Post Viewership from Post Date to 23-Jan-2022 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
648 109 757

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

लखनऊ का लेबुआ होटल और साहू सिनेमा है आर्ट डेको शैली के सबसे आकर्षक उदाहरण

लखनऊ

 24-12-2021 11:03 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

“आर्ट डेको” (Art Deco)‚ दृश्य कला‚ वास्तुकला और डिजाइन की एक ऐसी शैली है‚ जिसने आधुनिक शैलियों को बेहतरीन शिल्पकारिता तथा समृद्ध सामग्री के साथ जोड़ा। यह सबसे पहले‚ प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व फ्रांस में दिखाई दी थी। उस दौरान यह सामाजिक और तकनीकी प्रगति में विलासिता‚ आकर्षण‚ उत्साह और विश्वास का प्रतिनिधित्व करती थी। इसने इमारतों‚ फर्नीचर‚ गहनों‚ फैशन‚ कारों‚ सिनेमाघरों‚ रेलगाड़ियों‚ समुद्री जहाजों और रोजमर्रा की वस्तुओं जैसे; रेडियो और वैक्यूम क्लीनर के डिजाइन को प्रभावित किया‚ लेकिन किसी को भी आर्ट डेको आर्किटेक्चर के रूप में सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं थी।
इसका नाम “आर्ट्स डेकोरेटिफ़्स” (Arts Decoratifs)‚ 1925 में पेरिस‚ फ्रांस (Paris‚ France) में आयोजित‚ एक्सपोज़िशन इंटरनेशनेल डेस आर्ट्स डेकोरैटिफ़्स एट इंडस्ट्रियल्स मॉडर्नेस (Exposition internationale des arts decoratifs et industriels modernes) (इंटरनेशनल एग्जिबिशन ऑफ मॉडर्न डेकोरेटिव एंड इंडस्ट्रीयल आर्ट्स) से लिया गया था‚ हालांकि इसकी विशेषता वाली विविध शैलियां प्रथम विश्व युद्ध से पहले ही पेरिस और ब्रुसेल्स (Brussels) में दिखाई दे चुकी थीं। इस ‘आधुनिक सजावटी और औद्योगिक कला की अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी’ में ही “आर्ट डेको” आंदोलन शुरू हुआ। दुनिया भर से युवा कलाकार और डिजाइनर एक नई‚ आधुनिक शैली बनाने के लिए एकत्रित हुए‚ जो पहले देखी गई किसी भी चीज़ के विपरीत नहीं थी। इस नई शैली में ज्यामितीय आकार‚ बहु-स्तरीय संरचनाएं और चिकनी रंग-सज्जा मुख्य थे‚ जो इन भव्य विवरणों के माध्यम से समाज में मौजूद धन और उद्योगवाद के उदय को प्रतिबिंबित करने लगे।
आधुनिक और परिष्कृत शैली के रूप में माना जाने वाला यह नया आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध के बाद पूरे यूरोप (Europe) और उत्तरी अमेरिका (North America) में फैल गया था। इसे कभी-कभी डेको (Deco) भी कहा जाता है। इसकी शुरुआत से ही आर्ट डेको‚ क्यूबिज़्म (Cubism) के बोल्ड ज्यामितीय रूपों तथा वियना सेकेशन (Vienna Secession) जैसी कला प्रवृत्तियों से प्रभावित था‚ जिसमें फाउविज्म (Fauvism) जैसे आधुनिक कलाकारों के समूह और बैले रुस (Ballets Russes) के चमकीले रंग; लुई फिलिप I (Louis Philippe I) और लुई XVI (Louis XVI) के युग के फर्नीचर के नवीनतम शिल्प कौशल तथा चीन‚ जापान‚ भारत‚ फारस‚ प्राचीन मिस्र और माया कला की विदेशी शैलियां शामिल थी। इसमें दुर्लभ और महंगी सामग्री‚ जैसे आबनूस‚ हाथीदांत और उत्कृष्ट दस्तकारी भी शामिल थे। 