City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2705 | 121 | 2826 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
जापान (Japan)‚ कोरिया (Korea) और चीन (China) के बौद्ध मंदिरों के प्रवेश
द्वार पर हमेशा 2 शेर-कुत्ते (lion-dogs) की आकृति बनी होती हैं‚ जिन्हें कोमेनू
(Komainu) कहा जाता है। शेर जैसे जीवों की इन मूर्तियों को जोड़े में या तो
प्रवेश द्वार पर या फिर होंडेन (honden) पर रखा जाता है। ये जापानी शिंटो
मंदिरों (Shinto shrines) के आंतरिक पवित्र स्थान की रखवाली करते हैं‚ इसलिए
इन्हें आंतरिक मंदिर के अंदर भी रखा जाता है‚ जहां वे जनता के लिए दृश्यमान
नहीं होते हैं।
शिंटो‚ मंदिर में सबसे पवित्र इमारत है‚ जिसका उपयोग पूजा के लिए नहीं बल्कि
पवित्र वस्तुओं की सुरक्षा के लिए किया जाता है। यह इमारत आम तौर पर मंदिर
के पीछे होती है‚ और आम जनता के लिए बंद होती है। होंडेन आमतौर पर इसके
सामने ही खड़ा होता है‚ जिस पर इसकी रखवाली के लिए कोमेनू बनाया जाता है।
ईदो काल (Edo period) के दौरान पैदा हुए पहले प्रकार को‚ सैंडो कोमेनू (sando
komainu) कहा जाता है‚ दूसरा और बहुत पुराना प्रकार‚ जिन्नाई कोमेनू (jinnai
komainu) है। वे कभी-कभी बौद्ध मंदिरों‚ कुलीन घरों और यहां तक कि निजी
घरों में भी पाए जा सकते हैं। बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए‚ आधुनिक
कोमेनू की मूर्तियाँ आमतौर पर लगभग समान होती हैं‚ लेकिन एक का मुँह खुला
होता है और दूसरे का बंद। हालांकि ऐसे अपवाद मौजूद हैं‚ जहां दोनों ही कोमेनू
का मुंह या तो खुला होता है या फिर बंद।
मंदिरों और तीर्थस्थानों में धार्मिक प्रतिमा का जोड़े में होना एक बहुत ही सामान्य
विशेषता है। प्रतिमा का स्वरूप‚ मूल रूप से बौद्ध है और इसका एक प्रतीकात्मक
अर्थ है: खुला मुंह संस्कृत वर्णमाला के पहले अक्षर का उच्चारण कर रहा है‚
जिसका उच्चारण “अ” (“a”) है‚ जबकि बंद मुंह अंतिम अक्षर का उच्चारण कर रहा
है‚ जिसका उच्चारण “उम” (“um”) है‚ जो सभी चीजों की शुरुआत और अंत का
प्रतिनिधित्व करता है। साथ में वे ध्वनि “ओम्” (Aum/OM) बनाते हैं‚ जो हिंदू
धर्म‚ बौद्ध धर्म और जैन धर्म जैसे कई धर्मों में पवित्र शब्द है। इसलिए कहा
जाता है‚ की शेर-कुत्ते या कोमेनू “ओम्” की पवित्र ध्वनि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इन शेर-समान आकृतियों की अंतिम उत्पत्ति प्राचीन भारत और यहां तक कि मिस्र
(Egypt) तक फैली हुई है‚ लेकिन अधिक तात्कालिक स्रोत चीनी प्रतीत होते हैं।
संरक्षक शेरों और अन्य दिव्य जानवरों को संभवतः तांग राजवंश काल में चीन से
बौद्ध धर्म के साथ कोरियाई प्रायद्वीप (Korean Peninsula) के माध्यम से
आयात किया गया था। कई मंदिरों में कामी (kami) से जुड़े एक जानवर के लिए
शेर-कुत्ते की आकृति को छोड़ दिया जाता है। मित्सुमिन तीर्थस्थान (Mitsumine
Shrine) में‚ भेड़िया देवता अगुची-नो-मागामी (Oguchi-no-magami) को समर्पित
है‚ वहां दो भेड़िये पहरा देते हैं। इनारी (Inari) तीर्थ में लोमड़ी‚ तेनमांगो
(Tenmangu) तीर्थ में बैल और टोक्यो (Tokyo) के हाय सन्नो (Hie Sanno)
तीर्थ में बंदर की मूर्तियाँ हैं। कोमेनू‚ चीनी संरक्षक शेरों (Chinese guardian
lions) से मिलता-जुलता है और वास्तव में तांग राजवंश चीन से उत्पन्न हुआ है।
माना जाता है कि चीनी संरक्षक शेर‚ मध्य पूर्व या भारत से व्यापार के माध्यम से
शुरू किए गए एशियाई (Asiatic) शेर की खाल और शेर के चित्रण से प्रभावित थे‚
जहां शेर मौजूद थे और ताकत का प्रतीक माने जाते थे। हालांकि‚ सिल्करोड
(Silkroad) के साथ अपने परिवहन के दौरान‚ एक विशिष्ट रूप प्राप्त करते हुए
प्रतीक बदल गया।
भारत में पहली शेर की मूर्ति तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास‚ राजा अशोक
द्वारा बनाए गए एक स्तंभ के ऊपर दिखाई देती है। यह परंपरा बाद में चीन
पहुंची‚ जहां यह संरक्षक शेर के रूप में विकसित हुई जिसे बाद में कोरिया‚ जापान
