भारत के साथ-साथ विदेशों में भी व्यापक है नर चूजों को मारने का अभ्यास आखिर क्यों

लखनऊ

 30-09-2021 09:33 AM
पंछीयाँ

एक पोल्ट्री फार्म में हर दिन उन अंडों,जो कि कुछ ही समय में फूटने वाले होते हैं,को कन्वेयर बेल्ट (Conveyor belt) पर रखा जाता है। अंडों से निकले छोटे चूजों,जो कि मादाएं होती हैं, को बिना किसी रूकावट के तुरंत बड़े प्लास्टिक के कंटेनरों में डाल दिया जाता है।पर अफसोस की बात है, कि ऐसा नर चूजों के साथ नहीं होता। उन्हें कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से एक विशाल घूमने वाले ग्राइंडर में ले जाया जाता है, जहां उनका शरीर अनेकों टुकड़ों में काट दिया जाता है। यह अभ्यास इतना आम हो गया है, कि हर साल हमारे देश में पैदा होने के कुछ ही सेकंड बाद लगभग 180 मिलियन नर चूजों की जान चली जाती है। कुछ कंपनियों के फर्म नर चूजों को मारने के लिए उन्हें प्लास्टिक की थैलियों में भरते हैं, ताकि उनका दम घुट जाए, और वे अपने आप ही मर जाएं। इसके अलावा इन्हें मारने के लिए कई अन्य तरीके भी इस्तेमाल किए जाते हैं।यह अभ्यास केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, जिससे हर साल एक बड़ी संख्या में नर चूजे मारे जाते हैं।
इस अभ्यास को अपनाने का मुख्य कारण यह है, कि नर चूजे अंडे नहीं दे सकते। यदि उन्हें पाला जाता है, तो उन्हें पालने की लागत भी अधिक आती है, जो विभिन्न फर्म वहन नहीं करना चाहते। पोल्ट्री फार्मिंग में जो चूजे विकृत होते हैं, उन्हें बेचने में भी कठिनाई होती है, जिससे उन्हें सीधा मार दिया जाता है। इस प्रकार अंडे और मांस के लिए जिन चूजों को पोल्ट्री फार्म द्वारा पाला जाता है, उनका जीवन पृथ्वी पर नर्क बन गया है। पोल्ट्री फार्मों में एक चूजे का जीवन दुख के साथ शुरू और दर्द के साथ समाप्त होता है। उनकी समस्या इनक्यूबेटरों के साथ ही शुरू हो जाती है, जिसमें उन्हें कई दिनों तक रखा जाता है।कई बार इनक्यूबेटरों में चूजों के विभिन्न अंग विकृत हो जाते हैं, तथा अन्य प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताएं भी उत्पन्न होती हैं। जो चूजें स्वस्थ नहीं होते उन्हें या तो सस्ते दामों पर बेच दिया जाता है, या फिर मार दिया जाता है। मादा चूजे अपनी चोंच के कारण एक-दूसरे को नुकसान न पहुंचाए, इसके लिए उनकी चोंच के एक बड़े हिस्से को बिना किसी दर्द निवारक दवा के एक तेज गर्म ब्लेड से काट दिया जाता है।इसके अलावा लिंग निर्धारण के कठोर तरीके भी चूजों के लिए दर्द और भय का कारण बनते हैं।नर चूजे जो कि अंडे नहीं दे सकते और वे चूजे जो विकृत होते हैं, को डुबाकर, कुचलकर, दम घोटकर या पीसकर मार दिया जाता है।अनुपयोगी चूजों में से कई को मछली फार्मों को भोजन के रूप में बेचा भी जाता है।
यह केवल पोल्ट्री फार्म ही नहीं है, जहां इस तरह का अभ्यास किया जा रहा है। डेयरी उद्योग में भी इस तरह का अभ्यास आम है, जिसके अंतर्गत कई अनुपयोगी नर बछड़ों को पालने के बजाय मार दिया जाता है या बेच दिया जाता है। दुनिया भर में देंखे तो हर साल अंडा उद्योग में लगभग 7 अरब नर चूजों को मारा जाता है। भिन्न-भिन्न स्थानों पर इन्हें मारने के तरीके भी अलग-अलग हैं। इन तरीकों में सर्वीकल डिस्लोकेशन (Cervical dislocation) कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा श्वासावरोध, मैक्रेशन (Maceration) आदि शामिल हैं।संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) में चूजों को मारने की प्राथमिक विधि मै क्रेशन है। आधुनिक चयनात्मक प्रजनन के कारण, अंडों के लिए उत्पादित की गयी किस्में मांस के लिए उत्पादित किस्मों से भिन्न होती हैं, इसलिए संयुक्त राज्य अमेरिका में,अंडे के उत्पादन में नर चूजों को मार दिया जाता है क्योंकि नर चूजे न तो अंडे देते हैं,और न ही इतने बड़े हो पाते हैं, कि उनसे मांस प्राप्त किया जा सके। चूंकि भारत तीसरा सबसे बड़ा अंडा उत्पादक देश है, इसलिए इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है, कि भारत में हर साल कितनी बड़ी संख्या में चूजों को मारा जा रहा है।

सभी चूजों को पालने पर प्रतिबंध (1 जनवरी 2022 से फ्रांस और जर्मनी), चूजों को अवैध रूप से पीसना, गैर कानूनी (स्विट्जरलैंड), 2022 तक सभी चूजों को पालने पर प्रतिबंध (स्पेन), चूजों को पीसने पर वर्तमान में कोई  प्रतिबंध नहीं, चूजों को पालना कानूनी, कोई प्रतिबंध नहीं, कोई डेटा नहीं

इस मुद्दे से निपटने के लिए पशु संरक्षण संगठन और बड़े कॉरपोरेट दोनों ही व्यावहारिक समाधान निकालने के लिए हितधारकों के साथ जुड़ रहे हैं।पशु कल्याण संबंधी चिंताओं के कारण,2010 के दशक में, वैज्ञानिकों ने चूजों के लिंग का निर्धारण करने के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास किया।इन प्रौद्योगिकियों में से एक इन-ओवो सेक्सिंग – (In-ovo sexing) भी है, जिसमें अंडे के अंदर ही चूजों का लिंग निर्धारण किया जा सकता है। इसके जरिए नर चूजों को अधिक मानवीय तरीके से आर्थिक रूप से उपयोगी बनाया जा सकता है। इस विधि के व्यावसायिक पैमाने पर उपलब्ध होने से जर्मनी (Germany) और फ्रांस (France) ने 1 जनवरी 2021 से सभी चूजों की हत्या पर रोक लगा दी है तथा ऐसा करने वाले वे दुनिया के पहले देश बन गए हैं।भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भी नर भ्रूण वाले अंडों को नष्ट करने के लिए इस तकनीक को अपनाने हेतु विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/2XVELXN
https://bit.ly/3zVZesF
https://bit.ly/3AMRiLL
https://bit.ly/3uzskxj
https://bit.ly/3F0xU0a

चित्र संदर्भ
1. अंडे से निकले नर चूजे का एक चित्रण (twib)
2. लिंग के आधार पर वर्गीकृत करने को दर्शाता एक चित्रण (FoodNavigator-USA)
3. दुनिया भर में पोल्ट्री उद्योग में चूजों को पालने की वर्तमान कानूनी स्थिति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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