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1856 में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India company) के अवध के राज्य परकब्जा करने के बाद,राज माता
(मल्लिका किश्वर) रानी विक्टोरिया के पास अपने पुत्र अवध के नवाब वाजिद अली शाह के मामले
की पैरवी के लिए 1857 में इंग्लैंड (England)गई।उनकी इस यात्रा को इतिहास में दर्ज किया गया है,
क्योंकि वहाँ से वापस आते समय उनकी मृत्यु हो गई थी और उन्हें पेरिस (Paris)के समाधि स्थल में
ही दफनाया गया।उनकी यह यात्रा इतिहास के पन्नों में इसलिए भी दर्ज हुई क्योंकि 50 वर्षों तक
पर्दा में रहने के बाद उन्होंने पहली बार परदे से बाहर कदम उठाया था, दुखद बात यह है कि वे
वापस नहीं लौट पाई। सम्राट वाजिद अली शाह (औध के आखिरी सम्राट) की त्रासदी के बारे में काफी
चर्चा और विश्लेषण किया गया है, ऐसा माना जाता है कि ये लखनऊ से कोलकाता में आए थे
क्योंकि, उनके साम्राज्य को ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अवैध रूप से अनुबंधित कर दिया गया था।
जब राज माता को साम्राज्य को अवैध रूप से अनुबंधित होने की खबर पहुंची, तो उन्होंने तुरंत
ब्रिटिश निवासी जेम्स आउट्राम (James Outram) से मुलाकात करने समय तय किया। वे जेम्स
आउट्राम से मुलाकात करने के लिए लखनऊ पहुंची, हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी। राजावाजिद अली शाह ने अनुबंध संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। लेकिन कम सैन्य
बल होने की वजह से उन्होंने लखनऊ छोड़ने का फैसला किया। उन्हें यह यकीन था कि रानी
विक्टोरिया से मुलाकात कर वे अपने राज्य को वापस ले पाएंगे, लेकिन समुद्र की लंबी यात्रा के
कारण वे काफी बीमार हो गए जिस से उन्होंने इस योजना को निरस्त कर दिया। तभी राज माता ने
राजा वाजिद अली शाह के बदले इंग्लैंड जाने का फैसला लिया।
एक दिलचस्प तस्वीर हाल ही में इंग्लैंड (England) के शाही संग्रह से सामने आई है, जिसमें1857 में
उनके साथ गए विभिन्न लखनऊ के राजदरबारी को देखा जा सकता है। ऐसा लगता है कि उन्होंने
1857 के प्रसिद्ध मैनचेस्टर कला प्रदर्शनी (Manchester Art Exhibition -जिसने विश्व भर में काफी बड़ा
प्रभाव डाला था।) का दौरा किया।ग्रेट ब्रिटेन (Great Britain) के कला खजाने 5 मई से 17 अक्टूबर
1857 तक मैनचेस्टर, इंग्लैंड में आयोजित उत्कृष्ट कला की एक प्रदर्शनी थी।यह संभवतः दुनिया में
होने वाली सबसे बड़ी कला प्रदर्शनीमें से एक थी, जिसमें 16,000 से अधिक कार्यों को प्रदर्शित किया
गया था।इसने 142 दिनों में 1.3 मिलियन से अधिक आगंतुकों को आकर्षित किया,जो उस समय
मैनचेस्टर की आबादी से लगभग चार गुना अधिक थे।कलाकृतियों के इसके चयन और प्रदर्शन में
सार्वजनिक कला संग्रहों पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा जो ब्रिटेन में राष्ट्रीय गैलरी (National Gallery),
राष्ट्रीय चित्र गैलरी (National Portrait Gallery) और विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय (Victoria and
Albert Museum) में स्थापित किया गया था।रानी विक्टोरिया और प्रिंस अल्बर्ट, जिन्होंने प्रदर्शनी में
अपना संरक्षण दिया, देश भर के सैकड़ों निजी संग्रहकर्ता में से एक थे जिन्होंने वस्तुओं को ऋण दिया
था।भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए, प्रिंस अल्बर्ट ने आयोजकों को "शैक्षणिक दिशा" की "राष्ट्रीय
उपयोगिता" पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।इस तरह, प्रदर्शनी "कालानुक्रमिक और व्यवस्थित
व्यवस्था में कला के इतिहास को चित्रित करने के लिए बनाई गई थी"।
वहीं क्या आप जानते हैं कि आज काफी प्रख्यात ‘पिया का देश’ गीत नवाब वाजिद अली शाह द्वारा
लगभग 165 वर्ष पहले मई के महीने में लिखा गया था। नवाब सेनाध्यक्ष लॉर्ड चार्ल्स कैनिंग (Lord
Charles Canning) के पास अपने मामले पर अनुरोध करने आए थे, लेकिन उन्हें विलियम किले
(Fort William) में कैद कर लिया गया, क्योंकि अंग्रेजों को डर था कि वे पहले स्वतंत्रता के युद्ध
के दौरान विद्रोहियों के साथ विद्रोह में शामिल हो सकते हैं। दो साल बाद जब उन्हें मुक्त किया गया,
वाजिद अली और उनके दरबार से कई जिन्होंने निर्वासन में उनका साथ देना चुना,द्वारा अपने 'पिया
के देस में रहने का फैसला किया, संगीत, नृत्य, उर्दू कविता, भूषाचार और संलयन व्यंजन को
अपनाने का फैसला किया।
संदर्भ :-
https://bit.ly/2ZZir0L
https://bit.ly/3IsQIHm
https://bit.ly/31xkHgA
https://bit.ly/3rBNFqi
https://bit.ly/3pQidCj
https://bit.ly/3GqdiP7
चित्र संदर्भ
1. नवाबों के शाशन काल के दौरान लखनऊ के परिदृश्य को दर्शाता एक चित्रण (livehistoryindia)
2. साउथेम्प्टन (Southampton) में ट्रेन में सवार होती मल्लिका किश्वर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. मैनचेस्टर 'आर्ट ट्रेजर्स' प्रदर्शनी, 1857 के हॉल में एक साथ एकत्रित ब्रिटिश और भारतीय पुरुषों के एक समूह की तस्वीर। भारतीय पुरुष अवध (औड) राज्य के राजकुमार हैं, और लखनऊ शहर से उनके दल के सदस्य हैं, जिनको दर्शाता एक चित्रण (rtc.uk)
4.सम्राट वाजिद अली शाह (औध के आखिरी सम्राट) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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