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कठोर परिस्थितियों के बावजूद रेगिस्तान कई प्रकार के वन्यजीवों का निवास स्थान है

लखनऊ

 07-10-2021 07:41 PM
मरुस्थल

"मृत्यु सबसे अधिक बलवान है" यह एक ऐसी सार्वभौमिक कहावत है, जो हर दिन दोहराई जाती है। परंतु यदि आप प्रकृति के प्रति ग्रहणशील बन सके, तो पाएंगे की मृत्यु की तुलना में "जीवन अधिक बलवान है"। हमारी इस दूसरी कहावत की सार्थकता आपको रेगिस्तान के भीषण गर्मी वाले क्षेत्रों में देखने को मिल जाएगी, जहां तार्किक तौर पर जीवन का पनपना असंभव माना जाता है। किंतु बावजूद इसके उन शुष्क रेतीले इलाकों में न केवल जीवन पनप रहा है, बल्कि दूसरों को भी जीवित रहने के लिए आवश्यक ऊर्जा दे रहा है।
धरती पर मरुस्थल अथवा रेगिस्तान एक ऐसा क्षेत्र होता है, जहां वर्षा नगण्य अर्थात बहुत कम मात्रा में होती है। इनकी उपस्थिति भारत के थार के मरुस्थल से लेकर अफ्रीका में सहारा रेगिस्तान और दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के रेगिस्तान तक दुनिया भर में हैं।
रेगिस्तान, दिन के समय में बेहद गर्म होते है, तथा रात के समय इनका तापमान 40 से 50 डिग्री तक या उससे भी अधिक गिर सकता है। मौसम और वातावरण की यही विषमता यहां रहने वाले जानवरों को बेहद ख़ास बनाती है। रेगिस्तान में जीवित रहने के लिए जानवरों को वातावरण के अनुरूप विशेष रूप से अनुकूलित होना पड़ता हैं, जो उन्हें अत्यधिक तापमान और रेगिस्तान की विषम परिस्थितियों में भी जीवित रखता हैं। विशेष अनुकूलन वाले जानवर का एक अच्छा उदाहरण ऊंट को माना जा सकता है। ऊंट एक बार में ही बहुत अधिक मात्रा में पानी पी सकता है, जिसके बाद वह बिना जलपान किये कुछ दिनों तक निरंतर चल सकता है, और लम्बे समय तक जीवित रह सकता है। ऊंट के अलावा भी रेगिस्तान में कई ऐसे जानवर जो इन विषम परिस्थितियों में संघर्ष कर सकते हैं। हालांकि विशेष क्षमता वाले जीवों में लैपेट-फेस वल्चर (lappet-faced vulture) जैसे कई जानवर आज लुप्तप्राय भी हैं।
रेगिस्तान की विषम परिस्थितियों में भी जीवित रहने वाले जानवरों के लिए ज़ीरोकोल (Xerocole) शब्द का प्रयोग किया जाता है। इन जानवरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती पानी की कमी और अत्यधिक गर्मी से पार पाना है। ज़ीरोकोल पानी के वाष्पीकरण से बचते हैं, जिससे वह जल का संरक्षण करते हैं, और उत्सर्जन (यानी मूत्र और मल) को भी केंद्रित कर सकते हैं। यहाँ तक की कई जानवर पानी के संरक्षण या भोजन से इसे प्राप्त करने में इतने माहिर हैं कि, उन्हें पानी पीने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं पड़ती। रेगिस्तानी गर्मी से बचने के लिए, जेरोकॉल्स या तो निशाचर होते हैं, या भोर और शाम को सबसे अधिक सक्रिय होते हैं। स्तनधारी ज़ेरोकोल अपने गैर- रेगिस्तान समकक्षों की तुलना में बहुत कम पसीना बहाते हैं। रेगिस्तान में पक्षियों और स्तनधारियों दोनों की त्वचा की सतह पर तेल जो जलरोधक का काम करता है, और वाष्पीकरण को रोकता है। कुछ जानवर बाष्पीकरणीय ठंडक पाने के लिए अपने ऊपर शारीरिक तरल पदार्थ डालते हैं। जैसे सारस, न्यू वर्ल्ड गिद्ध, और आइबिस जैसे ज़ेरोकोल पक्षी अपने पैरों पर पेशाब करते हैं, जबकि रेगिस्तानी कछुए कभी-कभी ठंडा रखने के लिए अपनी गर्दन और आगे के पैरों पर लार टपकाते हैं। जहाँ अधिकांश जानवरों के मल में 75% से अधिक पानी होता है; वही ज़ीरोकॉल्स आंत के पानी को पुन: अवशोषित कर लेते हैं और अधिक शुष्क मल पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, कंगारू चूहे के मल में अन्य गैर-रेगिस्तानी कृन्तकों की तुलना में केवल 1⁄6 पानी होता है। कृंतक (Rodent) माताएं अपने बच्चों के लिए केंद्रित दूध का उत्पादन करती हैं, और फिर खोए हुए पानी में से कुछ को वापस पाने के लिए अपने बच्चे का पतला मूत्र और मल खाती हैं। मरुस्थल के कैन्ड और कंगारू इसी कारण से अपने ही बच्चे का मलमूत्र का सेवन करते हैं। भारत और पाकिस्तान की सीमा में पड़ने वाले ग्रेट इंडियन मरुस्थल (Great Indian Desert) के रूप में विख्यात थार मरुस्थल भी अत्यंत कठोर परिस्थितियों के बावजूद, रेगिस्तान कई प्रकार के वन्यजीवों का निवास स्थान रहा है, यह रेगिस्तान दो नदियों, एक पर्वत श्रृंखला और एक नमक दलदल से घिरा है। सर्दियों की ठण्ड में तापमान कई बार अपेक्षा से अधिक नीचे गिर जाता है, और गर्मियों में तापमान 125 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक तक पहुंच सकता है। थार में मानसूनी बारिश और धूल भरी आंधी चलती है। ऐसे विषम वातावरण में भी थार के जानवरों को अक्सर कम या बिना पानी और वनस्पति के अत्यधिक तापमान में जीवित रहना पड़ता है। यहाँ पर पाई जाने वाली कुछ बेहद संघर्षशील जानवरों और पक्षियों की सूची निम्नवत है:
1. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard)
पूरे विश्व में बस्टर्ड पक्षियों की 23 प्रजातियां पाई जाती हैं, और इनमें से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सबसे अधिक संकटग्रस्त प्रजाति में शामिल किया गया है।
रेतीली जमीन पर रहने वाले इस दुर्लभ पक्षी का वजन 30 पाउंड होता है, जो लगभग 3.5 फीट लंबा होता है। भोजन के रूप में यह मुख्य रूप से घास, कीड़े, चूहे और बीज खाता है।
2.काला हिरन (black buck)
आमतौर पर झुण्ड में रहने वाला काला हिरन भारत के थार रेगिस्तान के कुछ हिस्सों में रहता है। इसकी ऊंचाई 2 फ़ीट तथा लंबाई लगभग 3 फ़ीट की होती है। आमतौर पर भूरे रंग, तथा काले हिरण की आंख के चारों ओर एक सफेद घेरा होता है।
इस प्रजाति में नर के सींग सर्पिल होते हैं, जो 29 इंच तक लंबे हो सकते हैं। इनके एक झुंड में 5 से लेकर 50 हिरन तक शामिल हो सकते हैं।
3.भारतीय गज़ेल (Indian Gazelle)
चिंकारा के नाम से भी जाना जाने वाले भारतीय गज़ेल को रेगिस्तान में जीवित रह सकने वाले शानदार जानवरों में से एक माना जाता है। गज़ेल 2 फीट ऊंचा होता है, जिसका वजन लगभग 50 पाउंड होता है। इस बेहद सुंदर जानवर की आंखों के कोने से लेकर थूथन तक गहरे रंग की धारियों वाला एक बफ़र रंग का कोट होता है।
चिंकारा इंसानों के संपर्क में आने से बचता है, और ऊंट की भांति यह जानवर बिना पानी के लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। भारतीय चिकारा पौधों और ओस से तरल पदार्थ भोजन के तौर पर ग्रहण करता है।
4.भारतीय जंगली गधा (indian wild ass)
ओनगर के नाम से भी विख्यात भारतीय जंगली गधा किसी भी औसत गधे से थोड़ा बड़ा होता है, जिसका वजन लगभग 640 पाउंड होता है, और यह लगभग 7 फीट लंबा होता है।
थार रेगिस्तान में पाया जाने वाला वनगर लाल-भूरे रंग का होता है, जो सर्दियों में पीले-भूरे रंग में बदल जाता है।
5.लोमड़ी (Fox)
रेगिस्तानी लोमड़ी और बंगाल लोमड़ी नामक प्रजाति थार रेगिस्तान में भी जीवित रह सकती है। रेगिस्तानी लोमड़ी को फेनेक लोमड़ी भी कहा जाता है, आकार में यह 14 से 16 इंच लंबी होती है, और इसका वजन मात्र 3 पाउंड होता है।
लाल रंग की फेनेक लोमड़ी की पूंछ 7 इंच तक लंबी होती है। वही भारतीय लोमड़ी के नाम से जानी जाने वाली भूरे रंग की बंगाल लोमड़ी 18 से 24 इंच लंबी होती है और वजन 5 से 9 पाउंड होता है।
6.डेजर्ट कैट (desert cat)
यह थार रेगिस्तान में पाई जाने वाली एक छोटी बिल्ली होती है। यह भूरे तथा लाल रंग की होती है, और इसके कोट पर छोटे-छोटे काले धब्बे होते हैं।
काले हिरन की भांति रेगिस्तानी बिल्ली भी मानव बस्तियों के पास के क्षेत्रों से बचती है, और कृन्तकों, खरगोशों और छिपकलियों का शिकार करती है।
7.ईगल्स (Eagles)
थार मरुस्थल में कई प्रकार के गिद्ध भी देखे जा सकते हैं। इनमे हैरियर (harrier), बाज़ (falcon), बज़र्ड (buzzard), केस्ट्रेल(kestrel) और गिद्ध की कई अन्य प्रजातियाँ भी शामिल हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3mwpbuv
https://bit.ly/3oOerKq
https://www.desertanimals.net/
https://en.wikipedia.org/wiki/Xerocole

चित्र संदर्भ
1. अरब के ऊंट कई दिनों तक जीवित रह सकते हैं और बिना पानी के 160 किलोमीटर (100 मील) तक की यात्रा कर सकते हैं, जिनको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. सहारा दुनिया का सबसे बड़ा गर्म रेगिस्तान है,जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. लैपेट-फेस वल्चर (lappet-faced vulture) का एक चित्रण (wikimedia)
4. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. आमतौर पर झुण्ड में रहने वाला काला हिरन भारत के थार रेगिस्तान के कुछ हिस्सों में रहता है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. चिंकारा के नाम से भी जाना जाने वाले भारतीय गज़ेल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. ओनगर के नाम से भी विख्यात भारतीय जंगली गधा किसी भी औसत गधे से थोड़ा बड़ा होता है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. रेगिस्तानी लोमड़ी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9 . डेजर्ट कैट (desert cat) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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