लखनऊ के प्रसिद्ध इमारत मुगल साहेबा इमामबाड़े के संरक्षण में प्लास्टर की भूमिका

लखनऊ

 01-10-2021 10:24 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

राजा हो या नवाब, उनके नाम और पद को सार्थक करने में उनके महल तथा राज्य की अन्य इमारतों का बेहद अहम् योगदान होता है। हमारे शहर लखनऊ के "नवाबों का शहर" कहलाने का प्रमुख कारण यह भी है की, यहां इमारतों और संरचनाओं में कुछ ऐसी शानदार वास्तुकलाओं और निर्माण सामग्रियों का प्रयोग गया है, जिन्हे तत्कालीन समय में दुनिया के किसी भी दूसरे देश अथवा क्षेत्र में देखा जाना बेहद दुर्लभ है।
हमारे शहर लखनऊ में स्थित मुगल साहेबा का इमामबाड़ा वास्तव में मुग़ल कालीन दौर की उन शानदार कलाकृतियों में एक है, जो अपनी अद्भुद वास्तुकला से अधिक इमामबाड़े के निर्माण में प्रयुक्त सामग्री के सन्दर्भ में विख्यात है। मुगल साहेबा के इमामबाड़े का निर्माण अवध के तीसरे राजा, मोहम्मद अली शाह की बेटी उम्मत-उस-सुघरा, फखर-उन-निसान बेगम द्वारा किया गया था, जिसे मुगल साहेबा के नाम से भी जाना जाता है। वह नवाब मुजाहिद-उद-दौला, सैफ-उल-मुल्क, ज़ैन-उल-अबिदीन खान की पत्नी थीं। 3 दिसंबर, 1893 को उनकी मृत्यु पर, उन्हें उनके ही द्वारा बनाए गए इमामबाड़े में ही दफ़न किया गया था। इस इमामबाड़े के मुख्य हॉल में पांच बड़े दरवाजे हैं, जो पंजतन (पैगंबर के परिवार के पवित्र पांच) को दर्शाते हैं। इमामबाड़ा के हॉल की आंतरिक दीवारें चमकीले रंगों और सोने में उत्कृष्ट रूप में चित्रित हैं। तथा ज्यामितीय डिजाइनों के साथ प्रत्येक हॉल में एक अलग पैटर्न है। इस इमामबाड़े में मुगल साहेबा के लिए विशेष रूप बनाया गया एक आबनूस मिंबर (लुगदी), अभी भी अच्छी स्थिति में है, जो इस इमारत का प्रमुख आकर्षण है। इमामबाड़े के अग्रभाग को प्लास्टर से सजाया गया है। मुख्य हॉल के सामने एक फव्वारा और नहरों से जुड़ा एक हौज (पानी की टंकी) है, जो वर्तमान में किसी भी उपयोग में नहीं है।
दुर्भाग्य से बेहद शानदार संरचना होने के बावजूद, विडंबना यह है कि, मुगल साहेबा का इमामबाड़ा संरक्षित स्मारकों की सूची में नहीं है। हालाँकि निर्माण सामग्री की गुणवत्ता उत्कृष्ट होने के कारण यह पूरी तरह से समय की अनिश्चितता से बचा हुआ है, और आज भी ज्यों का त्यों है। अपनी वास्तुकला के विपरीत इस इमामबाड़े को लखनऊ की इमारतों के बीच, प्लास्टर के सबसे अच्छे उदाहरण के रूप में देखा जाता है। मुगल साहेबा का इमामबाड़ा वास्तव में, प्लास्टर अलंकरण का सबसे अच्छा उदाहरण है। मुगल साहेबा इमामबाड़ा मूल रूप से अपने हड़ताली प्लास्टर के लिए जाना जाता है। दरअसल प्लास्टर या रेंडर एक प्रकार की निर्माण सामग्री होती है, यह सीमेंट, रेत और चूने से बना होता है। प्रायः प्लास्टर गीला लगाया जाता है, और सूखने के पश्चात् बहुत ठोस और कठोर हो जाता है। इसका उपयोग दीवारों और छतों, तथा बाहरी दीवारों के लिए सजावटी कोटिंग के रूप में और वास्तुकला में मूर्तिकला और कलात्मक सामग्री के रूप में किया जाता है। दीवारों के लिए निर्माण सामग्री के रूप में प्लास्टर एक टिकाऊ, आकर्षक और मौसम प्रतिरोधी सुरक्षा प्रदान करता है। यह परंपरागत रूप से एक ठोस चिनाई, ईंट, या पत्थर की सतह पर सीधे एक या दो पतली परतों में एक आंतरिक और बाहरी दोनों तरफ उपयोग किया जाता था। प्लास्टर का पारंपरिक अनप्रयोग तीन कोटों - स्क्रैच कोट (scratch coat), ब्राउन कोट (brown coat) और फिनिश कोट (finish coat) के रूप में होता है। प्लास्टर के दो बेस कोट या तो हाथ से लगाए जाते हैं या मशीन से छिड़काव किया जाता है, तथा आखिर में चिकने फिनिश कोट को हाथ से स्प्रे किया जा सकता है। यह बाहरी दीवारों को मौसम से दुष्प्रभावों से बचाता है ,और छिद्रपूर्ण स्टुको से गुजरने वाली नमी से फ़्रेमिंग की रक्षा भी करता है। प्लास्टर का उपयोग मूर्तिकला और कलात्मक सामग्री के रूप में भी किया गया है। कई प्राचीन संस्कृतियों की स्थापत्य सजावट योजनाओं में प्लास्टर राहत का उपयोग किया गया था। मेसोपोटामिया और प्राचीन फ़ारसी कला में आलंकारिक और सजावटी आंतरिक प्लास्टर की एक व्यापक परंपरा थी, जो इस्लामी कला में जारी रही। भारतीय वास्तुकला ने वास्तुशिल्प संदर्भ में मूर्तिकला के लिए एक सामग्री के रूप में प्लास्टर का इस्तेमाल किया।
मुगल साहेबा का इमामबाड़ा के प्रवेश द्वार का अकेला स्तंभ जो अभी भी मौजूद है, यह तत्कालीन प्लास्टर कला का सबसे अच्छा नमूना है, इसका प्रवेश द्वार लंबा है, और इसमें एक मध्यम आकार की मस्जिद भी है। जिसमें मीनारें हैं जिन पर ताज उभरा हुआ है आमतौर पर यह एक ऐसी विशेषता है जो अन्य मस्जिदों में नहीं देखी जाती है।

संदर्भ
https://en.wikipedia.org/wiki/Stucco
https://en.wikipedia.org/wiki/Stucco#Traditional_stucco
http://wikimapia.org/34966316/Imambara-Mughal-Sahiba
https://lucknow.me/Imambara-of-Moghul-Saheba.html
https://bit.ly/3upR3E4

चित्र संदर्भ
1. मुग़ल साहिबा के इमामबाड़े की मुख्य ईमारत का एक चित्रण (flickr)
2. मुग़ल साहिबा के इमामबाड़े की ईमारत का बाहर से सम्पूर्ण रूप में एक चित्रण (youtube)
3. मुग़ल साहिबा के इमामबाड़े में प्लास्टर के उपयोग से किया गया उत्कीर्णन का एक चित्रण (prarang)



RECENT POST

  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन बॉलीवुड गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id