और ओकिनावा (Okinawa) को निर्यात किया गया। संरक्षक शेरों की मूर्तियां
पारंपरिक रूप से चीनी शाही महलों‚ शाही कब्रों‚ सरकारी कार्यालयों‚ मंदिरों तथा
सरकारी अधिकारियों और अमीरों के घरों के सामने खड़ी होती हैं‚ और माना जाता
है कि इनसे शक्तिशाली पौराणिक सुरक्षात्मक लाभ होता हैं। शेरों को आमतौर पर
जोड़े में दर्शाया जाता है‚ और जब इन्हें मूर्ति के रूप में इस्तेमाल किया जाता है‚
तो जोड़ी में एक बूटेदार गेंद पर अपना पंजा झुकाते हुए एक पुरुष होता है और
एक मादा होती है जिसने अपनी पीठ पर एक चंचल शावक को रोका हुआ होता है।
शाही संदर्भों में‚ पुरुष दुनिया भर में वर्चस्व का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा मादा
पोषण का प्रतिनिधित्व करती है।
नौवीं शताब्दी में प्रारंभिक हीयन काल (Heian period) के दौरान‚ परंपरा बदल
गई और दो मूर्तियाँ अलग-अलग होने लगीं और उन्हें अलग-अलग नाम से जाना
जाने लगा। एक का मुंह खुला था और उसे शिशी (shishi) कहा जाता था‚ क्योंकि
पहले की तरह‚ यह उस जानवर से मिलता जुलता था। दूसरे का मुंह बंद था और
कुत्ते की तरह दिखता था‚ उसे कोमेनू या “गोगुरियो कुत्ता” (“Goguryeo dog”)
कहा जाता था‚ और कभी-कभी उसके सिर पर एक ही सींग होता था। एशिया में‚
यह माना जाता था कि शेर में बुराई को दूर करने की शक्ति होती है‚ और इस
कारण से यह आदतन फाटकों और दरवाजों की रखवाली करता था। शीसा (shisa)
पत्थर के जानवर‚ जो ओकिनावा (Okinawa) में घरों की छतों या दरवाजों की
रखवाली करते हैं‚ वे शिशी और कोमेनू के करीबी रिश्तेदार हैं। उनका नाम ही
शिशी-सान (shishi-san) का सदियों पुराना क्षेत्रीय रूप है। शिशी का अनुवाद “शेर”
के रूप में किया जाता है‚ लेकिन यह जादुई गुणों वाले हिरण या कुत्ते को भी
संदर्भित कर सकता है और बुरी आत्माओं को पीछे हटाने की शक्ति रखता है।
शिशी की एक जोड़ी पारंपरिक रूप से जापानी शिंटो मंदिरों और बौद्ध मंदिरों के
द्वार के बाहर पहरा देती है‚ हालांकि मंदिरों को अक्सर दो निओ संरक्षकों (Nio
Protectors) द्वारा संरक्षित किया जाता है। शिशी को भी निओ (Nio) की तरह
को पारंपरिक रूप से जोड़े में चित्रित किया जाता है‚ जिसमें एक का मुंह खुला
होता है और दूसरे का मुंह बंद होता है। खुला मुंह “आह” (Ah) तथा बंद मुंह “अन”
(Un) से संबंधित होता है‚ जापानी वर्णमाला में “आह” पहली तथा “अन” अंतिम
ध्वनि होती है। ये दो ध्वनियाँ‚ शुरुआत और अंत‚ जन्म और मृत्यु तथा अस्तित्व
के लौकिक नृत्य में सभी संभावित परिणामों का प्रतीक हैं।
बहरहाल‚ संस्कृत व जापानी वर्णमाला में मुंह से निकलने वाली पहली और आखिरी
आवाजें शब्द ओम् और अहम बनाते हैं‚ इस प्रकार पहला अक्षर-ध्वनि खुला मुंह
और अंतिम अक्षर-ध्वनि बंद मुंह को समाहित करते हैं। कुछ लोगों का कहना है
कि खुला मुंह राक्षसों को डराने के लिए है तथा बंद मुंह आश्रय और अच्छी
आत्माओं में रहने के लिए होता है। उनके पैरों के नीचे अक्सर दिखाई देने वाली
गोलाकार वस्तु‚ तामा (Tama) या पवित्र बौद्ध गहना (Buddhist jewel) है‚ जो
अंधेरे में प्रकाश लाने वाला बौद्ध ज्ञान का प्रतीक है तथा इच्छाओं को पूरा करने
की शक्ति रखता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3rux73v
https://bit.ly/3lwfZ9A
https://bit.ly/3dgK1cT
https://bit.ly/31vf8ib
चित्र संदर्भ
1. कोमेनू की ए-उन जोड़ी; दाईं ओर "ए", बाईं ओर "अन" को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. निषिद्ध शहर इंपीरियल गार्जियन लायंस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. अशोक स्तंभ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4.Kitano Tenmangu shrine को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. शीसा (shisa) पत्थर के जानवर‚ जो ओकिनावा (Okinawa) में घरों की छतों या दरवाजों की रखवाली करते हैं‚ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.