1920 और 1930 के दशक के दौरान निर्मित न्यूयॉर्क (New York) शहर की क्रिसलर बिल्डिंग (Chrysler Building) और अन्य गगनचुंबी इमारतें डेको शैली के स्मारक हैं। आर्ट डेको वास्तुकला 1930 के दशक के अंत तक जारी रही‚ जब महामंदी के आर्थिक प्रभावों ने लागत में कटौती और आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने के लिए सूक्ष्म और विवश डिजाइनों का आह्वान किया। आर्ट डेको और अधिक दब गया‚ जब क्रोम प्लेटिंग (chrome plating)‚ स्टेनलेस स्टील (stainless steel) और प्लास्टिक (plastic) सहित नई सामग्री आई‚ शैली का एक आकर्षक रूप‚ जिसे स्ट्रीमलाइन मॉडर्न (Streamline Moderne) कहा जाता है‚ 1930 के दशक में दिखाई दिया‚ जिसमें घुमावदार रूपों की विशेषता और चिकनी पॉलिश की गई सतहें थीं। “आर्ट डेको” सही मायने में पहली अंतरराष्ट्रीय शैलियों में से एक है‚ लेकिन इसका प्रभुत्व द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत के साथ समाप्त हो गया और आधुनिक वास्तुकला तथा वास्तुकला की अंतर्राष्ट्रीय शैली की कार्यात्मक और अलंकृत शैलियों का उदय हुआ। आर्ट डेको विश्व स्तर पर विस्तारित हुआ और 1930 के आसपास मुंबई के माध्यम से भारत में उतरा। तब से यह वास्तुकला इमारतों में विविधतापूर्ण हो गई‚ सिनेमाघरों से लेकर आवासों‚ कार्यालयों आदि तक‚ इसने शहर के हर नुक्कड़ और कोने को छुआ और मुंबई को एक डेको निधि में बदल दिया। ऐसा माना जाता है कि मुंबई के पास मियामी (Miami) के बाद दुनिया की दूसरी सबसे अधिक आर्ट डेको इमारतें हैं।
लखनऊ अपने पुराने विश्व गौरव के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। लेकिन इसके समृद्ध व्यंजन‚ शिष्ट संस्कृति और स्थापत्य रत्न इतिहास और विस्मृति के पूर्व वृतान्त में लुप्त हो रहे हैं। इसकी लुप्त होती शैली के लिए‚ हाल में लॉन्च किया गया‚ आर्ट डेको शैली का ‘लेबुआ’ (Lebua)‚ लखनऊ के लिए एक पुनरुद्धार की उम्मीद है‚ यह पैतृक होटल लखनऊ के तत्कालीन स्थापत्य वैभव को पुनर्जीवित करता है। शहर में एकमात्र प्रमाणित विरासत‚ होटल ‘लेबुआ’ लखनऊ को 19वीं सदी के पारंपरिक बंगले के रूप में परिकल्पित किया गया है और यह 20वीं सदी की शुरुआत में लखनऊ की वास्तुकला और डिजाइन पर “आर्ट डेको” प्रभाव को दर्शाता है। 1936 में बनी यह संपत्ति मूल रूप से एक ब्रिगेडियर के परिवार की थी‚ जो अपनी पत्नी के साथ यहां एक गेस्टहाउस चलाते थे। उनके निधन के बाद यह संपत्ति अनुपयोगी हो गई। 