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विभिन्न धर्मों में ईश्वर के प्रति डर का नजरिया क्या है

लखनऊ

 04-10-2021 03:23 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

आमतौर पर "डर" को प्रायः इंसान के नकारात्मक पहलू के रूप में दर्शाया जाता है। महान कवी सोहनलाल द्विवेदी जी की एक बेहद लोकप्रिय कविता है, "मुश्किलों से डरकर नौका पार नहीं होती| कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।” यह कविता मुश्किलों से न डरने के संदर्भ में लिखी गई है, किंतु हमारे दैनिक जीवन में कई मोड़ ऐसे भी आते हैं, जब डरना संभवतः सबसे अधिक समझदारी का कदम साबित हो सकता है। अब सोचने की बात यह है की, यदि यह डर ईश्वर का हो तो कितना उचित होगा, और विभिन्न धर्मों में ईश्वर के प्रति डर का नजरिया क्या है?
ईसाई धर्म में प्रभु का भय: ईश्वर का भय, अथवा भगवान से डरना ईश्वर के सम्मान, विस्मय और समर्पण की विशिष्ट भावना को संदर्भित करता है। एकेश्वरवादी धर्मों मानने वाले लोग ईश्वर के निर्णय, नरक या ईश्वर की शक्ति से डरते हैं।
ईश्वर के प्रति भय आमतौर पर हर धर्म में व्याप्त है। इसाई धर्म में डर को βος (फोबोस, "डर/हॉरर") से वर्णित किया जाता है। इस ग्रीक शब्द का शाब्दिक अर्थ परमेश्वर के न्याय का भय हो सकता है। धार्मिक नजरिये से ईश्वर का भय, सामान्य भय से कई अधिक उच्च होता है। रॉबर्ट बी स्ट्रिम्पल (Robert B. Strimple) के अनुसार “ईश्वरीय भय:, श्रद्धा, आराधना, सम्मान, आत्मविश्वास, धन्यवाद, और, प्रेम का अभिसरण करना है। बाइबल के कुछ अनुवाद, जैसे न्यू इंटरनेशनल वर्जन (new international version), में कभी-कभी "डर" शब्द को "श्रद्धा" से बदल दिया जाता हैं। वही संत पोप फ्राँसिस (Pope Francis) के अनुसार, "प्रभु के भय, का अर्थ ईश्वर से डरना नहीं है, क्योंकि हम जानते हैं कि ईश्वर हमारा पिता है, जो हमें हमेशा प्यार करता है, और क्षमा करता है। यह भय कोई दास भय नहीं, बल्कि ईश्वर की भव्यता के बारे में एक हर्षित जागरूकता और एक आभारी अहसास है। रोमन कैथोलिक धर्म में प्रभु के भय को पवित्र आत्मा के सात उपहारों में से एक उपहार की मान्यता प्राप्त है। नीतिवचन (Proverbs 15:33) में, प्रभु के भय को ज्ञान के "अनुशासन" या "निर्देश" के रूप में वर्णित किया गया है। जैक्स फॉरगेट (Jacques Forget) द्वारा कैथोलिक इनसाइक्लोपीडिया (Catholic Encyclopedia) में लिखा गया है कि, यह उपहार "हमें ईश्वर के लिए एक संप्रभु सम्मान से भर देता है।
इस्लाम में अल्लाह का भय: इस्लाम में तक्वा को अल्लाह से डरने के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार जब कोई व्यक्ति सर्वशक्तिमान अल्लाह से डरता है, तो वह पाप नहीं करेगा। तक्वा में अल्लाह के प्रति चेतना और भय के साथ-साथ पवित्रता भी शामिल है। (कुरान, 58:9) की आयत से यह संकेत मिलता है कि, तक्वा का अर्थ केवल पवित्रता से कहीं अधिक है: यह हमारे विश्वासों, आत्म-जागरूकता और दृष्टिकोण का संयोजन है। यह ईमानदारी, शालीनता और सही और गलत के बीच के अंतर को जानने के मार्ग पर चलने की याद दिलाता है। कुरान, 9:119 में, अल्लाह कहता है: "ऐ ईमान लाने वालों! ईश्वर से डरो और उनके साथ रहो जो वचन और कर्म से सच्चे हैं। इस्लाम में तक्वा शब्द को अल्लाह, धर्मपरायणता और सच्चाई के प्रति सचेत और जागरूक होने के लिए भी संदर्भित किया जाता है।
