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कैंसर भारत की उन प्रमुख समस्याओं में से एक है जो भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के
रूप में बहुत तेजी से उभर रही है। हर साल देश में कैंसर के अनेकों मामले सामने आते हैं, जो
न केवल व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य को बल्कि उसके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित
करते हैं। साथ ही व्यक्ति का सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन भी इस बीमारी के
कारण बहुत बुरी तरह प्रभावित होता है।
ऐसा अनुमान लगाया गया है, कि कैंसर का आयु-मानकीकृत प्रसार प्रति 100,000 व्यक्तियों पर
97 है तथा यह ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में अधिक है। अध्ययन के अनुसार बुजुर्गों
और प्रजनन आयु समूहों जैसे महिलाओं में इसका प्रसार सबसे अधिक है।जब किसी बीमारी के
इलाज के लिए कोई व्यक्ति अस्पताल में भर्ती होता है, तो उसका औसत खर्च 19,210 रुपये
आंका गया है। लेकिन अगर बात कैंसर की हो, तो इस पर आने वाला औसत खर्च सबसे अधिक
(57,232 रुपये) है। इसके बाद हृदय रोग (40,947) काऔसत खर्च सबसे अधिक होता है।कैंसर
का आर्थिक बोझ किसी भी अन्य बीमारी की तुलना में सबसे अधिक है तथा यह व्यक्ति और
उसके रिश्तेदारों को आर्थिक रूप से अत्यधिक प्रभावित करता है।जब कोई व्यक्ति कैंसर के
इलाज के लिए किसी निजी अस्पताल में भर्ती होता है, तब उसकी देखभाल का औसत खर्च
सार्वजनिक सुविधाओं में आने वाले खर्च से लगभग तीन गुना होता है।इसके अलावा, कैंसर के
उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती हुए लोगों का 40 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है, जो अपने उपचार
के लिए मुख्य रूप से उधार,संपत्ति की बिक्री और मित्रों और रिश्तेदारों द्वारा दी गयी सहायता
पर निर्भर होते हैं। 60 प्रतिशत से अधिक परिवार जो निजी क्षेत्र से अपनी देखभाल चाहते हैं, वे
अपने वार्षिक प्रति व्यक्ति घरेलू खर्च का20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अपने इलाज के लिए
खर्च करते हैं।
कैंसर के उपचार में इतना अधिक व्यय होने से भारत में इस रोग से ग्रसित अनेकों
लोग और उनका परिवार विनाशकारी स्वास्थ्य देखभाल व्यय (Catastrophic health-care
expenditure - CHE)और संकट वित्तपोषण (Distress financing) का सामना कर रहा
है।विनाशकारी स्वास्थ्य देखभाल व्यय तब होता है जब किसी परिवार की कुल आय का एक बड़ा
हिस्सा स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में खर्च होता है। यह खर्च इतना अधिक होता है, कि परिवार
को संभावित रूप से गरीबी का सामना करना पड़ सकता है। इसे या तो कुल मासिक खपत व्यय
के 10% से अधिक हिस्से के रूप में या फिर गैर-खाद्य उपभोग व्यय के 40% से अधिक हिस्से
के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।ऐसा अनुमान है कि चिकित्सा खर्च के कारण हर साल
700 लाख से अधिक भारतीयों को गरीबी का सामना करना पड़ता है। हर साल अकेले स्वास्थ्य
देखभाल की लागत के कारण 630 लाख से अधिक लोग गरीबी का सामना कर रहे हैं। स्वास्थ्य
लागतों के कारण विनाशकारी खर्चों का सामना करने वाले परिवारों का अनुपात2004-2005 में
15% था, जो कि 2011-2012 में 18% हो गया है।लगभग 28%परिवार ऐसे हैं, जिन्हें
विनाशकारी स्वास्थ्य देखभाल व्यय और संकट वित्तपोषण का सामना करना पड़ा है।विनाशकारी
स्वास्थ्य देखभाल व्यय और संकट वित्तपोषण में कैंसर की भागीदारी को देखा जाए तो यह अन्य
बीमारियों की तुलना में सबसे अधिक है।विनाशकारी स्वास्थ्य देखभाल व्यय में कैंसर की
भागीदारी 79% तथा संकट वित्तपोषण में 43% है।
भारत में विनाशकारी स्वास्थ्य देखभाल व्यय को कम करने के लिए कई स्वास्थ्य बीमा योजनाएं
जैसे प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना,आम आदमी बीमा योजना
आदि संचालित की गई हैं। इसके अलावा भारत में कुछ राज्यों ने भी मुख्य रूप से गरीब
परिवारों को स्वास्थ्य बीमा (जैसे आंध्र प्रदेश में राजीव आरोग्यश्री योजना,गुजरात में मुख्यमंत्री
अमृतम) प्रदान किए हैं।किंतु ध्यान देने योग्य बात यह है, कि भारत में 20% से भी कम
आबादी किसी भी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ उठा पाती है, और कई स्वास्थ्य बीमा
योजनाएं क्रोनिक (Chronic) बीमारियों को कवर नहीं करती हैं। इसलिए कुछ परिवारों के लिए
विनाशकारी स्वास्थ्य देखभाल व्यय और संकट वित्तपोषण को कम नहीं किया जा सकता
है।भारत में विनाशकारी स्वास्थ्य व्यय और संकट वित्तपोषण को कम करने के लिए स्वास्थ्य
बीमा एक बहुत ही उपयोगी रणनीति हो सकती है।कैंसर के विनाशकारी प्रभावों को देखते हुए,
यह आवश्यक है कि सार्वभौमिक कैंसर देखभाल बीमा की परिकल्पना की जानी चाहिए और इसे
उन मौजूदा दुर्घटना और जीवन बीमा पॉलिसियों से जोड़ा जाना चाहिए, जो गरीब वर्गों के लिए
हैं।प्रभावी रोकथाम और प्रारंभिक जांच की मदद से कैंसर की रोकथाम की जा सकती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3lJTEVd
https://bit.ly/3AxIBFa
https://bit.ly/3hS4IP0
https://bit.ly/3tYX0Yu
https://bit.ly/3nQXVJu
चित्र संदर्भ
1. विकिरण ऑन्कोलॉजी (Radiation Oncology) विभाग का एक चित्रण (emory)
2. ऑप्रेशन करती महिला डॉक्टर का एक चित्रण (flickr)
3. मरीजों से भरे अस्पताल का चित्रण (flickr)