगा। इसे 21 दिसंबर 1975 से प्रभावी तौर पर लागू किया गया। जब कोई देश कन्वेंशन को स्वीकार करता है, तो उसे कम से कम एक आर्द्रभूमि को अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित करना चाहिए। इसकी सूची में विश्व की प्रमुख वेटलैंड्स को शामिल किया गया है। रामसर अभिसमय में स्वीकार की गयी परिभाषा के अनुसार आर्द्रभूमि ऐसा स्थान है, जहाँ वर्ष में कम से कम आठ माह पानी भरा रहता है। सबसे बड़ी आर्द्रभूमि संयुक्त राज्य के फ्लोरिडा का इवरग्लैडस (Everglades of Florida) है।
भारत के रामसर स्थल?
दुनिया भर में 171 रामसर कॉन्ट्रैक्टिंग पार्टियों (Ramsar Contracting Parties) के क्षेत्रों में 2,400 से अधिक रामसर साइटें 2.5 मिलियन वर्ग किमी में फैली हुई हैं। दुनिया की पहली साइट ऑस्ट्रेलिया (Australia) में कोबोर्ग प्रायद्वीप थी, जिसे 1974 में नामित किया गया था। हमारे पास लखनऊ में सुल्तानपुर सहित भारत में जुलाई 2021 तक, 46 रामसर भूमि दर्ज की गई हैं। जिन्हे क्रमशः निम्नवत दिया गया है.
1. कोलेरु झील (आंध्र प्रदेश)
2. गहरा बील (असम)
3. नालसरोवर पक्षी अभयारण्य (गुजरात)
4. चंदेरटल वेटलैंड (हिमाचल प्रदेश)
5. पौंग बांध झील (हिमाचल प्रदेश)
6. रेणुका वेटलैंड (हिमाचल प्रदेश)
7. होकेरा वेटलैंड (जम्मू और कश्मीर)
8. सूरिंसार-मानसर झीलें (जम्मू-कश्मीर)
9. त्सो-मोरीरी (लद्धाख)
10. वुलर झील (जम्मू-कश्मीर)
11. अष्टमुडी वेटलैंड (केरल)
12. सस्थमकोट्टा झील (केरल)
13. वेम्बनाड-कोल वेटलैंड( केरल)
14. भोज वेटलैंड, भोपाल, ( मध्य प्रदेश)
15. लोकतक झील ( मणिपुर)
16. भितरकनिका मैंग्रोव (ओडिशा)
17. चिल्का झील (ओडिशा)
18. हरिके झील (पंजाब)
19. कंजली झील (पंजाब)
20. रोपड़ (पंजाब)
21. सांभर झील (राजस्थान)
22. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान( राजस्थान)
23. प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
24. रुद्रसागर झील (त्रिपुरा)
25. ऊपरी गंगा नदी ,ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव (उत्तर प्रदेश)
26. पूर्व कलकत्ता वेटलैंड्स (पश्चिम बंगाल)
27. सुंदर वन डेल्टा (पश्चिम बंगाल)
28. नंदूर मधमेश्वर ,नासिक (महाराष्ट्र)
29. केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्व ( पंजाब)
30. व्यास संरक्षण रिजर्व (पंजाब)
31. नांगल वन्यजीव अभयारण्य,रूपनगर ( पंजाब)
32. साण्डी पक्षी अभयारण्य ,हरदोई ( उत्तर प्रदेश)
33. समसपुर पक्षी अभयारण्य,रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
34. नवाबगंज पक्षी अभयारण्य, उन्नाव (उत्तर प्रदेश)
35. समन पक्षी अभयारण्य ,मैनपुरी (उत्तर प्रदेश)
36. पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य , गोंडा (उत्तर प्रदेश)
37. सरसई नावर झील , इटावा (उत्तर प्रदेश)
38. आसान रिजर्व
39. कबर तल (बिहार)
40.लोनार झील (महारष्ट्र)
41.सुर सरोबर (आगरा)
42.त्सो कर लेक (लद्दाख)
वर्ष 2021में शामिल किए गए 4 क्षेत्र
43.भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य (हरियाणा)
44.सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान (हरियाणा)
45.थोल झील वन्यजीव अभयारण्य (गुजरात)
46.वाधवाना आर्द्रभूमि (गुजरात) 47.हैदरपूर वेटलॅड (उत्तरप्रदेश)
भारत में खोजी जा रहे नए-नए रामसर स्थलों को मान्यता मिलने के प्रति ख़ुशी जाहिर करते हुए देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "यह हमारे लिए गर्व की बात है कि चार भारतीय स्थलों (हरियाणा और गुजरात के दो-दो स्थलों) को रामसर मान्यता मिली है। रामसर सूची का उद्देश्य "आर्द्रभूमि के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को विकसित करना और बनाए रखना है। जो वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण के लिए और उनके पारिस्थितिक तंत्र घटकों, प्रक्रियाओं और लाभों के रखरखाव के माध्यम से मानव जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। एक बार फिर प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने, वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण की दिशा में काम करने और एक हरित ग्रह के निर्माण के भारत के सदियों पुराने लोकाचार संस्कृति को इन नई खोजी गई आर्द्रभूमियों से बल मिला है।

संदर्भ
https://bit.ly/3qAJJUJ
https://bit.ly/3eyN2G5
https://bit.ly/3pzpEP0
https://bit.ly/3etlmTc

चित्र संदर्भ   

1.आर्द्रभूमि को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. आर्द्रभूमि में उगे पोंधों को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. उन पारो में रामसर कन्वेंशन के बारे में फुजीमा-हिनता के स्मारक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)