मानसूनी बारिश को अस्थिर कर रहा है जलवायु परिवर्तन

जलवायु और मौसम
25-09-2021 10:19 AM
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मानसूनी बारिश को अस्थिर कर रहा है जलवायु परिवर्तन

पिछले कुछ दिनों लखनऊ शहर में अत्यधिक बारिश का नजारा देखने को मिला।16 सितंबर को हुई लगातार बारिश ने लखनऊ के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है तथा साथ ही नगर निगम द्वारा जो दावे किए गए थे, उनकी सच्चाई को भी उजागर किया है।इस दौरान 36 घंटे में 228.6 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। कम से कम 16 घंटे तक हुई लगातार बारिश से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।बारिश के कारण जल-जमाव, बिजली कार्यिकी में बाधा, कई स्थानों पर पेड़ों का उखड़ना आदि समस्याओं के कारण लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लखनऊ के ओल्ड सिटी क्षेत्र की स्थिति और भी बदतर थी, क्यों कि क्षेत्र में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के चलते सड़कों को खोदा गया था, तथा बारिश ने जमीन की स्थिति को और भी खराब कर दिया। मौसम विभाग द्वारा आने वाले दिनों में बारिश की और भी संभावना जताई गई है।
मानसून के दौरान शहरी भारत में जलजमाव जो शहरी बाढ़ का कारण बनता है,एक आम परिदृश्य बन गया है।
शहरी बाढ़ की समस्या अब पहले की अपेक्षा अत्यधिक बढ़ गयी है, क्यों कि बदलते मौसम के कारण थोड़े बारिश के दिनों में अधिक तीव्रता वाली बारिश हो रही है।कोरोना महामारी ने जलभराव की समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है, क्योंकि इस दौरान मानसून से पहले नालों की गाद को निकालने का काम पूर्ण रूप से नहीं हो पाया।तो आइए आज जलवायु परिवर्तन के कारण मानसूनी बारिश में आयी अस्थिरता के कारणों और उसके प्रभावों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं। यूं तो जलवायु परिवर्तन के लिए प्राकृतिक और मानवीय कारक दोनों उत्तरदायी हैं, लेकिन इसमें मानवीय कारकों की भूमिका कुछ अधिक दिखाई देती है। विभिन्न गतिविधियों जैसे शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, वनान्मूलन, रासायनिक कीटनाशकों एवं उर्वरकों का प्रयोग आदि ऐसे कारक हैं,जो वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि को बढ़ावा देते है। ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि निरंतर ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) के स्तर को बढ़ा रही है,जो जलवायु परिवर्तन में सहायक है।जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट प्रभाव हम मानसून के आने में देरी और मानसून की बारिश में वृद्धि के रूप में देख रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार, यदि ग्लोबल वार्मिंग में एक डिग्री सेल्सियस की भी वृद्धि होती है, तो मानसून की बारिश में करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है।भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून भारत की कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और दुनिया की आबादी के पांचवें हिस्से की आजीविका को प्रभावित करता है। भारत में वार्षिक वर्षा की लगभग 80 प्रतिशत वर्षा, गर्मी की अवधि में होती है। मानसून प्रमुख कृषि मौसम के दौरान फसलों को पानी की आपूर्ति करता है, लेकिन वर्षा में देरी या अत्यधिक वर्षा का होना फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है, जो कृषि से जुड़े हर व्यक्ति को प्रभावित करता है।
1980 के बाद से, ग्लोबल वार्मिंग ने मानसून के मौसम को और अधिक अस्थिर बनाने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। जलवायु परिवर्तन ऐसे गंभीर परिणामों को अंजाम देता है,जो भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक-आर्थिक हित को प्रभावित करता है।इसका असर भारत की कृषि प्रथाओं के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है।पिछले दो दशकों में मानसून के आगमन ने जबरदस्त आशंका पैदा की है।मूसलाधार बारिश,ने देश के कई हिस्सों में जलजमाव की समस्या को भी बढ़ा दिया है,जो शहरी अवसंरचना को बुरी तरह प्रभावित करता है। मूसलाधार बारिश के कारण हर साल अनेकों लोगों की जानेंजाती हैं।मौसम प्रणाली में गड़बड़ी अत्यधिक गरीबी में रहने वाले कई लोगों की भोजन और जल सुरक्षा को सीधे प्रभावित करती है।
वैज्ञानिकों का दावा है, कि ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से जलवायु परिवर्तन ने मानसून परिवर्तन को बढ़ावा दिया है।पहला कारण हैं, वातावरण में नमी का स्तर और दूसरा अंतर भूमि और समुद्र के बीच गर्मी का। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र की सतह के गर्म होने से दक्षिण एशिया (Asia) की ओर जाते समय मानसूनी हवाएँ नमी की मात्रा को बढ़ा देती हैं। नतीजतन, जलवायु परिवर्तन बारिश में वृद्धि करता है और इस प्रकार बाढ़ की घटनाओं में भी वृद्धि होती है।एयरोसोल के उत्सर्जन, बिजली के अभाव में बायोमास को जलाने,फसलों को जलाने आदि से महासागरों का ग्रहीय ताप बढ़ जाता है।कृषि उत्पादन के लिए भूमि का अत्यधिक उपयोग मिट्टी की नमी और गर्मी को अवशोषित करने और उसे प्रतिबिंबित करने की क्षमता को प्रभावित करता है,जो जलवायु परिवर्तन में योगदान देते हैं।
जलवायु परिवर्तन से किसानों की आय 15-18% और असिंचित क्षेत्रों में 20-25% तक कम हो सकती है।नुकसान के इस स्तर को देखते हुए जलवायु परिवर्तन को रोकना अत्यधिक आवश्यक है। यदि जलवायु परिवर्तन को बढ़ाने वाले कारकों को नियंत्रित किया जाता है, तो निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभावों को कम किया जा सकता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3lUUU82
https://bit.ly/3CC6zQ4
https://bit.ly/3CJxHNb
https://bit.ly/3kxcxvp
https://bit.ly/3ijS77N
https://nyti.ms/3zEYXKx

चित्र संदर्भ

1. बारिश भीगते बच्चों का एक चित्रण (flickr)
2. भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून की आरंभ की तिथियां एवं चलने वाली हवाएं, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारी बारिश में स्कूल जाते बच्चों का एक चित्रण (flickr)