शब्द "तक़्वी" वक़ी क्रिया से लिया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है, संरक्षित करना, रक्षा करना, ढाल आदि। अरबी शब्द तक्वा का अर्थ है "सहनशीलता, भय और संयम। अर्थात तक्वा शब्द इस्लाम में अल्लाह के प्रति डर का पर्याय है। इस्लाम में अल्लाह के डर से तात्पर्य, सावधान रहना तथा ब्रह्मांड में अपना स्थान जानना" भी है । तक्वा का "सबूत" ईश्वर का "भय का अनुभव" है, जो "एक व्यक्ति को गलत कार्यों से सावधान रहने के लिए प्रेरित करता है" और उन कर्मों को करने के लिए भी प्रेरित करता है, जो अल्लाह को खुश करते हैं, तथा सामान्य तौर पर, खुद को "अल्लाह के प्रकोप से" बचाने के लिए "उन चीजों में लिप्त न होना भी शामिल है, जिन्हें अल्लाह करने से मना करता है"। एरिक ओहलैंडर (Eric Ohlander) के अनुसार, तक्वा शब्द का कुरान में 100 से अधिक बार प्रयोग किया गया है। वही डिक्शनरी ऑफ इस्लाम (Dictionary of Islam) के अनुसार, तक्वा और इसके व्युत्पन्न शब्द कुरान में "250 से अधिक बार" वर्णित किये गए हैं। तक्वा का अनिवार्य रूप इत्तक़ुल्लाह ("ईश्वर से डरो" या "अल्लाह से अवगत रहें") वाक्यांश के कई छंदों में है। इस्लामिक न्यायशास्त्र अल्लाह के डर से संबंधित फ़िक़्ही (Fiqhi) में हराम शब्द का वर्णन किया गया है, जिसमे यह बताया गया है की किन कर्मों से डरो अथवा बचों! इसमें खाद्य पदार्थ, पोशाक, भोग- विलास से जुड़ी चीजें ("निजी मामले"), खेल प्रतियोगिताओं के प्रकार, संगीत, गपशप, बुरा बोलना, बुरी संगति, दाढ़ी ट्रिमिंग, आदि शामिल हैं। यहूदी धर्म में परमेश्वर का भय: इब्रानी बाइबल में परमेश्वर के भय का पहला उल्लेख उत्पत्ति 22:12 में मिलता है, नीतिवचन (Proverbs 9:10) कहता है कि यहोवा का भय मानना ही "बुद्धि का आरम्भ" है।
हिंदू धर्म में भगवान का भय: अखंड धर्मों की तुलना में हिन्दू धर्म में ईश्वर का भय विपरीत मान्यता रखता है। सनातन धर्म (हिंदू धर्म) में कोई भगवान नहीं है, जो दंड के डर से अपने भक्तों को नियंत्रित करता है। यहां ईश्वर के विभिन्न अवतारों ने भी भय के बजाय मित्रता और करुणा का प्रचार किया है। उदाहरण के लिए कृष्ण हैं जो बच्चे, मित्र, प्रेमी, पति, पिता, दार्शनिक और मार्गदर्शक हैं। शिव हैं जो भोलेनाथ हैं। देवी शक्ति हैं जो दयालु और सौम्य हैं। भगवान गणेश हैं, जो पूरे ब्रह्माण्ड के दुलारे हैं। हनुमान हैं, जो एक इंसान के सबसे अच्छे दोस्त हो सकते हैं। सनातन संदेश के अनुसार हमें “ईश्वर-से डरने के बजाय उसका प्रेमी बनना चाहिए” प्रेम में समृद्धि, वृद्धि और आशा है।
कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए भय का प्रयोग नहीं किया। भगवान कृष्ण के साथ बैठे उनके डर पर चर्चा की और अंत में उन्हें एक रास्ता चुनने की आजादी दी, जो उन्हें सही लगता है। अर्जुन को यह तय करने की स्वतंत्रता दी गई है कि उसके लिए सबसे अच्छा क्या है। अगर अर्जुन ने युद्ध के मैदान को छोड़ने का फैसला किया होता, तो कृष्ण उसे नहीं रोकते। सनातन धर्म संदेश देता है की भगवान से मत डरो। भगवान और उसकी कृतियों से प्रेम करो।

संदर्भ
https://bit.ly/3FeDk7Z
https://bit.ly/3uCwCnn
https://bit.ly/3a3Sz5e
https://bit.ly/2ZJbpNa
https://en.wikipedia.org/wiki/Taqwa
https://en.wikipedia.org/wiki/Fear_of_God

चित्र संदर्भ
1. नमाज़ अदा करते नन्हे बच्चे का एक चित्रण (istock)
2. बैल्डन के उत्तर में हॉक्सवर्थ रोड (Hawksworth Road) के पास एक पत्थर के शिलाखंड में धातु की पट्टिका पर लिखे धार्मिक पाठ का एक चित्रण (wikimedia )
3. तुर्की के एडिरने (Edirne, Turkey) में पुरानी मस्जिद के बाहर लिखी अल्लाह की लिपि का एक चित्रण (wikimedia)
4. युद्ध के मैदान में अर्जुन को ब्रह्म ज्ञान देते भगवान् श्री कृष्ण का एक चित्रण (wikimedia)



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