2014 में लखनऊ में जन्मे प्रवासी मोहम्मद अब्दुल्ला (Mohammed Abdullah) और उनकी आंतरिक सज्जाकार पत्नी नायब बख्शी (Nayab Bakshi) ने यह जगह खरीदी और इसे बुटीक होटल में बदल दिया। उन्होंने इसकी मूल संरचना बरकरार रखी‚ और चार साल बाद एक ऐसा होटल पेश किया जो स्वच्छता‚ शिष्टता और परिष्करण को दर्शाता है और एक अभिजात वर्ग के घर जैसा लगता है। ये एक लक्ज़री बुटीक संपत्ति है‚ जो मध्य लखनऊ में स्थित है और एक विशाल हरे-भरे लॉन के साथ एक विशाल पारंपरिक बंगले के रूप में परिकल्पित है। होटल का अग्रभाग “आर्ट डेको” शैली से निर्मित‚ एक विशाल लॉन पर दिखता है‚ जिसमें एक बड़ा पोर्च‚ एक बाहरी बरामदा और कार्यालय‚ 20 वीं सदी के लेआउट को दर्शाता है। फ्रेंच (French) दरवाजे और खिड़कियां‚ सने हुए कांच के वायु-प्रवाहक‚ धनुषाकार द्वार‚ मोज़ेक फर्श और विस्तृत झूमर‚ आधुनिक 1900 के दशक की झलक दिखलाते हैं। लखनऊ में “आर्ट डेको” शैली के एक और उदाहरण के रूप में‚ लखनऊ के विरासत क्षेत्र हजरतगंज में‚ 1932 की फ्रांसीसी शैली की इमारत‚ “साहू थिएटर बिल्डिंग” (Sahu Theatre Building) में नवीनतम पीवीआर (PVR) है। ‘प्लाजा’ (Plaza)‚ ‘रीगल’ (Regal)‚ ‘फिल्मिस्तान’ (Filmistaan)‚ ‘साहू थिएटर’ जैसे अतीत में कई नामों के साथ‚ थिएटर का नया नाम अब ‘पीवीआर साहू’ (PVR Sahu) हो गया है‚ जो अपने पुराने विश्व आकर्षण को बरकरार रखते हुए आधुनिक दुनिया की सुविधा और विलासिता को एक साथ लाता है। खूबसूरती से पुनर्निर्मित थिएटर‚ साहू ग्रुप (Sahu Group) का एक सपना था‚ और पीवीआर के प्रबंधन को संभालने से पहले उनके द्वारा निष्पादित किया गया था। साहू ग्रुप ने थिएटर में यथोचित बालकनी और स्टाल स्टाइल सीटिंग (stall style seating) के साथ सिंगल स्क्रीन (single screen) को बनाए रखने का फैसला किया‚ लेकिन देखने के अनुभव पर कोई समझौता नहीं किया‚ इसे बार्को 4K आरजीबी लेजर प्रोजेक्शन (BARCO 4K RGB Laser projection)‚ हार्कनेस सिल्वर स्क्रीन (Harkness Silver Screen) और डॉल्बी एटमॉस सराउंड सिस्टम (Dolby Atmos surround system) के साथ वर्धित किया गया है‚ जो शहर में अपनी तरह का पहला पीवीआर है। साहू थिएटर बिल्डिंग का प्रवेश द्वार अब पूरी तरह से बदल दिया गया है‚ यह अब एक सुंदर अमेरिकी फुटपाथ की तरह दिखता है‚ जिसमें बाईं ओर मेज और कुर्सियों के साथ प्रतीक्षा क्षेत्र और एक अच्छी तरह से प्रकाशित‚ सुंदर दिखने वाला बॉक्स ऑफिस और दाईं ओर सिनेमा प्रवेश द्वार है। आलीशान झूमर‚ गर्म रोशनी‚ डिजाइनर साइड पैनल और संगमरमर की लॉबी‚ इसके शाही आकर्षण को बढ़ाते हैं। इसके अलावा लाल और सुनहरे रंग की आलीशान आंतरिक सज्जा तथा “आर्ट डेको” शैली की दीवार और छत इसे और भी आकर्षक बनाते हैं।

संदर्भ:

https://bit.ly/3efqtpN
https://bit.ly/3mmwMfK
https://bit.ly/3qgqpM8
https://bit.ly/33JZgcR
https://bit.ly/3FpyXGU

चित्र संदर्भ

1. ऑर्चर्ड रोड पर आर्ट डेको बिल्डिंग को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. न्यू योर्क शहर की एक इमारत को दर्शाता एक चित्रण (flickr) 3.आर्ट डेको शैली की सीढ़ियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

4. लखनऊ के विरासत क्षेत्र हजरतगंज में‚ 1932 की फ्रांसीसी शैली की इमारत‚ “साहू थिएटर बिल्डिंग” को दर्शाता एक चित्रण (youtube)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id