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लोकप्रिय खेल “पार्कौर" (Parkour) का उद्भव औपचारिकरूप से "शारीरिक शिक्षा" के क्षेत्र से हुआ
था।1900 के दशक की शुरुआत में मार्टिनिक (Martinique) द्वीप पर फ्रांस (French) से उत्पन्न,
पार्कौर एक ऐसा खेल है जिसने पूरी दुनिया में काफी लोकप्रियता हासिल की है।1902 में, एक
विनाशकारी ज्वालामुखीय विस्फोट ने मार्टिनिक के कैरीबियाई (Caribbean) द्वीप पर सेंट पियर (St.
Pierre) शहर को नष्ट कर दिया था।तभी फ्रेंच नौसेना लेफ्टिनेंट, जॉर्ज हेबर्ट (Georges Hébert), ने
शहर के बाहरी इलाके से 700 से अधिक स्वदेशी और यूरोपीय दोनों लोगों को निकालने में मदद
करी। इस घटना का उन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। चूंकि उन्होंने लोगों को उन महत्वपूर्ण क्षणों में
बाहर निकलते हुए देखा, और पाया कि स्वदेशी लोगों द्वारा सुघड़ता और सर्जनशीलता के साथ अपने
रास्ते में आ रही बाधाओं को पार किया जा रहा था, जबकि यूरोपीय लोग बुरी तरह से फंसे हुए थे
और परिचित मार्गों की खोज कर रहे थे। यह देख एक बात स्पष्ट हो गई थी कि "आधुनिक व्यक्ति"
नियमित वातावरण में कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से संचालन करने में असमर्थ हो गया है। इसके
अलावा, उस दिन उन्होंने देखा कि वीरता और त्रासदी में असली मूल्य के होने के लिए, मजबूत
कौशल और भौतिक अनुकूलन को साहस और परोपकारिता के साथ शामिल होना चाहिए, जिससे
पार्कौरके प्रसिद्ध आदर्श वाक्य, "Etre fort pour etre utile" – यथार्थ "उपयोगी होने के लिए
मजबूत हो" की उत्पत्ति की।
इस घटना के बाद वे एक शारीरिक शिक्षा के शिक्षक बनने के लिए तैयार हो गए। उनकी शिक्षाओं ने
दस मौलिक समूहों पर ध्यान केंद्रित किया: चलना, दौड़ना, कूदना, चतुर्भुज आंदोलन, चढ़ाई, संतुलन,
फेंकने, उठाने, आत्मरक्षा, और तैराकी जिसमें से अधिकांश को आज हम पार्कौर अनुशासन के रूप में
जानते हैं।प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनकी शिक्षाओं का आधार "पार्सुस डु
कॉम्बटेंट (Parcours du combattant - "सैन्य बाधा पाठ्यक्रम”)" में विकसित करने के लिए
उपयोग किया गया था।
पार्कौर के संस्थापक, डेविड बेले को माना जाता है, इनका जन्म 1973 में पेरिस (Paris) के उपनगरों
में हुआ था। उनके पिता, रेमंड बेले गुप्त में सैन्य बाधा पाठ्यक्रमों का उपयोग किया करते थे, और
बचपन से ही धीरज, ताकत और लचीलापन का परीक्षण करते हुए स्वयं के लिए पाठ्यक्रमों को तैयार
किया।अपने पिता के कदमों में चलते हुए डेविड बेले ने वास्तविक जीवन में उनके लिए
उपयोगीकौशल को सीखना शुरू किया। अपने पिता के मार्गदर्शन के साथ प्रशिक्षण करते हुए, बेले ने
अंततः उन लोगों के साथ एक समूह बनाया जिनके उनके समान लक्ष्य थे और वे सभी अक्सर एक
साथ प्रशिक्षण किया करते थे।उनका प्रशिक्षण अक्सर जैकी चैन और ब्रूस ली जैसे मार्शल आर्ट्स और
एक्शन फिल्म (Action film) सितारों से प्रेरित था। चूंकि उनके समूह का कौशल काफी विकसित हो
गया, उन्होंने अपने समूह को यामाकासी (Yamakasi) नाम दिया और शो (Shows) में और टीवी
(T.V.) कार्यक्रमों पर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।यामकासी के प्रदर्शनों की लोकप्रियता इतनी तेजी
से बढ़ी कि बेले ने अभिनय करने के लिए यामकासी से अलग हो गए और “पार्कौर”के रूप में अपने
कौशल को विकसित किया।तब से, पार्कौर को कई एक्शन फिल्मों में देखा जा सकता है।
मध्य वर्ष 2000, में यूट्यूब के एक लोकप्रिय वीडियो साझाकरण मंच बनने के बाद पार्कौर विश्व भर
में फैल गया। आजकल यह एक विशिष्ट सैन्य प्रशिक्षण के बजाय एक कौशल, कार्य, या
मानसिकस्वास्थ्य के लिए अधिक उपयोग किया जाता है।इसके विकाशील वर्षों में कई नए अधिनायक
अन्वेषक उभरे और इन्होंने अपनी स्वयं की तकनीक का उपयोग किया। 2008 में डब्ल्यूपीएफएफ
(WFPF) का गठन,इन नए अधिनायकों को एकजुट करने और पार्कौर को एक खेल के रूप में पेश
करने के लिए किया गया।डब्ल्यूएफपीएफ पार्कौर के नाम का उपयोग करके एक प्रतिस्पर्धी प्रारूप
बनाने वाला पहला संगठन है।इसका नतीजा डब्ल्यूपीपीएफ की अभूतपूर्वसीरीज (Series) एमटीवी
(MTV) की "अल्टीमेट पार्कौर चैलेंज (Ultimate Parkour Challenge)" थी, जो 2009 और 2010
में 3.5 मिलियन लोगों वाले दर्शकों के लिए प्रसारित हुई थी।यह सीरीज अभी भी पार्कौर प्रतियोगिता
में सबसे अधिक दर्शकों को आकर्षित करने का रिकॉर्ड बनाए रखती है।वहीं हमारा रामपुर भारत मेंपार्कौर में सबसे आगे है।रामपुर का अपना पार्कौर क्लब भी है और रामपुर भारतीय पार्कौर के अग्रदूतों
में से एक है।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3rXqQxy
https://bit.ly/3dEIJIX
https://bit.ly/31UnMas
https://bit.ly/3pLrk7c
https://bit.ly/3rX8HQo
https://bit.ly/3EL28Us
चित्र संदर्भ
1. “पार्कौर (Parkour) खिलाडियों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. पार्कौर के संस्थापक, डेविड बेले को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. पार्कौर (Parkour) अभ्यर्थियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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